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राजस्थान पुरातन पत्थमाला
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प्रधान सम्पादक-पद्मश्री जिनविजय मुनि, पुरातत्त्वाचार्य [सम्मान्य सञ्चालके, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ]
ग्रन्थाङ्क ५५ स्वर्गीय पुरोहित हरिनारायणजी, बी. ए. -
विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह - सूची
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प्रकाशक
राजस्थान राज्य संस्थापित राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान RAJASTHAN ORIENTAL RESEARCH INSTITUTE, JODHPUR
- जोधपुर ( राजस्थान )
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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
पान
राजस्थान राज्य द्वारा प्रकाशित . सामान्यत: अखिल भारतीय तथा विशेषत: राजस्थानदेशीय पुरातनकालोन : संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, राजस्थानी, हिन्दी आदि भाषानिबद्ध
विविध वाङ्मयप्रकाशिनी विशिष्ट ग्रन्थावलि
प्रधान सम्पादक पद्मश्री जिनविजय मुनि, पुरातत्त्वाचार्य [ ऑनरेरि भेम्वर श्रॉफ जर्मन ओरिएन्टल सोसाइटी, जर्मनी ] ...
सम्मान्य सदस्य भाण्डारकर प्राच्यविद्या संशोधन मन्दिर, पूना; गुजरात साहित्य-सभा, अहमदाबाद; विश्वेश्वरानन्द वैदिक शोध-संस्थान; होशियारपुर; निवृत्त सम्मान्य नियामक
( प्रानरेरि डायरेक्टर ), भारतीय विद्याभवन, बम्बई ।
ग्रन्थाङ्क ५५ स्वर्गीय पुरोहित हरिनारायणजी, बी. ए. - विद्याभूषण -ग्रन्थ-संग्रह-सूची
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प्रकाशक
राजस्थान राज्याज्ञानुसार सञ्चालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
जोधपुर ( राजस्थान )
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स्वर्गीय पुरोहित हरिनारायणजी, बी.ए.-...
विद्याभूषण - ग्रन्थ - संग्रह - सूची.
सम्पादक
श्री गोपालनारायण बहुरा, एम. ए. .
और
श्री लक्ष्मीनारायण गोस्वामी दीक्षित
प्रकाशनकर्ता
राजस्थान राज्याज्ञानुसार सञ्चालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
जोधपुर ( राजस्थान )
विक्रमाव्द २०१८ )
। भारतराष्ट्रीय शकाब्द १८८३ प्रथमावृत्ति ५०० )
(ख्रिस्ताव्द १९६१ । मूल्य ६.२५
.... - मुद्रक-हरिप्रसाद पारीक, साधना प्रेस, जोधपुर.
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RAJASTHAN PURATANA GRANTHAMALA
PUBLISHED BY THE GOVERNMENT OF RAJASTHAN
A series devoted to the Publication of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsa, Old Rajasthani-Gujarati and Old Hindi works pertaining to India in general and Rajasthan in particular.
*
GENERAL EDITOR
PADMASHREE JINA VIJAYA MUNI, PURATATTVACHARYA
Honorary Member of the German Oriental Society, Germany; Bhandarkar Oriental Research Institute, Poona; Vishveshvrananda Vaidic Research Institute, Hosiyarpur, Punjab; Gujrat Sahitya
Sabha, Ahemdabad; Retired Honorary Director, Bharatiya Vidya Bhawan, Bombay; General Editor, Gujrat Puratattva Mandira Granthavali; Bharatiya Vidya
Series; Sinhghi Jain Series
etc. etc.
V.S. 2018 ]
* *
No. 55
A CATALOGUE OF
LATE PUROHIT HARINARAYAN, B. A. -
VIDYABHOOSHAN MANUSCRIPTS
COLLECTION
Transa
✰✰ *
Published
Under the Orders of the Government of Rajasthan
By
The Director, Rajasthan Prachya Vidya Pratisthana (Rajasthan Oriental Research Institute) JODHPUR (RAJASTHAN)
All Rights Reserved
[ 1961 A D
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A CATALOGUE OF
LATE PUROHIT HÁRINARAYAN, B.A. - VIDYABHOOSHAN MANUSCRIPTS
COLLECTION
Edited By
Shri Gopal Narayan Bahura, M. A.
&
kshmi Narayan Goswami Dikshit
Published under the orders of the Government of Rajasthan
Bi . By RAJASTHAN ORIENTAL RESEARCH INSTITUTE
JODHPUR (Rajasthan)
V.S. 2018]
[ 1961 A.D.
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विषय तालिका
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विपय
पृष्ठ संख्या
सञ्चालकीय वक्तव्य स्व० पुरोहित श्री हरिनारायणजी विद्याभूषण का जीवन-वृत्त विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची परिशिष्ट १-कृतिनामानुक्रमणिका
२-कर्त नामानुक्रमणिका
१-१६२
१-२५ २६-३८
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सञ्चालकीय वक्तव्य
जयपुरनिवासी, विश्रुतकीर्ति, शोधविद्वान् स्वर्गीय पुरोहित श्रीहरिनारायणजी विद्याभूषण द्वारा संगृहीत 'विद्याभूषण ग्रन्थ-संग्रह'की सूचीको इस विभागके द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है। श्रीविद्याभूषणजीने अपने जीवनकालमें अदम्य उत्साह एवं संलग्नतासे अमूल्य ग्रन्थरत्नोंका संग्रह किया था जो पुरातत्त्वजिज्ञासुओंके लिए उपादेय है। इस संग्रहको श्रीविद्याभूषणजीके दिवंगत होने पर उनकी अक्षय कीर्तिकामना रखते हुए श्रीयुत् रामगोपालजी पुरोहित, बी. ए., एल-एल. बी. (श्रीविद्याभूषणजीके पात्मज)ने किसी ऐसी संस्थाको देना संकल्पित किया, जहां निरन्तर इसका उपयोग भावी शोधकारों द्वारा किया जा सके । इसी उद्देश्यसे प्रेरित वह एक दिन हमारे कार्यालय (पुरातत्त्वमन्दिर, जयपुर) में उपस्थित हुए। यहांकी प्राचीन ग्रन्थोंकी सुरक्षा, सम्पादन एवं प्रकाशन सम्बन्धिनी व्यवस्थासे प्रभावित हो कर उन्होंने अनुभव किया कि विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रहका सही उपयोग इसी प्रतिष्ठान द्वारा भली प्रकार किया जा सकेगा। इसके तुरन्त बाद ही 'शुभस्यशीघ्रम्'को चरितार्थ करते हुए उन्होंने उक्त संग्रह इस कार्यालय में भिजवा दिया और दिनांक २१-२-१९५७को एक पत्र मुझे लिख कर सूचित किया कि "मेरे स्वर्गीय पितृचरणका कार्यक्षेत्र जयपुर ही रहा है और सौभाग्यसे अब यहीं पर पुरातत्त्व मन्दिर जैसी शोधसंस्था कार्य कर रही है अतएव मेरी उत्कट अभिलाषा है कि आप उनके विद्याभूषण ग्रन्थ-संग्रहको एक उप संग्रहके समान अपने ही विभागमें सुरक्षित रख लें ताकि स्वर्गीय विद्याभूषणजीका यशःशरीर शोधविद्वानोंके
अधिकाधिक काम आ सके । .... इस सम्बन्धमें राजस्थान सरकारको विधिवत् स्वीकृतिके लिए
लिखा गया और आदेश सं. डी. १००६७, एफ. ६ (२) एज्यू. बी. ५१ . दिनांक १९ जुलाई १९६० द्वारा सरकारने उक्त संग्रहको इस विभागके
अधिकारमें लेना स्वीकृत कर लिया। यह भी निश्चय किया गया कि
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[ २ ]
प्रस्तुत विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह जयपुर में ही प्रतिष्ठान के शाखा कार्यालय में सुरक्षित रखा जायगा एवं भविष्य में इस प्रकार भेंटस्वरूप प्राप्त होने वाले ग्रन्य उपादेय संग्रहों को भी सधन्यवाद स्वीकार किया जायेगा ।
इस प्रकार उक्त संग्रह प्रतिष्ठानके अधिकारमें ले लिया गया । स्वर्गीय पुरोहितजीने विद्याभूषणग्रन्थसंग्रह के नामसे प्रस्तुत संग्रहकी प्रायः दो सहस्रनामांकित सूची तैयारकी थी, जिसे हमने उसी रूपमें प्रकाशित किया है । आवश्यक स्थानों पर टिप्पणी एवं परिशिष्ट में कृति और कर्तृ नामानुक्रमणिका तथा स्वर्गीय विद्याभूषणजीका संक्षिप्त जीवनवृत्त दे कर सम्पादकोंने इसे अधिक उपादेय बना दिया है । स्वर्गीय विद्याभूषणजीने प्रस्तुत संग्रहके अनेक ग्रन्थों में यथास्थान स्वहस्ताक्षरोंसे आवश्यक फुट नोट लिखे हैं, जिससे वे प्रकरण अधिक प्राञ्जल हो उठे हैं ।
प्रस्तुत सूचीके प्रकाशन-व्यय का श्रद्धशि भारत सरकारके वैज्ञानिक और सांस्कृतिक मन्त्रालय द्वारा ग्राधुनिक भारतीय भाषा विकास योजना के अन्तर्गत प्रदान किया गया है, एतदर्थ प्रतिष्ठानकी ओर से हम आभार प्रदर्शित करते हैं ।
इस प्रकार स्वर्गीय विद्याभूषणजीके ग्रन्थसंग्रहकी यह सूची सम्पादित की जा कर पाठकोंके समक्ष उपस्थित की जा रही है । प्रशा है यह सूची विषयके ज्ञाता और अध्येतानोंके लिये बहुत उपयोगी. सिद्ध होगी ।
होली पर्व, सं० २०१७ अनेकान्त विहार, अहमदाबाद
सुनि जिनविजय
सम्मान्य सञ्चालक,
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर
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राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला
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ग्रन्थाङ्क ५५
स्वर्गीय पुरोहित श्री हरिनारायणजी विद्याभूषण
• जन्म-माथ कृ० ४, १६२१ वि० ] [ निधन - मोक्षदा (मार्गशीर्ष शु० ) एकादशी, २००२ वि०
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* श्रीः *
स्वर्गीय विद्याभूषण पुरोहित श्रीहरिनारायणजीका संक्षिप्त जीवन-वृत्त'
शुभ मिति माघ कृष्णा चतुर्थी, रविवार, विक्रम संवत् १९२१के पवित्र प्रभातमें उषाकी लावण्य प्रभाके ग्रञ्चलसे जयपुर के राज्यप्रतिष्ठित पारीककुल-" पूषण विद्याभूषण श्रीहरिनारायणजी पुरोहितका श्रवतरण हुआ । राजस्थानके साहित्याकाश में यह सूर्य निरन्तर एकाशीतिवर्षपर्यन्त प्रभा विकीर्ण कर साहित्यसाधनाके सतरंगी शक्रचाप बनाता रहा। स्वर्गीय विद्याभूषणजीके जन्म, जीवन और मृत्यु तीनों ही अपनी उज्ज्वल भूमिकामें अप्रतिम रहे । उनकी ज्ञानप्रभानें इतिहास और सन्त- साहित्यकी भ्रांतिनिशाके गहन आवरणोंको चीर कर प्रामाणिकताका प्रक्षय प्रालोक प्रदान किया । वे व्यक्ति, जिन्हें उनको देखने का सौभाग्यलाभ हुआ है, सदैव उन्हें स्मरण करते रहेंगे और वे भी, जो उनकी अक्षरसम्बद्धकीर्तिके अवगाहक हैं, उनके पार्थिव प्रभावकी कचोट नहीं मिटा पाएंगे ।
स्वर्गीय विद्याभूषणजीके शिक्षाकाल में अंग्रेजीविशेषज्ञ अंगुलिपरिमेय ही थे और उनमें भी इनका नाम सम्मानके साथ लिया जाता था । एफ० ए० और बी० ए० परीक्षाओं में उन्होंने सर्वाधिक योग्यता के परिणामस्वरूप "लाई नार्थ ब्रुक" पदक एवं कालेजके सर्वोत्तम चरित्रवान् तथा मेधावी छात्र होनेके फलस्वरूप "लार्ड लेंस डाउन" पदक प्राप्त किये । शिक्षा समाप्ति के पश्चात् वि० संवत् १९४८से जयपुरराज्यकी सेवा अंगीकार कर उन्होंने निरन्तर चालीस वर्ष पर्यन्त विभिन्न प्रशासनिक उच्च पदों पर कार्य किया । इस अन्तर में वह नाजिम, सी. आई.डी. इंस्पेक्टर, मोहतमिम जनानी ड्योढ़ी एवं चैरिटी सुपरिटेंडेंट के पदों पर कुशलतापूर्वक प्रतिष्ठित रहे । राजकीय कार्यरत रहते हुए उन्हें शेखावाटी और तोरावाटीमें (तत्कालीन जयपुर राज्यके अधीनस्थ सीकर एवम् खंडेला प्रभृति ठिकानोंके प्रदेश ) रहनेका अवसर प्राप्त हुना जहां उन्होंने अनेक गोशालाओं और पाठशालानों की स्थापना की ।
१. जयपुरसे प्रकाशित दिसम्बर, जनवरी सन् १९४५, ४६के 'पारीक' मासिक पत्रके 'विद्याभूषण विशेषांक' एवं स्वर्गीय विद्याभूपणजीके आत्मज श्रीयुत रामगोपालजी पुरोहित, बी. ए., एल-एल.वी.के. मौखिक वक्तव्योंके आधार पर लिखित ।– (सं.)
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[ २ ]
शिक्षाकी ओर उनका श्रगाध अनुराग था । स्वयं तो वह वाणी मन्दिरकी देहली पर यावज्जीवन साधनाके प्रसून समर्पित करते ही रहे, औौरों को भी इसके लिए प्रेरणा और उत्साह प्रदान करते रहना उनका सहज स्वभाव था । पारीक हाईस्कूल (वर्तमान कालेज) को एक साथ सात सहस्र रुपयोंका दान देकर उसकी ग्राधार-शिलाको सुदृढ़ बनाने में विद्याभूषणजीका सहयोग अग्रणी रहा है ।
साहित्यसेवाकी ओर उनका प्रवल श्राकर्षण छात्रावस्था से ही था जो स्नातकोत्तर अवस्थामें पहुँच कर इतना उत्कट हो उठा कि उनके सम्पर्की जन साहित्य और विद्याभूषणजी में तादात्म्यदर्शन करने लगे थे । इस प्रकार के साहित्याकर्षणके मूल स्रोतका परिचय देते हुए स्वयं विद्याभूषणजीने सुन्दरग्रन्थावलीकी सम्पादकीय भूमिकामें व्यक्त किया है कि "हमारे स्वर्गीय पूज्य पिताजी, जो भाषासाहित्यके प्रेमी और मर्मज्ञ थे और जिनकी धर्म और ज्ञानमें बड़ी श्रद्धा थी, सुन्दरविलास, सुन्दरदासकृत सवैया संवत् १९३३का लीथो प्रेस का छपा बड़े ग्रानन्दसे पढ़ा करते । स्वामी गोपालदासजी भी, जो हमारे पिताजी के सत्संगी थे, हमको सुन्दरस्वामीकी रचनाओं में से यथा ' मूंसा इत उत फिरै ताक रही मिनकी । चंचल चपल माया भई किन की ।' 'राम हरि राम हरि बोल सूवा' इत्यादि बड़े प्रेम, रस और स्वरसे पढ़ कर सुनाते । तव जो भाव हमारे चित्तका होता, वह कथनीय है । फिर तो हम उक्त ग्रन्थको बड़ी तल्लीनता से पढ़ने लग गये । हमें ऐसा जान पड़ता मानो हम ग्रानन्दके सरोवर में गोता लगा रहे हैं । निदान, हमारी रुचि और भक्ति सुन्दरस्वामीके वचनामृतमें तवसे ही हो गई थी । " ( सुन्दरग्रन्थावली, भूमिका, पृष्ठ ३ )
स्पष्ट है कि विद्याभूषणजीकी साहित्यप्रविष्टिका सिंहद्वार उनका सुन्दरदासजी की रचनाओं के प्रति प्रवल आकर्षण ही था । यह ग्राकर्षण वढ़ता ही गया और सुन्दरदासजीके साथ-साथ सम्पूर्ण सन्तसाहित्य के बहुमूल्य रत्नों पर उनकी दृष्टि स्थिर हो गई । अधिक से अधिक समय सन्तसाहित्य में लगने लगा । जिस प्रकार निर्मल दर्पणमें प्रतिविम्ब संक्रान्त होता है, उसी प्रकार विद्याभूषणजी की ग्रात्मा पर सन्तवाणीका दर्शन प्रालोड़ित हो उठा । इस ग्रात्मयोग की स्थिति स्वयं उस शोधकर्ताको भी सन्तके प्रातिस्विक रूपमें तदाकार बना दिया ! उन्हें घुन हुई कि यह साहित्य, जो दीमकों, उपेक्षात्रों, अज्ञता और दूमलों में प्रदृश्य होता जा रहा है, रक्षित होना ही चाहिए। वस्तुतः राजस्थानकी भूमि पर हस्तलिखित प्रज्ञात-ज्ञात ग्रन्थोंके प्रथम उद्धारक के रूपमें विद्याभूषणजीने जो प्रबल प्रयत्न आरंभ किया उससे बहुत सा जीर्णशीर्ण साहित्य कालकवलित होते-होते बच गया ।
उस समय तक नागरीप्रचारिणी सभा, काशी, अखिल भारतीय स्तर पर कार्य करनेका उपक्रम कर रही थी किन्तु व्यापक क्षमता और साधनोंकी बहु
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लताके अभाव में वह कार्य संयुक्तप्रान्त तक ही कर पा रही थी । कलकत्ता की 'रॉयल एशियाटिक सोसायटी केवल संस्कृतग्रन्थों पर अपना ध्यान केन्द्रित किये हुए थी । अवधी और व्रजभाषा के महत्वपूर्ण ग्रन्थों की खोजका काम उत्तर भारत यथाशक्य कर रहा था और परिणामस्वरूप इन दोनों भाषायों का बहुतसा साहित्य प्रकाश में आता जा रहा था । प्रयत्न नहीं हो रहा था तो वह राज"स्थान में । विद्याभूषणजी इस स्थिति से चिन्तित हो उठे । उनका हृदय क्रन्दन कर उठा । परन्तु, अकेले कितना करते ? तब उन्होंने ग्रपने साहित्यिक मित्र बालाबख्शजी बारहरुको प्रेरित कर चारणों, भाटों, राजमहालयों और जनसामान्यके समीप अस्तव्यस्त रखे हुए उपेक्षाग्रस्त डिंगल और पिंगल साहित्यके उद्धार का पुनः शक्तिभर प्रयत्न किया । प्रकाशन निमित्त सात सहस्र रुपयोंकी स्थायी निधि नागरीप्रचारिणी सभा, काशी में स्थापित करवायी । राजस्थानी भाषाकी संपन्नताको साहित्यिकजगत् के समक्ष लानेके लिए वह सदैव उत्कण्ठित रहते थे । इस दिशा में उन्होंने एक वृहद् राजस्थानी कोष के निर्माणको परमावश्यक समझते हुए जोधपुरके श्रीयुत् सीतारामजी लाळसको सन् १९३२में उत्प्रेरित किया तथा बहुतसी संदर्भ सामग्री भी प्रदान की । वह कोष प्रव श्री लाळसजीके कर्तृत्व संपादित होकर प्रकाशित हो रहा है । इसी प्रकार सन्त साहित्यके अक्षय भंडारका प्रकाशन भी उनका मनोवाञ्छित था, जिसके लिए उन्होंने तदानीन्तन उदीयमान साहित्यिकों की एक समिति बना कर 'सन्त ग्रन्थमाला' की योजना - सस्ता साहित्य मण्डल, नई दिल्ली के तत्वावधान में चालू की थी ।
हस्तलिखित ग्रन्थोंकी अन्वेषणा करते रहना उनका रुचिकर कार्य था । किसी प्रयोजनसे कहीं गये हों, वहीं समय निकाल कर ग्रन्थोंकी खोज वह करते रहते थे । शेखावाटी और तोरावाटी, जहां वह दीर्घकाल तक राजकीय अधिकारीके रूपमें रहे थे, से निरन्तर ग्रन्थचयन करते रहते थे । जहां कहीं उत्तम ग्रन्थ मिला, उसे मुंहमांगे दामों पर खरीद कर अपने संग्रहालयकी शोभा बढ़ाते एवं शोधकार्यके लिए नवीन उत्साहसे जुट जाते थे । उनकी इस विशुद्ध साहित्यिक अभिरुचिसे उत्प्रेरित होकर बहुतसे विवेकशील सन्त महन्त और सद्गृहस्थ भी उन्हें सदुपयोगार्थ अपनी प्रतियां और गुटके दे दिया करते थे । विद्याभूषणजीने ऐसे कृपालु समर्पकों का उल्लेख यथास्थान अपनी सूची में किया है । कतिपय ऐसे ग्रन्थ, जो उन्हें स्थायी संग्रहके लिए नहीं मिल पाते थे, उनकी प्रतिलिपियां वह अपने व्यय से निरन्तर करवाते रहते थे । ग्रंथ-सूची में इस प्रकार के अनेक प्रतिलिपिकर्ताओं का उल्लेख मूल ग्रंथके मूल स्रोतके साथ अंकित है ।
ग्रन्थप्राप्तिविषयक उनके उत्कट अनुरागका वर्णन करते हुए श्रीयुत रामगोपालजी पुरोहितने एक मर्मस्पर्शी घटना सुनाई, जो इस प्रकार है
जयपुरमें, जहां ग्राजकल " मानसिंह हाई वे" है, वहां पहले अठवाड़ा बाजार
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लगता था, जो अव गणगौरी वाजारके चतुष्पथ पर देखा जा सकता है। इसमें विविध प्रकीर्ण वस्तुएँ विक्रयार्थ आती हैं। पुरोहितजी साहबके दृष्टिपथमें ... एक हस्तलिखित पुस्तक आई। जितना मूल्य उस विक्रेताने लगाया, विद्याभूषणजीके पास तत्काल नहीं था। अपरिचित होनेसे विक्रेताने नकद दामों पर ..... ही पुस्तक देना स्वीकार किया। विद्याभूषणजीने यहां जो परिचय ग्रन्थानुरागका दिया, वह अन्यत्र दुर्लभ है। उन्होंने अपना अंगरखा उतार कर विक्रेताके पास न्यासके रूपमें रख दिया और यह कहते हुए ग्रन्थ खरीद लिया कि अभी अमुक लक्षण वाला व्यक्ति मूल्य लेकर तुम्हारे पास आएगा, उसे यह अंगरखा लौटा देना । क्या किसी साहित्य-प्रेमीका हृदय साहित्यके लिए इस प्रकार तड़पा है ? यह केवल एक झलक है, उनके उत्कट विद्यानुरागकी।
विद्याभूपणजी द्वारा सम्पादित ग्रन्थोंकी लम्बी सूचीमें आयुर्वेद, ज्यौतिष, ...... इतिहास, कथा, अनुसन्धान, काव्य और सन्तसाहित्य आदि विविध प्रकीर्णक हैं, ..... जिन्हें देख कर उनका बहुमुखी पांडित्य सुव्यक्त होता है। जितना उनकी तीक्ष्ण दष्टि और समर्थ लेखनीकी अकुंठ धारासे देखा लिखा गया है, वह शाणोल्लीढ मणिके समान है, जिस पर आलोचनाका वज्रतीक्ष्णचंचुप्रहार भी मोघ है। ..
सन्त-साहित्य और इतिहास विद्याभषणजीके विशेष प्रिय विषय रहे। इनके लिए उन्होंने आचूड श्रमस्वेदावगाहन किया । विशेषतः सन्तसाहित्यके ग्रन्थोंमें .. उन्होंने जो आत्मानन्द अनुभव किया उससे वह छके रहते थे। वह लिखते हैं"जितने ग्रन्थ हमें उपलब्ध हुए हैं, उनके अवलोकनसे ज्ञात होता है कि समग्र रचनासमूह एक अटल, अनन्यभगवद्भक्ति, प्रभुप्रेम और सच्चे गहरे हरिरसका तरंगमय समुद्र है। उसमें आद्योपान्त शान्तरसका समुद्र है जिसकी गम्भीर,... धीमी, अनुद्विग्न लीला-लोलतरंगमालाएँ मनरूपी जहाजको सुमधुर गतिसे. भगवच्चरणारविन्दोंमें बहाये हुए ले जा रही हैं" और यही कारण है कि दादू, मीरां, भील, जनगोपाल, बजनिधि और गरीवदास आदिके दुर्लभ साहित्यपाथो- ....
१- विशचि का निवारण २- सतलडी ३-सुन्दरसार ४- तारागण सूर्य हैं, ५-.. . - महाराज मिर्जा राजा जयसिंह ६-महाराज मिर्जा राजा मानसिंह .७- महामति मि० . .. ग्लैंडस्टन - ब्रजनिधिग्रन्थावली ह-सुन्दरग्रन्थावली . १० गुरु गोविन्दसिंहके पुत्रोंकी ...
धर्मबलि · ११- मीरा बहतपदावली १२- जयपुरकी वंशावली. १३- होलीहजारा १४-: .... महाराजा सवाई जयसिंह १५- श्रीजगतशिरोमणीजी. १६-बारहमासी संग्रह. १७- . बावनीसंग्रह .१८- श्रीशनि-कथा. १६-विक्रमादित्य और उनके नवरत्न २०- राधवीय- ... . भक्तमाल : २०- सुन्दरोदय : २२- सुन्दरसमुच्चय २३- बाजीदग्रन्थावली २४- जन
भोपाल ग्रन्थावली २५- माधवानलकामकन्दला. २६- भीषवावनी सटीक
संग्रह .२८-शिखरवंशोत्पत्ति २६- जानकवि, ग्रन्थावली ३०- शिखरिणीसंग्रह सटीक
- ३१-- गरीबदासग्रन्थावली : ३२- ठाकुर शिवसिंहजी ३३- महाकवि 'श्रीगंगके कवित्त '.. . .इत्यादि.. ... .... .....
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निधिकी रत्नरश्मियां सम्भाले हुए वह कौस्तुभमणिसमुल्लसित विष्णु के समान विबुधों के मध्य में शोभायमान रहे हैं । उन्होंने ऐसी अनेक भ्रान्तियोंको निर्मूल किया जो सन्तसाहित्य और साहित्यकारोंके रचना, स्थान, देश, काल एवं प्रक्षिप्तांश श्रादिसे सम्बन्ध रखती थीं । सुन्दरग्रन्थावली और व्रजनिधिग्रन्थावलीकी बृहत् शोधपूर्ण भूमिकाओं को पढ़ कर विद्याभूषणजीके गम्भीर अनुशीलन, प्रौढ़ पाण्डित्य और विलक्षण सामर्थ्यका दुर्गाढ़ परिचय प्राप्त किया जा सकता है । " मीरा बृहत् पदावली" एवं "पत्रावली" को राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर द्वारा प्रकाशित करनेका उपक्रम चालू है ।
विद्याभूषणजीका इतिहास - प्रेम प्रसिद्ध था । वह कहा करते थे कि इतिहास में मिथ्याको स्थान नहीं । ऐसे साहित्यकार के लिए, जो सत्यसेवाको ही लक्ष्य मानता है, इतिहाससे उत्तम वस्तु लाभ करना कठिन है । स्वभावतः सत्यसेवी होने के नाते वह ऐतिहासिक शोधप्रसंगोंको प्रामाणिकताकी अकाट्य कसौटी पर कस कर ही मन्तव्य के रूपमें स्थिर करते थे । इनके द्वारा लिखित 'फर्जन्दे दौलत, महाराजा श्री मिर्जाराजा मानसिंहजी प्रथम', 'मिर्जाराजा जयसिंह' एवं ग्रन्य ऐतिहासिक प्रसंग स्थायी सन्दर्भ के रूपमें विद्वानोंके द्वारा मान्य किये गये हैं । इतिहासके विषय में इनको अधिकारी विद्वान् मान कर ही देशके अन्यान्य इतिहासज्ञ उनसे लिखापढ़ी करके अपना मार्गदर्शन प्राप्त किया करते थे । जयपुरराज्यकी ओर से देश के प्रसिद्ध इतिहासकार सर यदुनाथ सरकारको राजकीय ऐतिहासिक पुरालेखों के संग्रहके आधार पर जयपुरराज्यका इतिहास लिखनेके लिए आमन्त्रित किया गया था । श्रीसरकारने कितने ही वर्षों तक उक्त पुरालेखोंका अनुशीलन और मनन करनेके पश्चात् सम्बन्धित इतिहास के बहुत से ग्रध्याय लिखे भी थे । किन्तु, किन्हीं कारणों से वह अन्तिम रूप नहीं प्राप्त कर सका । जयपुरके वर्तमान महाराजा साहब श्री सवाई मानसिंहजीने पुरोहितजी महाराजको ग्रामन्त्रित कर उक्त ग्रसमाप्त कार्यको पूर्ण करनेका अनुरोध किया । स्वर्गीय विद्याभूषणजी उस समय मीरांवृहत् पदावलीके कार्य में एकान्त भावसे संलग्न थे । इसलिए उन्होंने निवेदन किया कि मीरासम्बन्धी कार्यको पूरा करके वह इतिहासके कार्यमें हाथ लगा सकेंगे । परन्तु महाराजा साहबका ग्राग्रह अनुरोध चलता रहा कि मीराके कार्यको स्थगित करके भी इतिहासको पहले पूरा करें । अन्ततो गत्वा राजभक्त पुरोहितजीको यह स्वीकार करना पड़ा । मीरासाहित्यसम्बन्धी सामग्री को वेष्टनों में बांध कर रख दिया गया और वह इस इतिहास शोधन-सम्पादनके कार्य में लग गये । उन्होंने सर यदुनाथ सरकार द्वारा लिखित अध्यायोंको पढ़ा और उनमें श्रावश्यक तथ्योंका समावेश प्रामाणिक मूल कागजात के आधार पर
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सही व्याख्या व विश्लेषण करते हुए किया । परन्तु इतिहासका यह कार्य भी वह अपने जीवनकालमें पूरा नहीं कर सके और बीच में ही कालने अक्षय व्यवधान डाल दिया ।
इससे मीरासम्बन्धी शोध में जो अपेक्षित पूर्णता उनके हृदयंगम थी एवं जिसको वह सम्भव कर रहे थे, वह भी शेष रह गयी थोर इतिहासके वे वेष्टन भी विद्याभूषणजीके सुपुत्र श्रीरामगोपालजी पुरोहितके कथनानुसार पुनः महाराजा साहिबको यथावत् प्रत्यर्पित कर दिये गये ।
प्रसिद्ध इतिहासज्ञ महामहोपाध्याय पं० गौरीशंकर हीराचन्द प्रोभाने अपने संस्मरणमें लिखा है कि 'विद्याभूषणजी इतिहासके अन्वेषक, तार्किक एवं मननशील व्यक्ति थे । इसीलिए मेरा उनका पत्रसम्बन्ध प्रायः होता रहता था ।' मुगल सम्राटोंकी ओरसे जयपुरनरेशों की सवारी के लिए प्रदत्त 'माहीमगतिव' के क्रमोल्लेखकी जानकारी प्राप्त करनेके लिए स्व० विद्याभूषणजीसे श्रीप्रोझाजीने जो पत्रव्यवहार किया था वह बहुतसे सम्पुष्ट प्रमाणों और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है ।
विद्याभूषणजीके महत्वपूर्ण पत्रोंका संकलन, जिनकी संख्या साढ़े छह सहस्रप्राय: है, उनके आत्मज श्रीयुत पं० रामगोपालजी, वी. ए. एल एल. बी. के पास है । ये पत्र हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू में हैं । हिन्दी पत्रोंकी छंटनी राजस्थान प्राच्यविद्या-प्रतिष्ठान, जोधपुर द्वारा करवादी गयी है तथा अन्य पत्रों का विभक्तीकरण श्रीरामगोपालजी साहव अपनी रुग्णावस्था में भी पूर्ण मनोयोगसे करवा रहे हैं | मींरावृहत्पदावलोका विशाल, प्रामाणिक संग्रह, विद्याभूषणजीकी अमर देन है । इसमें अद्यावधि अज्ञात मीग़के छह सौ पदों का प्रद्भुत संकलन किया गया है, जिनकी ज्ञात साढ़े तीन सौ पदोंके साथ पूर्ण संख्या नौ सौ पचास के लगभग है | मींरासम्बन्धी अज्ञात पदोंका यह उद्धार विष्णुके गजेन्द्र मोक्षकी ग्रथवा वराहके धरा- उद्धारकी स्मृति दिलाता है । विद्याभूषणजीने देशके कोनेकोनेसे पत्रव्यवहार कर मीरांके सम्वन्धमें अभूतपूर्व जानकारी प्राप्त की थी । मीरांके जितने पद उन्होंने प्राप्त किये, उनको भाषा, भाव, शैली, लोकश्रुति और परम्परा आदिकी प्रामाणिक कसौटियों पर उन्होंने परखा है और सौ टंच सुवर्णको ही मीरांबृहत् पदावली में स्थान दिया है । यद्यपि विद्याभूषणजीके पास समय-समय पर ग्राने वाले विद्वानों और उनके बाद भी पुरोहित श्रीरामगोपालजी से सम्पर्क साधने वाले कतिपय आधुनिक शोधकर्ताओंोंने इस संकलनसे आशातीत लाभ उठाया है और स्वतन्त्र निबन्धोंको रचनाके रूपमें प्रकाशित भी करवा दिया है, फिर भी स्वर्गीय विद्याभूषणजीके पत्रव्यवहारसे ऐसी अनेक बातें सम्मुख
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[ ७ ] पाएंगी, जो मीरांके जीवन, काव्यसाधना और भक्तिपक्ष पर अभिनव प्रकाश निक्षेप - करते हुए कितनी ही गवेषणाग्रन्थियोंको सुलझानेमें परम सहायक सिद्ध होंगी।
विद्याभूषणंजी एक समर्थ भूमिकालेखक भी थे। अनेक ग्रन्थकार अथवा सम्पादक उनसे भूमिका लिखवाने उपस्थित हुया करते थे। जिस पुस्तक पर वह भूमिका लिखना स्वीकार कर लेते थे, उसमें केवल उपचार निभानेके लिए ही कलम नहीं उठाते थे। अपितु वह उस ग्रन्थको, सम्पादनको, विषयवस्तु और उसके प्राप्त अप्राप्त तथ्योंको प्रचुर मात्रामें संगृहीत कर पूर्ण सूक्ष्मेक्षिकाके पश्चात् कर्तव्य साधने बैठते थे । यही कारण है कि ये भूमिकाएँ इतनी उत्कृष्ट
होती थी कि सम्पादक अथवा लेखकका परिश्रम निखर उठता था। काशी ....... नागरीप्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित व्रजनिधिग्रन्थावली और दादू, कविया,
गोपाल, सुन्दरदास और रघुनाथरूपक गीतांरो तथा बांकीदास पर इस प्रकारके सम्पादन और लेखनकी पुष्ट-प्रौढ छाप देखी जा सकती है । - नागरीप्रचारिणी सभा, काशीके वह आजीवन सदस्य और प्रमुख स्तम्भोंमेंसे अन्यतमः थे। विद्याभूषण तो वह थे ही, विनयभूषण भी प्रथम कोटि के थे । उनका अकृत्रिम सारल्य, बालकके समान निष्कलुष एवं निरुपचार था। धर्म और सत्यके प्रति अटल निष्ठा, सदाचारका पालन, स्वार्थत्याग, सहिष्णुता एवं विचारस्थैर्य आदि गुणसमूहोंने उन्हें अपना एकमात्र आश्रय मान लिया था और वह स्वयं भी इन गुणपुंजोंमें इतने तदाकार हो गये थे कि गुण और गुणीका पार्थक्य देख पाना वज्र कपाटोंकी सन्धिकील उखाड़ना था।
इतने दिव्य, भव्य, धीर और विद्वान् होते हुए भी वह मानासक्ति और आत्मविज्ञापनके पंकसे कवीरकी चादरके समान अस्पष्ट थे । 'दास कबीर जतन से अोढ़ी, ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया के वह उपमान थे। एक उदाहरण इस प्रसंग में उपादेय होगा।
काशी नागरीप्रचारिणी सभाने विद्याभूषणजीको उनके ७५वें वर्ष पर्व पर
सम्मानित करना निश्चित किया । सभाके लिए ऐसा आयोजन करना उचित ... . . ही था। मित्र परिचितोंको भी यह जान कर हर्ष होना स्वाभाविक कहा जाना .. चाहिए । उमंग भरे डाक्टर पीताम्बरदत्त बडथ्वालने समयसे कुछ पूर्व ही विद्या
भूषणजीको पत्र द्वारा इसकी सूचना पहुँचा दी । बस, पुरोहितजी का सरल, निरभिमान हृदय इस मानभरे प्रायोजनके तुमुलचिन्तनसे विचलित हो उठा। जहां ऐसे अवसरको प्राप्तिके लिए अन्य उत्कंठित रहते हैं, वहां विद्याभूषणजीको हृत्क्रम्पी अधैर्यने घेर लिया। भला, सरस्वतीके एकान्तमन्दिरमें उपासनालीन पुजारीको यह विघ्न कैसे रुचिकर होता और कैसे वह इस औपचारिकताके पीछे पाता, जाता, लेता, देता रहता ?
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[ ८ ] उन्होंने कठोर शपथ रखते हुए इस आयोजनको तत्क्षण रद करनेके लिए.. अपना अस्वीकृतिमन्तव्य दृढ़ताके साथ लिख भेजा। उनके शब्दोंमें कहें तो, ... पुरोहितजीने इस प्रस्तावको विनयके साथ दीन प्रार्थना करते हुए ठुकरा दिया। ... परन्तु, सभा के अन्य सभी कार्यों में विद्याभूषणजीने संलग्नमनस्कतासे आजीवन. सहयोग दिया। गीताके स्थितप्रज्ञलक्षणोंसे विभूषितः विद्याभूषणजीका विनय, त्याग, समभाव और सहिष्णुता चिरकाल तक अविस्मरणीय रहेंगे।. ...
अन्तमें, एक दिव्यदर्शनकी झांकी प्रस्तुत करनेका लोभ कलम संवरण नहीं.. कर पा रही है। वात अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलनके जयपुर अधिवेशनके प्रथम दिनकी है । एक छह फीट लम्वे, आजानुबाहु, तेजस्वी, गौरवर्ण .. तुषारस्नातश्वेतपुंसरस्वतीप्रतिम वृद्ध पुरुष, जिन्होंने चूड़ीदार पायजामा, भव्य .. श्वेत अंगरखा, गुलावी पगड़ी और कंधे पर सांगानेरी उत्तरीय पहना हया था, सहारेके लिए हाथमें मूठदार छड़ी थामे हुए मंचके एकान्त कोनेमें चुपचाप .... आकर विराजमान हो गये। यह माननीय विद्याभूषणजी थे। सम्मेलन का सम्मर्द था। बहुत जन आ जा रहे थे। कोलाहल वढ़ रहा था। तभी श्रद्धेय श्रीपुरुषोत्तमदासजी टंडन मंच पर आये । वह पुरोहितजीके यश:सौरभके मधुव्रत... थे परन्तु, साक्षात्कार सुरभित श्वेत कमलके भव्य पार्थिव व्यक्तित्वका अभी नहीं हआ था । विद्याभूषणजीने भी टंडनजीको सुना था, देखा नहीं । अव जैसे ही टंडनजीको पता चला कि विद्याभूषणजी आये हुए हैं, वह उनकी ओर द्रुतगतिसे .. मिलनोत्सुक होकर चले । फिर तो श्याम सलौने टंडनजी और तपारधौत विद्याभूषणजी एक-दूसरेसे इस प्रकार लिपट गये कि जैसे समान-उद्देश्यपथगामिनी यमुना-गंगाकी धाराएं अन्तश्छन्न सरस्वतीको लिये संगम पर एक हो गई हों।...
वह व्यवितत्व, वह विभूतिभूषित महासत्व अपनी जीवनयात्राके अडिग ... पदचिह्नोंको साहित्यके राजमार्ग पर, सृजनके मणिदीपकोंकी अक्षयपंक्ति- अक्षरस्नेहसे जगमग कर अव प्रस्थान कर गया है । शेष है उसकी अक्षरसम्बद्ध कीर्ति, जो हमारे श्रुतिपुटों पर अमृतलहरियोंके शत-शत उमिभंग तरंगित कर रही है, करती रहेगी। विद्याभूषणजी यदि अपने श्रमस्वेदपरिप्लुत उपक्रान्त ग्रन्थोंको... (मीरा, जयपुर राज्यका इतिहास प्रभृतिको) स्वयंकी आँखोंसे मुद्रित, प्रकाशित.. एवं सम्पन्न देख पाते तो उनसे अधिक तृप्तिलाभ साहित्यिक सहृदयोंको ही होता, परन्तु अब तो उनकी पुण्य स्मृतिके काननमें ही ये सदावहारी कुसुम खिलखिला - कर विद्याविनयभूपण पुरोहित हरिनारायणजीकी कीर्तिमंजरियोंको विकीर्ण करते : . रहेंगे । एवमस्तु ।
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स्वर्गीय पुरोहित हरिनारायणजी, बी.ए. -
विद्याभूषण- ग्रन्थ - संग्रह-सूची
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....
स्वर्गीय पुरोहित हरिनारायण 'विद्याभूषण' ग्रन्थ-संग्रह-सूची - ... कर्ता .
विशेष विवरण आदि
लिपिसमय । पत्रसंख्या
क्रमांक
ग्रन्थनाम ..
१८वीं श० | १-१७२
१७२-२६७ २६७-३१५
"
वावा. वनारसीदासके थांभेमें सनेहीराम खानपरिकाकी लिखी शरबती रंगकी प्रांटीदार छींटका गत्ता।
१८४८ | १-१५१ विक्रमी १८४८ विक्रमी , १८४६ १५२-१८२
१ गुटका (३ कृतियाँ)
(१) दादूवारणी (साखी) अंग ३७ वादू दयाल (२) दादूपद (राग २७; पद ४४०) (३) कबीर परचई.
अनन्तदास गुटका (३२ कृतियाँ). . . (१) दादूदयालजीकी वाणी
(२४२३ साखी और २४ अङ्ग) (२) दादूदयालजीका पद (शब्द)
(४४० पद और २६ राग) (३) कबीरजीकी साखी
कबीर (९१६ साखी और ५८ अङ्ग) (४) कबीरजी का पद
(४२१ पद और ७ रमणी) (५) नामदेवजीका पद
नामदेव (१५० पद, राग १५) (६) नामदेवकी साखी १३ (७) रैदासजीका पद
(७१ पद और २ साखी) (८) हरिदासजीका पद ६४, रमैणी १ / हरिदास (8) दादूजीको ४० साखियों पर आध्यात्मिकटीका (कायावेली ग्रन्थ)
१८३-२४७/
२४०-२६५ २६५-२७६
रैदास
२७६-२६५ २६५-३१७
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राजस्थान प्राच्यविद्यातिष्ठान-विद्याभूषण-गन्श-संग्रह-सूची ]
Int
फर्ता
लिपिसमय पनसंख्या
गन्यनामा
विशेष विवरण आदि
१८४६
३१७-३२१ ३२१-३७५
३७५-३५३
३५३-३०४ ३८४-४०३
(१०) दादजीके फुटकर शब्दों का अर्थ (११) कवीरजीको २६ साखियों . पर टीका (१२) कबीरजीके १२५ पदों
पर टीका (१३) नामदेवजीके २३ पदों
पर टीका (१४) रैदासके ३ पदों पर टीका (१५) हरिदासजीके १६८ पदों
पर टीका (१६). मुकन्य भारतीके २ पद तथा
बखनाजीफे ४ पद टीका सहित (१७) फुटकर संग्रह
नवधाभक्ति, १२ प्रश्नोंके उत्तर, शरीफत, तरकती, मारफत, हकीकत, सात धातु, ४ दिशा, ३ गुण, स्वभाव, नवनाथ,
दो पद । (१८) नामदेवजी के टिप्पणीपदोंकी
टोफा (षट्चककोण; दक्षिणी शब्दोंकी भाषा)
|४०३-४०५
४०५-४०६
"
४०६-४०८
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* राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची]
कर्ता
ग्रन्थनाम
लिपिममय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
१८४६
४०८वाँ ४०८वा ४०५-४०६
४०६वा
(१६) फुटकर संग्रह-.
कवित्त अक्षौहिणीप्रमाण रावणके कवित्त २ ८ जाम पार्वल भेद ६ कवित्त .. श्लोक समयप्रमाण : ब्रह्मस्तुति .. २ छन्द (ब्रह्माके ४, मुख ४ | दादू व कबीर वेद, ६ शास्त्र, ६ पुत्र, छहों शास्त्रोंका प्रमाण, दादूवाणी
और कबीरवारणीमें) सनत, सनन्दन, सनत्कुमार और जडभरत तथा जनकके वाक्य (संस्कृतमें). जैतरामजीकी सौरभका छन्द | जैताराम जगजीवनको कवित्त
जगजीवन ४ वेदमें षट्शास्त्र, ५ छन्द जगन्नाथजीके सवैया राघोजीको कवित्त
राघोजी रेखता मुसल्मानी फकीरोंका शेर सूफियोंके फारसीमें नीतिके श्लोक ३
४११वां
४१२वाँ |४१२-४१४
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maran aramalasia-framga-am-dog-qat ]
कर्ता
HT
प्रम्यमाण
वाि
एका राम-रामणवाद
पोको सानो १. जैकी साथी ? दादाको जन
नदियो'
भागवत पर
कवित
१४ विद्या
प्राध्यात्मिक अर्थ
च्यारों सम्प्रदाय और दादुपत्यका श्रादि २४ सिद्ध
सप्तश्लोकी गीता
चतुःश्लोकी भागवत
घण्टाकर्णको मन्त्र
देवदासका पद योगका
नसीहतनामा
फाफिर तथा मोमिन के लक्षण
युगादिगणना
४ छन्द
पद 'जाही विधि राखे राम'
पोक्ष
राघोजी
जंगल
देवादास
हरिदास
तत्ववेत्ता
लिपिसमय
२८५
"
7
"
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"
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"1
15
11
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"1
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17
17
"
""
"
पत्रसंख्या
४१५र्वां
"
"}
४१६वाँ
""
17
19
४१७वी
19
11
11
४१८वां
विशेष विवरण पवि
[ ४
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:
. राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्यभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्ता
लिपिसमय
विशेष विवरण आदि
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
४१८वा.
१८४६
सुन्दरदास
भपका-कवित्त ::.. ७ वार १२ मास, राशि संप्रदाय
सिद्धान्त : ... . (२०) भक्तविरदावली
': :
हरिदास दादूपन्थी नारायणदास शिष्य
(२१) अमृतधारा .
भगवानदास अर्जुनदास- | " शिष्य
| ४१६-४२६ | कहीं दोहा और छप्पय छन्दों का प्रयोग हुआ
है। जिसमें 'तुम. विन हरिदास के स्वामी ऐसा विरद कौन को छाजै' यह प्रत्यय पद
प्रायः पाया है। कुल ४१ छन्द हैं। ०२६-०५५/ रचनाकाल-१७२८ । यह वेदान्तग्रन्थ १४
प्रभावों में वर्णित है। भगवानदास क्षेत्रवास के निवासी थे। यह वेदान्त का प्रक्रिया ग्रन्थ
ललित छन्दों में है। श्लोक सं० १०००।। | ४५५-४६१ हरिदास 'भक्त विरदावली' के रचयिता और
नारायणदास के शिष्य थे। इस ग्रन्थ के कई छन्दों में रज्जबजी का भोग है । वे छन्द रज्जबजी के ही हैं।
(२२) कवित्त सर्वङ्ग (४६ छन्दों में) हरिदास
४६१-४६५/
.
(२३) जगजीवनजीकी दृष्टान्त साखी | जगजीवन दादूशिष्य
(१०६ साखी) (२४) विचारमाला
अनाथदास
| ४६५-४७२ | वेदान्त का अच्छा ग्रन्थ है, कविता उत्तम है.
तथा ८ विश्रामों में इसकी पूर्ति हुई है। इसका रचनाकाल १७२६ विक्रमीय है।
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१११ AATE firmal }
निरोप शिकरण आदि
....
(Rams पित
रजजाजी
(२०) सारनी (गोवायायनी) मोगजन
। १८४६४७२-४६४ रचनाकाल-१७१० । ५ उल्लासों में इसको
पूर्ति हुई है। समस्त छन्द ३०६; समस्त
श्लोक ६००। १४६४-५०३ / प्राय: अप्पय छन्द का प्रयोग बहलता से
फिया गया है। ५०३-५०६ रचनाकाल-१६८३ । 'ओंकार से स्वर और
व्यञ्जन-कम में ५४ छप्पय छन्द है। ५०६-५१०
५१०-५११ .५११-५१३
सुमारवास
।
(२८) हरियोसानिन्नावणी (२६) firs.नितावणी (३०) तरक-जिन्तापणी (३१) रायगा (३४, ५५३ सया) (३२) श्रीपर का जजमल्ल राजाको
. .
१५५८-५७७, यह ग्रन्थ पाठ उल्लासों में पूर्ण हुया है। यह
वादजी की करामात की कथा है।
३
१-२१० | दिल्ली अकबरगंजमें कल्याणवासकी. गुग-पर
म्परामें सन्तोषदास द्वारा लिखित । यह पाठ
शुद्ध है। २१०-३८३ पूर्ण।
.
.
गटका---- (१) या माली शुलवाली
३५६५ अङ्ग ३७ १२) बाजी पर शुक्ष पद ४४०
राग २७ .. ...... (३) पानगातगोको जामलीला
परचई। चौपाई ६६२ दोहा
२४, साखो २७ (४) जिलोजनकी परचई, पन्य २८
जनगोपाल
३८३-४५२
अनन्तदास
४५२-४५५ | अनन्तवास पीपाफी गुरुपरम्परामें थे।... ....
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
१८५८४५५-५२८
५२८-५३२ ५३२-५५२ ५५२-५७३
१-५१ ५१-२११
(५) पीपाकी परचई, छन्द ७४७ अनन्तदास (६) नामदेवजीको परचई, छन्द ४८ (७) कबीरजीकी परचई, छन्द २२८ (८) रैदासको परचई २१६ गुटका जिसमें-...१२ कृतियाँ हैं। (१) दादूवाणी अंग ४ (अपूर्ण) दादूदयालजी (२) पारस भाग (कीमिया शहादत- | अडणज सेवापंथी
नामक महम्मद गजालीकृत
फारसी ग्रन्थका अनुवाद) (३) धर्मसंवादग्रन्थ (१६३ छन्द) खेमदास (४) रज्जवजीको साखी एवं स्फुट रज्जबजी
कवित्त (५) दृष्टान्तसाखी प्रादि स्फुट संग्रहफे विविध
२१० छन्द (६) नमस्कार वंदनाको अंग और
सर्वसाधुओंको फुटकर साखी नारायण (कल्याणदासपुत्र)
२१२-२३० २३०-२३२
२३२-२५२
स्फुट दोहे श्रादि कुल ६६७
रज्जब
२५२-२६६ २५२,२६१, २६२,२६५,
२७१ २५२,२५५, २५६,२६०, २६१,२६४, २६५,२६६, २६७,२६६
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________________
wwwmraniummernamadmintoniane
लिपिसमय पप्रसंन्या
विशेष विवरण शादि
र बोले प्राति ६६७
जगताप
जमल
जगजीवन
२५३,२५४ २६४,२६६
२६५B, २६६B,२७७ २५४,२५८, २६५४,२७३ २५५,२५६, २६४,२६६, २५७,२६५, २६६,२७१,
२७७ २७७ २६४
२५६ २६०,२६२, २६५,२६६.
. २६३B २५८,२६४, | २६७,२६२B
.२५८, २६५,२७०, 1- २६४B
कालू अहमद जानराय फरीदा
गोरख
चरपट
परसराम
e emamaeemae-
m
-
-
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची. ]... ग्रन्थमाला
:: कर्ता
__ क्रमाङ्क
-
विशेष विवरण अादि
लिपिसमय | पत्रसंख्या
(४) (६) स्फुट दोहे प्रादि कुल ६६७
......
वाजिदा
.:
'बखता..
चतरदास
राघो
तुरसी (तुलसी)
२६०,२६२,
२७५ : २६ २६१,२६५, २६६,२६५B २६२,२६६
२६६B,
२६९B; २७०,२७६ २५७,२६०, २६५,२६७
२६३B; २६४B, २६६B,
२६७B, २७१,२७२
२७३ २६०,२६३B.
२६२.B: २६४B.
२७४
वेम नानक जनगोपाल
पीपा
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________________
: Mark atframaATTARAHTण-पग-पर-घी ]
लिपिसमय पर संशया
शिवगविवरण आदि
(४): ()
को धादिर ६६७
रजय
२६३३. २६४३. २६५B. २६६३. २६७B. २६८B.
२६९B.
मी रज्जयको छोटो सातो लामो प्राधि
२७०,२७१ । २७२ २७८-२८६ २८६-२:८
वैजल
माधोदास नन्ददास हरिदास बाबू
- २६६ २६६B.
२६८B. 1- २७० २९८-३६०
(७) पनसंग्रह । पद सं. ३२१ सबद
१८वीं
गरीब फबीर
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
क्रमाङ्क
कर्त्ता
(४) (७) पद
५
-39
11
""
""
"
39
""
ग्रन्थनाम
"1
(८) नासिकेत - व्याख्यान-भाषा
चौपाई ७७१, श्रध्याय १७ (E) नाममाहात्म्य ( द्विजकन्या संवाद )
श्रध्याय ५
(१०) सुख (शुक) संवाद
(११) मोहमद राजाकी कथा
| ( १२ ) सुन्दरदासजी के सवैया कुल श्रङ्ग ६
गुटका --- ६ कृतियाँ
(१) ध्रुवचरित्र
(२) हरिचन्द सत ३५५ चौपाई (३) रामचरित
जनगोपाल
रैदास
परमानन्द
नामदेव
घड़सी
रज्जब
अग्रदास
सूरदास
मुकुन्द
७७
दयालदास- जगन्नाथ
शिष्य
खेमदास
जगन्नाथ
सुन्दरदास
जनगोपाल
लिपिसमय
१८५८
ध्यानदास
सुन्दरदास- कालूदासशिष्य |
""
"3
पत्रसख्या
२६८-३६०
95
23
""
19
99
"
""
३६०-४५१
४५१-४६७
४६७-४८३ ४८३-४६६
| ४६६-५२६
१-६७
६८-८०
८०-१०१
विशेष विवरण आदि
रचना काल १७३४ ।
इन्दव छंद भी सचैये हैं ।
लि.क. मिश्र हरिकृष्ण, सिकन्दरामध्ये । र.का. सं १६४४ प्रतीत होता है ।
"
""
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________________
लिपिगमय परसंध्या
विशेष मागादि
जनमोहन
१६. In नाम (शत)
१८५८१०१-१०७
१०७-१४० १४०-१४२ | भगवान् विष्णुगो राहस नाममें से बने हुए २८
नाम है। १४२-२०७ २०७-२१६ २१६-२२८
नन्ददास
(७) रानाध्यायी (D) समरक्षास्तोत्र (६) मानलीला.
चरणदास
प्रारंभिक १७ स्फुट पत्रों में
१६१४
(१) गीत (fer री गावाज मैं सुन
कर भागो) (२) फुट कवित्त (बजरङ्गको लायनी) (३) हनुमाननालीसा, हनुमान लागनी | (४) बारहमासी (५) धारित
जनगोपाल (६) फर्मपर्मसंवाद
रोमदास रज्जवशिष्य .: (७) भरतविलाप
ईसरदास (८) ऊपाचरित
का-~-५ कृतिया (१) भाववासबाणी (जीवदशा) ध्रुवदास राधावल्लभो
हितशिष्य.
१-४१ ४१-५८ ५५-७१ ७१-१२८
अपूर्ण।
१-६ | इनके कई ग्रन्थ 'भारत जीवन प्रेस' में सन् ..
१९०४में छपे हैं। मूल्य १. पाने । ये ग्रन्थ . . नागरी प्रचारिणी सभा, फाशीकी कॉपीसे छपे ... । है । इसमें जो ग्रन्थ पाए हैं उनके नाम ये हैं----
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण - ग्रन्य-संग्रह-सूची ]
क्रमाक
ग्रन्थनाम
(5)
७ चन्द्रायणा वा प्ररिल्ल अनेक सेवदास
अंगों में २० ८ रेखता अनेक अंगोंमें १४ - 8 पद अनेक रागों में
(२) हरिदासजी की वाणी
१ ब्रह्मस्तुति ६३ छंद
२ नांवालाग्रन्थ २१ छंद
३. नामनिरूपणग्रन्थ ४३ दोहा
४ मानप्रसंगग्रन्थ १५ पद्य ५ व्याहलोजोगग्रन्थ ३१ छंद ६ टोडरमलजोगग्रन्थ १ पद ७ ज्ञानी अज्ञानीपुच्छा-जोग
ग्रन्थ ४० छंद
८ पद एवं रेखता ८१ ६ कवित्त स्फुट ६ १० कुण्डलिया ३६ श्रनेक अंग ११ चन्द्रायणा १६ अनेक अंग १२ साखी अनेक श्रंग २५१ (३) गोरखनाथजीकी कृतियां
१ गोरखगणेहगोष्ठीजोगग्रन्थ २ शिष्टपुराण
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हरिदास
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कर्त्ता
गोरखनाथ
लिपिसमय
१८८५
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पत्र संख्या
१-१०१
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| १०१-१.५
०५-१०७
१०७-१११
| १११-११२
११२-११५
११५-११६
११६-१२०
| १२०-१५०
65
१५०-१५३ १५३-१७०
११७०-१७३ १७३-१७४
विशेष विवरण श्रादि
[ १४
लि.क. मुकुन्ददास दर्शनदासशिष्य; ग्राम रामसा ।
बहुत उत्तम है--अध्यात्म विवाह "टोडरमल जीत्यो जी" इस ढालमें |
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह- सूची ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
(5)
A
(१४) सुखसंवादजोगग्रन्थ (१५) जड़भरितचरितग्रन्थ (१६) गुनकठियारानामोग्रन्थ (१७) विचारमाला वेदान्त
(१८) मोहमरद राजाकी कथा (१६) दानलीला
( २० ) गुनकठियारानामोग्रन्थ
(२१) लघुताग्रन्थ ( संग्रह )
(२२) नरसीजीकी हुण्डी
(२३) फुटकर दोहादृष्टान्त ५३ दोहे
(२४) लालदासकी चिन्तावणी १९६
छंद
(२५) ध्रुवचरित्रग्रन्थ
(२६) नासंकेत भाषा ७.२१ दोहे
खेमदास रज्जब शिष्य
जनगोपाल
वाजिद
अनाथदास
कर्त्ताः
जगन्नाथदास
श्रीकृष्णदास
वाजिद
विविध
रतनवास
विविध
लालदास
जनगोपाल
दयालदास जगन्नाथदास
शिष्य
जनदयाल उपरोक्त
(२७) धर्मसंवाद
(२८) विरहविजरी ( राग सहा विला- सुरवास वल, २१ अन्तरे )
(२६) मीरांजी के पद २
मीरांबाई
लिपिममय
१८८५
33
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"}
""
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१.१
"
22
23
पत्रसंख्या
२२०-२३६
२३६- २४६
|२४६-२५५
| २५५-२७१
२७१-२८१
| २८१-२८५
२८५-२६१ २६१-२६५
| २६५-२६५
| २६८-३०२
३०२-३०६
".
३०६-३३१ १८८६ ३३१-४००
विशेष विवरण आदि
[ १६
रचनाकाल - सं० १७२६ (= विश्राम में पूर्ण )
लि.क. माधवदास
८ विश्राम लि.क. माधवदास
१६ विश्राम में पूर्ण ।
रचनाकाल - १७३४ फागुण सुदि ५ लि.क.- मुकुन्दवास दर्शनदासशिष्य, गांव खारडियामध्ये |
४००-४२८ महाभारते यज्ञपर्वणि धर्मयुधिष्ठिरसंवाद, ४ अध्यायों में पूर्ण |
४२८-४२९ गोपी- उद्धवसंवाद "तुम तो प्राये जोग वृत ले दुसर हांसी को सहै"
४२६-४३० पद १ " भगति दुहेली हो श्रीजी राइ".
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[ १८
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची]
-
--
का
लिपिसमय पसंख्या
विशेष विवरण आदि
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
६ (१६) त्रिलोचनको परचई
अनन्तदास
। १८४०
१४२-४३
:१४३-१४७, इसका भी कत्र्ता अनन्तदास १४७-२०४ २०४-२११ २११-२१६
१८४७१-५६
(१७) सेऊ-समनजीको परचई मंगल वा रघुनाथ (१८) पोपाजीको परचई
अनन्तदास (१६) छप्पय-कवित्त आदि
सेवादास (२०) तर्कचिन्तामणि
सुन्दरदास १० गुटका–२१ कृतियां (१) परसरामजीको वाणी ; परसराम निवादित्य-
संप्रदायी (२) सुवामाचरित्रको जोड़ो परसराम
११ कवित्त . (३) नाममाला (४) सर्वया ११ (५) साच निषेधलीला २० चौपाई (६) श्रीनाथलीला ३३ चौपाई (७) श्रीहरिलीला ४० चौपाई
हरिरंगका जोड़ तक
"
११३ पद्य . २३-२८ . २८-८१
विधाम ३६ । बाई अनोपावाचानार्य लिखितं .
मन ना पालण्या पीसांगणमध्ये। . । ८१-१२६ / अनेक रागोंमें, ये बड़े कामफे पद हैं। १२६-१३३ / गुलपपरराफे वर्णनमें प्रणाम सखोभाये
। (८) हरि-गुरुस्मरण २७ पद गोविन्ददेवस्वामी (c) (अ) सद्गुरुप्रणाली चौपाई ३३ सुभगसणी रूपमंजरीशिष्याः ॥
(ब) सखी-नामरत्नावली । (१०) जुगलध्यान-नख-शिख २६ चौपैया ,
1.
१२३--१४१ /
.
.
.
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
। २२
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
लिपिसमय
पत्रसंख्या
विशेष विवरण प्रादि
गोरखनाथ
गद्यमें
(१२) । (२४) उभयमात्राग्रन्थयोग
(२५) पंचमात्रायोगग्रन्थ (२६) प्राणसांकूलो
१७४१-४३ १४२
१४२-१४३ १४३-१४४
(२७) ज्ञान चौतीसा
१४४१ B पर सूरदास श्रादि के स्फुट पद हैं जो दूसरी कलमसे लिखे हैं । (सं) १४६। B पर सूरदास, जनगोपाल और माधोदास के भिन्न लिपि में पद हैं । (सं)
१४६
१४७-१४८
१४६ १४६-१५०
१५० १५१-१६०
(२८) गोरखनाथजीका छन्द, स्तुति
वचन आदि (२६.) दयाबोधग्रन्थ (३०) अलि-सिलोक (गोरख
मुहम्मद संवाद) सिष्टिप्राण गोरखनाथजीका पद अनेक सन्त महात्माओं को शन्दियां आदि महादेवको शब्दी पार्वतीकी शब्दी चरपटजीकी शब्दी भरथरीकी शब्दी हालीपावजीकी शब्दी . चोरंगनाथकी शब्दी जती हरणवंतकी शब्दी
१६१
१६१-१६२
१६३
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान --- विद्याभूषण-प्रन्थ-संग्रह-सूची ]
क्रमाच
ग्रन्धनाम
कर्त्ता
( १२ ) ( १२ ) स्फुट साधु पदावली
79
ور
20
71
(१३) रैदासजीके पद
(१४) महादेव - गोरखनाथ संवाद व गोरख गणेस गोष्ठी
(१५) रोमावलो ग्रन्थ
(१६) नरवैवोध ( निर्भय बोध ? )
( १७ ) श्रात्मबोध
(१८) काफिरवोध यंत्र
(१६) पन्द्रहतिथियंत्र
( २० ) सप्तवार - ग्रन्थ
(२१) सप्तवार - नवग्रहमंत्र
(२२) नवनोरताग्रंथ (२३) सांख्य दर्शन - योगग्रन्थ
सूरदास, पोपा
जनगोपाल
चखना
सुन्दरदास
श्रासनदास
रज्जब
श्रनदास
वैन
33
गोरखनाथ
"1
29
17
,
21
22
22
22
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लिपिसमय
१७४१-४३ | ११५A - १२८
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33
पत्र संख्या
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| १३०
| १३१-१३३
पृ०
गद्य में
| १३३-१३४ गद्य में
| १३५
१३५-१३६
| १३७-१३८
| १३८-१३६
| १३६
| १३६-१४०
१४० १४१-१४२ गद्य में
विशेष विवरण श्रादि
[:२१
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राजस्थान-प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] क्रमाङ्क ग्रन्थनाम
कर्ता
[ २०
लिपिसमय
पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
परसराम
| (१६) ज्ञानलीला बत्तीसी ३४ छन्द (२०) भक्त-उपदेशिनी ६५ दोहे
(२१) फुटकर साखी ४, १ कवित्त ११ पवन-स्वरोदय ..
१८४७२१८-२२१
२२२-२३०
चरणदास .
१८८४
७१
कवित्त उत्तम है। कार्तिक कृष्णा ३० शनि लिखितं ब्राह्मण फनीराम, ग्राम बासरणामध्यं ।
१७४१-४३
२०B
१-२० नोट---यह पुस्तक पुरोहित कल्यारणवक्शजी
की कृपाते मालपुरेसे प्राप्त हुई। सं. १९७३ में--सं.१७४३ और सं.१७४१ इसमें लिखे हैं, पीले गत्ते का पुट्ठा हमने
बंधवाया, रक्षार्थ । २१-६३ ६३-६६ ९७-९८
गुटका-६० कृतियां (१) कबीरजीको साखी, ५२ अंग | कबीरदास (२) भजन पद संग्रह स्फुट (१) सूरदास
(२) तुलसीदास (३) परमानंद (४) जगन्नाथ और
(५) नांपा (३) दादूवाणी साखी ३६ अंग दादू (४) दादूपद (५) खाणी-वाणी ग्रन्थ
गोरखनाथ .. (पार्वती महादेवसंवाद) (६) ग्रभावली . (७) इन्द्रियदेवताविषयग्रन्य (८) गोरखनाथजोफी अष्ट परीक्षा (९) श्रीदत्तगोरखसंवाद ४६ शब्द (१०) गोरखनाथजीकी शब्दी
(११० शब्द) (११) गोरखवोध (गोरखमछेन्द्र संवाद)
६८-१००
१०१ - १०१ १०१-१०३ ज्ञानबोध जोग सिद्धान्त संपूरण समापता। .
१०४-११०
पृष्ठ ११५ तक ६३ शब्द फिर पृष्ठ १२६ पर. १२६-१३१ । १०७वें शब्दसे चालू और पृष्ठ १३१ B पर समाप्त ...
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
क्रमाङ्क
कर्ता
१०
ग्रन्थमाला
(११) गोविन्दलीला पद (१२) प्रौतारके पद १३
(१३) रघुनाथचरित्र जोटो १७ पद (१४) कृष्णचरित्रको जोड़ो २८ पद (१५) द्रोपदीको जोड़ों, २ फवित्त (१६) गजग्राहको जोड़ों
(१७) परसरामजीकी साखी १-३३ १ हरिरंगको जोड़ौ प्रादि
पद ११
२ हृद [य] प्रकाशको जोड़ो
पद १३
३ पिंड प्राणको जोड़ौ पद ३
४ परदेसी - प्राणको जोड़ौ पद २
५ सुद्ध मारगको जोड़ो पद ६
६ नीम- श्रग्निको जोड़ौ
७ विरह- अग्निफो जोड़ो
८ सम-प्रीतिको जोडौ
६ श्राग-प्रीतिको जोड़ों एवं अन्य स्फुट साखियां श्रादि (१८) वावनलीला ( अकारादि क्रमसे) ७६ छन्द
परसराम
17
"
11
22
"
18
21
21
"
11
12
लिपिसमय
१८४७
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22
13
CR
"
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33
66
222222
11
"
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पत्र संख्या
१४२ - १४७
१४७-१५३
१५३-१६०
| १६०-- १६६
१७०चाँ १७०-१७३
| १७३-१७४
१७४- १७५
१७५वाँ
| १७५-१७६
१७६वाँ
| १७६-१७७
| १७७-१७८
१७८-१७६
| १७६-२१३
विशेष विवरण आदि
पद १६; सोरठ राग
पद ३ - पत्र १७३ और १७३ में दो पद भक्तिमाहात्म्य हैं।
२१३ - २१८ रागोंमें बावनी
[ १e
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.
......
-२३
.. राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
--
कत्ता
लिपिसमय पत्र संख्या
विशेष विवरण प्रादि
ग्रन्थनाम
क्रमाङ्क
-
-
-
-
(१२)
.
१७४१-४३ १६४
नागा अर्जनकी शब्दी वालनाथकी शब्दो हरताली सिद्धकी शब्दी अजयपालकी शब्दी लखमणनाथकी शब्दो वालगूदाईकी शब्दी कणेराकी शब्दी चूणकरकी शब्बी दत्तजीको शब्दी जालंधरजोको शब्दी
गोपीचन्दजीकी शब्दी (३४) काजी महमदजीका पद (३५) काजी कादनजीकी साखी (३६) अनेक सन्तोंके स्फुट पद
| काजी महम्मद | काजी कादनजी शेख वहाबुद्दीन सदना त्रिलोचन श्योश्रमदास बीमल बेणीजी सोझाजी पीपाजी
१६७ १६८-१७० ८ रागों में १७ शब्द, अच्छे विरहके पद हैं। १७०-१७२ अंग २ । भाषा प्रायः पंजाबी। १७२ ३ पद पंजाबी में बढ़िया।
२ पद १ राग बढ़िया।
१ पद अच्छा । १७३ १ पद।
१ पद।
. ३ पद २ राग । १७४-१७५ । ७ पद गुजराती में, २ राग। .. १७५-१७६ ११ पद ३ राग ।
-
-
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
[ २४
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण प्रादि
(१२)
(३६) अनेक सन्तोंके स्फुट पद
१७४१-४३ १७६वा
१७७
१७७ १७७ १७७
.
४ पद, २ राग, अच्छे गुजरातीमें । १ पद। १ पद गुजराती। -
१ पद गुजराती। . १ पद । । ३ पद, ३ राग।
१ पद। . २ पद गुजराती।
१ पद। .२ पद १ राग।
१ पद, १ राग।
परसजी देवलजी मालणजी नरसीजी
भाणजी. ... | सोमजी :
कृष्णानंदजी सामजियाजी सुखानंदजी . धनाजीभक्त जयदेवजी कीताजी विसालीजी सीहाजी वालमीको | सारीजी श्रीरंगाजी वनवैकुण्ठजी. जीवदजी भक्त लघुविट्ठल भक्त कमालजी
१७८
-
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण ग्रन्थ संग्रह- सूची ]
कर्त्ता
क्रमाङ्क
(१२)
"
55
"
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37
22
11
"
"5
ग्रन्थनाम
39
श्रसानन्दजी
दीपजी भक्त ऋषिकेशजी भक्त
रामानन्दजी अंगदजी भक्त भुवनजी भक्त ज्ञानत्रिलोकजी भक्त
नरसिंहजी मुकन्द भारतीजी
डूंगर भक्त
नापा भक्त
माधो जगन्नाथ: मतिसुन्दर भक्त महाराज पृथ्वीराज
परमानन्द
सूरदास
पीपाजी भक्त
बखनाजी.
गरीबदास दादूपुत्र
( ३७ ) साधुपरिच्छा पृथ्वीराजको ग्रन्थ पृथ्वीनाथ योगी साखी १०६
लिपिसमय
१७४१-४३
31
33
"
75
"3
73
15
""
"
""
""
59
""
पत्रसंख्या
१८०
१८१
"1
19
35
""
11
१८१-१८२
१८२
१८२
१८२-१८३
१८३-१८४
१८५
१८५
१८५-१८७
१८७-१९२
१६२
. १६२...
| १६३-१६८
१६८-२०१
१ पद, १ राग ।
13
17
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"
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५
23
"
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"
31
विशेष विवरण आदि
?":
49
33
राग ४ पद
१२ /
राग ३ पद ११ ।
राग १ पद १ ।
राग ४ पद ४ – ये स्यात् जयपुर ( श्रामेर ) के महाराजा पृथ्वीराज है ।
अष्टछाप के कवि । राग ६ पद ११ ।
२५
राग १२ पद ३१, अष्टछाप कवि राग २ पद २ ।
द
राग १ पद १ ।
राग ११ पद ३६ ।
अन्त में 'इति श्री प्रथीनाथ सुत्रधारमतमहापुराणे सिधोनाम श्री साधपरच्छाग्रंथ जोगनाम'सास्त्र समासिवम्'.
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] - ... ..
लिपिसमय
कर्ता
पत्र संख्या
विशेप विवरण आदि
ग्रन्थमाला
क्रमाङ्क
(१२) । (३८) नामदेवजीके पद-राग १३ पद ७५ नामदेव भक्त
। (३६) कबीरजीके पद
कवीर ..
१७४१-४३ २०१-२१३ २१३-२६२ / पृष्ठ २६२B पर एक पद गोपालका और
एफ पद सूरदासका भी लिखा है (सं)। २६२B-२६३ बहुत अच्छे पद हैं । २६३B पत्र पर परस
राम, चतरदास और त्रिलोकके भी पद हैं। २६२A
(४०) सूरदासादिके पद फुटकर
सूरदास
नानक
(४१) नानकको साखी फुटकर
साखी १४ (४२) ज्ञानसमुद्रका अंश छन्द
२८ मात्रा (४३) अध्यात्मबोधिनी
सुन्दरदास बूतर
२६४-२६५ जोगसिद्धान्तपूजाके
गरीवदास
२६५-२६८ प्रादिमें लेखकने भूनसे रज्जबजीका नाम
लिखा है पर यह गरीबदासजीकी रचना है। अन्तमें 'प्रति भगवानदासको सों लिखी सं.
१७४३' ऐसा लिखा है। ..२६८
(४४) स्फुट सन्तपदावली
..
(१) रज्जब (२) जनगोपाल (३) जनदुर्जन
परमानन्द (५) हरदास सुन्दरदास । रज्जव ...
(४५) कालचिन्तावणि ६ अङ्ग " (४६) रज्जबजीको साखी
हरदासजी पद बहुत अच्छे हैं। २६६-२७१ २७२-२६० : इसके अंतमें 'इति श्रीरज्जवजीफी साली
संपूरणा समाप्ता सं. १७४१ जेठ मासे थावर वारे तिथिमा ८, दिन में लिखी प्रति स्वामी साईवासको सूलिखो' ऐसा लेख है । (सं):
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची].
-.
कर्ता
लिपिसमय । पत्रसंख्या | .. .. विशेष विवरण आदि.
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
(१२) । (४७) रज्जबजीके स्फुट पद राग ३, । रज्जब
पद १२ (४८) समयसार नाटक छन्द २६१ । बनारसीदास (४९) वाजिदजीकी अरिल्ल अंग ३ वाजिदजो......
अरिल ४२ (५०) बनारसीदासजीके पद राग ७, | बनारसीदास
१७४१-४३ २६०,
३१२,३१३ २६१-३१२ / ग्रंथ पूर्ण है। आगे कुछ पद भी हैं। ... ३१४-३१५
पद १४
३१५-३१८ | पद उत्तम हैं । अध्यात्म धमाल बहुत बढ़िया
है, अन्य पद भी एक से एक बढ़िया हैं। ३१८ ८ पद 'करनैसुख श्रीभागोतविचार' प्रादि।
(५१) स्फुट सन्त-पदावलो
(१) नरसी (२) सूर । (३) हरदास . कबीर
३१३-३२० ३२०
. .. .... राग सूहामें। . ...
३२१
(५२) कबीरजीका चन्द्रायणा (५३) कबीरजीकी शब्दी साखी
चौपाइयों में (५४) कबीरको अष्टपदी (५५) कबीरजीकी बारहपदी (५६) कबीरजीकी चौपदी (५७) सकल गहरो (इग्यारहो ?) (५८) बावनी (५९) रैदास-कबीरगोष्ठी दोहे ४१ (६०) स्फुट सन्तोंके पद
३२१-३२२ ३२२-३२३ ३२३ राग सूहामें, ११. छंद । । ।
ककारसे क्षकार तक ४०. चौपाई छन्द । ३२४--३२५ ३२६-३३०. | पृष्ठ ३२६B पर संपूर्ण ग्रन्थको पद्यसंख्या
इस प्रकार लिखी हैकबीरजीकी र
(१) सेन . (२) जैमल (३) मोहन .
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क्रमाङ्क
(१२).
पद
57
33
""
"
ग्रन्थनाम
कर्त्ता
(४) बखना
(५) सूरदास (६) परमानन्द (७) विद्यापति (८) विद्यादास
( 8 ) चैनदास
(१०) रज्जब (११) रैदास
(१२) केवली
(१३) पीपा (१४) जगजीवन (१५) जनगोपाल
(१६) माधोदास
(१७) मच्छन्दर (१८) नरसी (१६) गोपाल
लिपिसमय पत्रसंख्या
१७४१-४३ ३२६-३३०
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39
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93
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19
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15
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विशेष विवरण आदि
दादूजीकी साखी १६९८ । जोग्यां (योगियों) की शब्दी १६१
काजी फादनकी साखी ५७ । महादेव पार्वतीके शब्द ६० । दत्त - गोरखशब्द ४६ गोरखनाथको शब्दी २१० । गोरखमच्छीन्द्रवोध १२६ ॥ गोरखनाथजीके पद ५४ । गोरखनाथजीके ग्रंथ १६ | दादूजी के पद ३३६ | कबीरजीके पद ३८१ । नामदेवजी के पद ३८१ । रैदासजी के पद ६२ ।
फुटकर २०६ ।
पृथीनाथजीकी शब्दी १०६ ॥ सगळांकी जोड़को व्योरीसाखी २४६४ |
[ २८
पद ११२८ ।
शब्दी ७१२ ।
श्रपर बत्तीसके लेखे १२८८५ ।
नोट ---इस पुस्तक में दो जगह संवत् लिखा है
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....२६.... विशेष विवरण आदि
... ग्रन्यनाम
लिपिसमय पत्रसंख्या
(१२)
१७४३ और: १७४१ : यदि यह लेखनसमय हो तो पुस्तक का प्राचीन होना सिद्ध होता है परंतु पहले ४३ और फिर ४१ लिखना तथा मिती भी ठीक न लिखना संदेह उत्पन्न करता है। शायद असल पुस्तकमें जिससे नकल की गई होगी ये संवत्, मिती लिखे होंगे, परंतु पुस्तकके पन्ने पुराने और जीर्ण होनेसे इसके प्राचीन होने में सन्देह नहीं रहता तथा इसमें बहुत इधरके समयके संतोंकी वाणी, पद आदि नहीं हैं। जो कुछ हैं: प्राचीन हैं। इसमें गोरखनाथजीके प्रन्य बहुतायतसे हैं, रज्जबजीके संक्षिप्त हैं। पदोंका संग्रह विलक्षण और उत्तम है। पृथ्वीराजजी राजाके पद सबसे पहले इसी गटके में मिले हैं। पृथ्वीराजजी का समय (१५५६ से १५८४) दादूजी से पहलेका है। पदोंके ढंगसे भी वे जोगियोंकेसे प्रतीत नहीं होते। चैनजीके पदोंकी भाषा चुटीली, उत्तम. और मुहावरेदार है। क्या ये रज्जबजीके शिष्य थे ? नाटक समयसारका इसमें होना और विशेषकर बनारसीदासके पद जैन दादूपंथी. सम्बन्ध दिखाता है।
-
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[ ३०
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची]
का
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
ग्रन्थनाम
क्रमाङ्क
| १७४३१५१
१३ | गुटका जिसमें
• रज्जब दादूशिष्य | रज्जवजीकी वाणी, साखी, कवित्त, सवैया, पद, परिल और स्फुट ग्रन्थ । छंटे हुए।
पुस्तक मालपुरेसे पुरोहित कल्याणवक्षजीसे | वैशाख वदि ५ सं० १९७४को प्राप्त ।
प्राचीन लिपि । खालका दीमक खाया हुआ | गत्ता पुट्ठे पर अन्दरके कागज पर संवत् । १७३२ और १७४३ लिखा है। इसकी लिखावटको चाल भी पुरानी ही है । कागज भी पुराना है। साली और पदोंको छांटा (चुना) है। यह छांटनेको चाल उस समय चल पड़ी थी क्योंकि इस समयफी और भी कुछ पुस्तकों में साखी छटी हुई हैं। क्रिया, सकार, द्वित्वका प्रभाव और जोशीके लड़कोंको सी लिखावट भी पुरानेपनका प्रमाण है। खुला हुआ (पत्राकार) : .
आदिये ३२ पत्र नहीं है। .. बीचमें पत्र खण्डित हैं। ... ....
३३-७२ ७२-८६ ८६-१०२
वाजीद
१४ गुटका
(१) दावाणी साखी ३६ अंग दादू (२) कवीरजीको साखी २६ अंग कबीर (३) मिया वाजीदजीकी साखी
१८ अंग (४) कबीरजीको रमैणी व अष्टपदी, कबीर, हरिदास । (५) सकलगगहा प्रावि हरिदासजी
३० ग्रन्थ (६) जैनजंजाल .....
रज्जब .
१०२-११८
११५फा पत्र नहीं है। .. पत्र बहुत जीर्ण हैं। अतः मरम्मत होनेसे पहिले विवरण नहीं भरा जा सकता।
११८वां
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
..... विशेष विवरणं आदि ..
..:.
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
(१४), (७) दोषदरीबे भाग ३६वां, रज्जब (८) कायावेली
दादू'. (8) अध्यात्मवोध
गरीबदास दादूपुत्र (१०) मोहविवेक
जनगोपाल दादृशिष्य (११) चौबीस गुरोंकी लीला छंद ५७ ॥ (१२) भरथचरित्र छन्द ६२
जनगोपाल (१३) ध्रुवचरित्र छन्द. १६४ . " (१४) प्रह्लादचरित्र. (१५) सुखसंवाद छन्द २०६ (१६) दत्तात्रेयके २५ गुरुओंको लीला | जगन्नाथ दादूशिष्य (१७) सर्वाङ्गयोग ..
रज्जबजी (१८) पाखर-उद्धारवावनी १५ | गुटका- .
(१) दादूजीको साखी ३७ अंग दादजी
साखी २५६३ (२) दादजीका पद ४४४ अंग ३७
११८वां ११८-११६ ११६-१२४ १२४-१२८ १२८-१३० १३०-१३३ १३३-१४० १४०-१४४ १४५-१५२ | १४५ वां पत्र नहीं है। १५४-१६२ १६० वां पत्र १६२-५०७
अपूर्ण । अन्तमें एक फटा पत्र है।
"
"
१८२५
। ३-१२२ । आदिके दो पत्र नहीं हैं परन्तु ग्रन्थ आरंभसे है।।
१२२-२०५ | इसमें दुवाराकी साखी भी है। प्रति स्वामी
गोपालदासजी गोठड़ेवालोंके अस्तलकी है। लाल केनवासकी छींट्का गुटका।
१६ / गुटका. (१) दादूजीको साखी
१७१८९८
यह गुटका उदयपुरकी जमातका है। स्वामी सेवादासजीने भेजा हैं । इसमें भाषा प्राचीन ढंगकी है।
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची]
[ ३२
विशेष विवरण आदि
लिपिसमय पत्रसंख्या
कर्ता
• ग्रस्थनाम
कमाल
१७१८
84-१६१ १६१-१६५ | गुरुदेव, स्मरण और चिन्तावरणी। १६५-१७८ १७८-१८०
अपूर्ण। १८०-१८६
(२) दादूजीका पद २७ राग ४३४ पद
कबीरजीको साखी अंग ३ (४) ध्रवचरित्र २७७ छंद जनगोपाल (५) प्रह्लादेचरित्र
(६) गोपीचन्दचरित १४३ छंद खेमदास १७ गुटका-- - -
(१) दादूजीकी वाणी (२) दादूजीको साखी (३) दादूजीका पद
(४) दादूजन्मलीला-परचई जनगोपाल १८ रसपीयूषनिधि
सोमनाथ
१-२१३
२१३-३५३ ३५३-४०६ १८२
भरतपुरके महाराजकुमार श्रीप्रतापसिंहफे निमित्त सं. १७६४ में रसपीयूपनिधि नामक ग्रन्थ की रचना की। पंडित फतेसिंहजीके पास तथा किला भरतपुरमें इस ग्रन्यकी प्रतियां देखी थीं। यह प्रति पंडित फतेसिंहजी सूर्यभान वकील भरतपुरवालोंको प्रतिसे जो सं. १८६४की है, उतारी गई। यह किसी प्राचीन पुस्तकको नफल है । भाषा प्राचीन प्राकृत-गुजरातो-डिंगल-मिश्रित । बुध (अव) मालागिरिमध्ये अटू ग्राने मुनि सब(शिव)दास लपीतं सामार्थे । मंडावे में लिया गया।
१६ | विक्रमचरित्र (पंचडंडनी कथा)
। फयि नरपति
.२० । राजनीति-कवित्त प्रावि..
.
देवीदास
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान -- विद्याभूषण ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्त्ता
२१ (१) प्रह्लादचरित्र
(२) मोहमद राजाकी कथा
२२ | गुटका - - कृतियाँ २०
(१) सनेहलीला दोहे १२२
(२) कक्काबत्तीसी ३७ दोहे ( ३ ) सनेहसंग्राम २४ कुण्डलिया (४) सनेह साजनका दोहा २० (५) शिवगौरी मंगलाचार - गोत्राचार (६) एकश्लोकी भागवत- रामायणादि
(७) बारहमासा छन्द १२
(८) कृष्णचरित्र - बारहखड़ी
(६) विलोमाक्षरश्लोक और दोहा (१०) नागारासो निसाणी (११) बारहमासा छन्द १२ (१२) राजनीतिका कवित्त
(१३) रागकोष्ठक व रागमाला के ३१ दोहे
(१४) स्फुट कवित्त
(१५) भवानीकी भारती
जनगोपाल जगन्नाथ तुरसी शिष्य
विष्णुदास
सन्तदास
सवाई प्रतापसिंह
भवानीराम
श्रीनिवास
रामचरण
"1
कुशलेश
शिवानन्द
लिपिसमय
१८७३
55
१८८३
11
१८८४
१८८८
१८७२
पत्र संख्या
१-१०२
१०२-२०४
|१-२२
१-७
७-१८
१८-२२
२३-२६
| २६-२८
२८-३१
१-१०
१०-१६
१६-२२
१-८
८-१२
|१२-१३
विशेष विवरण आदि
१७७६की प्रतिकी नकल
नगर बांसकोमें लिखित F
'एक समय ब्रजवासकी सुरति करो हरिराय'
इत्यादि पद हैं।
3 ५ ५ १
र.का. - संवत पावकशरवसुशशि १८५३
[ ३३
प्रति सुन्दर
लिखी हणवंता के तांई । श्रच्छी कविता है । 'नीतिनवरत्न' नामक काव्यके & छन्दों में से केवल ३ छन्द है
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची] ....
[ ३४ क्रमा
विशेप विवरण आदि ग्रन्थनाम
कर्ता लिपिसमय पत्रसंख्या (२२) । (१६) स्फुट कवित्त आदि गिरधर कविराय, सवाई ! १८७२ १३-१७ । इसमें सवाई प्रतापसिंहरचित वक्रोक्तिप्रतापसिंह
| अलंकारके श्रेष्ठ उदाहरण हैं। (१७) दानलीला . कृष्णदास
१-१० (१८) होनहारके कवित्त ६ मानसखी?
१०-१३ (१९) मुरलीविहार सवाई प्रतापसिंह
१३-२१ रचनाकाल-१८४६ (२०) वर्षाभविष्यसूचक दोहे .
२१-२५ २३ । गुटका-कृतियां ६ (१) प्रीतिलता
१६०० १-१६ यह गुटका गुरु त्र्यम्बकरामजी धांगध्रा वालोंका । (२) फागरंग
१६-३७ है। इसमें ग्रन्थ सुन्दर तिपिमें लिखे हुए हैं परन्तु (३) प्रेमप्रकाश
३७-४६ पत्रोंको फोड़ोंने खाकर छेदयुक्त कर दिये हैं। (४) विरहसलिता . (५) सनेहबहार
५८-६६ (६) मुरलीविहार
६६-७३ (७) रमकझमकबत्तीसी
७३-७८ (८) रासको रेखता
७८-८५ (8) सुहागरनि . २४ गुटका(१) रेखतासंग्रह २१२ रेखता
यह गुटका पुजारी श्रीनाथजीसे प्राप्त हुआ।
लिपि सुन्दर है। २५ गुटका(१) बजनिधि-मुक्तावली सवाई प्रतापसिंह, बुधप्रकाश, १८७४
रसराशि, किसोरअली, से वंशीअली, हितकारी
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान विद्याभूषण ग्रन्थ-संग्रह-सूची
क्रमाङ्क
२६
ग्रन्थनाम
गुटका - (१) नीतिनवरत्न ( २ ) मध्याक्षरी कवित्त
(३) करुणावत्तीसी
(४) सुन्दसिंगार (५) नीतिमंजरी
(६) शृंगारमंजरी
(७) वैराग्यमंजरी
(८) भ्रष्ट जाम
( 8 ) राजनीतिभाषा
(१०) अनेकार्थ मंजरी
( ११ ) चाणक्यनीतिभाषा
(१२) फागरंग
(१३) सनेहसंग्राम (१४) स्फुट कवित्त
सुन्दरदास माधोराम
कर्ता
सुन्दर कवि श्रागरेके.
सवाई प्रतापसिंह
""
देव कवि
उम्मेदराम
नन्ददास
उम्मेदराम
सवाई प्रतापसिंह
पद्माकर
घनानन्द
देव
वृन्द
ठाकुर
लाल
कालिदास
देवनाथ
लिपिसमय
१८८८
पत्र संख्या
१-२
२-३
१–६
१-१३
१३-२४
२४-३८
३८-५५
५५-५६
५६-६७
६७-८२
८२-८६
८८-६२
६२-६६
37
17
"1
"
,
""
विशेष विवरण श्रादि
कही राम मंत्रीन तें, इह नृप नीति प्रखेद । विनयस्यंध नलवन्तहित, भाषा करी उमेद ।
रचनाकाल - १८७२
[ ३५
"
१८५२
इसके अन्त में ६६ पृष्ठ पर 'उरग मीन लोय' इत्यादि कवित्तका फोष्टक है । चित्र काव्य है ।
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[ ३६
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] क्रमाङ्क ___ ग्रन्थनाम
| कर्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण प्रादि
पद्माकर भीखंजन
९६-१०१ १०१-१०५ १०६-१०७ लखनऊके नवाबको।
...
(२६) (१५) षड्ऋतुवर्णन
(१६) सवंगवावनी
(१७) स्फुट कवित्त २७ गुटका-. ..
' (१) दादूवाणी (साखी) पद प्रादि (२) स्फुट पद संग्रह
१६वी
दाएं
१-४२ नामदेव
४२-७२ विद्यादास मीरां - चैन केवल गरीब कबीर रज्जब सुन्दर बखना, गोरखनाथ प्रादि विष्णुदास
| इस गुट फेमें मोटे अक्षर लेखकके हाथ के ३२-५१ है। सनीसरजीफी कयाम ३ फयाएँ अज्ञात . .
कफ हैं। ! पन्मपुराणोक्त . . २०४ मोटे अक्षर है। भाषा सरल है। . .. ... विष्णुदास | १८७१६-१७लि .क. शम्भुराम । प्रारंभ ५ पत्र नहीं हैं।
२८ गुटका
(१) सनेहलीला (२) सनीसरजीको कथा गुटका
(१) गोतामाहात्म्यभाषा ३० (१) सनेहलीला
गटका---
-
-
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ संग्रह- सूची ]
कर्त्ता
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
(३०)
३१
३२
३३
(२) पट्टी पहाड़ा
(३) सनीसरजी की कथागद्य गुटका जिसमें
(१) ऊषाहरण
गुटका -
(१) रामायणकीर्तन दोहे ८७ (२) दोहावली, दोहे ८२
गुटका
(१) नीतिनवरत्न छप्पय
छप्पय ६
(२) नवरत्न - कवित्त
( ३ ) विनयकी छप्पय ४
(४) नीति - विनोद (१५६ नीति व धर्मके वाक्य )
रामदास
रघुराज रामसखे
केशवदास
"1
लिपिसमय
पत्रसंख्या
१६१०
|१८-४०
१८७२ १-२६
६४
१-१२
१२-१६
१९३४ ई० १-३
विशेष विवरण ग्रादि
[ ३७
नोट- प्रत्येक पृष्ठ पर बीचमें पट्टो पहाड़े और ऊपर नीचे प्रास्ताविक दोहे लिखे हैं। (सं.)
ग्रंथका निर्माणसंवत् नहीं दिया है। ग्रंथकारने अपना निवासस्थान गांव इमलाना सिरोंज इलाका टोंक, मालवा प्रदेश लिखा है । इनके पिताका नाम मनोहरदास था ।
संभवतः ये महाराज रघुराजसह रीवां वाले हैं । इनका निवासस्थान बहराइच और गोरखपुरके पास कहीं था । प्रतिके अंत में 'इति श्री महाराज सखेज कृत दोहावली संपूर्णम्' ऐसा लिखा है । श्री रामसखेका विवरण मिश्रबंधुविनोदमें दिया है।
'साहित्यसुषमा' में पण्डित रामदहिन मिश्र इनको केशवदासकृत लिखा है। उसीसे प्रतिलिपि की है ।
यह वाक्यावलिं कवि फतहनाथजी गणपति भारती के वंशजसे प्राप्त हुई है । सं० १९२३ में
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रामपाल पानाविधानिठान---विद्याभूषण-ग्रन्ग-गंग्रह सूची]
[ ३८
पन्यनाम
का
| लिपिसमय पनसंख्या
विशेष विवरण आदि
नकल कराई है। संख्या ४६से ६५ तफ असल पुस्तकमें नहीं है। बड़े कामकी बातें हैं । अन्तमें दोहोंमें गुरुपरम्परा इस प्रकार है-रामानन्द, अनन्तानन्द, कृष्णदास पयहारी, अग्रदास, विनोददास, अनन्तदास।
१७१५
२४ .
३४ ! गुटका(१) पीपापरची
अनन्तदास । (२) सूचीपत्र । (३) दादूसाखी ..
दादूदास (४) उत्पत्तिनिर्णय
रज्जब (५) अविगतलीला (६) कबीरजीका पद
कबीर (७) कबीरजीको रमैणी (चन्दैणो) (८) फोरजीको दुपदी (6) कबीरजीकी सतपदी (१०) कबीरजीको बारापदी. (११) कबीरजीको प्रष्टपदी (१२) कबीरजीको चौपदी (१३) सकलगहगहा (१४) बावनीग्रन्थ (१५) कबीरजीको साखी ८०० अंग ५७/ . , ..
यह जीर्ण गुटका है, और संवत् १७१५का लिखा हुआ है। अन्त में लिखा है- संवत् १७१५ वर्षे शाके १५८० महामाङ्गलिक फाल्गुन-मासे-शुक्लपक्षे त्रयोदश्यां १३ गरुवासरे डिण्डुपुरमध्ये स्वामी विरागदासजीशिष्य स्वामी “माधोदासजी ततशिष्य वृन्दावनेनालेखि प्रात्मार्थे, शुभम् भवतु श्रीरामोजयति ।
.. : नोट-यह गुटका अत्यन्त जीर्ण है और पत्र तड़कने हैं, अतः श्रीपुरोहितजीकी सूचीके अनुसार ही कृतियोंके नाम यहाँ अङ्कित कर दिये हैं । पत्रोंको संख्या इनकी मरम्मत होनेके बाद ही लगाई जा सकती है। (सं.) :
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..... राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान--विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] ""
विशेष विवरण आदि
लिपिसमय
...
क्रमाङ्क
का
पत्रसंख्या
ग्रन्थनाम
नामदेव
१७१५
| रैदास | हरिदास
इनकी ३०पदी, बारहपदी और १०पदी भी २०७-२६६ / इन पदोंके आदिमें है।
नानक
पीपा
स्योजी
- (३४) । (१६) नामदेवजीका पंद ।
(१७) नामदेवजीकी साखी (१८) रैदासजीका पद (१६) हरिदासजीका पद (२०) हरिदासजीकी साखी (२१) नानकजीका पद (२२) नानकजीकी साखी . (२३) पीपाजीका पद (२४) पीपाजीकी साखी (२५) स्योजीका पद (२६) स्योजीको बेली (२७) त्रिलोचनका पद (२८) शिवश्रमका पद (२६) बीजलका पद (३०) बेणीका पद (३१) रामानन्दका पद (३२) मतिसुन्दरका पद (३३) कमालका पद (३४) भुवनका पद (३५) अङ्गदका पद (३६) सुखानन्दका पद
त्रिलोचन शिवश्रम बीजल
बेणी
रामानन्द मतिसुन्दर कमाल भुवन अङ्गद सुखानन्द
३३६
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राजम्यान प्राच्ययियाप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] .
कर्ता
लिपिसमय | पसंख्या
विशेष विवरण आदि
ग्रन्थमाला
१७१५
कृष्णानन्द सांवलिया
परशराम
सदना सैनभक्त
कानदास
भाण
नरसी बोहितदास
(३४) । (३७) कृष्णानन्दका पद
। (३८) सांवलियाका पद
(३६) परशरामका पद । (४०) परशरामको साखी | (४१) सदनाफा पद
(४२) सैनका पद (४३) कानडिया रावलका पद (४४) भाणका पद (४५) नरसी महताका पद (४६) बोहितदासका पद (४७) श्रीरङ्गका पद (४८) भीमको साखी (४६) अध्यारको गोढली (५०) अध्यारका पद (५१) अध्यारको रासो (५२) सोमका पद (५३) चतरभुजको वेदमहिमा (५४) चतरभुजका पद (५५) सन्तदासका पद (५६) जीवदका पद (५७) नरसिंह भारतीका पद
श्रीरङ्ग
भीम अध्यार
सोम
चतरभुजा
सन्तदास जीवद नरसिंह
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। ४१
• राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची]
-
लिपिसमय | पत्रसंख्या
कर्ता
विशेप विवरण आदि
ग्रन्थनाम
क्रम 1.
१७१५
(३४) (५८) डूंगरदासका पद
(५९) धनाका पद . . (६०) जयदेवकी अष्टपदी (६१) लघुवीठलका पद (६२) व्यासका पद (६३) बीसाका पद (६४) नायिकका पद (६५) सारीका पद (६६) गालिबका पद (६७) हृषीकेशकापद (६८) वैकुण्ठवनका पद (६६) मुकुन्दका पद (७०) केशवका पद (७१) सूरका पद (७२) सूरपच्चीसी (७३) परमानन्ददासका पद
घोजगन्नाथका पद (७५) चत्रका पद . (७६) प्रागदासको साखी . (७७) प्रागदासका पद | (७८) दादूस्तुति सवैया
डूंगरदास धना भक्त जयदेव कवि लघुवीठल व्यास . बीसा नायिक सारी गालिव हृषीकेश वैकुण्ठ मुकुन्द केशवदास सूरदास महाकवि
परमानन्ददास माधोजगन्नाथ चतरदास प्रागदास (डीडवाणा)
३०८-३१०
"
रज्जब
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राजस्थान ग्रायविद्याप्रतिष्ठान---विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची ]
कर्त्ता
उपर
ग्रन्यनाम
(३४) (७९) रघुपाका विणजारा (५०) पठाणकर विणणारा
(८१) ज्ञानविलोकका पद
(५२) वाचनीय
(३) वेदासका पद
(८४ ) ईशरदासका पद
(८५) कवित्त
(८६) चौबीस सिद्धि
(८७) नापाका पद
(५८) छीतमका पद ( 5 ) जगजीवनका पद
(६०) जंमनका पर्व
(११) जैमलकी साखी
(६२) टीलाका पद
(६३) बखनाका पद ( व्याहलो)
( ६४ ) प्रकललीला श्रौर पद
(१५) रज्जवकी साखी
(१६) भेटका सवैया
(१७) सोहाका पद
* (85) भुवनको पद
रघुवा
पठाण
शानत्रिलोक
रज्जब ( ? )
बेईदास चारण
ईशरदास चारण
"
नापादास
छीतमदास जगजीवनदास ( टहलडी
वाले)
जैमल ( दादूशिष्य )
टीला
बखना
रज्जव
"
71
सीहा
भवन
""
"
लिपिसमय
१७१५
"3
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""
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';
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"
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""
""
"
71
पत्रसंख्या
३३६व
विशेष विवरण आदि
इनके और पद ५५६ पत्र पर भी हैं।
[ ४२
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-संग्रह
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान
प्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] - क्रमाङ्क. । ... ग्रन्थमाला
कर्ता
लिपिसमय
पत्रसंख्या
विशेष विवरण यादि
परस
१७१५३३६वा सरस भैरू सेवड़ा कोल्हदास पृथीराज (राजाजोधपुरके) ३३६-३७में कान्हा. कृष्णदास लाडण दीपा गोविन्ददास
22
(३४), (६६) परसको पद,
(१००) सरसको पद ....... (१०१) भैरूं सेवड़ाका पद (१०२) कोल्हजीका पद (१०३) पृथीराजका पद .. (१०४) कान्हाका पद (१०५) कृष्णदासका पद (१०६) लाडणका पद . (१०७) दीपाका पद (१०८) गोव्यन्दवासका पद . (१०६) पाशानन्दको पद (११०) पूरणको पद (१११) वाल्मीकको पद (११२) बीजियाका पद (११३) अध्यारको पद (११४) नेतको पद . (११५) पीथाको पद (११६) सोझाको पद (११७) घाटमदासका पद (११८) काजी कादनकी साखी (११९) काजी महम्मदका पद
पाशानन्द
पूरण
वाल्मीक बीजियोदास अध्यार नेतदास पोथा सोझा (दादूशिष्य) घाटमदास काजी कादन (पञ्जाबी) काजी महम्मद
३४०-३४४ ३४४-३४७
Page #64
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[ ४४
जमा प्राधिAFTEST---विद्याभूषण-प्रन्य-संग्रह-सूची] ऋमा . मन्यनाम
फर्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण प्रादि
शेख यहायदो शेख फरीदुद्दीन गोरखनाथ
(३४) . (१२०) शेष वहापदोका पद
(१२१) शेष फरीदाको साखो (१२२) गोरखनाथजीका पद : (१२३) गोरसनायजीको तिथि : (१२४) नरमयबोध : (१२५) काफ़रवोध । (१२६) अकलि सिलोक भाषा (१२७) प्राणसांगली
(१२६) शिष्यावर्शन अन्य । (१२६) ज्ञानतातीसी (१३०) गोरणामयीन्द्रबोध (१३१) आत्मवोध . (१३२) अभयमाना (१३३) गोरखनाथजीफा छन्द
१७१५३४७वा
३४७-३४८ ३४-३५६ ३५६वा ३५६-३५७ ३५७-३५८ ३५८-३५६ ३५६वा । अन्तमें 'नमो देवाय गुरुगोरख-पादुका नमस्ते ।' ३५६-३६० । ३६९-३६२ ३६२-३६५ ३६८वा
३६६वां ... इसमें ६ छन्द हैं। प्रत्येक के अन्त में 'मच्छीन्द्र
पूता जोग जुगन्ता जाग गोरख जग सूता' यह टेक प्राई है।
.
-
.
(१३४) गोरखनाथ सप्तवार (१३५) गोरख-गणेशसंवाद
(१३६) महादेव-गोरखसंवाद ...(१३७) महादेव-उमासंवाद . (१३८) प्राणसांकली.
३७०वा ३७०-३७२ ३७२-३७४ ३७४-३७६.
चारजन्नाथ
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[ ४५
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ....... ग्रन्थनाम,
कर्ता क्रमाङ्क
. . .. विशेष विवरण आदि
लिपिसमय | पत्रसंख्या |.
.
१७१५३७६-३८०
३८०-३८६ ३८६-३८७
इसमें १८ छन्द हैं, वे बड़े प्रभाव के हैं ।
३८७-३८८ ३८८-३८९ ३८९-३६० ३९०वाँ
"
ये कनफटे जोगी थे। .
(३४) | (१३९) कन्थडबोध (कन्थडगोरखसंवाद) गोरखनाथ
(१४०) गोरखशब्दी (१७७ चौपाई) (१४१) भरथरीजीका संख (राजा
.! राणीसंवाद) (१४२) भरथरीजीकी शब्दी (१४३) हणवन्तजीका पद और भजन | हणवन्त (१४४) हणवन्तजीको शब्दी (१४५) गोपीचन्द्रजीका पद
गोपीचन्द्र राजा (१४६) गोपीचन्द्रकी शब्दी (१४७) सती कणेरीका पद
कणेरी (१४८) कणेरीपावकी शब्दी (१४६) हालीपावका पद
हालीपाव (१५०) हालीपावको शब्दी (१५१) जलन्धरीपावकी शब्दी जलन्धरीपाव (१५२) नागार्जनकी शब्दी
नागार्जन (१५३) चर्पटजीको शब्दी
चर्पटपाव (१५४) चौरङ्गीपावकी शब्दी । चौरङ्गी पाव (१५५) शिवजीकी शब्दी | (कोई नाथ) (१५६) पार्वतीकी शब्दी (१५७) बालनाथजीकी शब्दी बालनाथ
.(१० साखी) (१५८) सिद्ध गरीबनाथको शब्दी | गरीबनाथ
३६१वा
३६१-३६३ ३६३वा ३६३-३९४ ३९४वा
बहुत जोरदार वचन हैं।
.
.
.
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[ ४६
mmmmmmmmmmmmmms
RATHeafप्रति----विद्याभूषण-पथ-संग्रह-सूची ]
कर्ता
लिपिसमय । पत्रसंख्या -
विशेष विवरण आदि
१७१५३६५वां
चुणकनाथ मीडकीपावनाथ घोडाचोलीपावनाय
प्राजयपाल
३६६वा
(३४) (१५६) गुणकनायको शची
(१६०) मीडकोपायको शब्दो (१६१) घोबाचोलीको शब्दो (१६२) गाजयपालको शब्दी (१६३) सि हरतालीको शन्दी (१६४) धुन्चलीमलकी शब्दी (१६५) दत्तजीको शब्दी (१६६) चननाथका पद (१६७) प्रयोनायजीकी शब्दी (१६८) पीनाथका जोगग्रन्थ
(१०४ पद्य)
सिद्ध हरताली धुन्धलीमल दत्त चत्रनाय (प्रामेरका ?) पृथीनाथ पृथीनाग सूत्रधार
३६७वां ३६७-३९८
अन्तमें 'इति श्री पृथीनाथ सूत्रधारे मत महापुराणे सिद्धनाम श्रीसाधपरिण्याजोगशास्त्र समाप्त।'
४०१-४०३
(१६६) सिपसंमोघ-मात्मांप्रचयजोग- . ,
अन्य (१७०) प्राणपचीसी (६६ छन्द) (१७१) ज्ञानपचीसी (७७ छन्द) (१७२) जुगति-सरूप-सिद्धसंकेत-जोग- 1 ॥ - ग्रन्थ (५१ छन्द) (१७३) भ्रमविधंसजोगग्रन्थ
(७० छन्द) (१७४) ततसग्रामजोगग्रन्म ...... (५६ छन्द) ..
४०३-४०५ सुखदेव-पृथोनाथसंवाद भी इसीमें है। ४०५-४०८ ४०८-४०६ विपर्यय वाणी है।
,,
४०६-४१२
..,
४१२-४१३ | योगीवीरता (वारता) गुह्यज्ञानदर्शन-वर्णन
| इसमें है।
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.
.
।
४७
-
-
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची]
...... ग्रन्थनाम क्रमाङ्क
कर्ता .....
- लिपिसमय पत्र संख्या
विशेष विवरण आदि
। १७१५४१३-४१४ खरी-खरी उपदेशभरी बातें।
(३४)
४१४वां
उपदेशमयी योगको गुह्य बातें।
४१४-४१५
उच्चकोटिकी बातें हैं।
४१५वा ४१५-४१६
"
(१७५) ब्रह्मप्रादेसुरजोगग्रन्थ . . पृथीनाथ सूत्रधार
- (२०. छन्द). . (१७६) प्यण्डप्रपोषसरस्वतीजोगग्रन्थ , ,
(२० छन्द) (१७७) प्राणकुण्डलीजोगग्रन्थ
(१३ छन्द) (१७८) भगतिवैकुण्ठग्रन्थ (१४ छन्द) पृथीनाथ (१७६) निरंजननिर्वाणग्रन्थजोग
(१३ छन्द) (१८०) अजपागायत्री (१२ छन्द) (१८१) संध्यागायत्री (१७ छन्द) (१८२) मनथंभशरीरासांधणजोग
ग्रन्थ (२६ छन्द) (१८३) प्रतिबोधज्ञानटीको-जोगग्रन्थ
(धूलमेश-पृथीनाथसंवाद :- .. : (६८ छन्द). . . (१८४) मूलपदमहाज्ञानजोगग्रन्थ . . . (५१ छन्द) . . (१८५) पदमपुराणजोगग्रन्थ
(२८ छन्द) (१८६) ब्रह्मपग्निजोगजगदीशग्रन्थ
(छन्द २५)
योगीको गायत्री ४१६-४१७ विकृतसंस्कृतभाषामिश्रित । ४१७-४१६
४१६-४२२
,,
४२२-४२३
"
(४२३-४२४
४२४-४२५
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mer पायनिताप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-पय-संग्रह-गची ]
[ ४८
का
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
१७१५४२५-४२६
४२६-४२७
(३४) (१८७) चिन्नुशिक्षान्तजोगग्रन्य
पासतानाजोगग्रन्यपृथीनाय (१८८) सोलहमलागोगग्रन्थ
(३६ छन्द) (१८९) सोलहतिथिजोगग्रन्थ
(२० छन्द) (१९०) नक्षत्रजोगग्रन्यः (३१ छन्व); (१६१) जैनशीलसमाधिजोगग्रन्य
४२७-४२८
४२८-४२६ ४२६-४३०
इसमें जैनियोंकी रहस्य-विवरणी है।
(१६२) समपणीकर्ता-कथितजोगग्रन्य।
४३०वा
(१९३) हंसरारूपअविगतिजोगरान्य
४३०-४३३
४३३-४३५ धूलमेशपृथीनाथसंवाद भी इसमें है।
.
(१६४) सिद्धचौतीसाजोगग्रन्य
(४० छन्द) (१६५) बारहमासी (१६ छन्द). (१९६) अध्यात्मबोध (छन्द १४०) । गरीवदास (दादूशिष्य) (१९७) गरीबदासजीका पद १६ (१९८) गरीबदासजीको साखी २२ (१९६) मोहनदासजीका पद ४ (२००) करुणासार (छन्द ८) चैनदास
४३५वा ४३५-४४० यह अध्यात्मनाममालाकोश है। ४४०-४४२
४४२-४४३ .४४३-४४४
४४४-४४५ लावणीके ढङ्गफे करुणरसपूर्ण सरस पद हैं।
"
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]..
की
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
....... ग्रन्थनाम
क्रमाङ्क.
१७१५
४४५-४४६
४४६-४४६ दादजीकी स्तुतिके वीररसभरे उत्तम सर्वया है।
४४६-४५० ४५०वा ४५०वा
दादूजी-जनगोपाल-भेंट।
(३४) । (२०१) चैनदासजीके पद १५ चैनदास (दादूशिष्य) (२०२) चैनदासजीका सवैया २ और
कड़खा (२०३) बारहमासा छन्द १२ जनगोपाल (२०४) जनगोपालके पद ७ , (२०५) अनन्तलीला (राग गुण्डकेदारो). " छन्द १६
: (२०६) जनगोपालके पद छन्द २६
(२०७) भेटके सवैये ६ ' (२०८) ध्रुवचरित्र (२० विश्राम)
(२०६) प्रह्लादचरित्र (१८ विश्राम) , , (२१०) मोहविवेक (१० विश्राम, "
१२८ चौपाई) (२११) भरथचरित्र (६ विश्राम) , (२१२) चौबीस गुरांकी लीला , । (२१३) दादूजीको जन्मलीला परची : ,
(१६ विश्राम) (२१४.) जखड़ी कायाप्राणसंवाद ,
(छन्द ८) (२१५) जनगोपालके पद ७ (२१६) जैमलके पद १४
जैमल
४५०-४५४ ४५४वा ४५४-४६० ४६०-४६५
४६५-४६६
४६६-४७१ ४७१-४७३ ४७३-४८५
४८५-४८६
४८६-४६७
४८७-४८८
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[ ५०
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान--विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची] . क्रमाङ्क ग्रन्थनाम..
... ... कर्ता
लिपिसमय
पत्र संख्या
विशेप विवरगा यादि
(३४) (२१७) अगाधबोध
' (२१८) गुणउत्पत्तिनामा
कबीर मियां वाजिद
। १७१५
४८८-४८६ ४८६-४६० | दोहे-चौपाईमें सरल ठेठ हिन्दीके पद्य हैं।
देखो-मिश्रबन्धविनोद पृष्ठ ५५५ तथा १०४६ । ४६०-४६१
४६१-४६२ | आदिमें-'साधन संगि सदा रहैं सुनो सयाने लोइ'
४६२-४६४
। (२१६) गुणघरियांनामा छन्द २६
(अन्तमें अरिल्ल) (२२०) गुणश्रीमुखनामा छन्द ३२
(अन्तमें अरिल्ल) (२२१) गुणधीमुखनामा छन्द ४६
(अन्त में परिल्ल) '. । (२२२) गुणहरिजननामा छन्द १६
(अन्तमें अरिल्ल) । (२२३) गुणनाममाला छन्द ६७
(अन्तमें साखी) (२२४) गुणगंजनामा छन्द ३३४ . .
आदिमें-'हरको हूवो फूलसो डारी सिरको पोट'
४६४-४६५
४६५-४६६
४९६-५०५ | दोहा, सोरठा, चौपाइयों आदिमें अत्यन्त उत्तम
साहित्यका अन्य है। विहारी प्रादिको भाषाको याद दिलाता है। प्रेमको पराकाष्ठाके भावोंसे भरपूर भाषाको सुपमा और माधुरीकी मूर्ति मियाँ वाजिदका हाल विनोदमें कुछ भी नहीं
लिखा है। ५०५-५०६ ५०६-५०७ बहुत मनोहर छन्द हैं। अरिल्ल भी हैं।'
(२२५) गुणनिर्मोहीनामा छन्द २५ । (२२६) गुणपैमनामा छन्द ३०
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान---विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] - - - - ग्रन्थनाम :
' कर्ता
लिपिसमय
पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
(३४)
(२२७) गुणप्रेमकहानी छन्द १८ मियां वाजिद (२२८) गुणविरहको अंग छन्द १७० । ।
१७१५५०७वां ५०७-५११ | प्रायः दोहा छन्द प्रयुक्त हुआ है। गुणगंज
नामाकी तरह है। ५११-५१२
(२२६) पदजखड़ी (राग गौड़ी मल्हार, ,
मारू आदि) . (२३०) गुणनिशानी छन्द १५ ,
(२३१) गुण छन्द १५ (२३२) गुणहितउपदेश छन्द २६३ (२३३) भूगोलपुराण ग्रन्थ
५१२-५१३ ५१३वा
बहुत रोचक कथा है। अन्तमें परिल्ल है।
(२३४) निरञ्जनपुराणग्रन्थ
: सुन्दरदास
। (२३५) ज्ञानसमुद्र (उल्लास ५)
(२३६) तर्कचिन्तावणी छन्द ५६ ' (२३७) विवेकचेतावनी छन्द ४० (२३८) गृहवैराग्यबोध (२३६) देहप्राणसंवाद जखड़ी पद ८ (२४०) सुन्दरदासजीको चेतावनी
हरिबोलचेतावनी
५२४-५२८ | गद्य तथा ५२४ पद्य हैं । कुछ बातें प्रमाणित
नहीं हैं। ५२८-५३१ | किसी ब्रह्मत्व-प्राप्त अथवा भंगड़का बनाया
प्रतीत होता है। कर्ताका नाम नहीं दिया
है । अन्तमें (गोरखग्रन्य) ऐसा लिखा है। ५३१-५४६ | इसमें संवत्का छन्द नहीं है । ५४६-५५१ ५५१-५५२ ५५२-५५४ ५५४-५५५ ५५५वौं ५५५-५५६
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- राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] . . . . .
[ ५२
-
कर्जा
ग्रन्थनाम .
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
कमाङ्क
१७१०५५६-५५७ / अन्तमें १ चतरदासका पद भी है।
५५७-५५८ १५५८-५५६
५५६-५६० ५६०वा ५६०-५६१
(३४) (२४१) सुन्दरदासजीके पद सुन्दरदास
(२४२) मेहाकी चेतावनी मेहादास लाहौरी । (२४३) हरिस्यङ्गजीको चेतावनी हरिस्यङ्ग
- पद्य ३६. .. (२४४) छीतमके पद १० पद छीतमदास (२४५) गुणगीत
दुरसा चारण . (२४६) स्फुट कवित्त पद्य १६ (१) लाल गजमलिक
(२) लालवास . (३) माधो (४) कान्ह (५) अलूची
(६) वाजिद । (७) माधोसाहि (८) कवि गद
(E) हरिस्यङ्ग (२४७) लीलापरशरामजीकी (चौपाई | परशराम ।
४६) शङ्कराचार्यजीके अशुद्ध | शङ्कराचार्य ..... 'पद्य ... (२८४) निर्वाणयोगपट महादेवजीको (२४६) रुण्डमालाग्रन्थ श्लोक १२० (२५०) शुकदेवजीको लीला मोहनदास
(अध्यात्मलीला) छन्द २५ ।
५६१-५६४
....
५६४वा ५६४-४६७ विकृत संस्कृत, योग्य-ग्रन्य है। ५६७-५६८
...
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[ ५३
-
-
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] क्रमाङ्क ग्रन्थमाला -
कर्ता
लिपिसमय | पसंख्या
विशेष विवरण आदि
१७१०५६८-५६६ विकृत संस्कृतका ग्रन्थ है।
५६६-५७० ५७०-५७५
(३४) (२५१) कर्मविपाकगीता | मोहनदास.
(२५२) भरथरीजीका श्लोक फुटकर (२५३) रज्जबजीका कवित्त रज्जव
छन्द ७७ : (२५४) मोहमदराजाको कथा जगन्नाथदास
(२५५) नामदेवजीकी परची अनन्तदास । (२५६) त्रिलोचनजीको परची
५७५-५७६ ५७६-५८० ५५०-५८१
रचना-१६४५
- नोट-यह गुटका संवत् १७१० प्रयया इससे पूर्वका लिखा हुआ प्रतीत होता है जैसा कि बीचमें सुन्दरदासजीके ग्रन्थ ज्ञानसमुद्रफी समाप्ति पर लिखा हुआ है। अन्तमें जो संवत् १७१५को प्रशस्ति लिखी गई है यह पृथक् स्याहीसे अन्य लेखकको लिखी हुई ज्ञात होती है । (सं०)
३५ गुटका
(१) चिकित्सासार, ६०१ छन्द .... (२) नरवैवोध और शब्दी
१८०८
६०
गङ्गाधर गोरखनाथ
१-१७
अपूर्ण । इसमें दोहा चौपाई प्रादि छन्द हैं । नरबोधमें ११६ छन्द तथा शब्दीमें १४८ छन्द हैं।
१७७४
12-२१
(३) हरिचन्दशत . (४) भक्तिभावती (५) ध्र वचरित्र
ध्यानदास गणेशानन्द जनगोपाल
२१-४४ ४४-५६
। रामानन्दीय-साम्प्रदायिक-साधुकृत ग्रन्थ । लि.क.-गङ्गाराम सवाईजयसिंहजीराज्ये, पुरोहितशुभरामकृते, सांगानेरमें लिखित ।
-
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची]
कर्ता
लिपिसमय
। पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
क्रमात
ग्रन्थनाम
१७७४२ स्फुट पत्र १०७१-१३५
लि.क.-पुरोहित रतनराम, सांगानेरमध्ये ।
केशवदास
(३५) (६) मन्त्र गूमड़ीको प्रादि
(७) रामचन्द्रिका ३६ / गुटका-.
| गीता (भाषानुवाद) ३७ / गुटका---
(१) गीता (भाषानुवाद)
हरिवल्लभ
१९०६
"
(२) स्तुति स्योमहाराजको ३८ गीता (भाषानुवाद)
३६ गीता (भाषानुवाद)
१८८८ १-१४८ .लि.क.-दाह्मण रामवल्लभ, भद्रावतीमध्ये
कवर करणसिंहकृते। भद्दे अक्षरों में लिखी है :
१४४-१५५ स्वरूपदास निरञ्जनी १८७२७१ ५ ०वा पत्र अप्राप्त । र.का.-सं० १७४२
दीपावली । लि.फ.-रामसुख मानदासशिष्य ।
प्रति जीर्ण है। जटाशङ्कर | १८०६ १७६ अपूर्ण है । ६ अध्यायोंका अनुवाद है।
नोट-इसमें श्लोक, फिर हिन्दी-पद्यानुवाव दिया है । टीका ललित और उत्तम है। सेवाराम संघी तुहाड़िया जयपुरनिवासीके लिये इस अनुवादको रचना हुई। जटाशङ्कर
डीडवानाका ब्राह्मण था । वह जयपुरमें
। रहता था। भगवानदास निरजनी
लि.क.-हीरादास हजारोदासशिष्य, नगर बोड़ा
वडमध्ये। | १६वीं.श. ३२ . अपूर्ण व अशुद्ध है।
४० / गीता (भाषानुवाद)
१२५
३२
- ४१ / (१) गीतामूल एवं भाषाटीका
। (२) कोकशास्त्र ..
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- राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची ]:.....
लिपिसमय | पत्रसंख्या
-
कर्ता
विशेष विवरण प्रादि .
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
४२ | शिखरवंशोत्पत्तिपीढ़ी वात्तिक
| गोपालदान कविया
४३ तुरसी-सखीपदावली (रामपदावली) | तुरसी
१६५६२६ . र.का.-सं. १९२६ । लि.क.-कन्हैयालाल
जोशी, सनातनधर्म विद्यालय, झूझनू। । २०वी.श. ३-३८. इस गुटके में उत्सवों और अवसरोंके भक्तिपूर्ण
पद हैं । बनड़े, गालियां, लीलावर्णन प्रादि हैं। १८१७ ७३-१३६ कृष्णकी लीलाओंके ध्यानका वर्णन है।
नोट-इस गुटकेमें श्रीपुरोहितजीको सूचीके अनुसार कृतियों नहीं मिलतीं। देख कर
अङ्कित की गई हैं। (सं.) . १४७-१५२ . .
४४ (१) ध्यानलीला प्रादि
नन्ददास
शंकराचार्य माधोदास
(२) सुदामाचरित्र (३) यमुनाद्वादशकस्तोत्र (४) जन्मकर्मलीला (५) जानरायलीला (६) सीतारामन्याहलो (अपूर्ण) (७) जुगलसतके स्फुट पत्र
(८) स्फुट कवित्त-राग प्रादि ४५ युक्तितरङ्गिणी
४६-५८ ५८-६४ १७१-१८६
अपूर्ण ।
४३-४६ १९०७३६
कुलगतिमिश्र
अन्तम "इतिश्रामित्र अन्तमें "इतिश्रीमिश्रकुलपत्तिमिश्र विरञ्चि. तायां युगतितरङ्गिणी समाप्तम्। लिखतं चत्रभुज प्रौलाद कुलपतिजीकी मिति प्रासाढ़ वद ८ दीतवार सम्मत १६०७ सा. संवत् १६०६।। ७०० दोहे। यह सतराई सम्भवतः बिहारीकी स्पर्धासे रचित हो परन्तु वे गुण तो नहीं हैं, तथापि बड़े उस्तादकी कलम है सो अनेक गुणसम्पन्न है।
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण- ग्रन्थ-संग्रह-सूची |
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
कर्त्ता
४६
( १ ) लखपत - जससिन्धुपिङ्गल
४८
(२) श्रनेकार्थनाममाला मञ्जरी
४७ प्रतापसिंह - सिंगारहजारा
१०११ छन्द
नेहतरङ्ग छन्द. ५३६
४६ | प्रतापवीरहजारा
५०
मदनविनोद
कुंवरेशकवि
नन्ददास
अनेक कवि
रावराजा बुधसिंह
अनेक कवि
कवि जान
लिपिसमय
१६७२
१८६६
१६८३
१८०२
पत्रसंख्या
| १६३
८२
विशेष विवरण आदि
| १६४-१९७ : कहीं-कहीं इसके स्थल अशुद्ध हैं ।
१२८
२०वीं. श. २७
१६००
[ ५६
र. का. - १८०७ । कहीं-कहीं पर त्रुटित है । ग्रन्थ कविराज कुलपतिमिश्र के वंशज श्यामलालजीकी सं. १८१६ की पुस्तकसे प्रतिलिपीकृत है ।
लि.क.- गोपीचन्द्रशर्मा । चैला गौरीशंकरजीको पुस्तक से नकल कराई ।
र.का. - सं. १७८४ । यह पुस्तक कविराजा मुरारीदानजी प्रयाचककी पुस्तकसे नकल कराई ।
यह पुस्तक पूर्ण नहीं मिली । (सं.)
३२ कवित्तको पुस्तक है । परन्तु इसमें पूर्व ११ कवित्त नहीं हैं । प्रति जीर्ण-शीर्ण एवं त्रुटित है । फतहपुर के नवाब कवि जान कृत नायिकाभेद और कोकका छन्दोबद्ध ग्रन्थ है । ( ढूंडलोदका पुस्तकालय 1 )
नोट - इसमें पांच सहेलियोंकी चारता और गुरुनामो, विष्णुपंजर, प्रजवनामो, गुणउत्पत्तिनामो आदि कृतियोंके भी स्फुट पत्र हैं । कुछ यन्त्र आदि भी लिखे हुए हैं । (सं.)
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ।.. क्रमाङ्क
- ग्रन्यनाम . .. :: कर्ता
| लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेप विवरण प्रादि
५१ / (१) सुन्दरशृंगार
| (२) हरिरामदासजीको वाणी
सुन्दरदास हरिरामदास
१९वीं१-४२
१-१६ १०-३३ ३४-१३६ १४-३६
. रामदास
(४) अनुभवप्रकाशउद्योत . । (५) युक्तितरंगिणी
(अपूर्ण) इस गुटके पर पुरोहितजीको सूचीमें , ७८० संख्या दी है और उसके
सामने 'फुटकर सवैया संग्रह अनेक कवियोंका' लिखा है परन्तु इसमें वह नहीं है। इसमें जो त्रुटित ग्रन्थ
मिले हैं वे यहां अंकित कर दिये ... . . गये हैं। (सं.) : ... र.का.-सन् १०४४ हिजारी। १६६१ विक्रमी सम्वत् । १८८६ की प्रतिसे प्रतिलिपीकृत। .. लि.क. जती पूरणचन्द. झूझनूंमध्ये । इस प्रतिका लिपिकार हजारीमल श्रीमाल है। यह अन्य ६ दिनमें रचा गया था । (सं.)
५२ | रत्नावती
कवि जान
१९५६
१६३
५३ गुटका
(१) दादूवाणी
दादू
१८वीं श. ४२
| अपूर्ण व जीर्ण प्रति है। प्रस्थल गोपालदासजीसे प्राप्त । ..
"
(२) ज्ञानसागर ५४ | फुटकर संग्रह
सुन्दरदास अनेक कवि
।
१९वी.श. स्फुट पत्र ५४ इसमें गरीवदासजीका अध्यात्मग्रन्थ भी है,
शेष स्फुट हैं। १६७६२० १९६१ को प्रतिसे प्रतिलिपीकृत ।
५५ / गूढासागर
मनोहरदास
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[ ५८
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची .. ... ... ... ...
कर्ता लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
क्रमा
ग्रन्थनाम
५६ / श्रीवाणीजी
श्रीवल्लभरसिक
- १९८८ ३८ सं. १९७६की प्रतिसे प्रतिलिपीकृत। .:: .":. लि.फ.-श्रीभगवान् शर्मा चतुर्मुख (चौम)
निवासी। 'मिश्रबन्धु विनोद' में दो वल्लभरसिक
... नाम दिये हैं (१) पृष्ठ ५०५ सं० ३८४ पर । ..... इनके द्वारा रचित ग्रन्थका नाम 'मांझ' लिखा
है। इनका जन्म १६८१ और रचनाकाल सं. . १७१० दिया है । दूसरे, वल्लभरसिकका
उल्लेख पृष्ठ ७५५ सं० ७८०पर है । ये : गदाधरभट्ट सम्प्रदायके थे। इनके ग्रन्थ (१)
स्फुट पदं (२) वाणी लिखे हैं। रचनाकाल • सं. १८०० विक्रमी । विवरणमें लिखा है कि | 'वाणी छत्रपुर में देखो।' यह नोट पुरोहितजी
द्वारा गुटके पर ही लिखा हुआ है। (सं.)
• लाल खारवेका पुराना गुटका १०४६ अंगुल . . . प्रमाण । ... ...
. ... ... १९वीं श. ६८ पूर्ण, प्रशुद्ध । ....... .: :... ६९-१२१ । गीताका अनुवाद प्रतीत होता है। इसके नव
अध्याय हैं । लि.फ.-कनीराम जोशी। ... १२२-१४७ यह कथा पपपुराणके अन्तर्गत है, जिसका
ढूंढाढी बोलीमें अनुवाद है। (सं०)
५७ / गुटका
(१) चित्रमुकुटको बात . (२) ज्ञानमाला (कृष्णार्जुनसंवाद) (३) दोतयारको कथा
- ५८ गुटका--
। (१) बलिवामनचरित्र
हृदयराम
| लि.क.-चौधरी प्राणनाथ प्रागपुरामध्ये ।
-
-
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची ]
.
[ ५६ .
..
का
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
कमा
ग्रन्थनाम
(५८) (२) राजा चन्दकी बात
लछमनत्राह्मण
१८३६२६
(३) खमणजीको व्यावलो
१८४२
सहसमल (कोटपूतली- निवासी) परमानन्ददास
(४) ध्रुवचरित्र ' (५) शनीचरजी की कथा
लि.क. पाना चौधरी, बगसगीरी हलद्यादिया] नन्दरामजीकी, खारवेके... गत्तेका गुटका १३४६ अंगुलकाः है। . . . अनेक राग-रागिनियों में रचित । अपूर्ण।
.: नोट-इस गुटकेमें अङ्कित ५ ग्रन्थों के अतिरिक्त पट्टी-पहाड़े, फुटकर दोहे आदि भी हैं । एक व्यायणजीको गजल भी है।
खुले पत्रे । लेखक (रचयिता ?)की लिखी। : चैनरामसे प्राप्त १३-१२-१९०४ ई०।।
लि.क.-ज्योतिषी कुजविहारीलाल, जयपुर। · अपूर्ण। गोपीचंदजीको मोल लीनी १) में । ता० ६-१२-३६ ।
५६ भवरगीत (भाषा)
जनमुकुन्द
६० दादजन्मलीलापरची
जनगोपाल ६१ बिहारी सतसई (अकारादि-प्रकरणवद्ध) विहारी
१९८३ ४८ १९वी.श..
६२ गुटका
(१) कविप्रिया
केशवदास
प्रानन्दराम
(२) गीताभापानुवाद . (३) पिङ्गल (अपूर्ण)
१८४२-४३७ अपूर्ण, चौथे प्रभावसे कुछ मांगे तक :
'(१५५वें पद्य तक)........... ६-३४ . केवल १५ अध्यायका अनुवाद । । ३५-४३ । इसके प्रागे १ मीरांका, पद, चरणदासका पद
तथा महाराजा मानसिंह, मिर्जा राजाजयसिंह, । महाराजकुमार जगतसिंहके प्रशस्तिपरक . , कवित्त भी हैं । अन्तके २ पत्रों में श्रीकृष्णदास | पयोहारी (गलतावाले)का स्तोत्र है जो . ..
अपूर्ण है । (सं.)
-
-
-
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - विद्याभूषण ग्रन्थ-संग्रह- सूची ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थनास
६३
६४
वैद्यकभाषा ( वैद्यविनोदभाषा )
विनयपत्रिका
६५ कृष्णस्तुतिके स्फुट पत्र गर्भचिन्तामणि
६६
६७
गुटका
(१) कंबोरको साखी (६० अंग )
(२) हरिवासजीकी साखी ७
अनन्तराम
कर्ता
तुलसीदास
रामचरणजी
फबीर
हरिवास
लिपिसमय
१८८७
पत्र संख्या
१६वीं
१८वीं
६२
१६१२ ८५
५
२५
विशेष विवरण आदि
[ ६०
जयपुर के महाराजा सवाई प्रतापसिंह की प्राज्ञासे रचित । लि.क.- सदासुख ब्राह्मण द्वारा श्रीगोपीनाथजीका मन्दिर (पुरानी बस्ती) के समीप जयपुर में लिखित । स्यात् देवली में कोटेके पुरोहितजीसे प्राप्त । देसी फागज पर पक्की स्याहीको लिखी ।
लि.क.- सांव जोशी, खीरीनिवासी । घरू संग्रहमें जीजीबाई, श्री मोतीबाईकी है। अंगूरी कागज पर लिखी ।
श्री पुरोहितजी कहा करते थे कि यह मोतीवाई बड़ी योगिनी थीं। वह उनकी ज्येष्ठा भगिनो थी। (सं.)
फटे पुराने पत्रोंमें १ से १०७ छन्द तक । देशी फागज पर छोटा-सा गुटका ।
अपूर्ण । फटा हुआ जीर्ण गुटका । १० अंगुल सांचो ( समचौरस ), गत्ता नहीं है। दर पत्र त्रुटित है जो प्राप्त नहीं हैं ।
८५
पत्रों पर संख्या अंकित नहीं है। पत्र इतने जीर्ण हैं कि छूते ही शीर्ण हो जाते है। अतः इस प्रति का विवरण पुरोहितजी की सूची के अनुसार ही लिख दिया गया है। (सं.)
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्ता
लिपिसमय
ग्रन्थनाम
पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
क्रमाङ्क
१८वीं
बखना
बूढण
(६७) (३) धन्नाकी साखी ७ .
धन्नाभक्त (४) पीपाजीकी साखी १० पीपा (५) परसजीकी साखी ७
परसराम (६) नानकजीकी साखी ७८ नानकजी (७) बखनाको साखी ४ (८) बूढणजीकी साखो ४ (S) सिरेबन्ध साखी १८ अनेक (१०) नवनिधिनाम (११) चौबीस सिद्धनाम | (१२) अष्टांगयोग ३२ लक्षण । (१३) षट्शास्त्राचार्यनाम
(१४) गोरखनाथजीकी शब्दी (१५) चर्पटनागार्जुनसंवाद ५८ छन्द चर्पट (१६) भरथरीनाथजीकी शब्दी३३ साखी (१७) गोपीचन्दकी साखी १२ (१८) जालन्धरोपावजी की शब्दी (१९) काफरबोध (अपूर्ण) गोरखनाथ
पत्र फटे और फटे हैं। १४६ तक संख्या है।
६ तक हैं। प्रागेके पत्र नहीं हैं। अंत में "श्री गोरखनाथ महमद पादशाहसंवावे . काफरबोध सम्पूर्ण।"
(२०) अकलि-सिलूक (२१) गणेश-गोरखसवाद
अजीब भाषा व वर्णन है । जोगशास्त्र सम्पूर्ण है। .
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
[ ६२
कर्ता
लिपिसमय | पनसंख्या
विशेप विवरण प्रादि
क्रमाङ्क
ग्रन्थमाला
-
१८वीं श.
(६७) (२२) महादेव-गोरखसंवाद
(२३) दत्त-गोरखसंवादग्रन्थ
५१ छन्द हैं। अन्तमें ग्रन्थका नाम 'ज्ञान दोपवोध' लिखा है। भाषा अशुद्ध है। भाषा वार्तिक । १०५ छन्दोंमें पूर्ण ग्रन्थ । अपूर्ण । . .
.
| पृथीनाथ जनगोपाल
। (२४) ब्रह्मस्तोत्रश्लोक
(२५) ब्रह्मजिज्ञासा-योगग्रन्थ (२६) साधपरख्या : । (२७) ध्रुवचरित्र । (२८) प्रह्लादचरित्र ..
(२६) भरतचरित्र (३०) चौबीसगुरुलीला
(३१) मोहविवेकग्रन्थ ..६८ गुटका.-..
(१) विचारमाला (२) अनुभवउल्लास (३) नेहाजीको चेतावनी
अपूर्ण और फटे टूटे पत्र हैं।
अनाथदास
१८४६
१-१० ११-१५ १५-१८
टित व पञ्चमविश्रामके पन्ने भी गायब हैं, बोचके पन्ने भी गायव है। ८४६ अंगुल । गत्ता फटा हुआ हरे लाल पार्चेका। नेहा कोई मुसलमान फकीर थे। फारसी शब्दों और मुसलमानी मतको बातोंकी बहुतायत इसका प्रमाण है। साधारण रचना। दादूपन्यो भक्तोंकी महिमा। कुण्डलियां अच्छी बनी हैं।
। खेमदास .
(४) भगतपचीसी २७ फवित्त ... (५) मुल्लापण्डितको संवाद
. १५ कुण्डलियां
१८-२४ २४-२६
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्त्ता
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
(६८)
(६) दादूजीकी साखी (२४७१ साखी, दादूदयाल
अङ्ग १३२)
(७) दादूवाणी पद
(८) ज्ञानसमुद्र
(६) बालकरामजीका कवित्त
छप्पय ५२
(१०) रज्जबजीका कवित्त एवं वाणी
(११) भीखजनकी बावनी ५४ छप्पय (१२) गुरुदयाषट्पदी - श्रष्टक छन्द ६ (१३) भरमविधं सण श्रष्टक छंद (१४) गुरुकृपा अष्टक - छंद (१५) गुरुउपदेश - ज्ञानाष्टक (१६) गुरुदेवमहिमा स्तोत्र (१७) रामजी - श्रष्टक
(१८) नामाष्टक.. (१६) आत्मा - अचल अष्टक ( २० ) पञ्जाबी - अष्टक -
(२१) ब्रह्मस्तोत्र श्रष्टक
(२२) पीरमुरीद - अष्टक
(२३) प्रजनख्याल - श्रष्टक
दादू
सुन्दरदास
बालकराम
रज्जब
भीखजन
सुन्दरदास
"1
"
58.
लिपिसमय
१८४६
"
79
"
"1
"}
""
31
71
23
19
33
19
13
विशेष विवरण प्रादि
अंगबंद्ध है; कुछ पंडिताईका अडंगा वृथा
किया है ।
२००-३६६
रागों व पदोंकी सर्वसंख्या नहीं दी है ।
| ३६९ - ४०६ | तृतीय उल्लास में पद्य ५६ से ८८ तक प्राप्त
हैं; पत्र फटे हुए हैं। (सं.)
'पत्रसख्या
१-२००
४०६-४१८
४१८-४३७
[" ६३
४३७-४४६
१४४६-४५०
४५०-४५१
४५१-४५४
४५४-४५६
४५६-४५७
४५७-४५८
४५८-४५६
४५६-४६१
४६१-४६२
४६२-४६३
| ४६३-४६४ |४६४–४६६
इसके भी पत्र फटे हुए हैं । ८४ छन्दके श्रागे
६१वां छन्द है । (सं० )
र.का. - १६८३ ।
यह स्तोत्र भुजङ्गप्रयात छन्दों में है । (सं.)
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची] .
.
विशेप विवरण आदि
लिपिसमय । पत्रसंख्या
कर्ता
. ग्रन्थनाम
क्रमात
(६८) | (२४) ज्ञानझूलना-अष्टक
(२५) रेखता १५ (२६) चिन्तावणी (२७) भतृहरिशतवैराग्यछन्दटोका .:: (पद्यानुवाद) (२८) धनमद-खण्उन (२६) कवित्तसंग्रह फवित्त २६
सुन्दरदास खैमदास हरिसिंघ भगवानदास निरञ्जनी
१८४६४६६-४६८
४६८-४७२ ४७२-४७५ ४७५-४८७
पूर्ण ।
४८७-४६६ | यह भी भर्तृहरिके पद्योंका ही अनुवाद है। ४६६-५०५
दादू राघो गोपाल बालकराम रघुवा आदि खेमदास
(३०) कवित्तसंग्रह पुनः .
.
५०५-५३५ / राग मारूके ऊपर तक बराबर फवित्त शान्त
रसके है।
राघो
फबीर जहानशाह अकबर सुखराम जैमल आदि |
अन्तमें जैमलकृत रामरक्षास्तोत्र भी है।
(३१) नवरत्न-कवित्त १० छप्पय (३२) शान्तरसके फवित्त
५३५-५३० ५३८-५४२
.
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- राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची
.
कर्ता
लिपिसमय | पत्रसंख्या
विशेष विवरण.यादि
ग्रन्थनाम
. क्रमाङ्क
१८४६
लालजन । जगन्नाथ
५४२वां ५४२वां
५४३वां
(६८.) । (३३) दादूवाणीकल्पतरु छप्पय १.
(३४) भागवतकल्पतरु छप्पय १ (३५) नर-बत्तीसलक्षण
(३६) सुन्दरदासजीकी साखी । । (३७) उपदेश दिढाव-साधलक्षण
(३८) दादूजीका कडखा पद्य ४७
सुन्दरदास महानन्द सन्तदास गलताणी
५४३-५४५ . . . ।।।। ५४५-५४७ : प्रायः वनिका है। .. .... ५४७-५५० । नोट-यह पवाडाप्रणाली पर लिखी हुई
दादजीकी प्रशस्ति है। प्रारम्भमें-- कहूँ पवाडा प्रेमसों, काशीनगर मझार ।' (सं.) ..
५५२-५५४ ५५४-५६२ :
(३६) नसीहतनामा पद्य २० हरिदास (४०) भक्तविरदावली १७ पद्य .(४१) जगजीवनदासजीको साखी-: जगजीवनदास
१०७ (४२) दृष्टान्तसाखी १२० राघोदास । (४३) परसरामजीका पद
परसराम (४४) नानकजीका पद
नानक
५६२-५६६ ५६६-५७० . ५७०वां । अन्तमें-दादूद्वारे स्वामी श्रीनिरभरामजीकी
— हरि लिखी बावाजी हरिदासजीका सिख
बाबाजी केवलदासजी का सिष्य याबाजी गङ्गा। रामजी का सिष्य बाबाजी सन्तोपदासजी
तिनका सिष्य रामधन खानेजात चौपना लिखा। ८३ । साधारण रचना । लि.क.-विजयलाल शर्मा
मुलाजिम पोथीखाना, जयपुर। यह बहुत हलकी साधारण रचना है। .
___६६
अर्जुनवाणी
| अर्जुनदास
। २०वीं
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची]
कर्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण ग्रादि
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
७० | गुटका
१८७८
५८६
दादूवाणी
दाद
छोटा गुटका लाल छोट बादामको यूंटीका;
४ अंगुल चौड़ा और पाठ अंगुल लम्बा है। . लि. क.-चीनतीदारा जमात-नागा, तैनात - चौकी वालायात गढ रणतभंवर।
अनगढ़ अक्षरों में लिखी हुई, जिसमें नित्यक्रिया प्रानिका वर्णन है। पूर्वका पाना नहीं है। सांती११४७॥ अंगल । फटा हुधा छोटासा तुटका अपरा। मांची६४४|| अंगुल । अंगरी कागजका गत्ता।
७१ | कवीरपंथीप्रक्रिया (अपूर्ण)
२०वीं
२०
७२ | गोतामाहात्म्य .
११-१८
रामचरण
१६५१
६८
७३ / गटका(१) रामचरणजीके पद व भजन
१२३ पद (२) सूरतरामजीके पद (३) मोरांका पद १
गुटका सफेद लटका; सांतो ६x६ गुल है, गोतमदासजीता दिया गया।
सूरतराम : मीरा
७च्या
"साधारो संग नियाले राग, भागोजी गोरत गोजी राज"।
रामचरण
७६-८२ ८२-८६
(४) पण्डितसंवादग्रन्य २६ पद्य
(५) नागानन्य ३७ छन्द । (६) साधुलक्षणवर्णनम् (लच्छि
अलच्छिनोग) ३३ छन्द (७) लेलीनजीका पद व रेणता
लेलीन
८६६३३ पाटको पोल पर एक मोठा है जो
संभवतः नकोदर है। यह मूल प्रतिके शादका लिया या प्रतीत होता है। ....
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[.६७
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची. ]
विशेष विवरण आदि
लिपिसमय पत्रसंख्या
. . . . . ग्रन्थनाम
.:. कर्ता
क्रमाङ्क
(७३), (८) नरसीजीके पद व अन्य पदसंग्रह
१६५१
६३-१२७
नरसी तुलसीदास शाह हुसेन अनन्तानंदकवि मीर बालसखि रणछोड़ घाटमदास रूपदास वखना . दाद जगदीश जगजीवन नागरीदास वसन्त वखतावर रसिकसनेही रामवल्लभ भारतीगंग गंगादास
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
क्रमाङ्क
(७३)
(5)
पद
":
"
15
"1
"
"
"
,
"
"1
ग्रन्थनाम
11
(६) गुरुमहिमा २४ छन्द (१०) नामप्रताप ७२ द (११) चिन्तावणीग्रन्थ १२७ छंद (१२) शब्दप्रकाशग्रन्थ २८ छन्द (१३) मनखंडनग्रन्थ ३० छन् (१४) चिन्तावणवोधग्रन्थ २८ छन्
(१५) कक्कावत्तोसी ३३ छन्द (१६) कफात्तीसी ३४ छन् (१७) पवसंग्रह
सूरदास
व्रजजन
विशनदास
सहजदास फाजीमहम्मद
सूरश्याम
भागीरथ
हरिदास
परमानन्द
जनतुलसी
वाजिद
गरीबदास
रामचरण
"
"1
कर्त्ता
"
सूरतराम
15
लेलीनराम
गोठड़ी
लिपिसमय
१६५२
55
75
27
""
"
"
"
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"1
""
#1
17
"1
"
12
13
:
31
पत्रसंख्या
| १२७-१३०
१३०-१३६
१३६-१५२
१५२-१५६
१५७-१६०
१६०-१६४
१६४-१६७
१६७-१७१
१७२-१७७
उत्तम है।
विशेष विवरण आदि
[ ६८
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ।...
[ ६६ .
कर्ता
लिपिसमय | पनसंख्या
विशेष विवरण आदि .
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
(७३) / (१७) पदसंग्रह
१७१-१७७
नरसी मुक्तानन्द वखतावर मीरा सूरदास सूरतराम
"
१७७-१८५ / लि.क.-जगदीशराम, हाथरसमध्ये।
(१८) नामबत्तीसी ३२ छन्द ७४ | गुटका
| (१) दादूवाणी (पूर्ण)
दादूजी
१८वी.श. १-१७६ बड़ा गुटका । फुलेरेसे चिरञ्जीव रामगोपालजीने
भेजा था, ता० ७-४-२७को तांभरसे साधु
| माधोदासजी। १७१-२०७
२०७-२७६
२७७वां
(२) कवीरजीकी साखी (४३ अंग) कबीर
८१६ साखी (३) कबीरजीका पद ४४२ (४) सकलगहगहा (राग सूहा) (५) बावनी (६) सतपदीरमैणी ७ छन्द (७) अष्टपदी बड़ी ८ छन्द (८) दुपदीरमैणी २ बड़े छन्द (९) अष्टपदोलंगडीरमैणी ८ छंद (१०) बारहपदी १२ छन्द (११) चौपदीरमैणी ४ पद
२७७-२७६ २७६-२८० २८०-२५३ २८३-२८५ २८५-२८७ २८७-२८८ २८८-२८९
अन्त में-'दादू कवीर नामदेजी'।
MAN
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________________
.. राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-- विद्याभूपण-गन्य-संग्रह-सूची]
विशेष विवरण आदि
कर्ता
लिपिसमय । पत्रसंख्या
कमाङ्क
ग्रन्थनाम
(७४) । (१२) नामदेवजीके पद १५८ पद नामदेवजी
(१३) रैदासजीके पद ८४ पद । रैदास (१४) रैदासजीकी साखी ४ साखी (१५) हरिदासजीके पद १०१ पद हरिदास निरंजनी (१६) हरिदासजीको साखी ४ हरिदास (१७) बड़ा पद (राग मारू ३० अंतरे)। (१८) बारहपदी १२ छाद । (१६) दसपदीरमैणी १० पद (२०) जपुजी ३८ छन्द
नानक (२१) नानकजीके पद ४ (२२) अलाहणीया ग्रन्थ (२३) चखनाजीका पद
बरखना (२४) कान्हाजीका पद २७ कान्हा (२५) कान्हाजीको साखी ६ वड़ छन्द , (२६) अनप्रबोध १४० घन्द गरीवदास (दादूमुत)
१५वीं श.२६०-३१२
३१२-३२६ ३२७वां ३२७-३४३ ३४४वां ३४४--३४५ ३४५-३४६ ३४६-३४७ ३४८-३५२ ३५३वांराग महलू ३५३-३५५ राग याहंग ।
"
३५५/
३६१-३६८ अन्तरोंग गायका नाम पहात्मयोप
लिया है। १३६:-३७०
(२७) गरीबदासके पद, १० पद
५ राग (२८) गरीबदासको साखी ४८ अन्य
पारीदास बाबा पद२ । बनवारीदासबाया २ राग
.३७२वा
-
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- राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] क्रमाङ्क ' ग्रन्थमाला
.. कर्ता
लिपिसमय पनसंख्या
विशेष विवरण प्रादि
। १८वों.श.३७२-३७३
(७४) । (३०) रामानन्दजीका पद (३ पद, रामानन्द
२ रांग) (३१) सुखानन्दजीका पद (१ पद, सुखानन्द
३७३वा
३७३-३७४
३७४वा
(३२) आसानन्दजीका पद १ प्रासानन्द (३३) कृष्णानन्दका पद, ४ पद, कृष्णानन्द
३ राग (३४) धनाजीका पद (२ राग, २ पद) धन्ना (३५) सेनजीका पद १ सेनजी (३६) पीपाजीका पद १७ व राग ७ पीपाजी (३७) पीपाजीकी साँखी १० (३८) सोझाका पद ७
सोझा (३६) परसजीको पद ७
परसजी (४०) परसजीकी साखी ३ (४१) सदनाजीका पद २
सदना (४२) कमालजीका पद १ (४३) ज्ञानतिलोकका पद १ ज्ञानतिलोक (४४) छीतमजीको जखड़ी ४ पद छीतम (४५) बहम्बलजीको जखड़ी ३ पद | बहम्बल (४६) रहोबाजीको विणजारो रहोवाजी (४७) काजीकांदनकी साखी- कादन
छन्द १२२
३७४-३७७ : ३७७वा ३७७-३७६ ३७९-३८० ३८०वा
कमाल
:
३८०-३८२ रान मारू बड़े अंतरेकी, रचना अच्छी है। ३८२-३८३ . . ३८३-३८४ : राग जंगली गौड़ी। ३८४-३८८ । सिन्धी बोलीमें ।
Page #92
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________________
... . . [ ७२
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
ग्रन्थनाम क्रमाङ्क
कर्ता
लिपिरामय । पनसंख्या
विगंग विवरण प्रादि
१५यी.श. ३८८-३९२
३६२-२६५
३६६-३६७ ३६७-३९८ ३६८-३६६
गुजराती भाला।
४००यां
मारवाड़ी भागा।
(७४) | (४८) शेख फरीदको साखी; (साखी फरीद शेख
७१, १ पद) (४६) काजी महमूदजीका पद व साखी महमूदजी
२४ पद, साखी ३ (५०) शेख मावदीका पूद ३
मावदोजी (५१) त्रिलोचनजीका पद ३
त्रिलोचन (५२) सोमजीका पद ५
सोमजी (५३) वैष्णव महिमा. साखी
चतुर्भुज (५४) नरसी मेहताका पद ३ नरसी (५५) भीमजीका पद १
भीमजी (५६) वछनागरजीका पद २ वछनागर (५७) वोसाजीका पद १ . वीसाजी (५८) मधीन्द्रजीका पद १
मन्छीन्द्र (५६) फीताजीका पद १ बड़ा (६०) वेणीदासजीका पद ६
वेणीदास (६१) शिवश्रमजीका पद ३ शिवश्रम (६२) चीझलजीका पद १ ।
वॉकल (६३) गोविन्यदासजीका पद १
गोविन्ददास (६४) नरसिंहदासजीका पद १ नरसिंहनास (६५) मुकुन्दभारतीफा पद.२ (६६) रान्तदासजीफा पद १ सन्तवास J (६७) विवादासका पद १
: "
गुजराती भागा।
४००-४०१ ४०१-१०३ पोगराय; उत्तम । ४७३-४०५ गती मा योगरहस्य है। ४०४को बोग रहा। ४०४-४०५ ॥ ४०५ उमिता फकीरी जगून है ।
गन्दभारती
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- राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची
...
ग्रन्यनाम'
- कर्ता
विशेष विवरण प्रादि
लिपिसमयमांच्या
-namara
...
-
-
--
१ची.श.४०६या
उत्तमपद है।
नेतजी सारीजी बाल्मीकिजी नायकजी
अगदजी
४०६-४०७
1४०७
(७४) । (६८) नेतजीका पद ३
(६६) सारोजीका पद १ (७०) वाल्मीकिजीका पद ? (७१) नायकजीका पद १ . (७२) अङ्गदजीका पद ४ (७३) भुवनजोका पद ३ (७४) सीहाजीका पद २ (७५) श्रीरङ्गजीका पद १ (७६) दीपजीका पद २ (७७) घाटमदासजीका पद १ (७८) चन्दनदासका पद १ (७६) गोइन्ददासका पद १ (८०) रङ्गीजीका पद २
४०७..४०८ ४०मयां
:
| भुवनजी सोहाजी श्रीरङ्गाजी दीपजी घाटमदास चन्दवास गोइन्ददास रोजी
४.६-४०६
४०६ का पद प्रारा है। दूसरीके टेर भी पूरे नहीं हैं।
४०६वा
व्यास कोलजी नापाजी
(८१) व्यासजीका पद १ (८२) कोलजीका पद २, साखो २ (८३) नापाजीको पद २१ (८४) परमानन्दजीके पद २१ (८५) सूरजी के पद १६ (६६) जोगेश्वरी शब्दी १५५ (८७) गोरखनाथजीके पद ४३
परमानन्द सूरदास गोरखनाथ
४०६-४१२ ४१२-४१५ ४१५-४१७ ४१७-४२४ ४२४-४३३
-
-
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची]
....... ..
[७४
क्रमाङ्ग
ग्रन्थनाम
.... फर्ता
लिपिसमय पसंख्या
विशेष विवरण प्रादि
an
गोरखनाथ
(७४) (८८) सप्तवारग्रन्थ
(८६) पन्द्रह तिथिगन्य .(६०) प्राणसंकुलीग्रन्य (६१) शिक्षादर्पणयोग (वचनिका) (६२) अभमानाग्रंथ (६३) नरव (निर्भय) बोध (वचनिका) (६४) मछीन् गोरखयोधसंवाद
१८वी.श. ४३३वा
४३३-४३४ ४३४-४३५ ४३५-४३६
४३६-४३७ ४३७-४५३
. ... . छन्द १२३
.
४५३-४५४ ४५४-४५५ ४५५-४५७
४५७-४५८ मामशाह गोरमसंवाद ।
(९५) प्रात्मबोधनन्य . (६६), रोमावलीग्रन्थ | (६७) ज्ञानचौतीसा (छन्द ३४ गद्यमि
.. - श्रित). : (EE) काफिरयोधनाथ (६६) अकलिसिलूक (१००) गोरखगणेशगोष्ठी छन्द ३० (१०१) ब्रह्मस्तोत्र-निरञ्जन-अष्टाङ्ग शङ्कराचार्य
(६ श्लोक) (१०२) साधपरिण्याजोग साखी २५ । प्रवीनाथ
(१०३) चपंटजीको साली ६६ पंदजी 1. (१०४) भरथरीजीकी शब्दो ३२ छन्द भरथरी
४५८--४६१ ४६ . प्रगत संस्कृत में लिया है ।
४६२-४६५ ४६५-४६६
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान -- विद्याभूषण प्रन्य-संग्रह-सूची ]
क्रमाङ्क
कत्ता
ग्रन्थनाम
( ७४ ) | ( १०५) सप्तसंख
(१०६) गोपीचन्दको शब्दी १८ छन्द (१०७) जलन्धरोपावकी शब्दी ११ छन्द
(१०८) हालीपावकी शब्दी साखी ७ (१०६) हालोपत्वका पद १ (११०) मोंडमडकीपावकी शब्दी ७ ( १११) कणेरीपावकी शब्दी ७
(११२) सत्तीकणेरीका पद १ ( ११३) जतीहणनांतकी शब्दी ८
( ११४) जतीहणवन्तका पद ३
( ११५) नागार्जनकी शब्दी ३
( ११६) बालनायकी शब्दी १२
( ११७) चोरङ्गनाथकी शब्दी ४
( ११८) चुणकनाथको शब्दी ४
( ११६) सिद्ध गरीबनाथको शब्दी ३
(१२०) सिद्ध ह्रतालीकी शब्दी ६ ( १२१) सिद्ध घोडाचोलोकी शब्दो १६
(१२२) श्रजैपालको शब्दी
( १२३) दन्तजीकी शब्दी १६
भरथरी
ܕ
जलन्धरीपाव
हालोपाव
37
मोडकीपाव
कणेरीपाव
सतोकणेरी
हणवन्तजती
"
नागार्जुन
बालनाथ
चौरङ्गनाय
चुणकनाथ
गरीवनाथ
हरताली
घोडाचोलो
श्रजपाल
दत्त
लिपिसमय पत्रसंख्या
१८वींश. ४६६-४६७
४६७यां
४६८-४६६
"1
""
""
"1
97
४६६वां
"}
17
४६६-४७०
४७०वां
"
४७०-४७१ ४७१वां
11
11
१४७१-४७२
xugat
""
४७२–४७३ ४७३वां | ४७३-४७४
दो राग ।
विशेष विवरण यादि
[ ७५
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. राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
. ग्रन्थनाम
क्रमाङ्क
(७४) (२२४) देवलनाथजीकी शब्दी : ४
(१२५) धूंधलीमलकी शब्दी १६
(१२६) गोरखनाथजीकी षट्पदीछन्द ६
( १२७) जडभरतचरित्र छन्द ७८ (१२८) दादुजनमप्रजन्तलीला (वापरची ) छन्द ४२५
(१२६) कायाप्राणसंवाद छन्द ८ बड़े
( १३० ) प्रह्लादचरित्र छन्द १६१
( १३१) ध्रुवचरित्र छन्द २२३
(१३२) दत्तजीको २४ गुरुलीलाछन्द ५५
(१३३) मोहविवेकसंवाद छन्द-१२६ (१३४) मोहमदं राजाकी कथा
. (छन्द १०८) (१३५) बारहमास्या
( १३६) जनगोपाल के पद १७
( १३७) जनगोपालके या १० (२३८) जनगोपालकी साख ४ ( १३६) चैनजीका पद १५
देवलनाय धूधलीमल
गोरखनाथ
जनगोपाल
"
"
कर्ता
जगन्नाथ (दानुशिष्य )
जनगोपाल
"
"
"
तेनजी
!
लिपिसमय पत्रसंख्या
१८.श. ४७४
::
==
:::::
४७४-४७५
४७५व
१४७५-४७८ १४७८-४६७
१४६७-४६८
४६८-५०५
५०५-५१४
५१४-५१६
५१६-५२१ ५२१-५२३
५२६-५२८
५२८-५३१
१५३१-५३२
५३२-२३३
१५३३-५३६
विशेष विवरण यादि
इसके प्रादिमें 'चौरासी पहला श्रोधा मारचा
ता समंको कथा" लिया है।
बारह रुका गुरु
[ ७६
उत्तम है।
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूती ] ...
..
॥ ७७
.
..
..' ग्रन्थनाम
' कर्ता
।
लिपिसमय
क्रमाङ्
पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
१८वीं.श.५३६-५३७
५३७-५३८ दादूजीकी स्तुतिके हैं। ५३८वां ५३८-५४१ ५४१-५४२ सब ६ प्रारती हैं।
(७४) । (१४०) चैनजीकी साखी २० चैनजी
(१४१) चैनजीके सवैया १४ (१.४२.) चैनजीका कड़खा १० छन्द (१४३) टोलाजीका पद २४ । टोलाजी (१४४) आरती संग्रह (सिन्धी) अनेक कवि
(१) दूजण (२) वखना (३) जगजीवन
(४) नरवद (१४५) बखनाके पद ४१.
वखना (१४६) बखनाजीकी साखी १६ (१४७) साधुजीका पद २ साधुजी (१४८) पूरणजीका पद १ पुरणजी (१४६) दूजरणजीका पद ६ (१५०) दूजणजीकी साखी ८ (१५१) जगजीवनजीका पद ४ जगजीवन (१५२) जगजीवनजीको साखी १०० (१५३) जैमलजीकी साखी २४२ । जमल (१५४) जैमलजीका पद ४ (१५५) रज्जबजीका पद ३, साखी ३ / रज्जव (१५६) रज्जबजीके सवैया ५४ ,
५४२-५५१ ५५१-५५२ ५५२वां
"
दूजणजी दूजगजी
५५२-५५३ / उत्तम हैं । 'गुरु दादूसिंह पाया पाया रे।' ५५३वां ५५३-५५४ ५५४-५५७ | विरहका अङ्ग है। ५५७-५६६ / कई अंग हैं। ५६६वां ५६७वां ५६७-५७२ | दादूजीके जीवन-चरित्रसे सम्बद्ध अच्छे संवैया
हैं। रज्जब वाणीमें भी देखो।
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गान प्रात्यविधाप्रतिष्ठान-विद्याभूपण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची )
[ ७८
ग्रन्थमाला
कर्ता
विशेष विवरण आदि
लिपिसमय | पनसंख्या
१८वी.श. ५७२-५७४
५७४वां
(७४) । (१५७) रज्जनजीके पद तगा सवैगे । रज्जब
(१५८) रज्जवजीको साती (१५६) रज्जवजी के सवैया ((१६०) जयजीका कवित्त छप्पय (१६१) ब्रह्मलीलाग्रन्थ ४३ छन्द । मोहनवास (१६२) मोहनजी के सर्वया ४ (१६३) मोहनजीके पद ५ (१६४) घडसीजीका पद १ . घउसीजी (१६५) भगतमाला ७२ छन्द
परसराम? (१६६) रज्जबजीको साखी २
रज्जन (१६७) विष्णुको चौबीससिद्धि २७ छन्द (१६८) गुरुउपदेशज्ञानप्रष्टफ ८ छन्द सुन्दरदास (१६९) गुरुदेवमहिमास्तोत्रअष्टाफ
५७४-५७५ ५७५-५७७ ५७७-५७८ ५७८वां ५७८-५७६ ५७६-५८२ | बड़े कामको पातु है। ५५२वां ५८२-५८३ ५८३-५८४
५८४वां
(१७०) सुन्दरदासजीका पद १ (१७१) वखनाजीका पर १
५८४,५८६ ५८४,५८५,
बखनाजी
माधोदासजी
५८५वां
(१७२) माधोदासजीको साखी १ (१७३) कबीरजोका पद १ (१७४) नानकजीका पद ४
कबीरजी
नानकजी
५८५-५८६
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-प्रन्थ-संग्रह-सूची]..
... . . . [ ७६ विशेष विवरण आदि.. ..
.. .
-
कर्ता
लिपिसमय
पयसंख्या
:: :: :
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
:
१८वीं.श. ५८६यां
गुरुमहिमा।
(७४) (१७५) बखनाजीका पद १
(१७६) सुन्दरदासजीका पद'
बखनाजी सुन्दरदास
५८६ पर गुरुकी महिमा है भागे पाने नहीं हैं। . जाना जाता है कि फटी पुस्तककी ही जिल्द | बंधाई गई है। पीछेके पान खो गये सो तो . ! कहां से मिलते ?... ........... पुराने पत्रोंकी छोटी पोथी है।
१९वीं श.
१-३
.
ल, कानडदास
|३-४
७५ (१) शिव-यशोदासंवाद छन्द ४ . (२) कृष्णकी बारामासी और एक
.ध्रवपद (छन्द. १२ और एक .... .. ध्रपद). ... . . . . . (१) दादूवाणी साखी (अपूर्ण) अंग ३७, दादूजी ... साखी २५०१ . .. (२) दादू पदः .. .. . .
१८वी.श.
प्रथम भागके पाने में ही है। दादूवाणीके साखी भागमें परचाके अङ्ग ४के १८८ तकको साखी नहीं है, इतनी रह गयी हैं। प्रागे पदभाग सम्पूर्ण है। परन्तु सारा ही गट का जीर्णशीर्ण व दीमक खायां हुमा है। और यह गुटका जोबनेर भाटखेड़ी वाले बाईजी नवनिधि कुमारी से प्राप्त हुआ। प्रायः शद्ध लिखी है। पीछेके पत्रोंको दीमक खा गई है। लहुडी ६ पदी रमणो तक।
१-८०
(३) कबीरजीकी साखी अंङ्ग ४३ व | कबीरजी . साखी ८२७ (४) कबीरजीका पद .. ...........
८०-२१८
.
"
.
--
-
--
-
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[८०
समान मागविधाप्रतिष्ठान---विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची ]
विशेप विवरण आदि
लिपिसमय । पत्रसंख्या -
का
ग्रन्यनाम
१८वी.श.
राग धनाश्रीमें प्रारती तक ।
(७६) (५) नागवेवजी का पद राग १७, पदनामदेवजी
१४८ . १६) नामवेयजीको साखी १० साली
करीब प्राधे पत्रे तक ऊपर-ऊपरके दीमक खाये हुए हैं, पृष्ठांकोंका पता ही नहीं चलता है। ऊपर नीचे दीमक खाए पत्ते हैं।
'इति श्री' की दो लीक होंगलुकी बच रही है।
(७) रवासजीका पद
रदास राग १२, पद ८३ (5) रदासजीको साखी ४ (६) हरिदासजीका पद
स निरज्जनी .. राग १०. पद १०० : . . . ..... . (१०) हरिदासजीको साखी ४
(११). हरिदासजीको रमणी १० , . (१२) योगेश्वरीशब्दी चौपाई. १५१ गोरखनाथजी (१३) चैनजीका कडखा (रागमें १०) चैनजी
(१४) केवलजीका कउखा १. .
केवलजी
यह दादूदयालजीकी स्तुति और ज्ञान-दानके । हैं। इनमें वीररस, शान्तरसमें अध्यात्म भरा
पड़ा है। ये फडखे गाये जाते हैं। यहां तक ही पत्र हैं। प्रागे पत्र ही नहीं हैं। इस. फडसेमें-'केट सहितकी, प्रागे गुरूज . गोला फहैं. सूर सन्मूख रह गये दंग है: ।' । इतना ही लिखा है.। . : ... . ..:
.
: बारहमासीसंग्रह गुटका। (१) बारहमासी खैरातीसाह(छन्द १३) रातीसाह
१६वीं श.
१-२०
प्रायः कविता साधारण परन्तु प्राशय रहस्य! मय । प्रशुद्ध मेरठी शब्दोंके प्रयोगके कारण : । मेरठनिवासी प्रतीत होता है। गुटका १०४७ ... अंगुल, ऊपर लाल खारवेका रेजीका गत्ता। ..
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्ता
ग्रन्थनाम
क्रमाङ्क
विशेष विवरण प्रादि ..
| लिपिसमय पत्रसंख्या
(७७) । (२) बारहमासी १२ छन्द
। मुरलीदास
१९वीं श. २०-२६
.
(३) बारहमासी १२ छन्द : अज्ञातकत्तू । (४) बारहमासी १३ कवित्त काशीराम
(५) बारहमासी १२ कड़खा छन्द मगनजी (६) बारहमासी १२ दोहे तथा १२ रघुकवि.
झूलणा छन्द
२६-२८ २८-३५ ३५-४२ ४२-५०
। प्रत्येक छन्दके. अन्तमें 'या ते भनत मुरलीदास बलि जाऊँ'. यह अन्तरा हींगलूसे लिखा हुआ है और मीलानका टुकड़ा पाता है। ... आषाढ़ माससे जेठ तकका वर्णन है। .. .. .. कवित्तोंमें कविता अच्छी है। .. ....
गोपी-प्रेम, कृष्ण-मिलनका वर्णन है। | पत्नी द्वारा चतुराईसे पतिको बारह मास तक बिलमा कर विदेश गमनसे रोक रखनेका वर्णन है।
.
(७) बारहमासी १३ चौपाई (८) .. १२ छन्द ..
भवानीदास लालदास वेणीमाधव
५०-५४ ५४-५८ ५८-६२
साधारण रचना है। कविता हीन और चिन्त्य है। यह प्रख्यात बारहमासी है। लिपिकार भिन्न है। (सं.) . दीमक खाया हुआ और अपूर्ण है। ... अपूर्ण । छोटा दीमक खाया हुआ फटा गुटका; ८४५ अंगुल, पाने थोड़ेसे, साधारण रचनामें ऊंचा ज्ञान । :.. : :
७८ | गुटका(१) रूपदासजीकी बाणी (लच्छ- रूपदास, चरणदासशिष्य
अलच्छ-जोगग्रन्थ) दहा ५,
छंद ६३, चौपई ४; सर्व ७२ । ... (२) मनसुख ग्रन्थ दोहा ३३; चौपई !
५; कुंडलिया ४ (३) रजमाबोध ..(४). फुटकर साखी . ... ... ... .
"..
४३-७५
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान विद्याभूषण प्रत्य-संग्रह-सूची ]
हमार
(७९) (१) कविप्रिया (अपूर्ण)
८०
८१
ग्रन्यनाम
हमीररासो (२) स्वरोदय
(२) रसकौतुक, ( राजसभारंजन ) समस्या प्रबंध, प्रथम प्रभाव ६६
वोहे |
(३) मां मलिक मुकाम, २८ मां
(४) कवित्तशत ७१ कवित्त
(५) पृथ्वीमङ्गल (हितोपदेशपद्यानुवाद)
८ रघुराजविनोद
केशवदास
महेश कवि
रसराशि
कर्त्ता
:
रसराशि
"1
द्वारकानाथभट्ट देवर्षि, ( वाणी कवि उपनाम)
पुरन्दर
लिपिसमय
१६वीं. श. १२-६६
१९३७
१६६२
"
पत्र संख्या
१९६४
४८
१-५
१-५
१-३
११-१३
१-१६७
विशेष विवरण प्रादि
[ ८२
किसी मथुरावाले चौबेजीसे प्राप्त, नीमके थाने में । चमड़े का गत्ता । कई पत्रे नहीं । लि.क.- कल्याणदासराव पारीक पुरोहिताका । लि. स्था. - सांगानेर । इसके अन्त में जयसिंह तथा जगतसिंहकी प्रशस्ति पर कुछ छन्द है । (सं.)
लि.क. - गोपीचन्द शर्मा
श्रपूर्ण ।
महाराज पृथ्वीसिंह जयपुर के लिए १८२६ संवत् में रचित ।
रचनाकाल १६४१ संवत् | यह प्रति नवलकिशोर प्रेस से छपी हुई पुस्तककी नकल है । यह बहुत सुन्दर काव्य है। रीवा-महाराज रघुराज सिंहजीका यश विविध प्रकारसे वर्णित है। जोधपुर-नरेश, जयपुर- महाराज रामसिंहका यश और थोड़ा इतिहास भी इसमें वर्णित है । रोचफ, मनोहर, रसीले छन्द हैं ।
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- . [ ८३
— राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] क्रमाङ्क ..: ग्रन्थनाम
क र्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेप विवरण आदि
..८३ / (१) ध्रुवचरित्र
जनगोपाल
१-२१.
| यह गुटका सांगानेरके राव रामनारायणने
१) में सांगानेर में दिया था, जब हम स्व. पुरोहित गोपीनाथजीके साथ उनका पुस्तकसंग्रह देखने सांगानेर गए थे। स्यात् यह संवत् १९८३ के कार्तिक मासकी बात है।
| पृथ्वीराज राठौड़ | बारहठ मुरारीदान
(२) बेली (कृष्ण-रुक्मिणी) (३) विजैव्याह (४) सप्तश्लोकी गीता (५) चतुःश्लोकी भागवत (६) चतुःश्लोकी महाभारत
२१-४६ ४६-७१ ७२वा ७२-७३ ७३वाँ
यह भारत-सावित्री है जिसमें ४-५ ही श्लोक ले लिए हैं। पूर्ण परन्तु अशुद्ध अष्टाङ्ग योगकी कुछ-कुछ टीका और चक्रों के चित्रसे भी है।
८४ | ज्ञानसमुद्र
सुन्दरदास
१९७२
२६
बाबा बेनामीसाहब
आत्मबोध ८६ / फुटकर पद-कवित्त
| जयपुर राजवंशावली
| १९४११३४ २०वी.श.
जीर्ण, त्रुटित; संवत् १९९३ में मिला। महाराजा जगतसिंहजी तक है। १६ पन्ने प्रायः अशुद्ध हैं। ' . . .
८८ | होली हजारा.
स्व.पु. हरिनारायणजी द्वारा संगृहीत चतुर्भुजदास
इसमें विभिन्न स्थानों एवं सूत्रों से प्राप्त १ हजार होलीके गीतोंका संग्रह है। (सं०) . . इस गुटके के पीछे कुछ स्फुट कवित्तभी लिखे हैं।
८९ मधुमालतीकथा
१८६६
80
Page #104
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________________
TAIT
[ ८४
विद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
(६०) (१) मधुमालतीफया
चतुर्भुजदास
: १७७७
१-६१ इस गुटके के प्रादिके १६ पत्रों में जिनपर अलगसे
, संख्या लगी है. रागमाला एवं रसविलास नामक
दो कृतियां लिखित हैं। रागमाला का लिपिकाल १८०० है तथा रसविलासका १७७७ है। (सं०) लि. क. देवीदास कायथ, षंडेलाको पोथीसे प्रतिलिपीकृत । लि. फ. देवीदास
कायथ (सं०) ६२-१०२ १०३-१५३ १५४-१५७ १५७-१६० १६०-२१४ | र.का. १६७७, र.स्था. जैसलमेर, लि.क. संग
रामसींघ 'नरूकाराव'
१८००
१७६६
(२) मोहबवेक
जनगोपाल (३) माधवानल-कांमकुंबलांकी कथा पालम (४) नैननामां
वाजीद (५) स्फुट सवैया प्राधि (६) ढोला मारयणीको वात चोपई। कुसललाभ (७) श्रीरामशतनामस्तोत्र . हिरण्यगर्भसंहितोक्त (१) श्यामबत्तीसी
श्याम ६१ (२) अधूरे-पूरे कवित्त (३) स्फुटकवित्त
'चंदकवि, गङ्ग, गद, कबीर (४) कवितादि, (शिखनखवर्णन- भरमी फयि
प्रास्ताविक (५) कवित्त एवं गूढा
अनेक कवि (६) गुण-ध्रुवचरित्र
परमानन्द (७) हरिनाममाला
शङ्कराचार्य
,
८-१२ १३-१८
७ व १०पा पत्र अप्राप्त । ... .
१६-२०
२१-२५
२५-२६
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
विशेष विवरण आदि
लिपिसमय पत्रसंख्या
कर्ता
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
१७६६
२७वां
(८) सप्तश्लोकी गीता
महाभारतोक्त (९) चतुःश्लोकी भागवत . भागवतोक्त (१०) पचीस नाम
वेदव्यास । (११) श्रीरामस्तोत्र
श्रीलक्ष्मणप्रोक्त (१२) रामाष्टक
शङ्कराचार्य (१३) चौबीस अवतार कवित्त अग्रवास (नाभादास) (१४) दहा-प्रास्ताविक कवित्त-गढा । (१५) कवित्त तथा हीराबेधी कवित्त
३, गूढा
२८वां
(२६-३६ ३६-३७
। कुल १४६ पद्य हैं। हीराबंधी कवित्तोंका प्रारम्भिक पद्यांश'आगरे' केसोंह प्यारे 'सूरति' तिहारी | विन देते 'चंदेरी' रंग 'बीजापुर' जात
३८-४० ४४-५३
(१६) दूहा तथा अन्तर्लापिका कवित्त (१७) गुण नाग दव (म)णि (छंद- सांई कवि
भुजंगी) पवाडो (१८) कवित्त आदि
सुन्दरदास आदि (१६) कवित्त १५
। रसषांन (२०) स्फुट कवित्त
अनेक कवि
| ये कवित्त अनेक कवियों द्वारा रचित हैं। इनमें गंगाजीको प्रभाव, वेसर-वेसरमोती, बारहमासा आदिके कवित्त हैं। अधिकतर नैन (नेत्र) के कवित्त हैं । (सं.)
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राजस्थानापविद्याविष्ठान----विद्याभपण-ग्रन्य-संग्रह-सूची
[ ८६
कर्ता
लिपिसमय
पनसंख्या
विशेप विवरण आदि
(६१)/(२१) हीयाली फयित्त (फहमुफरीके
अनेक कवि
१७६६
६७-७०
इसमें 'कवित्त मंछ उथल' तथा पत्रके
प्रास्ताविक दोहे एवं बिहारीकविके एक दो | दोहों पर पघटीका है । (सं.) | चक्रबन्ध काव्य ।
कवि पीथल
(२२) कवित्त प्रप्टाविधानी (२३) सधया छप्पय प्रावि (२४) मधुमालती
७०-७१ ७१-७४ १-३८
चतुर्भुजदास
लि.स्था.--गिरवरपुर, साहदेवजी बीजावरगी| पठनार्थ। लि.क.- मनसाराम पांडे ।
६२
१८६६
(१) मधुमालती (२) हितोपदेश भाषा (३) रतनायतीको वारता
विष्ण शर्मा जान कवि चतुर्भ जवास
६३ | मधुमालती .
.
सन १४३
, ६७-१४२ . , ,, रचना-सं. १६६१, हिजरी १०१४। . १६६६ १७५ यह प्रतिलिपि १८५३की प्रतिसे लिपीकृत है।
| इसी पुस्तकमें ३५ स्फुट पत्र और हैं जो | भगवानदास लेखक द्वारा प्रेसकापीके रूपमें
किये हुए हैं । (सं.) १९वी.श. १-१० १-३ पत्र तक कवित्त हैं।
• ६४
(१) हमीर रासो (१ कवित्त,
नोसाणी महाराज प्रतापस्यघजीको मिडिया हुकमचंदजीरी :
घणा
१०-१७
(२) नीसाणी महाराजकुमार राय- भूधरदास
चंद मनोहरदासोतरी (३) कवित्त
१७-२७
राव हणू श्रादिके सम्बन्धमें।
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्त्ता
क्रमाङ्क
(१४)
६५
६६
६७
हद
६६
१००
१०१
१०२
ग्रन्थनाम
(४) गुणमाल रावजी श्री इन्द्र
सिंहजोरी
(५) गीत
(६) शिवनारायणका कवित्त
(७)
(८) रामचरित
(६) पंदराग
कक्का बत्तीसी
स्फुट कवित्त
रसिकप्रियां
शाखोच्चार ( रामचरणजीकी
साखी श्रादि )
रूपदीपक पिङ्गल
रामायण
श्रमीरनामा
सर दफ्तरे श्रव्वुल फजल
(१) ज्ञानसमुद्र छन्द ३०६ (२) सर्वाङ्गयोग श्रादि ग्रन्थ
सां सबलसींघजीरी कही
तुलसीदास भूधर, शिवराम श्रादि तुलसीदास
रसीलीलाल गोपाल
केशवदास (इन्द्रजित)
जयकृष्ण कवि
तुलसीदास
सुन्दरदास
लिपिसमय
पत्र संख्या
१६वीं. श. २७-४८
ACCC = = =
| ४८- ५१
१-५
५-७
७-२४
२४-२६
७
""
१८०५
११८
२०वीं. श. १४६
विशेष विवरण आदि
११६
99
१६१० १६
१६०६
५०
अनेक रावोंके सम्बन्ध में ।
| १६
४६
अपूर्ण पत्र १-४ एवं ८- २६ तक प्रप्राप्त । | १७ + ४ = २१ पत्र १, २ तथा ८-१० तक प्राप्त | पत्र ४
नामप्रताप, स्वरोदय एवं जमपुरी अठाईस कुंडको श्राख्यान श्रादिके हैं । (सं.) रचनाकाल १७७३ ।
१६६ पद्योंमें रचित । शिवस्तुतिविषयक |
[ ८७
उर्दू लिपिमें लिखित । यह टोंक के नवाब श्रमीरखांकी जीवनी है। इसका अंग्रेजी अनु वाद हो चुका है। राजस्थान के इतिहास के लिए महत्वपूर्ण पुस्तक है । (सं.) उर्दू लिपि में मुद्रित ।
:
लि.क. - श्राशाराम ।
लि. क. - श्राशाराम, रामगढ़ में लिखित ।
Page #108
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________________
रान प्रावितिष्ठान---विद्याभूषण-प्रन्य-संग्रह-सूची] .
[ ८८
कर्ता
लिपिसमय । पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
सुन्दरमास
लि.क.-प्राशाराम, चूरू में लिखित ।
" , रामगढ़में लिखित ।
(१०२) (३) रायया (सईया)
(४) सापी (२) शब्द (६) विपर्यय-अलङ्कारवर्णनकाव्य
सटीक १.३ विजयशब्दको अंग। १०४ | विषय्यंग-अलङ्गारवर्णनात्य सटीफ १०५ (१) सर्वतोभद्रबंध (समुतबंध) सवैया
। १६२१४६ | १६०६१-३६
१९०६ ३६-६६ | २०वी.श. ११
१९वी.श. ३ १८९७१० १८२८ (?)१
लि.स्था.-चूरू । र.का. योग द्वार व्याकरण भू. संवत माघ उजार । ऋतु तिथि निशिपति वार शुभ, रच्यो बंध दधिसार ॥३॥
१९वीं.श. १
२०वीं श. १९३११-३
स्व. पुरोहितजीने केवल 'प्रष्टकसंग्रह' लिखा
(२) मनुष्यबंध सवैया (३) स्वर्ग-नरकका खेल-चित्र
(४) खगबंध २ (पट्टिशबंध) १०६ (१) गुरुकृपाजानाष्टकस्तोत्र
(२) गुरुमहिमाष्टक ,, (३) ब्रह्माष्टक (४) स्तुत्यष्टक , (५) प्रार्थनाष्टक (६) सद्गुरुमहिमा निशानी (७) वशों दिशाके सवैये
ठा
७वा
... ... ६-११
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्त्ता
ग्रन्थनाम
क्रमाङ्क
१०७
चित्रकाव्य
१०८ (१) फुटकर कवित्तों का संग्रह ( ६ चकवै, १४ रतन, १४ विद्या) (२) सुन्दरदासजी एवं मोहन
दासजीका पद्यमय पत्र-व्यवहार (३) दासजीको नाममहिमा रजबजीका गुणवत्त (१) सुन्दरदासजीके छन्द (२) प्रणाली
(३) महन्तलीला प्रदीपन
१०६
११०
१११ | भीष- घावनी
११२
निगडबंधका अर्थ
११३ | सुन्दरदासजीको ग्रंथ (ज्ञानसमुद्र )
सुन्दरदास, मोहनदास
दासजी
रजब
सुन्दरदास
भोषजन
सुन्दरदास
लिपिसमय पत्रसंख्या
१६वीं
"1
=====
""
""
१७४२
४६
१
१
१
ê
३
१
२
४
१
२७५
विशेष विवरण आदि
बालकृष्ण महन्तको लीलावर्णन । (सं.)
[ 58
यह पुस्तक पूर्ण तो २६२ वें पृष्ठ पर हो जाती । इसके बाद पृष्ठों पर चित्रकाव्य श्रङ्कित हैं तथा स्वामी सुन्दरदासजीके हस्ताक्षरों में कई छन्द लिखित हैं (?) पृष्ठ २७५ के प्रतिरिक्त & पृष्ठ और हैं जिन पर भी चित्रकाव्य लिखित हैं । प्रति जीर्ण एवं शीर्ण है । सुन्दरदासजीकी रचनाओंकी प्राचीनतम प्रति । प्रतिके अन्त में - संवत् १७४२ वर्षे आषाढ़ सुदि षष्टी शनिवासरे पोथी लिबाइतें स्वामी सुन्दरदासजी, लिषतं रूपादास महाजन फतेपुरमध्ये, पोथी स्वामी सुन्दरदासजीको ग्रन्थ सम्पूर्ण ।
Page #110
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________________
___६०
राप्राविधारियान - विशाभूपण-सन्य-संग्रा-सूची ]
कत्ता
लिपिसमय पयसंख्या
विशेष विवरण आदि
पम्पनाम
म. विहारीदास
१९८५
११४ (१) विहारीततराई-पावरचन्द्रिका.
टीकासहित
(२) बिन्तामणिपिङ्गल
चिन्तामणि कवि
चन्द्रिका-र.का. १७७१। संवत् १८३७की प्रतिसे लिपीकृत। लि.क.-अयोध्याप्रसाद चतुर्वेदी। लि.क.-अयोध्याप्रसाद चतुर्वेदी । सं. १७७७की प्रतिसे लिपीकृत। लि.क. --अयोध्याप्रसाद चतुर्वेदी। सं. १६०४की प्रतिसे लिीपकृत। अपूर्ण । रचनाकाल १७९४ । लि.क.-गोपीचन्द शर्मा गौड़, जयपुर ।
(३) सूरतिपिङ्गल
| सूरत कवि
१९८६
१२
११५ अमरचन्द्रिका (विहारीसतसईको टीका) ११६ शतकत्रयभाषा एवं पद्यानुवाद (नीति- मू भर्तृहरि
मंजरी)सहित ११७ श्रीकृष्णविलास
फबिगोपालदान
२०वी.श. २४ , १६७
-
३८
११८ : श्रीवादग्रन्यावली ११६ - श्रीभक्तमाल सटोफ
दादूदयालजी टी. राघवदासजी
. १९८७ . १९८३
१४३ पेज २०४ ,,
१२० . सभासारनाटका
नागराभट्ट रघुराम कवि २००२
लि.क.-गोपीचंत शर्मा गौड़, जयपुर । सं. १९०की प्रतिसे लिपिकत । लि.क.-गोपीचन्द शर्मा गौड़, जयपुर। लि.क.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर । पेज १२५, १२६ १३१, १३२ नहीं हैं। लि.क.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर । १८६२की प्रतिसे लिपीकृत। र.का.-१७४३ । कुलपति मिश्रको 'पोलाद चत्रभुज द्वारा लिखित १६०७की प्रतिसे लिपीकृत । लि.फ.--गोपीचन्द शर्मा गौड़, : जयपुर । पत्रसंख्या ३७ तक भगवान् शर्माकी लिपि है।
१२१ . मुक्तितरङ्गिणीसतसई
कुलपति मिश्र
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह- सूची ]
क्रमाक
१२२
१२३
ग्रन्थनाम
श्रवधा ( श्रवदी) नाममाला
नाममाला ( गीतवेलियो)
१२४ |एक प्रखरीनाममाला
१२५ | श्रनेकारथी - एकाक्षरीनाममाला १२६ डिङ्गल-ग्रभिधानसंग्रह (डिगलकोशा
न्तर्गत )
१२७ (१) एकअपरीनाममाला
कर्त्ता
कविवर उदराम
रतनूहमीर
रतनू वीरभाण
' बारहठ उदैराम कवि
कविराजा मुरादा (मिश्रण सूर्यमात्मज बूंदीवासी)
रतनूवीरभांण ( माधो
श्राचारज)
लिपिसमय
F
२०वीं. श. ५४
""
""
33
पत्र संख्या
""
२६
१२
२६
८०
विशेष विवरण आदि
पद्य सं. ६३८ कुल है। लि.क. - गोपीचन्द शर्मा, जयपुर ( ? )
र.का. - १७७६, (१७०६ ? ) लि. क. - गोपीचन्द शर्मा ( ? )
लि.क.- गोपीचन्द्र शर्मा । इसमें कुल पद्य १३२ हैं । १३१वें पत्र में रचनाकाल इस प्रकार दिया है - 'समत हर रिख सकीयो, भगत राग लख व्रंक | क्रस्न सप्तमी श्ररु गुरु माला करी श्रवक ॥। १३१|| इस दोहे पर यह नोट लिखा है - " इस दोहेका शुद्ध पाठ नहीं मिला है अन्य प्रतिके प्रभावसे । महाराजा श्रभयसिंहजीका राज्यकाल विक्रम संवत् १७८० से १८०६ तकका । यदि हर रिषसे ७३ लिया जाय तो १७७३का संवत् माना जाना उपयुक्त होता है और शुद्ध पाठ मिलनेते महीनेका नाम भी निकल सकता है । कृष्णा सप्तमी तो है ही ।" लि.क. - गोपीचन्द शर्मा, जयपुर ।
""
[ ६१
१-१२ पेज | लि.क. - श्रासीया बुधा ।
11
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राजस्थान प्रायविद्याप्ततिष्ठान - विद्याभूषण-प्रत्य-संग्रह सूची ]
[१२
aamananewsm
कार्ता
लिपिरामय । पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
गन्थनाम
रामानन्द
पा
(२) राय अपराजजीरी तावंत विहारीदास महड़ २०वी.श. १३-१८ पेज लि.फ.-पासीया बुधा। (३) वात वरजीमयारामको
| प्रासिया बुधा
,, १६-२४ , अपूर्ण , , क्रमाङ्क: २३५(१)में इस
पुस्तफफा अवशिष्ट अंश प्राप्त है (सं.) १२८ : शश्चरजीको कथा
जतसिंह कवि
१९६० १९६० १२ र.फा.-१८३५ । लि.फ.-वनराम जोसी, .
झंझनमध्ये। १२६ ॥
१९८६ ४५ पेज र.फा.-१८२० । लि.क.-गोपीचंद शर्मा गौड़,
जयपुर। १३० (१) रोवाफी बारि (नोसानी छंद) कवि कुलपतिमिश्र १६६६
लि.क.-गोपीचंद शर्मा गौड़, जयपुर ।
चत्रभुजको १६०५फी प्रतिसे लिपीकृत। (२) कुलपति मिश्रको वंशपरम्परा पुरोहित हरिनारायणजी(?) २०वी.श. ३ , १३१ , श्रीहरिध्यानम् कवि फुलपतिमिश १९७२ १६-१-२ १८ अन्तिम दो पृष्ठ पर पुरोहित हरिनारायणजी
द्वारा रचित इस ग्रन्थको आपूर्ण भूमिका
लिखित है। (सं.) १३२ गुगचम्पावतीविलास
फधिपूरण २००२ ३४ पेज
लि.फ.-गोपीचन्द शर्मा गौड, जयपुर। र.फा.
१८०२। १३३ रसरामुद्र देवर्षिभट्ट मण्डन कवि | १९९७
लि.क.-भगवान् शर्मा, चौमू-निवासी। १३४ अमृत-अटलपदावली अमृतरामजी
लि.क.-गोपीचंद शर्मा जयपुर । १३५ मत-पदमुक्तावली १३६ कृष्णरुक्मिणीरी बेल
राठोड़ पृथ्वीराज १९९७
(कल्याणमलोत) १३७ / श्यामवत्तीशी एवं प्रास्तावित भरमी फवि प्रादि
१६६६.३६ ,
जीको पौत्री) लि.फ.--कृष्णकुमारी जयपुर । (स्व. पुरोहित- ...
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
.
.
लिपिसमय J पत्रसंख्या
कर्ता
विशेष विवरण आदि
ग्रन्थनाम
क्रमाङ्क
२०वीं.श.
इन ७१ बारहमासियोंका विवरण स्वगीय पुरोहितजीकी सूची में नहीं है । (सं.)
RECE
१३८ | ७१ बारहमासियोंका संग्रह
नाना कवि (१) बारहमासी राधाकृष्ण
गोपाल कवि ज्ञानकी
| तुलसीदास गोपियां व ऊधोकी हरिविलास .
अज्ञात कवि श्रीकृष्णके विरहकी , ,
श्रीकृष्णकी . हरिश्चन्द्र ___श्रीकृष्ण के विरहकी सूरश्याम ज्ञानकी
मोतीराम ऊधो-गोपी-संवाद | सूरजमुनि विरहिनीकी गनेशप्रसाद रामचंद्रजीकी | भवानी गोपियोंके विरहकी सरदार
(११)
(१२)
छंद संख्या १० । छन्द सं. ८।
(१३)
"
(१६)
(१७) (१८)
विरहिनीकी गोपियोंके विरहकी खेमसखी भरतजीको लालदास बेणीमाधवजीकी सूरदास कौशल्याजीकी
| देवीसिंह जगन्नाथजीकी
युगलकिशोर कन्याविक्रयकी.. छगन
(२०)
,
:
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________________
। ६४
पान तात्यविद्यापतिष्ठान-विद्याभूषण-प्रन्य-संग्रह-सूची )
-
--
-
फर्ता
लिपिसमय | पसंख्या
विशेष विवरण आदि
गनगनाम
مه
سه
له
م
له
سه
(२८)
سه له سه س
(१३८) (२१) बारहमासी गोपी-बलदाऊजीको फिङ्करप्रभु
घरी-तंग-विहार अज्ञात
वर्णनको (२३) राधाजीको ' (२४) ललिता सखोकी ललिता सखी (२५) विरहिनीकी बालमुकुन्द (२६) (२७) क्वारीको
घन्नमहाराज भक्त प्रह्लादको अज्ञात (२६)
ध्र वजीको पं. गुलराज हरीतवाल (३०) मीरांयाईको नन्दराम ब्राह्मण
हरिश्चन्द्रकी गलराज हरीतवाल । (३२) सत्यनारायणजीको मगनीराम चिडावानिवासी (३३) गोपियोंकी तुलाराम
रामके विवाहकी अज्ञात . ज्ञानकी . कालुरामं प्राचार्य
उपदेशको अमृत " . गोपीचन्द और अज्ञात .... राणीकी बातचीत " गोपियोंकी कृष्ण- टोरू विष
विरहमें (३६) . ,,, द्रौपदीको
अनन्त
(३१)
نه
شه ته
ته
له
ته
له
(३८)
"
ته
13
سه
.
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________________
[ ६५.
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची].
विशेष विवरण आदि
लिपिसमय पत्रसंख्या
कर्ता
कमाङ्क
ग्रन्थनाम
(१३८) (४०) बारहमासी रामनामकी रामलाल (रामसखि) २०वीं श.
ईश्यरविनयको महादेव वैश्य :. (४२) , कृष्णके विरहकी । रामबकस
(४३) , " - (४४)
अग्र कवि . (४५)
सूरदास (४६) उद्धवगोपीसंवाद , (४७) अंग्रेजी महीनोंकी | गैंदनलाल गौहर (४८) निहालदेकी घनाघन्न (४६) दयानन्दजीकी दया ! अज्ञात . (५०)
गणेशजीकी वाब भगवतीप्रसाद दालंका
निहालदेविलापकी | चौधरी शिंगराम वर्मा • (५२) राधाकृष्णकी ललितकिशोरी (५३) शृङ्गारकी
___ जाहरमल सोनीके | जाहरमल सोनी वृन्द वन
विरहकी निवासी विरहकी अलाबख्श श्रीकृष्णकी . यशोधालाल
श्रीकृष्ण कुब्जाको । सल्लर (५८) जनगोपालजीकी जनगोपाल
.... . खैरासाहकी खैरासाह
mm on or or on a om x x mm w x
ऊमरकाव्यगत
.
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a
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Page #116
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह- सूची ]
कर्त्ता
क्रमाङ्क
""
(१३८) | (६०)
(६१)
(६२)
(६३)
(६४)
(६५)
(६६)
(६७)
(६८)
(६)
(७०)
जोगको
(७१)
विरहकी
""
१३६ | प्रारतीपद ( व्रजरसतरङ्ग )
१४०
जयसाह - सुजसप्रकाश
रावलचरित्र
19
31
15
15
33
"1
"}
17
"
ग्रन्थमाला
"1
मुरलीदासजीकी विरहकी
19
"3
37
33
""
भक्तिकी
विरहको
राधिकाविरहकी
१४१
१४२
जाट इतिहाससे जयपुर के राजाओं का
हाल
१४३ | रसिकाह्लाव- रुक्मिणीमंगल
१४४ हमीररासो (हमीरायण )
मुरलीदास
श्रज्ञात
कविकाशीराम
मगनजी
रघ
लालदास
नरपति नाल्ह ज्ञानवतीदेवी माण्डव्य
मीरांबाई
कुशलेश पृथ्वीनाथजी
चन्दनदास स्वामी
श्री सुदर्शणदासजी ( श्यामा सखी) देवभट्ट मंडनवि
"""
"1
हरिसेवक विप्र शृंगारोप
नाम कवि कवि महेश.
लिपिसमय पत्र संख्या
२०वीं. श. ३
"
11
"
11
"
33
19
"}
11
"
71
१६८६
१६६०
१६६१
२०वीं. श.
""
१६६६
x x
४७
२०
४३ पेज
११०
४८ पेज
विशेष विवरण प्रादि
वीसलदेव रासागत
छन्दोविन्मण्डनगत
लि.क.- भगवानशर्मा चौमू निवासी धना
लालात्मज
11
र.का.-१८७६ | लि.क. - गोपीचंद ( ? )
र.का. - १८४२ ।
लि.क - गोपीचंद शर्मा
[ ६६
"
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________________
[ ६७
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची]...
-
-
-
-
eas
विशेष विवरण आदि
लिपिसमय पत्रसंख्या
• कर्ता
ग्रंन्थनाम
क्रमाङ्क
१४५ | हमीरायण .
घेम (?)
१४६
"
१४७ (१) रूपमञ्जरी
कवि नन्ददास
१९८५ १५७ पेज | लि.क.-गोपीचंद शर्मा गौड जयपुर। १७८४
संवतकी प्रतिसे लिपीकृत।। २०वीं.श.५० , . १६९६२१ , लि.क.-गोपीचंद शर्मा। १७९१की प्रतिसे
लिपीकृत। २०वीं.श. १
लि.क.-गोपीचंद शर्मा। ३२ संस्कृतभाषावद्ध।
(२) छप्प दशों अवतारोंके
तुलसीदास १४८ वैदिकवैष्णवसदाचार
। हरेकृष्ण मिश्र (जयति-
हीयप्राड्विवाक) - १४९ / माधवसिंहाशितक (माधवविलास) / श्याम लट्ट,
१९७३४४
कुलपति मिश्र
रसरहस्य
१२
हरिध्यानम् १५२ / नबाव खानखानाकी बरवै १५३ | स्वामी जगजीवनदासजीकी वाणी १५४ गुनगंजनामा (कवितासंग्रह)
नबावं खानखाना जगजीवनदास
१९७२ २०वीं.श. १९८३ २००१
संस्कृतभाषावद्ध, पूना. भाण्डारकर पोरियन्टल रिसर्च इंस्टीटयूटकी १८३४को प्रतिसे लिपीकृत है । र.का.-१८१२ जयपुर। लि.क -गणेशनाह्मण। चतुर्भुज कविकी सं. १६०५ वाली प्रतिसे. लिपीकृत । लि.क.-श्री हरिनारायणजी पुरोहित । केवल ४४ पद्य ही लिखित हैं। लि.क.-ज्योतिषी कुंजबिहारी जयपुर । १६२ कवियोंकी कविताओंका संग्रह । संवत् १८५३की प्रतिसे लिपीकृत। नोट-इन १६२ कवियोंमें ६ कवियोंके नाम संभवत: दुबारा लिखे गये हैं । अतः यह समझना चाहिये कि १५६ कवियोंकी कविताए तो निश्चयपूर्वक इस ग्रन्थ में संग्रहीत हैं । इसका
३८५
१ला
१ दादू । २ जगजीवन ३ कवीर । ४ चैन ५ रज्जब
-
-
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________________
[६८
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] ___ क्रमाला ग्रन्थनाम
कर्ता
लिपिसमय | पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
(१५४) गुनगंजनामा (कवितासंग्रह)
२रा
लिपिकर्ता गोपीचन्द शर्मा गौड जयपुर निवासी है । (सं.)
१३वा
१४वा १५-१६
६ जगन्नाथ
२००१ ७ परसराम ८ जमल। ६ मोहन । , १० बोजी ११ दूजण १२ रामदास १३ नानक १४ वाजीद १५ संतोषा १६ रांका १७ मल्ल । १८ हुसेन १६ गुपाल । २० माधव
दास २१ रैदास । २२ बखना २३ राइमल्ल २४ नागर । २५ अग्रदास २६ पासा २७ तुलसीदास २८ ईसरा २६ संकर ३० तुरसी
१७वाँ
१९वां २०वां २१वां
२२३में
Page #119
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________________
• राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची 1" . . . .
.
विशेष विवरण आदि
. कर्ता
लिपिसमय
पत्रसंख्या
क्रमाङ्क
ग्रन्थमाला
(१५४) | गुनगंजनामा (कवितासंग्रह)
२००१
२७
..
३१ सम्मन ३२ बुरहान ३३ अहमद ३४ सरफ । ३५ जमाल ३६ बीठला ३७ मदसूदन ३८ हबीब ३९ किसोर ४० पृथु ४१ हरिबंस ४२ साहा । ४३ सांई ४४ जानराइ ४५ फतू ४६ सैदनां । ४७ कुत्तव ४८ जसवन्त ४६ मूसन . ५० गंभा ५१ टोडर ५२ गरीबदास ५३ विसंन ५४ केसव
6 .40. .. : WIG ० ० 0.sik
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________________
[ १००
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-विधागूषण-अन्य-संग्रह-सूची] गन्यनाम
कर्ता
लिपिसमय | पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
में
(१५४) गुनगंजनामा (कवितासंग्रह)
१०७वेंमें
__or
१२१
| ५५ महंमदि.
२००१ ५६ मुकंद ५७ कवितदास ५८ लालन ५६ नवल। ६० सेऊ' ६१ चिनंग ६२ सजणां ६३ कासिम ६४ मुनिंद्र ६५ हेतम ६६ व्यास ६७ पृथीदास ६८ कालू । ६६ करमाणंद ७० पिराग ७१ गोप । ७२ पहुकर ७३ पीपा ७४ वधू । ७५ स्याम । ७६ जोधा ७७ जगतराइ । ७८ शो ७६ अगर । ८० नागरा ८१ मथुरा
or or orrorror Morror
१४०॥
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________________
- राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] . .....
.......... [१०१
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
कर्ता
ग्रन्थनाम
क्रमाङ्क
(१५४) गुनगंजनामा (कवितासंग्रह) .
१४६३में १४७ ॥
..
..
.०.
:
K
G.
८२ सूरिया । ८३ गोरष | २००१ ८४ गनेश । ८५ गोविंद ६६ चरपट ६७ तुलसीराम 4 राघव
६ देवति । १० नंद ६१ तरंग ६२ सोकडि ६३ उधं . ६४ रमतिया .. ६५ लाषा ६६ बींझरी । ६७ दास | " ९८ हेतम ..! .
..
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०
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.
.
यह नाम दुबारा पाया है जो कविसंख्या ६५ पर अंकित है।
.
१६७ ,
६६ जगन. १०० भेदा। १०१ सोझा १०२ फरीद १०३ कमंच १०४ ब्रह्मा १०५ रमिता (रमतिया
पृष्ठ १७६ वें) । १०६ असन
| रमतिया कवि.सं. १४वें पर भी पाया है। (स)
१७
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________________
-
[१०२
राजस्थान प्राध्यापिणाप्रतिष्ठान---विद्याभूषण-प्रत्य-संग्रह-सूची]. अन्यनाम
फर्ता ".
लिपिसमय
पत्रसंख्या
विशेप विवरण आदि
(१५४) गुनगंगनामा (कवितासंग्रह)
२००१
१८३वेमें
१८४
१
.
......
":
१०७ निहाल १०८ भीष १०६ मनसुपा ११०. सुंदर १११ अमरिया ११२ 'भारथिभोजाणी ११३ उदन ११४ रघू ११५ नरसा जोगी
११६ गुरमुखा । ११७ मुनिंद्र | ११८ उवैराज । ११६ रजिया १२० बिसंभर १२१ तुगनी १२२ फांमां १२३ स्यामदास
:
.
.
यह नाम भी कवि संख्या ६४ पर अंकित है। (सं)
..
OUU..
M
.
हो सकता है कि कवि संख्या ७५ पर अङ्कित . . फविसे यह भिन्न हो। (सं.)
२४
- १२४ पिरोज । १२५ डूंगर
Page #123
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________________
.[.१०३
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
. : ... कर्ता कमाङ्ग
विशेष विवरण श्रादि
..
लिपिसमय पत्र संख्या
. ग्रन्थनाम'
(१५४) | गुनगंजनामा (कवितासंग्रह)
२००१
२४६३में २५१"
२५७"
२५८,
१२६ नाराइन १२७ कमाल १२८ नाथ १२६ श्रीबाल गुहाई १३० अजित १३१ मसउद १३२ परमसुख १३३ कोल्हा १३४ धनी १३५ बीजा १३६ लाल १३७ ऊतिया १३८ पोजी
२६४॥
२६६,
२६९
२७०
२७१,
यह नाम भी कवि संख्या पर भी अंकित है । (सं.)
१६
१३६ नरहरि १४० भरथरी १४१ कल्यांन १४२ पृथीनाथ १४३ सूवा १४४ हिलम
१४५ स्यान -] १४६ हरोज
२८६" २६." २६४, २६६,
यह नाम भी ७५ एवं १२३वें कविका ही हो , सकता है।
Page #124
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________________
[ १०४
..
मान प्राविप्रतिष्ठान--विद्याभूषण प्रत्य-संग्रह-सूची ।
-
का
लिपिसमय
पत्र संख्या
विशेष विवरण आदि
२००१
३००३में ३०४,
३१० "
३११
mr mmmmy
m
(३४३,
३४६ :,
३६१॥
(१५४) / गुनगंगनामा (कवितासंग्रह) १४७ चंद
१४० कान्ह १४६ सांवलियो १५० रसन १५१ सरवण १५२ कासी १५३ रूपराम १५४ चेतन १५५ बैन १५६ अबू १५७ मियनी १५८ संता १५६ माडवो १६. मामन १६१ जटौ
१६२ जमला १५५ (१) लघुतानामा (लघुनामों ग्रन्थ) पेमदास (२) भगतिविरदावली
दास (?) १५६ वपनाजीका शब्द व साखी
वषनाजी भापास्वरोदय
गोरक्ष १५८ सपनाजीका पद व वाणी .... वनाजी
mr
mmm
१-४ पेज
लि.फ.-गोपीचंद शर्मा
लि.फ.-रामनारण, मंगलदास
...
.
१८६६ १६वी.श.१ . १९८३
७३
,
लि.फ.--गोपीचन्द शर्मा । संख्मा १५६ बाली प्रतिका ही प्रतिरूप हो? (सं.) .
-
-
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________________
:: राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची ] क्रमाङ्क
कर्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेप विवरण आदि
ग्रन्थनाम
१५६ सीतारामरहस्यचन्द्रिका . .
मांगीलाल (रूपसरस ?) १९६२१३६ पेज
प्रायः पद्योंमें रूपसरसफो ही अधिक प्राव: त्तियां दृष्टिगोचर होती हैं अत: इसीकी यह कृति हो । मांगीलाल तो इस प्रतिका लिपिकार हो सकता है अथवा रूपसरस उसका
उपनाम हो । लि.क.-गोपीचन्द शर्मा । मांगी: लाल खंडेलवालको १९३८ संवत्को प्रतिसे लिपीकृत । जयपुरमध्ये । (सं०) लि.क.-गोपीचन्द शर्मा गौड़, जयपुर।
,
१-८ १-१४
२०वी.श. ५
१६० (१) तत्वमञ्जरी
रामानुजदास ..... (२). गुरुप्रतापादर्श (३) बालप्रबोधनी वार्ता (४) गुरुपरम्परा (५) ध्यानमञ्जरी
अग्रदास १६१, सुन्दरदासजीको चौतीसी व बावनी । सुन्दरदास स्वामी १६२ ज्ञानबावनी .. १६३ हीरावावनी वा कक्कापच्चीसी, पद्य २५ | हीरा. . ., १६४ कबीरदासजीको चौतीसी .
कबीरदास १६५ , , बावनी १६६ / प्रबोधबावनी, पद्य ४७
जिनरंगसूरि १६७ भीषजनकी बावनी
भीषजन | रामजीको बारहखड़ी, पद्य ३४ | गोस्वामी तुलसीदास | सुदामाजीकी बारहखड़ी, पद्य ३६ | सुदामा
"
or or a on my gou arm!
M
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________________
[ १०६
राज
शाप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-प्रन्य-संग्रह-सूची]
लिपिसमय
पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
कर्ता
गत्वनाम
-
-
२२वीं श.२३
लि.फ.-गोपीचन्द शर्मा ।
,
३३
उर्दू बारहखडी
७५
१७० रामचन्द्रजीको काको पय ३३६ | टोउरमल १७१ | वारहरी,
रत्नसार (पं. रामरत्न) १७२ / वायनी योगगम्य . , ४४ हरिवास १७३ | धिनपदोहावली
| प्राणसुखराय कानूनगो १७४
बडी बारहखात्री वल्हेशाहको सेहर्फी
बुल्हेशाह बालशच्चयोध (रामायण) फिरवास ज्ञाननिलोफजीको बावनी, ३४ ज्ञाननिलोफीजी वारासरी (१)
ललितकिशोरी .., (२).. १८० अखरापट
मलिफमहम्मद जायसी पारहखड़ी
सूरतसिंह १८२ बारारानी
सुदामादास १८३ | बारहखाड़ी(कमकावत्तीसी),
लालदास १८४ फक्काबत्तीसी
सन्तदास १८५ | किसनवावनी
कुष्णदास १८६ / कृष्णचरित्रको बारहखड़ी
श्रीनिवास (वशमस्कंधकी) ..., ७० । १८७ | लावनी रंगतिखडी ककहरा अळंग ,, ५ | गणेश कन्हईलाल
My maraxx rrrr.umr prurir
१८१
३७
" । इसमें कई एक प्रार्थ गप्त है। बुधपिलासगत।
। चन्द्रसखोजीका पद
चन्द्रसखी
२ पेज
लि.फ.-गोपीचन्द शर्मा। रासपदसंग्रहगत ।'
-
-
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची] क्रमाङ्क
। कर्ता
[ १०७ विशेष विवरण प्रादि .. .....
-
लिपिसमय ' पत्रसंख्या
ग्रन्थनाम
सुकवि चंद
' १८६ विष्णु-सीताराम-सुख्थानकर एण्ड हिज | एस. एम. कतरे, एम. ए. २०वीं.श. ६२ पेज प्रांग्लभाषामें टंकित । ... . . . . .
। कंट्रीव्यूसन टू इन्डोलोजी पी. एच. डी. १६० : (१) श्रीकुलशेखरवृत्तम् . श्रीप्रपन्नामृत (रामानुज-. २००२ ११ ,, : लि.क.-गोपीचंद शर्मा । १८३२ संवतकी चरित्र) गत
प्रतिसे लिपीकृत। : (२) प्रपन्नामृतग्रन्थ कमसूची . १६१ (१) नीतिसारनाटक ..
४८ . , र.का.-द्वीप गगन योगीश शशि १७०७ (१६
०७ ?) लि.क.-गोपीचन्द शर्मा। १९०७की
प्रतिसे लिपिकृत। . (२) सभासारनाटक
नागराभट्ट रघुराम (देव- ! ३१ , . लि.क.-गोपीचन्द शर्मा। १९१४की प्रतिसे लियामध्य कवि नागर
लिपीकृत । . मिसल) (३) योगवासिष्ठसार भाषापद्यानु- गणपति
" '५० लि.क.-गोपीचंद शर्मा । १८६६की प्रतिसे वादसहित
लिपीकृत । र.का.-१८२२ । माधवसिंहराज्यः। १९२ (१) भाषाभूषण पद्य १६६ - महाराजा जशवन्तसिंह २०वी.श. १-६
(जोधपुरीय). . (२) लुप्तोपमाविलास
कवि हीराचंद कानजी । (३) उपमासंग्रह
१३-१५ र.का.-१६२२। . .... १६३ प्रास्ताविक कवित्त आदि
८ पेज+२ दो अतिरिक्त लम्बे पृष्ठोंमें रामलालजी कवि
द्वारा कथित कवित्त एवं पूरवदेशकी सखी, । बंगालदेशकी सखी, पंजाब, ढूंढारदेश तथा मारवाड़की सखीविषयक कवित्त हैं। (सं.).
१०-१२
-
-
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________________
[ १०८
.. रामपान प्रापिशाप्रतिष्ठान --- शियाभरण-गन्य-संग्रह-सूची ।
विशेप विवरण आदि
लिपिसमय पत्रसंख्या
कर्ता
अम्बनाम
१६४ शिशुयोग व्याकरण
"
१६६ इन्चरत्नावली ..
१६७ वैद्यकोपचारसंग्रह
१६६
१६८/ विष्णपूजनप्रयोग (संक्षिप्त) | नवरत्नकाव्यम् (पद्यात्मभाषानुवाद
सहितम्) ... २०० संडेलवालोंकी उत्पत्ति
फाशीनाथ १९६१ ११
लि.क.-रामप्रताप शर्मा, मनोहरपुरनिवासी। हरिरामदास निरंजनी । १८४८ .२३ | र.का.-१७९५ । स्थान-डीडवांणा । लि.क.डीडवाणिया
रुघनाथदास निरंजनी माधुपुरमध्ये। महाराज गसिंह
र.का.-१६६५ । लि फ.-सुखदेव । इस प्रथमें स्वर्णादिधातु बनानेको भी विधि लिखित
और पाकादिका विस्तृत वर्णन है । (सं०) | १९वी.श.६ | २०वीं श. १२ इसमें पाये हुए एक पडके अनुवादक पं.
सरयूप्रसाद मिश्र हैं ? श्रीहरिनारायणजी
लि.फ.-श्रीनारायण पुरोहित । पुरोहित
१९७२ १० कवि नरपति । १९७३ .५३ लि.फ.-श्री गणेश, श्री हरिनारायणजी पुरो
हितजी पठनार्थ । पुरोहित, हरिनारायणजी
१२+६-१८. संगृहीत
| पेज अनुवादक- हरिनारा- २०वीं श. ४
दिनाङ्क-७-२-१९१४ ई. राजपूतगजटसे मुंशी यणजी पुरोहित
देवीप्रसादजी द्वारा उर्दू में उद्धृत। .... पण्डितराजकी जीवनीका विश्लेषणात्मक संस्कृतलेख। : ................
२०१/ जैनी खंडेलवालोंके, १४ गोत्र २०२ विक्रमादित्यकथा
हरिसारिणी (कवित्तरामायणसार
माला) १०६ छन्द ,२०४ गोगा चोहान (गोगा पोर)
२०५ पण्डितराजजगन्नायः
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________________
..राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] क्रमाङ्क ...
... कर्ता ..
... [१०६ .... विशेष विवरण आदि ....
लिपिसमय : 'पत्रसंख्या
....
.ग्रन्थमाला
19.
-
:
:
....
हवां
२०६ ऐनसाहब (ऐनानन्द) संबंधी ज्ञातव्य.
२०वी.श. ३. २०७ नोट ओन दो रीलीजस हिन्दी पोइट्रो इन राजस्थान :. :: .. . ......
१९८०
कुलशेखरनृपति २०८ (१) मुकुन्दमाला.. :
| लि.क.-पुरोहित श्रीनारायण, जयपुर । : ...: (२) मुकुन्दमुक्तावली
६-८ (३) श्रीकृष्णनामनिरूपणम्
| महाभारत उद्योगपर्व
१९८८ ८-६ लि.क.-गोपीचन्द शर्मा : , . .
सप्ततितमाध्यायगत (४) भगवच्छरणागतिः | महाभारत एकसप्ततितमा
ध्यायगत (५) भीष्मगीतम् भागवत प्रथमस्कंधनवमा
१०वां ध्यायगत. (६) शुकोक्तस्तोत्र भागवत द्वि. स्क. चतुर्था
११वां घ्यायगत रागमञ्जरी एवं तत्सम्बन्धी पत्र-व्यव- | पुण्डरीक विट्ठल (कर्णा- | २०वी.श. ३६+५= | अनूप, संस्कृत पुस्तकालय बीकानेरकी प्रतिसे
टक जातीय) ईश्वरविलासकाव्य कविकलानिधि श्रीकृष्ण
भाण्डारकर.अोरियन्टल रिसर्च इन्स्टीटयूट
पूनाको प्रतिसे लिपीकृत । .... अन्यत्पंचाशिका भाषा
१७८२
प्रति जीर्ण-शीर्ण एवं मध्यत्रुटित है तथा पत्र
चिपके हुए हैं। २१२ मानमंजरीनाममाला.....
कवि नन्ददास १९५६ २५.... . लि.क.
लि.क.-शिववकस मित्र मंडनपुर निवासी .. (मंडावामध्ये) .. ... .
. २०६
हार
४४ लिपीकृत.। . ..
१०
".
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________________
...
यान प्रायप्रतिमानशिभूषण-प्रत्य-संग्रह-गची]
[ ११०
me
लिपिसमय ; पनसंख्या
विशेष विवरण आदि
३
१
प्रतापगचीगो (२) पीप
(३) गुरुचेलारा समादरा वुहा २१४ । सत्यय-सायलगाकी वारता
१८ "
१-१४ १५-२६ २६-२८
सुरसैण कति
१६५६
२१५
हरिरस
.
.
ईश्वरदास बारहट
१९६७
१२
वैद्यासारराजीवनगन्य .
लि.क.-भंडारी रामदास । र.का.-१७७६ । लि.क.-रामदास । लि.क.-रामदास ।
नोलीमें; लि.क.-साध भगवानदास . निरंजनी मंडावामध्ये। । इस पुस्तफके पीछेके पृष्ठोंमें बापजी श्री अल; जीका कह्या कवित्त ८ हैं। प्रति जीर्ण एवं वर्षाभिषिक्त है। (सं०) लि फ.-दामोदर शर्मा साहित्योपाध्याय विराट मध्ये। इसके प्राधिके १५ पृष्ठोंमेंसे उसमनकी कथा, हरीदासजीको बारषडी, फानजीकी वारामासी, लिखित हैं । लि.फ.रामदेव । भारती संग्रहका लिपिकाल १६१४ है। (सं.)।
सुन्दरवित्र
२१७ प्रारतीसंग्रह
: १९०७ ३१
२१८(१) सरस्वतीस्तोत्र .(२) नीसाणो जयस्यंघ सवाया
(३) स्फुट औषधि एवं ज्योतिष -
(४) वंशावली. फछयाहाफी. २१६ लीलावतीके हिसाबी शश्न तथा इश्ति
हारोंकी नकल। २२० । गुगचंपावतीविलारा . ..
१ला २-३ ४-२३ २४-५०
| इस पुस्तकमें सभी स्फुट पत्र हैं। .
आगिया कवि पूरन
। १८०२.....७१-|-२-७३ र.फा. सं. १८०२। अन्तिम दो पृष्ठों में: .
चम्पावती-अष्टक अपूर्ण लिखित है। प्रतिका द्वितीयपत्र प्राप्त है। (सं०)
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।१११.
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्ता
लिपिसमय | पसंख्या |
विशेप विवरण प्रादि ।
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
१८९२४२
लि.क.-लीछमणराम कायस्थ ।
सभासारनाटक
२२१
कवि रघुरामभट्ट (कवि
| नागर मीसल नागरा) २२२ तसबीर वारैठ रामनाथजी रतनूकी
तथा कुबेरदानजीका पत्र १ २२३ | श्रीकृष्णविलास
कवि गुपालदान
२०वी.श.
१+१=२
१६०९५३
महाराजाधिराज भूप किसनेशकी प्राज्ञासे रचित । लि.फ.-गणेश जोशी प्राभावासनिवासी । लि.स्था.-नृसिंहपुरा। इसमें रामानुजकृत पंचकस्तोत्र, शङ्कराचार्यकृत सिद्धान्तविन्दु एवं दो अन्य कृतियां लिखित हैं।
२२४ निम्बार्कमंगलाष्टक आदि (भत शतक ?)
१९वीं.श.२
रचना-१७४३; अपूर्ण ।
२२५ / (१) ध्यानलीला
(२) पञ्चाध्याय (३) वनलीला (४) जुगति तरंगिणी सतसई (५) स्फुट कवित्त (परमारथ) (६) , कवित्त-दोहा
(७) दोहा दर्पण .२२६ / सामुद्रकग्रन्थ-भाषापद्यानुवाद
कुलपति मिश्र नन्ददास ? माधोदास कुलपति मिश्र | बनारसी आदि कवि पालम, गंग प्रादि दूनाराइ (?) शिवसिंह (राज) शेषावत
३-१४ १४-१६ १६-५२ ५३-५६ ५६-६७ ६८-७०
..२२७ / कवित्तसंग्रह, छंद १६२
र.का.-१८७५ । लि.क.-गोपीचंद शर्मा जयपुर। महताबचंद खारड़ जयपुरकी प्रतिसे लिपीकृत । .लि.क.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर।.
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________________
राजस्थान माध्यविद्याप्रतिष्ठान विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्ता
जमालु
( २२७ ) | ( २) टूरके कथित
(२)
(३)
ग्रन्यनाम
११
पतिके कवित्त, छंद १
२२६
२२८ | फुटकर कवित्त
२३१
कवि (वीरबल ) के छंच २
(४) जगदीश कविके कवित्त (५) गंगकवि कवित्त (६) प्रसिद्ध कवि कवित्त (७) प्रातमशेष कवित्त
(८) सेनापति कवित्त
कवित्त,
छं. १
१
""
"1
૪
१०
प्रतापप्रीतिमंजरी (अपूर्ण)
२३० बिहारी सतसईकी श्रमरचंद्रिकाटीका
जिंगल गीत
(१) राव हणूतसिंहजीका छन्द २
"2
,, १३२
(२) नोसाणी महाराज प्रतापसिंहजोको (३) रावत महाराजकुमार रायचंद मनोहरदासोतरी निसाणी
(४) गीत
टुडर
छत्रपति
ब्रह्मकवि ( वीरबल )
जगदीश
गंग
प्रसिद्ध
श्रालमशेष
सेनापति
रसांन, कासीराम,
चितामनि श्रादि
भारती ( महाराजा प्रता
पसह ) सूरतमिश्र
विडिया हुकमचंद
बारहट भूधरदास
लिपिसमय
१६६३
"
""
"
"
१६६५
१६८५
पत्र संख्या
"
२०वीं. श. २
""
पेज १-२ १२ रा पेज
२-३ पेज
39
३- रा पेज
(५-६ठा (७-१६ पेज
१६२५ ई. १३
१
|३६
१-५
=
५-६
""
५ सितम्बर ६-१३.
१६२५
लि.क.- गोपीचन्द शर्मा जयपुर ।
"
""
""
""
"}
""
""
विशेष विवरण आदि
"
""
"7
"
""
57
"3
11
[ ११२
र.का. - १७६४ । प्रपूर्ण । लि.क.- प्रयोध्या
प्रसाद ।
लि.क.- क्षेत्रमल्ल |
गीतोंकी विगत श्रीपुरोहितजीकी सूची में नहीं है । (सं० )
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________________
...
