Book Title: Vidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Author(s): Gopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-प्रन्थ-संग्रह-सूची]..
... . . . [ ७६ विशेष विवरण आदि.. ..
.. .
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कर्ता
लिपिसमय
पयसंख्या
:: :: :
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
:
१८वीं.श. ५८६यां
गुरुमहिमा।
(७४) (१७५) बखनाजीका पद १
(१७६) सुन्दरदासजीका पद'
बखनाजी सुन्दरदास
५८६ पर गुरुकी महिमा है भागे पाने नहीं हैं। . जाना जाता है कि फटी पुस्तककी ही जिल्द | बंधाई गई है। पीछेके पान खो गये सो तो . ! कहां से मिलते ?... ........... पुराने पत्रोंकी छोटी पोथी है।
१९वीं श.
१-३
.
ल, कानडदास
|३-४
७५ (१) शिव-यशोदासंवाद छन्द ४ . (२) कृष्णकी बारामासी और एक
.ध्रवपद (छन्द. १२ और एक .... .. ध्रपद). ... . . . . . (१) दादूवाणी साखी (अपूर्ण) अंग ३७, दादूजी ... साखी २५०१ . .. (२) दादू पदः .. .. . .
१८वी.श.
प्रथम भागके पाने में ही है। दादूवाणीके साखी भागमें परचाके अङ्ग ४के १८८ तकको साखी नहीं है, इतनी रह गयी हैं। प्रागे पदभाग सम्पूर्ण है। परन्तु सारा ही गट का जीर्णशीर्ण व दीमक खायां हुमा है। और यह गुटका जोबनेर भाटखेड़ी वाले बाईजी नवनिधि कुमारी से प्राप्त हुआ। प्रायः शद्ध लिखी है। पीछेके पत्रोंको दीमक खा गई है। लहुडी ६ पदी रमणो तक।
१-८०
(३) कबीरजीकी साखी अंङ्ग ४३ व | कबीरजी . साखी ८२७ (४) कबीरजीका पद .. ...........
८०-२१८
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