SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 712
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चरकसंहिता - मा० सं० विक्तवर्गपरिसंख्यातानामौषधद्रव्याणां छेद्या निखण्डशश्छेदयित्वां भेद्यानिचाणुशोभेदयित्वाप्रक्षाल्यपानीयेनाभ्यासिच्य साधयित्वोपसंस्कृत्ययथावन्मधुतैल लवणोपहितं सुखाष्णंबस्ति श्लेष्मविकारिणेविधिज्ञेोविधिवद्दद्यात् । शीतन्तुमधुसर्पिभ्यमुपसंस्कृत्य पित्तविकारिणेदद्यादितितिक्तस्कन्धः ॥ १६४ ॥ अब तिक्तस्कंधको कहतेहैं चंदन, खस, अमलतास, करंजुवा, नीम, नेपाली धनियां, कुडा, हल्दी, दारूहल्दी, नागरमोथे, मुर्वा, चिरायता, कुटकी, त्रायमाण, -कनेर, केबुक, करैला, अडूसा, मण्डूकपर्णी, फकौडा, बैंगन, कमीला, मकौह, छोटा करैला, कडूमर, कालाजीरां, अतीस, पटालपत्र, परवल, पाढ, गिलोय, वेतकी कोपल, वेतस मजनू, विकेकत, मौलसरी, सफेदकत्था, सतवन, धतूरा, आक - बावची, वच, तगर, अगर, नेत्रवाला और खस तथा तिक्तवर्ग में कहे हुए सब द्रव्यों को जलसे घोकर तथा कूटछानकर जलमें पकावे । फिर छानकर जब सुखोष्ण रहे तो सेंधानमक और शहद मिलाकर कफरोगीको आस्थापन वस्ति करना चाहिये यदि पित्तरोगीको आस्थापनवस्ति करना हो तो शीतल होनेपर शहद और वृद मला आस्थापनबस्ति करे || इवितिक्कस्कंधः ॥ १६४ ॥ कषायस्कन्ध | प्रियङ्ग्वनन्ताम्रास्थ्यम्बष्ठकीकट्टुङ्ग लोध्र मोचरससमङ्गाधातकीपुष्पपद्मापद्मकेशरजम्ब्वाम्रप्लक्षवटकपीतनोदुम्बराश्वत्थभछातकाश्मन्तकाशिरीषाशंशपासोमवल्कातिन्दुकृपियालबबर खदिरसप्तपर्णाश्वकर्णस्यन्दवार्जुनासनारिमेदैलवालुकपरिपे लवकदम्बशल्लकी जिङ्गिनीकाशकशेरुकाराजकशेरुकाकट्फलवशपद्मकाशोकशालधवसर्जभूर्जराणपुष्पीशमी माचीकवर कतु- द्वाजकर्णाश्वकर्ण स्फुर्जकविभीतककुम्भीकपुष्करबीजबिसनूगाल - तालखर्जूरतरुणीनामेषामेवंविधानाञ्चान्येषां कषायवर्गपरिसंख्यातानामौषधद्रव्याणांछेद्यानिखण्डशश्छेदयित्वा भद्या ६५४) निचाणुशोभेदयित्वाप्रक्षाल्यपानयिन सहसाधयित्वापसंस्कृत्य यथावन्मधु तैललवणोपहितं सुखोष्णं वस्तिश्लेष्मविकारिणेद
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy