SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 711
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विमानस्थान-म०८. (६५३) बस्तिकी विधिको जाननेवाला वैद्य विधिपूर्वक वातविकारी मनुष्यको देनी चाहिये। इति लवणस्कन्धः ॥ १६२।। कटुकस्कन्ध। पिप्पलीपिप्पलीमूलहस्तिपिप्पलाचव्याचत्रकशृङ्गवेरमरिचाजमोदाकविडङ्गकुस्तुम्बुरुपीलुतेजोवत्येलाकुष्ठभल्लातकास्थिहिंगुकिलिममूलकसर्षप--लशुन-करअशिग्रुकमधुराशिघुकखरपुष्पाभूस्तृणसुमखसुरस-कुठेरक--काण्डीरकालमालवापासक्षवकफणिज्जकक्षारमूत्रपित्तानामेषामेवंविधानाचान्येषांकटुकवर्गपरिसंख्यातानामौषधद्रव्याणांछेद्यानिखण्डशश्छेदयित्वाभेद्यानिचाणुशोभेदयित्वागोमूत्रेणसहसाधयित्वोपसंस्कृत्ययथावन्मधुतललवणोपहितंसुखोष्णंबस्तिश्लेष्मवि- . कारिणेविधिज्ञोविधिवदद्यात्, इतिकटुकस्कन्धः ॥ १६३॥ अब कटुस्कन्धको कहते हैं पीपल, पिपलामूल, गजपीपल, चव्य, चित्ता, सोंठ, मिर्च, अजमोद, बायविडंग, नैपालीधनियां, अखरोट, तेजवल, इलायची, कूठ,. भेलावेकी गुठली, हींग, देवदार, मूली, सरसों, लहसुन, करंज, सोहांजना, मीण सोहांजना, वनतुलसी, गन्धतण, सुमुखतुलसी, सुरस, कुठेरक, काण्डीर, कालमा.. लक, पर्णास, क्षवक यह सब तुलसीकी जातियें, और मरुआ, क्षार, मूत्र, पित्त एवम् अन्य कटुवर्गमें कहे द्रव्य लेकर छोटे २ टुकडेफर शुद्धजलसे धो बारीक कर-- लेवे। फिर गोमूत्रमें पकाकर शुद्धवस्त्रद्वारा छान लेवे । मुखोष्ण रहनेपर मधु,तेल: और लवण मिलाकर कफविकारी मनुष्यके आस्थापन बस्ति करे। इति कटु (चर परा) स्कन्धः॥ १६३ ॥ तिक्तस्कन्ध । चन्दननलदकृतमालनक्तमालनिम्बतुम्बुरुकुटजहरिद्रादारुहरिद्रामुस्तमूर्वाकिरातत्तिक्तककटुरोहिणीत्रायमाणाकरवीरके, वुककटिल्लकवृषमण्डूकपर्णीककर्कोटकवा कुकर्कशकाकमाचीकारवेल्लंकाकोदुम्बरीकासुषव्यतिविषापटोलकुणकपाठागुडूचीवेत्रावतसविककतबकुलसोमवल्कसप्तपर्णसुमनोऽर्कावल्गुजवचातगरागुरुवालकोशीराणाम् ॥ एषामेवंविधानाचान्येषां लेवेफिर गवर्गमे कहे द्रव्य लकाकी जातिथे, और रिक, काण्डीर, का
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy