SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 451
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ' सूत्रस्थान - अ० २९. . तमानामाहारविकाराणामत्र्य संग्रहस्यासवानाञ्चचतुरशीतेः (३९३) द्रव्यगुणविनिश्चयस्यरसानुरससंश्रयस्यसविकल्पकवैरोधिकस्य द्वादशवर्गाश्रयस्य चान्नपानस्य सगुणप्रभावस्य सानुपानगुणस्य विविधस्यान्न संग्रहस्यआहारगते श्वहिताहितोपयोगविशेषात्मकस्यचशुभाशुभविशेषस्यधात्वाश्रयाणाञ्च रोगाणामौषधसंग्रहाणाञ्चदशानाञ्च प्राणायतनानांयञ्चवक्ष्याम्यर्थे दशमहामूलीयेत्रिंशत्तमाध्यायेतत्र च कृत्स्नस्यतन्त्रोद्देश लक्षणस्यतन्त्रस्वच ग्रहणधारणविज्ञानप्रयोगकर्मकार्य्यं काल कर्तृकरणकुशलाः ॥७॥ षोड़शकलायुक्त चतुष्पाद औषधका ज्ञान, त्रिविध एषणा, वातकलाकल ज्ञानमें निःसंदेह, चतुर्विध स्नेह, चौवीस प्रकार स्नेहकी विचारणा, उपकल्पनीय अध्यामें कई चौंसठ प्रकारकी व्यवस्थापयिता हो एवम् अनेक प्रकारके विधानसे स्नेहन, स्वेदन, वमन, विरेचनके योग्य प्रयोग, औषध, उपचार इनमें कुशल हो उसको ही प्राणाभिसर वैद्य कहना चाहिये । शिरोरोगादिक रोगोंके दोषोंका अंशांश कल्पनाजन्य विकल्प व्याधिसंग्रह, दोष और धातुओंका क्षय, पिडका, विद्रधी, त्रिविध शोथ, शोथके अनेक प्रकारके अनुबंध, अडतालीस रोगाधिकरण, चालीस पित्तरोग, वीस कफरोग, अस्सी वातरोग, अतिस्थूल और अतिकृश शरीरोंकी निंदा और उनके कारण तथा लक्षण एवम् चिकित्सा । निद्रा, अनिद्रा, अतिनिद्राका हित और अहित, कारण, यत्न लंघन आदि छः प्रकारकी चिकित्सा, समर्पण और अपतर्पणजन्य रोगों के स्वरूप और उपाय, रक्त रोग, मद, मूर्च्छा, संन्यास इनके हेतु रूप और चिकित्सा इन सबमें कुशल हो । एवम् आहारविधि विनिश्चयमें कुशल स्वभावसे ही हितकारक आहार तथा आहारजन्य विकार और आहारजनित विकारोंके सिवाय अन्य विकारोंके कारण चौरासी प्रकारके आसव द्रव्योंके गुणोंका विनिश्चय रस तथा अनुरसोंका विनिश्चय तथा उनके भेद विरोधकारक आहारोंका वर्णन, अन्नपान विषयक द्वादश वर्गोंका निश्चय, अन्नपान और गुणके प्रभाव तथा उनके अनुपानों के गुण तथा उनकी विधि अनेक प्रकारके द्रव्योंकी गुरुता और लघुताका संग्रह, आहार सम्बन्धी हित और अहित पदार्थों का उपयोग तथा उनसे होनेवाले शुभ अशुभ रसादिक धातुओंके आश्रितरोग और उनके उपाय प्राणोंके दश स्थान और जो कुछ दशमूलीय नामक तीसवें अध्याय कथन करेंगे वह संपूर्ण तथा इस प्रकार शास्त्रका उद्देश्य, लक्षण, ग्रहण
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy