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________________ féo] * प्राग्वाट इतिहास :: गुर्जर सम्राट भीमदेव प्रथम का व्ययकरणमंत्री प्राग्वाटज्ञात्तीय जाहिल उसका पुत्र महत्तम नरसिंह और पौत्र महाकवि दुर्लभराज विक्रम संवत् ग्यारहवीं शताब्दी से विक्रम संवत् तेरहवीं शताब्दी पर्यन्त [ द्वितीय व्ययकरणमंत्री जाहिल गुर्जर सम्राट् भीमदेव प्रथम के राजमंत्रियों में प्राग्वादज्ञांतीय मंत्रीयों का स्थान अधिक ऊँचा रहा है । महामात्य नेद, महाबलाधिकारी विमलशाह और अन्य अनेक ऐसे ही प्रतिष्ठित प्राग्वाट कुलोत्पन्न मंत्री थे, जिनमें व्ययकरणमंत्री, जिसको मुद्रांव्यापारमंत्री भी कहते थे, प्राग्वाटज्ञातीय जाहिल नामक अर्थशास्त्र का महापंडित, नीतिज्ञ एवं चतुरं व्यक्ति था । वह गणित में अद्वितीय था । वह जैसा बुद्धिमान् एवं चतुर था, वैसा ही नेक और विश्वासपात्र था । सम्राट भीमदेव उसका बड़ा विश्वास करता था । साम्राज्य के समस्त राजकीय व्यय पर जाहिल का निरीक्षण था । यह जाहिल की ही बुद्धिविलक्षणता का परिणाम था कि सम्राट भीमदेव का कोष सदा समृद्ध एवं अनन्त द्रव्य से पूर्ण था और वह अवंति के सम्राट् सरस्वतीपुत्र, विद्वानों का आश्रय, कविकुलपोषक महाराजा भोज की विद्वानों, कवियों को आश्रय देने में, पारितोषिक देने में बराबरी कर सका था । व्ययकरणमंत्री जाहिल का पुत्र नरसिंह था । नरसिंह भी पिता के सदृश चतुर और नीतिज्ञ था । सम्राट् भीमदेव प्रथम की नरसिंह पर सदा कृपादृष्टि रहीं । सम्राट् ने नरसिंह की कार्यकुशलता से प्रसन्न होकर उसको महत्तम नरसिंह और उसका मन्त्री का पद प्रदान किया था । महत्तम नरसिंह का पुत्र महाकवि दुर्लभराज हुआ है। पुत्र महाकवि दुर्लभराज दुर्लभराज अति ही प्रतिभासम्पन्न पुरुष था । दुर्लभराज अपने पाण्डित्य एवं काव्यशक्ति के लिये राजसभा के अग्रगण्य विद्वानों एवं कवियों में था । दुर्लभराज ने वि० सं० १२१६ में 'सामुद्रिकतिलक' नामक ग्रंथ की रचना की थी। यह ग्रन्थ ज्योतिषविषय के उत्तम ग्रन्थों में गिना जाता है । सम्राट् कुमारपाल ने इसको इसके ज्योतिषज्ञान से प्रसन्न होकर अपने मन्त्रियों में महत्तम का पद देकर नियुक्त किया था । महत्तम कविमन्त्री दुर्लभराज का पुत्र जगदेव था । जंगदेव भी विद्वान और कवि था । One Jahilla was the minister of finance. G. G. part lll; P.154 जै० सा० सं० इति० पृ० २७७-७८. श्रीमान् दुर्लभराजस्तदपत्यं बुद्धिधाम सुकविरभूत् । यं श्री कुमारपालो महत्तमं क्षितिपतिः कृतवान् ॥ - सामुद्रिके तिलक
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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