Book Title: Vyavaharik Sanskrit Dhatu Rupavali
Author(s): Girishnath Jha, Sudhirkumar Mishra, Ganganath Jha
Publisher: Vidyanidhi Prakashan

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Page 804
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७९७ संगणक-जनित व्यावहारिक संस्कृत-धातु-रूपावली हन (हिंसागत्योः, अदादिगण, परस्मै, आशीर्लिङ्) वध्यात् वध्यास्ताम् वध्यासुः वध्याः वध्यास्तम् वध्यास्त वध्यासम् वध्यास्व वध्यास्म हन (हिंसागत्योः, अदादिगण, परस्मै, लुङ्) अवधीत अवधिष्टाम् अवधिषुः अवधीः अवधिष्टम् अवधिष्ट अवधिषम् अवधिष्व अवधिष्म हन (हिंसागत्योः, अदादिगण, परस्मै, लङ्) अहनिष्यत् अहनिष्यताम् अहनिष्यन् अहनिष्यः अहनिष्यतम अहनिष्यत अहनिष्यम् अहनिष्याव अहनिष्याम हुङ् (अपनयने, अदादिगण, आत्मने, लट्) हुवाते हुवाथे हते हुवहे हुध्वे हुमहे हुङ् (अपनयने, अदादिगण, आत्मने, लोट्) हुताम् हुवाताम् हुवताम् हुवाथाम् हुध्वम् हुवै हुवावहै हुवामहै हुङ् (अपनयने, अदादिगण, आत्मने, लङ्) अद्भुत अहुताम् अहुवत अहुथाः अहुवाथाम् अहुध्वम् अहुवै अहुवावहि अहुवामहि हुङ् (अपनयने, अदादिगण, आत्मने, विधिलिङ्) हुवीत हुवीयाताम् हुवीरन् हुवीथाः हुवीयाथाम् हुवीध्वम् हुवीय हुवीवहि हुवीमहि For Private and Personal Use Only

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