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________________ भुगते उसीकी भूल जो दुःख भुगते उसकी भूल और सुख भुगते तो वह उसका इनाम । लेकिन भ्रांतिका कानून निमित्तको पकड़ता है । भगवानका कानून-रियल कानून तो जिसकी भूल होगी उसीको पकड़ेगा । यह कानून एक्झेक्ट (चौकस) है और उसमें परिवर्तन कर सकें ऐसा है ही नहीं । ऐसा कोई कानून जगतमें नहीं है कि जो किसीको भगतने पर बाधमय करे । सरकारी कानून भी भुगतने का बाध्य नहीं कर सकता ।। यह चायका गिलास आपके हाथों कूटेगा तो आपको दुःख होगा ? खद फोडें तो आपको सहन करना पडेगा? और यदि आपके लड़केसे फूट गया तो दु:ख, चिंता और जलन होती है । अपनी ही भूलका हिसाब है ऐसा समझमें आ जाये तो दु:ख या चिंता होगी? यह तो दूसरोंके दोष निकालकर दुःख और चिंता पैदा करते है और रात-दिन निरी जलन ही पैदा करते है और उपरसे खुद ऐसा मानते है कि मुझे बहुत सहन करना पडता है । अपनी कुछ भूल होगी तभी सामनेवाला कहता होगा न ? इसलिए भूल सुधार लो न । इस जगतमें कोई जीव किसी जीवको तक़लीफ़ नहीं दे सके ऐसा स्वातंत्र्य है, और तक़लीफ़ देता है वह अगले जनममें दखल दी थी इसलीए । भूल मीटा देने पर फिर हिसाब नहीं रहेगा । प्रश्नकर्ता : यह थीयरी (सिद्धांत) ठीकसे समझमें आ जाये तो सभी प्रश्नोंका मनमें समाधान रहेगा। दादाश्री : समाधान नहीं, एक्झेक्ट (चौकस) ऐसा ही है । यह मन-गढंत नहीं है, बुद्धिपूर्वक बात नहीं है, यह ज्ञानपूर्वक है । आजका गुनहगार - लूटेरा या लूटाजानेवाला ? यह रोजाना समाचार आते है कि, "आज टेक्सीमें दो आदमीयोंने इसको लूट लिया, फलाँके फलेट के बाई साहिब को बाँधकर लट चलायी ।" यह पढ़कर हमें भड़कनेकी जरूरत नहीं है कि मैं भी लट गया तो? यह विकल्प ही गुनाह है । इसके बजाय तू अपनी मस्तीमें घूमता रहे न । भुगते उसीकी भूल तेरा हिसाब होगा तो ले जायेगा, वर्ना कोई बाप भी पूछनेवाला नहीं है । इसलिए तू निर्भय होकर घूमता रहे । ये पेपरवाले तो लिखेंगे. इससे क्या हम डर जायें ? यह तो ठीक है कि बहुत कम मात्रामें डाईवॉर्स (तल्लाक) होते हैं, गर इसका प्रमाण बढ जाये तो सभीको शंका होने लगें कि हमारे भी डाईवॉर्स (तल्लाक) हो गये तो ? एक लाख मनुष्य जिस जगह लूट जाये (4) वहाँभी आपको घबरानेकी जरूरत नहीं है । कोई बाप भी आपका ऊपरी नहीं है। लूटनेवाला भोगता है कि लूटा गया है वह भोगता है ? कौन भूगतता है यह देख लेना । लुटेरे मिले और लूट लिया, अब रोना नहीं है आगे बढ़ते रहना है। जगत दुःख भुगतनेके लिए नहीं हे, सुख भुगतने के लिए है । जिसका जितना हिसाब होगा उतना भुगतेगा । कुछ लोग अकेला सुख ही भुगतते है, वह क्योंकर ? कुछ लोग सदा दःख ही भुगतते रगते हैं, ऐसा क्योंकर ? खुदके ऐसे हिसाब लाये हैं इसलिए । "भुगते उसीकी भूल" यह एक ही सूत्र घरकी दीवार पर लिख रखा होगा तो भुगतते समय समझ लोंगे कि यह भूल किसकी है ? इसलिए कई घरोंमे दीवार पर बड़े अक्षरोमें लिखा रहता है कि, "भुगते उसीकी भूल" भूलाएगी ही नहीं न फिर यह बात । सारा जीवन यदि कोई मनुष्य यह सूत्र इस्तेमाल करेगा,यथार्थतासे समझकर यदि इस्तेमाल करेगा तो उसे गुरु करनेकी आवश्यकता नहीं रहेगी । यह सूत्र ही उसे मोक्षमें ले जाये ऐसा है । अजायब वेल्डिंग (संधान) हुआ यह ! "भगते उसीकी भूल" यह बहुत बड़ा वाक्य कहलाये । वह तो संयोगसे किसी कालके हिसाबसे शब्दोंका वेल्डिंग (संधान) होता है । बिना वेन्डिंग काम नहीं बनता न । वेल्डिंग हो जाना चाहिए । ये शब्द
SR No.009579
Book TitleBhugate Usi Ki Bhul
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2001
Total Pages20
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size307 KB
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