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________________ प्रयोग करें आओ जीना सीन... करवाना-पीना आओ जीना सीन... प्रयोग करें जल्दी सोना-उठना भगवान महावीर ने कहा है - "खणं जाणाहि पंडिए।" ज्ञानी वही होता है जो प्रतिक्षण जागरुक रहता है। समय का अंकन करता है। शरीर स्वस्थ और मन मस्त रहने के लिए हमारे दिन की शुरुआत शुभ हो, आनंदमय हो । जल्दी उठना ही आपके जीवन को सफल बनाने का रहस्य है। उठते ही दिन की शुरुआत अच्छी होने के लिए प्रसन्नतापूर्वक उठना, हाथ जोड़कर प्रार्थना करना, कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती: करमूले तु गोविन्दः प्रभाते कर दर्शनम्ल आचार्य महाप्रज्ञ कहते हैं - आयुर्वेद का सिद्धांत है कि प्रातःकाल उठते ही ओंकार का जप करना चाहिए। प्रत्येक धर्म संप्रदाय कहता है कि उठते ही भगवान का नाम स्मरण करना चाहिए। आत्मवादी दर्शन कहते है कि उठते ही आत्म-चिन्तन या आत्म निरीक्षण करना चाहिए। ये सारे विधायक भाव को जगाने के साधन हैं। जब प्रातः काल उठते ही विधायक भाव का चक्का घूम जाता है तो पूरा दिन उसी जागृति में बीतता है। यदि उठते ही बुरी बात सामने आती है तो निषेधात्मक भावों का चक्का घूमने लग जाता है और पूरा दिन उसी में गुजरता है। हमारी दिनचर्या का आदि-बिन्दु होना चाहिए शक्तिमय, चैतन्यमय और आनन्दमय प्रभु का दर्शन । ॐ, अर्हम्, सोहम् आदि मंत्राक्षरों का दीर्घ उच्चारण करने से मन वाणी के साथ जुड़ जाता है। सोना और उठना * रात को सोने से पहले, ठण्डे पानी से हाथ-पैर व मुँह होना चाहिए। * सब चिंताओं व तनावों से मुक्त होकर, शरीर को शिथिल करके सोना। रात को जल्दी याने 10.00 बजे तक सोना। पूरी व गहरी नींद अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। चेहरा ढंक कर सोना हानिप्रद है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में सूर्योदय से एक घंटे पहले उठना स्वास्थ्यप्रद है। उठते ही प्रार्थना करके दिन की शुरुआत करें। अन्नेन पूरयेत अर्धम्, तोयेने च तृतीयकम् । उदरस्य तूरीयांशं च, संरक्षेत् वायुधारणामङ्ग हमारे द्वारा ग्रहण किया हुआ भोजन अन्ननली के द्वारा आमाशय में पहुंचता है। आमाशय में अन्न का पाचन होता है, इसलिए उसका आधा हिस्सा आहार, 1/4 द्रव्य और 1/4 हिस्सा वायु संचार के लिए खाली रखना चाहिए । पेट पूरा भरा हो तो पाचन बराबर नहीं होता, इसलिए आहार कम लो। दूंस-ठूस कर मत भरो। भोजनांते पिबेत तक्रम, दिनान्ते च तिबेत पयः । निशान्ते च पिबेत वरि, तत् वैद्यस्य किं प्रयोजनम्न खाना खाने के बाद छाछ पीना, रात्रि को दूध और सवेरे जल्दी उठते ही पानी पीना चाहिए। ऐसा किया तो वैद्य की जरूरत नहीं होगी। खाने में तेल-मिर्च का उपयोग कम करें खाने में हरी सब्जियों का प्रयोग ज्यादा करें, सलाद ज़्यादा खाएँ मिठाई, चोकलेट और आईसक्रीम का उपयोग कम से कम करें भोजन के समय केवल भोजन ही करें, अन्य प्रवृत्ति न करें मौन रखकर भोजन करना अति उत्तम है भोजन धीरे-धीरे चबा-चबाकर करें रेशेयुक्त खाद्यपदार्थों का उपयोग लाभप्रद है शाकाहार हर दृष्टि से सर्वोत्तम है भोजन करने के बाद धीरे-धीरे टहलना चाहिए। उबला हुआ पानी पीओ, छान कर पीओ भरपूर पानी पीओ पर धीरे-धीरे और चूंट-घूट पानी पीओ भोजन के बाद सुविधानुसार 5 से 10 मिनिट वजासन में बैठना लाभप्रद पेट भरकर भोजन करते हैं, उन्हें भोगी कहते हैं, पेट भरकर थोड़ा ज्यादा भोजन करते हैं, उन्हें रोगी कहतें हैं, पेट भरने से थोड़ा कम खाते हैं, उन्हें योगी कहते हैं
SR No.009544
Book TitleAao Jeena Sikhe
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAlka Sankhla
PublisherDipchand Sankhla
Publication Year2006
Total Pages53
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size6 MB
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