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________________ २७६ भगवतीने प्रज्ञप्ता ? भगवानाह-'गोयमा ! जहणेणं अंतोसुहृत्तं उको सेणं दसवाससहस्साहं३०' हे गौतम ! उत्पलजीवानाम् जघन्येन अन्तर्मुहूर्तम् , उत्कृप्टेन दशवर्पसहस्राणि स्थितिः प्रज्ञप्ता। इति त्रिंशत्तमं स्थितिद्वारम् ॥३०॥ ____ अथ एकत्रिंशत्तमं समुद्घातद्वारमाश्रित्य गौतमः पृच्छति-'तेसिं णं भंते ! जीवाणं कइ समुग्घाया पणत्ता?' हे भदन्त ! तेषां खलु उम्पलजीवानां कति समुद्घाताः प्राप्ताः ? भगवानाद-'गोयमा ! तओ समुग्धाया पण्णत्ता' हे गौतम! उत्पल जीवानां नयः समुद्घाता: प्रज्ञप्ताः, 'तंजहा-वेपणालमुग्याए, कसायसष्ठग्याए, मारणंतियसमुग्घाए ३१' तद्यथा-वेदनासमुद्घातः कपायसमुद्घातः, मारणान्तिक-समुद्घातश्च । इत्येकत्रिंशत्तसं समुद्घातद्वारम् ।३१।। उत्पलस्थ जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा । जहण्णेणं अतोमुहत्तं उकोलेणं दसवाससहस्साइ' हे गौतम ! इन उत्पलस्थ जीवों की स्थिति जघन्य से तो एक अन्तर्मुहूर्त की कही गई है और उत्कृष्ट से दश हजार वर्षकी कही गई है यह तीसवां स्थितिहार है। अघ गौतम समुद्धातहार को आश्रित करके प्रभु से ऐसा पूछते हैं-'तेसिंणं भंते ! जीवाणं कह समुग्धाया पण्णत्ता! हे भदन्त ! उन उत्पल जीवों के कितने समुद्घाल कहे गये है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं- 'गोयमा ! तओ ससुरवाया पण्णसा' हे गौतम उन उत्पलजीचों के तीन समुद्घात कहे गये हैं- ' तंजहा' जो इस प्रकार से हैं- 'वेयणासमुरघाए, कसायसनुग्धाए, मारणंतियसामुग्घाए' 30 स्थितिवारनी ५३५९।-गौतम स्वाभान प्रश्न- तेसिं ण भंते । केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता १" लगवन् ! तपस्थ वानी डेटा કાળની સ્થિતિ કહી છે? ___महावीर प्रभुन। उत्तर-" गोयमा! जहण्णेण अंतोमुहत्त, कोसेण दसशससहरसाई" गीतम! GARस्थ वानी माछामा माछी मन्तभुइतनी मन धारेभा पधारे इस ६०१२ षनी स्थिति ४ छ. ॥ ३०॥ ३१ भां समुद्धात वा२नी प्र३५!- गौतम स्वामीना प्रश्न- “तेसिं ण भंते ! जीवाणं कइ समुग्घाया पण्णत्ता ?" उ मगन्। ते पथ જના કેટલા સમુદ્દઘાત કહ્યા છે? भडावीर प्रभुना उत्तर-" गोयमा! तओ समुग्घाया पण्णत्ता" उ गौतम! a G५५ वाना र समुहूधात - छ, “तंजहा" रे नाये प्रमाणे
SR No.009319
Book TitleBhagwati Sutra Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages770
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size45 MB
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