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________________ पुनः राज्यप्राप्ति पर पूर्ण हुआ था और उसमें साठ सर्ग थे। कुछ विद्वान् एकसौ तीस सर्गों की बात कहते हैं। इन विद्वानों की मान्यता है कि जैसे श्रीहर्ण के अन्य ग्रन्थ कालकवलित हो गये, 'नैषध' के अप्राप्य अंश के साथ भी वैसा ही हुआ। ___षधीयचरित' अपूर्ण महाकाव्य है - इसकी पुष्टि में प्रधानतया तीन तक दिये जाते हैं-(१) इस महाकाव्य का नाम 'नैषधीयचरित' है, अर्थात यह एक चरितकाव्य' है, जिसमें नायक का पूर्ण चरित होना चाहिए। नल. चरित पुनः राज्यप्राप्ति पर ही पूर्ण होता है। उसकी सहिष्णुता, धैर्यधनता आदि चारित्रिक विशेषताएँ नल के उत्तर चरित्र में ही पूर्णतः स्पष्ट होती हैं। अतः यह मानना समीचीन लगता है कि धैर्यधनता और अपार कल्पना के स्वामी श्रीहर्ष ने पूर्ण चरित ही लिखा होगा; प्राप्त अपूर्ण ही है। (२) नलदमयन्ती-स्वयंवर के पश्चात् देवों ने दोनों को वर दिये थे और अम्बर में आश्रय लिया था-'इत्थं वितीर्य वरमम्बरमाश्रयत्सु"। ( नैषधोय० १४। ९५-१)। 'नैषध' के वर्तमान रूप में इन वरों की सार्थकता सिद्ध नहीं हो पाती। ( ३ ) कलि ने कहा था कि हे विज्ञ देवों, आप मुझ कलि की यह प्रतिज्ञा नल को ज्ञात करादें कि (आज का पराजित मैं ) नल को एक दिन जीतू गा-उसे मैमी और भूमि-दोनों से विहीन बना दंगा। मेरे और नैषध के विरोष की प्रचंडता का गान कविगण प्रचंडतेजोमय सूर्य और कुमुदों के पैर समान करेंगे-'प्रतिज्ञेयं नले विज्ञाः कलेविज्ञायतां मम । तेन भैमी च भूमि च त्याजयामि जयामि तम् ।। नैषधेन विरोध मे चण्डतामण्डिनौजसः । जगन्ति हन्त गायन्तु रवेः कैरवनरवत् ।। ( नै० १७११३८,१३९) । महाकवि श्रीहर्ष को यदि यह नैर-गान अपेक्षित न होता तो वे 'यह सब' भी क्यों लिखते ? यदि वे इसे व्यर्थ समझते थे, तो कलि-प्रसंग की ही उपेक्षा कर देते, सत्रहवें सर्ग की आवश्यकता ही उस स्थिति में नहीं थी। श्री नीलकमल भट्टाचार्य ने 'नैषधीयचरित' की अपूर्णता अथवा खंडितता के पक्ष में प्रायः इन्हीं तर्कों का आश्रय लिया है। ___ इसके विरुद्ध नैषधीयचरित' की वर्तमान रूप में ही पूर्णता के पक्षपाती सबसे पहिले तो 'नैषधीयप्रकाशटीका' के विद्वान् कर्ता नारायण के इस
SR No.009566
Book TitleNaishadhiya Charitam
Original Sutra AuthorHarsh Mahakavi
AuthorSanadhya Shastri
PublisherKrishnadas Academy Varanasi
Publication Year
Total Pages284
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size74 MB
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