[ ११३ ।
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची] ___ क्रमाङ्क .. ग्रन्थनाम
कर्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
. विशेष विवरण प्रादि
२०वीं श. १४
साद सबलसिंह उमेदराम वारहट
२३२ / गुणझमाल रावजी श्रीइन्द्रसिंहजीरी २३३ (१) सत्योपदेश
(२) राजनीति (३) भाषाचाणक्य (४) वाणीभूषण (५) मरसियाकवित्त
१५-२४ २५-२७
रचना-१८७२ ।
, १८६१ । अलवरके राजा वखतावरसिंहजी एवं उनके साथ सती हुई रानियोंकी। बहुतसे राजा-महाराजाओंके विषयमें रचित । लि.क.-छीतरमल पुरोहित सावरवाला।
२३४
(१) हिंगल-गीतसंग्रह
बांकीदासजी आदि अनेक १९२७ई. १०
७-१०
(२) दुहा जेहल-जसजडाबरा (३) स्फुट कवित्त-दहा एवं नीसाणी | प्रासीया बुधा
राषीरा सिरदार जीवराजजी २३५ (१) मयाराम दरजीरी बात
२०वी.श.
१-६
इस पुस्तकमें बस्ता १२७(३)पर अङ्कित बातका शेष भाग लिखित है।
(२) स्फुट गीत ४
(३) नीसाणीयां वीरमायणसे २३६ | वृन्दावनशतक
बारहट शिवबक्स (दत्त)
१०-१८ दसकत बुधारा छै। गांव वागू माये लषी छ । 5 . पेज | अपूर्ण । हणूंत्यानिवासी वारहट मुरारीदानजी
पालावतको प्रतिसे लिपीकृत । ११२-+१२= जोधपुरके कविराजा सिहरदानजीकी पुस्तक १२४ पेज नम्बर २ (२)की प्रतिलिपि । १२ पेज सूची
पत्रके हैं। २० पेज लि.क.-गोपीचन्द शर्मा जयपुर ।
२३७ / डिंगलपुस्तक
अनेक कवि
२३८ । (१) प्रेमरतनाकर
भया रतनपालजू
| १९८४
Page #134
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________________
राजाप्रतिष्ठान-विशाभूषण-साा-संगह-रानी।
[ ११४
लिपिसमय पसंख्या
विशेष विवरण आदि
(२३८) (२) नांसार
राठोड फतेस्यंध महेस- ! १९८४ २० पेज लि.क -गोपीचन्द शर्मा जयपुर । यह वस्तुदासोत
| परिचायक उपादेय भाषा ग्रन्थ है। (सं.)। २३६ मोष पिंगल
फपि जयाण कृपाराम । १९८६ १० , लि.फ.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर। .. २४०.शिपET
। हरपदास प्रोहित १९८६ १०७ , रचना-१८७५शिवगढ़ में शेषावत शिवराजाज्ञासे (सिवड)
निर्मित । हररूपदासको प्रतिसे लिपीकृत ।
लि.क.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर। २४१ / रामाश्यमेश .
| शिवराज भूप शेषावत १९वी.श. ५१ ॥ (१) महाराज शिवगिहजी राठौररा सुरताणियां साहिबदान १६८५१-३३ ,, , , ,
पवित्त (२) स्फुट फपित्तादि ३०० अनेक कवि .
१-२३ , २४३ | शिवनारायणका एपित्त (शिवजीको तुलसीदास प्रादि | १९८२ १५ लि.फ.-पुरोहित क्षेत्रमल्ल (छीतरमल)
स्तुतिविषयक छंद २४४. राजवल्लभ (पास्तु-शिल्पग्रन्थ ) मूल | मण्उन सूत्रधार .. १९८४६६ लि.क.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर। २४५ (१) माताजीको दिवायण बारहट ईशरवासजी
२०वी.श. १-५ (२) हालां झालांका कुण्डलिया। २४६ निन्दा-स्तुतिगन्य ईसरनाराजी चारहटका जीवन-चरित्र |
१०-+-५-१५ एवं तत्सम्बन्धी ज्ञातव्य पान (१) वृत्तमुक्तावती (प्रथमगुम्फ:) . कविकलानिधि श्रीकृष्णभट्ट ।
भाण्डारकर प्रोरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, (२) , (द्वितीयगुम्फः)
पूनाको प्रतिसे लिपोकृत । ... २४६ अन्योक्तिवर्णन (अपूर्ण) । महाकवि गणपतिभारती १९६५
| लि.फ.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर । नौशेरयां यावशाहफे पहननेके दस ताज
२०वी.श.४
wr.M
२४७ ।
-
--
-
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह- सूची ]
कर्त्ता
क्रमाक.
२५१
ग्रन्थनाम
२५७
२५८
माधवानल - कामकंदला एवं तत्सम्बन्धी
ज्ञातव्य पत्र.
माधवानल कामकंदला
२५२
२५३
अकबर-बीरबलबारता
२५४ | सर्वानुक्रमणिकायां ऋग्वेदीयानुवाकानुक्रमणी
२५५ चतुरसिरोम निजी के पद
२५६
(१) मोहमर्दन
(२) गंगालहरी
(३) मावडिया मिजाज
(४) वैसक (वेश्या) वार्ता
(५) चुगलमुखचपेटका
(६) कुकविबत्तीसी
(७) कृपणदर्पण (८) कायरवावनी
(६) बैसवार्त्ता
(१०) विदुरबत्तीसी
(११): श्रीराधेजीके शिखनख-वरणनको ।
कमाल
विजयविवाह ४५६ पद्य
एकाक्षर निघण्टुकोष ५३ श्लोक हैं ।
श्रालम कवि ?
19
कात्यायन
चतुर सिरोमनि ( ? ) कविराजा बांकीदासजी
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57
बारहट मुरारीदास
वररुचि
लिपिसमय
१.६६२
२०वीं श
१६६४
२०वीं. श.
१६८८
१६६१
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19
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13
37
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39
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11
विशेष विवरण आदि
१:१२ + ६ पेज यह प्रति दो प्रति द्वारा सम्पादित है ।
17
पत्र संख्या
४.८
३.४
१२
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१-२
२-४
४-७
८-१०
१०-१२
|१२–१४
19
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२०वीं. श. १७
४
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१४- १५,,
१६-१८ "
१८- २१,,
२१-२२,
२३-२६ ”
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लि.क. पं. नाथूराम पुजारी, जयपुर 1
लि.क. गोपीचन्द शर्मा, जयपुर ।
[ ११५
1
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
[ ११६
ग्रन्थनाम
क्रमाङ्क
| पत्रसंख्या
.: . कर्ता
विशेष विवरण आदि
:
२५६ चित्रामनी
सेख फरीद . २०वीं.श. २ २६०
नारायणदास २६१ / नवरत्नकाव्य (भाषापद्यानुवाद एवं
स्वर्गीय पुरोहित श्रीहरिनारायणजी द्वारा । भाषासहित)
संगृहीत एवं सुसम्पादित प्रति है। (सं.) मंत्रगणना
अजमेरके वैदिकयंत्रालय द्वारा मुद्रित ऋग्वेद
संहिताके मंत्रोंकी गणना। २६३ (१) कृपणपचीसी ..
कविराजा बांकीदास (२). " . २६४ / कवित्तसंग्रह ..
कवि प्यारेलालजीकी जीर्ण प्रतिसे लिपीकृत। • २६५. शिवशतक (अपूर्ण)
४ पेज . हर्षनाथ (सीकर) शिव भगवान्की स्तुति एवं
प्रशस्तिपरक है । (सं.) . २६६ (१) पद्मनाथ-देवालयप्रशस्तिशतकम् | मणिकण्ठकवि (गोविन्द- . १६६४ ७ , रचना-११५० । पद्मनाथ देवालयमें देवस्वाभिकविसून, कवीन्द्ररामपौत्र
पुत्र पद्मशिल्पी सिंहवाज एवं माहुल शिल्पी द्वारा शिलामें उत्कीर्ण। लि.क. गोपीचन्द
शर्मा जयपुर । कुल ११२ श्लोक हैं । (सं.) (२) ,... "
" " ..२०वी.श. १२ । २६७ शिलालेख-प्रतिलिपिसंग्रह
इनकी विगत पुरोहितजीको सूचीमें नहीं है ।(सं.) (१) हनुमतबाडीके उत्तर दरवाजे .. ...
१. ... ... संवत् १८०३ में उत्कीर्ण । . . . के पूरवके कोण पर लगा शिला- --
. .. . | १३ श्लोकात्मक लेख उत्कीर्ण है। . लेख एवं तोरमाणका शिलालेख (२) चाटसका शिलालेख भानु (बालादित्य)
३ - ३८३ श्लोकात्मक प्रशस्ति सूत्रधार रजुकसुत....
। भाइ (र)ल द्वारा उत्कीर्ण ।
१४
/
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
..
[११७
कर्ता
| लिपिसमयः । पत्रसंख्या
___.' - ग्रन्थनाम:
विशेष विवरण आदि
क्रमाङ्क
२०वीं.श. २ पेज
| ११६१में रचित एवं उत्कीर्ण ।
"
१
॥
१०११में उत्कीर्ण ।
१०१३"
"
...
(२६७) । (३) ग्वालियरदुर्गके चट्टान पर खुदे
हुए मंदिरमें स्थित शिलालेख . (४) ग्वालियरदुर्गके शिवमन्दिर में ___लगी हुई प्रशस्ति : . (५) १-- आमेरके सूर्यमन्दिरको
प्रशस्ति : . . . २- सुहनीयके जैनमंदिरमें ... प्रतिमाके पदस्थल पर
खुदा हुआ शिलालेख ३- कछवाहा राजा वजदामाका . शिलालेख . (६) १- जयपुर म्यूजियममें सुरक्षित .... आमेरके राजा मानसिंह
- कछवाहाका शिलालेख. . .२- आमेरके कछवाहा राजा
मानसिंह की प्रशस्ति (७) १- कछवाहा राजा मानसिंहका
- हिन्दीभाषावद्ध शिलालेख २- श्रीमानसिंह राजाका
शिलालेख ३- राजा जगन्नाथ कछवाहेकी
प्रशस्ति
१०३४में सुहनीयके जैनमंदिरकी प्रतिमाके पदस्थल पर उत्कीर्ण ।। ... .. . १६६४ में उत्कीर्ण।
यह प्रशस्ति वृन्दावन में निर्मित गोविन्ददेवजीके मन्दिरमें उल्लिखित है। ..... : वृन्दावनस्थित श्रीगोविन्ददेवजीके मन्दिरकी बाई
ओर वृन्दादेवीके मन्दिरको परिक्रमामें उत्कीर्ण । | १६५४ सं.का । यह शिलालेख रोहतास
गढ़के भीतरी द्वार पर उत्कीर्ण है। सं. १६७० । यह प्रशस्ति मेवाड़के कस्बे मांडल में... । बत्तीस खंभों की छत्रीमें उत्कीर्ण है। ....
२रा "
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________________
[ ११८
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची ।
कर्ता
लिपिसमय | पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
गन्थनाम.
(२६७) ४- पुष्करस्थित ब्रह्माजीके
मन्दिरकी मरम्मतका
शिलालेख | (5) फोटाराज्यान्तर्गत कुंवालजी | वैजादित्य . नामक तीर्थके कुंड पर लगा
हुआ रणथंभोरके चौहान राजा
हम्मीरका शिलालेख .." (8) नरवरके फच्छपघातवंशकी . प्रशस्ति . . . . . .
२०वी.श. | २रा पेज ।
| १७७६ सं. । प्रांबेरके प्रोहित गीरधारदासजीको बेटी जोसी श्यंभूरामको माता बाई फुदी द्वारा कराई गई मरम्मतविषयक । सं० १३४५में सूत्रधार त्रिविक्रमसुत राजुक. द्वारा उत्कीर्ण । श्लोक सं. ३९ ।
"
।
सं० ११७७में बवाड़ी ग्रामदानके विषयमें वीरसिंहदेव द्वारा समाज्ञापित । ठाकुर अर्जुनसुत पण्डित सलखक द्वारा लिखित । सं० ११४५में तीलण द्वारा उत्कीर्ण ।
| (१०) दुवकूडको कच्छपधातवंशको... | उदयराज प्रशस्ति .
. | (११) जयपुरराज्यान्तर्गत जमवाय| रामगड़में जमवाय माताके :
मन्दिरकी तहकीकात-भोम्याजीको
मूत्तिका विवरणः .. २६८ । (१) श्रीमद्भागवत-प्रथमस्कंध-भाषा- प्रजवासी
'पद्य (प्रथमाध्याय) (२) श्रीमद्भागवत-द्वादशस्कंध-भाषा
पद्य (त्रयोदशाध्याय) ... २६६ डिंगल-कवितासंग्रह . ..
१९८८४
लि.क.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर।
"
"
" " " " रचना१८१२ (?) ... लि.क.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर (?).
..
.!२०वीं:श.
.
-
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान--विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची ]
- ...
[ ११६
विशेष विवरण प्रादि
मा
अन्यनाम
कर्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
लि.क.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर (?)
२७० विस-चारतानीसाणीगुण २७१ । कवितासंग्रह २७२
गाउण केसवदास २०वी.श. १० पेज अाढा पहाडखांन वोठू महाजी (१) कविया करनीदास । (२) मोतीसर पिरभूदान (३) वारहट ईसरदास (४) गाउण गोपीनाथ (५) अासीया जोधा (६) बरहट जोधराज (७) रंभ (८) अासीया मालाजी (९) जालमा (१०) साधू उमेदजी (११) मोहन (१२) प्रासोया दला (१३) बद्रीदास (१४) सूर (१५) बोलू (१६) साधू संगरामजी (१७) अासीया पोरजी। पजिया हुकमीचाद
.२७४ कवितासंग्रह
Arunt
a intainamain
a mainamainamare
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. राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची]
[ १२०
विशेष विवरण प्रादि
कर्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
ग्रन्थनाम
कमाझ
२०वी.श. २६ पेज
पासीया बुधा
२७५ / कवितासंग्रह
लि.क.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर (?) | इस संग्रहमें जोधपुरके राव सरदारोंके गीतोंके
अतिरिक्त दो कृतियां लिखित हैं। इनमें १ तो 'द्वावैत' महाराजा मानसिंह, जोधपुरको है जिसमें तत्कालीन महामन्दिर, जोधपुरका | इतिहास वणित है। दूसरो कृति 'सूर-दातारो : समवादो' नामक है। इसमें सूर और दाताके प्रश्नोत्तर हैं। (सं.) लि.क.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर। जयपुरनिवासी चौवे सूर्यनारायणजीको प्रतिसे | लिपीकृत। श्रीपुरोहितजी द्वारा सुसम्पादित प्रति । (सं.)
२७६ | पिंगलग्रन्थ
दामोदर (?)
१९८६१६,
२७७ बांकीदास-ग्रन्थावली सटीक
मू. बांकीदास | २०वी.श. ३३ ,, टी. कविया मुरारिदान ।
२-४
(१) जेहल जसजडाव (२) भुरजालभूषण (३) मोहमर्दनदर्पण (४) गङ्गालहरी (५) मावडियामिजाज (६) वेस्यावार्ता : (७) चुगलमुषचपेटका (८) कुफविबत्तीसी (६) कृपणदर्पण
११-१२
१२-१४
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________________
... ...
[ १२१
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्ता
विशेष विवरण आदि
लिपिसमय | पत्रसंख्या
कमा
ग्रन्थनाम
प्रतिकी प्रतिलिपि ।
(२७७) | (१०) कायरबांवनी
२०वीं.श. १४-१६ | (११) बैस्यवार्ता (१२) विदुरवत्तीसी
१६-२० (१३) गोतरसझमाल श्रीराधिकाजीको ...
२०-२२ ..। सिष-नषवरननको | बांकीदासग्रन्थावलीके दूसरे भागकी
४ पृ० भमिका २७६ | वांकीदास ग्रन्थावलीसे सम्बद्ध सामग्री
एवं पत्रव्यवहारादि. | जयपुरका इतिहास .. मुंश देवीप्रसाद मुन्सिफ | १६०४ ६१ पेज
द्वारा संगृहीतः . २८१ महाराजा मानसिंह कछवाहा .. .
१९६१ १२ , २८२ महाराणा प्रतापसिंह
२०वी.श. २८३ वीसलजीके मन्दिर में शिलालेख २८४ | जयपुरसम्बन्धी ख्यातरी फुटकर बाता | कविराजो, वांकीदासजी
द्वारा संगृहीत . .. २८५
मानसिंहजीके राजलोकका व्योरा २८६ फ़र्जदे दौलत महाराजा श्रीमिर्जा राजा | श्रीहरिनारायणजी मानसिंहजी प्रथम
पुरोहित, बी. ए. . २८७ | ऐतिहासिक पत्र ... .. . ... ...२८८ | जयपुरके राजाओंका वंशवृक्ष . ... ... बालाबकसजी हणूंत्या....
लि.क.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर।
संवत् १२३१ ।
मुद्रित प्रतिसे ९-११-३० ईस्वी प्रतिरूपित । ..
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राजस्थान प्राच्यविनाप्रतिष्ठान-विशाभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] गन्यमाला
कर्ता
[ १२२ विशेष विवरण आदि ।
लिपिसमय | पत्रसंख्या
२०वी.श. २
पृ०
३०+१= | चोमूंके ठाकुर मनोहरसिंहजोका ऐतिहासिक
३१ पेज | वृत्त ।
महाराजा श्रीसवाई रागसिंहजी द्वितीय
| का इतिहास २६० | मनोहरचरित्र (छठा अध्याय) तथा | पं. हनुमानशर्मा द्वारा | हनुमानशर्माका १ पत्र
| संगृहीत २९१ | (१) राजपूतानेके कुछ ज्ञातव्य वृत्तान्त (२) रजवाड़ोंके झंने और राजचिह्न मुंशी देवीप्रसादजी द्वारा
संगृहीत २६२ / (१) भैरू कवि और उसकी कविता
सूर्यकरण पारीक (२) आश्चर्यकूप
पुरोहित हरिनारायणजी २६३ | राजस्थानी कविताएँ एवं लेख।
| रामनिवाप्त हारीत आदि (१) सहेलीने कागद (२) किणका .
ठाकुर रामसिंह तंवर (३) दूहा
बदरीप्रसाद आचार्य चन्द्रसिंह (बादलीवाला?)
मुरलीधर व्यास(लालानी) (६) फुलजारो हार
मनोहर शर्मा (७) नागर पान
जयशंकर (विद्याधर
शास्त्री ?) २९४ | भारथचरित्र
देवर्षि भट्ट मंडन कवि २९५ राठोडचरित्र
(४),
३रा ४था. ४था ५वां :
६ठा
लि.क.-धन्नालालात्मज भगवानशम निवासी। र.का०-१८७६ ।। लि.क.-धन्नालालात्मज भगवानशर्मा चौम- . . निवासी। र.का.-१८७६। .... लि.फ.-पुरोहित श्रीनारायण पंवालियावाला।
२९६ | राजपूतानेको रियासतोंका व्योरा
८६ पेज
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[ १२३
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची]
कर्ता
पसंख्या
| लिपिसमय
विशेप विवरण आदि
ग्रन्थनाम
क्रमाङ्क
मुद्रित प्रति, श्रीवेङ्कटेश्वर स्टीम प्रेस, मुंबई ।
मथुराभूषण प्रेस। जयपुर प्रिंटिंग वर्क्स, जयपुर।
"
"
३०२
२९७ / महाराजा मानसिंह · प्रथमका चित्र
२०वी.श. १ (फोटो) . २६८ हिन्दी, उर्दू व इंगलिशके मुद्रित व
लिखित ऐतिहासिक पत्र :: :..., २६६ / मानविजय (पंचरंग) नाटक हनूमान्शर्मा चौम निवासी १९८३ ३०० वीरनारायण (ऐतिहासिक उपन्यास) हरिचरणसिंह चौहान १९९५ ३०१ नाथवंशप्रशस्तिः
आशुकवि श्रीहरि शास्त्री | १९६३ हिन्दी, उर्दू एवं इग्लिशके ऐतिहासिक
फुटकर कागज . .. ३०३ जयपुर रियासतके मुख्य-मख्य ठिकाने मि. जैक्शन, वार.- २०वी.श.
दारोंके जमींदारी तथा विशेषाधि- एट. ला. कारोंकी रिपोर्टके . उत्तरका हिन्दी
अनुवाद ...... ... ... ३२४ | श्रामेरके महाराजा सवाई जयसिंहके | पं. केदारनाथशर्मा राजग्रन्थ और वेधशालाएं
पण्डित
मुद्रित । रिपोर्ट देने वाले मि. विल्स, सी.
| मुद्रित । नागरीप्रचारिणी पत्रिका, भाग ५ सं० २ से उद्दत ।
३०५
..३०७
.३०६ / कोटड़ियोंका वर्णन व हवालाः .. :
सरनालका युद्ध ....३०८ | अहमदाबादका महान् युद्ध ३०९ (१) हिन्दी, उर्दू एवं इंगलिशके
एतिहासिक फुटकर पत्र ..
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Page #144
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
क्रमा
ग्रन्थनाम
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
... कर्ता,
(३०६) (१५) लंवाणका हाल
२०वीं.श. २ पेज
| जुबानी वासुदवसहायजा, शुषत....."! लंवाण।
१८३६
१-२८
लि.क.-सेवाराम कासीराम जोसी। लि.स्था.षी (की) लचीपुर।
२६-३१
३१-३५
३६-३७
१-४
३१० / गुटका
(१) सौन्दर्यलहरीस्तोत्र श्रीशङ्कराचार्य (२) श्रीभैरवाष्टक (विश्वरूप) .
स्तोत्र (३) विविध गायत्री (चतुर्विंशति
गायत्री) - (४) हिंगुलाजमातस्तोत्र (५) लक्ष्मीगणपतिस्तोत्र (गणेश' मालास्तोत्र) ' (६) लक्ष्मीनृसिंहमंत्र कवच नृसिंहपुराणे ब्रह्मसावत्री
संवादगत (७) पंचमुखीहनुमत्कवच । सुदर्शनसंहितोक्त (८) ब्रह्मकवच (चंडोकवच) हरिहरब्रह्मप्रोक्त (मार्क
ण्डेयपुराणगत) (E) आपदुद्धारवटुकभैरवस्तोत्र रुद्रयामलगत (१०) विष्णुसहस्त्रनामस्तोत्र महाभारते शान्तिपर्वगत (११) भगवद्गीता
व्यासप्रोक्त (१२) आदित्यहृदयस्तोत्र
भविष्योत्तर पुराणगत (१३) शिवमहिम्नस्तोत्र
पुष्पदन्ताचार्य
७-१० ११-१८
".
१८-३१ ३१-५३ ५४-१५४ १५५-१८३ |१८४-१६५
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सची।
[ १२६ .
विशेष विवरण आदि
....... का ...
गन्थनाम
लिपिसमय
पत्र संख्या
कमाक
(३१०) | (१४) गजेन्द्रमोक्षणस्तोत्र
(१५) भीमस्तवराज (१६) श्रीरामन्द्रस्तवराज (१७) त्रैलोक्यमोहन रामकवच (१८) विष्णु (शिव) महिन्नस्तोत्र (१६) इन्द्राक्षीस्तोत्र (२०) ज्वालामालिनीमालामंत्र (२१) सूर्यकवच
शौनकप्रोक्तः ।.... . .
१८३६ महाभारत-शान्तिपर्वगत | सनत्कुमारसंहितोक्त ब्रह्मयामलगत (विष्णुप्रोक्त ?) स्कंदपुराणे इन्द्रप्रोक्त १८३७
१९५-२१५ | लि.क.-सेवाराम कासीराम जोसी,
किलचीपुर २१६-२३३ २३४-२४६ २४६-२५४ २५५-२६७ २६७-२७१ २७२-२७६ २७७-२७९
ब्राह्मवैवर्तपुराणगत
| १८७१
१९५१
३११
गुटका
१-३
लि.फ.-दुर्गासहाय, नोमफा थाणा ।
Mr.
१-२२
(१) रघुनाथपंचरत्नम् (प्रात:
स्मरामि पञ्चकस्तोत्र) (२) हनुमत्पंचरत्नस्तोत्र (३) रामचन्द्रस्तवराज (४) गोपालसहस्रनामस्तोत्र । (५) रामरक्षास्तोत्र
सन्तानगोपालसहस्रनामस्तोत्र ३१३ | गङ्गाष्टकस्तोत्र . ३१४ | पद्मावतीस्तोत्र
सनत्कुमारसंहितागत सम्मोहनतंत्रगत रामानन्द सम्मोहनतंत्रगत
"
३१२
शङ्कराचार्य
१६१७२४ १९वी.श. १२ १९१६. २.
..
सिद्धिलक्ष्मीस्तोत्र ..... ३१६ यिष्णोदिव्यसहस्रनामार्चनम्
लि.फ.-जोपट दाधीच गिरिधारी साफभरपुर (सांभर) लि.क.-बाहारणभास्कर। लि.फ.-रामानुजवास। .
बाह्माण्डपुराणगत
१९२१४ १९१७ १६
•
--...
.......
..
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________________
[१२७
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
विशेप विवरण आदि
क्रमाङ्क .
का
...... ग्रन्थनाम
लिपिसमय , पत्रसंख्या
१९वीं.श. १-३
३१६
१६४३
सुलिखित । लि.क.-विद्यार्थी हरिनारायण ।
लि.क.-हरिनारायण।
१६वीं.श. १-६
६-२५
.
W
३१७ (१) प्रासुरीप्रयोगः : (२) धनदायक्षिणीकवचम्
रुद्रयामलगत ३१८ रामरक्षास्तोत्र
रामानन्द लक्ष्म्युपाख्यानस्तोत्र
ब्रह्मवैवर्तपुराणगत. ३२० श्रीदुर्गास्तोत्रम्
नारायणप्रोक्त ३२१ / संकटभंग (हरि) कवच ब्रह्मवैवर्तपुराणगत ३२२ | राधास्तोत्र ३२३ गोलोकमहिम्नस्तोत्रम् ३२४ (१) नारायणहृदयस्तोत्र
अथर्वोत्तरखंडगत | (२). लक्ष्मीहृदयस्तोत्र ३२५ / गायत्रीवर्णजपस्तोत्र ,
विश्वामित्रसंहितायां वेद
व्यासप्रोक्त : . मृत्युलांगूलमंत्र
अथर्ववेदोपनिषद्गत ३२७ | सर्वमन्त्रोत्कीलनस्तोत्र .
शिवरहस्य-मत्स्येन्द्र
संहितागत ३२८ श्रीसतीस्तोत्रम् (प्रातः स्मरामिस्तोत्रादि.
पुण्यश्लोकाः) श्रीवेङ्कटेशस्तोत्रम् यमुनाष्टकस्तोत्र
श्रीवल्लभाचार्य पुरुषसूक्तम् ३३२
३२६
१८९०.२
| लि.क.-घासीराम प्रोहित डागी।
१९वी.श.
३२६
लि.क. मोतीराम।
३३०
.
.
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान विद्याभूषण-ग्रन्थ संग्रह-सूची ]
क्रमाक
३३३ शुकदेयता स्तुति नवरत्नस्तोत्र
३३४
३३५ | मूलरामायणम् (प्रथमसर्ग)
३३६
३३७
३३८ हनुमदष्टकस्तोत्र (हिन्दी)
नारायणकवच
,,
ग्रन्थनाम
प्रीपाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र
३३६
३४० चाक्षुषोपनिषत्स्तोत्रम्
३४१ |
परित्राणम्
३४२ | मृत्युञ्जयस्तोत्र : ३४३ शिवरामस्तोत्र.
३४६ | श्रीरामस्तोत्रम्
३४७ श्रीनृसिंहस्तोत्र
"
३४४ | कालिकाचैलोक्यमोहनकवच
३४५ सप्तश्लोकी गीता
३४८ अच्युताष्टकम् ३४६ हनुमत्स्तोत्र,
३५०
"
ॐ, न्यासविधिः
३५१. मुकुन्दमाला
३५२ महामृत्युञ्जयस्तोत्र
-३५३
श्रालचंदारस्तोत्र सटीक
भागवत द्वितीयस्कंधगत श्रीवल्लभाचार्य
वाल्मीकि
"
कर्त्ता
ब्रह्माण्डपुराणगत :
भागवतषष्ठस्कंधगत
श्री लोकाचार्य
नृसिंहपुराणगत: रामानन्दसरस्वती
रुद्रयामलगत
DON
वेदान्ताचार्य (कवितार्किक )
कुलशेखराचार्य
.मू. यासुनाचार्य, टी. श्रज्ञात
लिपिसमय पत्र संख्या
१६वींश. ३
६
"
१६२४
""
१९वीं. श.
१६३३
१९वीं. श.
"
"
"
"
१८५१
२०
२४
२
"
७
१
२
१६वीं. श. २
१४.
१७
लि.क.- रामकुमार, जयपुर ।
"
विशेष विवरण आदि
"
"
[ १२८
ये तीनों पत्र स्फुट एवं विभिन्न कृतियों के हैं । (सं)
पद्यान्तिमचरण - 'श्रीरामचन्द्रं सतत नमामि' लि.क. लछमण, बंभोरमध्ये ।
लि.क. रामरूप प्रोहित, भिलवायमध्ये ।
Page #149
--------------------------------------------------------------------------
________________
LITS
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] ...
विशेष विवरण प्रादि
लिपिसमय
कर्ता
पत्रसंख्या
ग्रन्थनाम
क्रमाङ्क
३५४ क्षमाषोडशी सटीक ...
मू. श्रुतप्रकाशिकाचार्यसुत | १९वीं.श. ६ वेदाचार्य, टी. अज्ञात गर्गप्रोक्त
| ये चारों पत्र २ स्फुट एवं विभिन्न कृतियों के हैं।
३५५ | सरस्वत्यष्टक .... ३५६ नारायणसूक्तभाष्यादि. ३५७ / (१) नारायणहृदयस्तोत्र
| (२) आद्यामहालक्ष्मोहृदयस्तोत्र ३५८ | सप्तशती (दुर्गा) नवार्णन्यासादि
अथर्वोत्तरखंडगत अथर्वरहस्यगत
१८७२१-५
६-२३ | १९वीं.श. ११
इसमें नवार्णन्यासविधि, सप्तशतीस्तोत्रन्यास, रात्रिसूक्त एवं देवीसूक्त अनुग्रह स्तोत्र लिखित है। (सं.) लि.क.-लक्ष्मीनारायण खंडेलवाल ब्राह्मण, जयपुर।
.
.
.
अच्युतानन्दास्वाद चतुर्थनिग्रह पटल ।
..
..:
:..
१६.१६ १८वी.श.
३५६ श्रीलक्ष्मीस्तव...
श्रीवत्साङ्क ३६० श्रीरामगायत्रीपञ्चन्यास ३.६१ . हरिनामषोडशी
. अद्वैताचार्यसंग्रहवात (?) ३६२ अष्टश्लोकी व्याख्यान
| वैष्णवदास ३६३ (१). विष्णुपञ्जरस्तोत्रम्
(२) लक्ष्मीनृसिंहमंत्रकवच ३६४ गारुडोपनिषत्
हरिहरब्रह्मप्रोक्त ३६५ प्रतिमानुषस्तोत्र (श्रीरंगराजस्तोत्र) सौम्यजामातृमुनि .
(अध्यात्मचिन्ता) .. ३६६ | श्रीवेङ्कटेशलक्ष्मी कवच ........ ... वाराहपुराणे शौनकप्रोक्त
सर्व प्रथम १५ पद्योंका विष्णुस्तोत्र है, तदनन्तर पञ्जरस्तोत्र । अपूर्ण।
४था
"
१९वीं.श. २६
Page #150
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________________
[ १३०
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची] क्रमाङ्क
कर्ता
लिपिसमय | पत्र संख्या
विशेष विवरण आदि
ग्रन्थमाला
x
लि.क.-रामकुमार ब्राह्मण, जयपुर
xx. ....
अपूर्ण ।
३६७ / सुदर्शनस्तोत्र
१९वीं.श.३ ३६८ राघवाष्टकस्तोत्र
श्रीनिवास वेदान्ताचार्य ३६६ | सुन्दरबास्तोत्र
रामानुजयामुनाचार्य ३७० | श्रीरङ्गप्रपत्ति
१९३४४ ३७१ श्रीरङ्गमङ्गलम्
१९१३ ३७२ | महानारायणमंत्रराजस्तोत्रचिन्तामणि | वाराहपुराणगत ३७३ | वरदराजस्तव.
१९वी.श. ३७४ | श्रीवेङ्कटेशस्तोत्र ३७५ | वेङ्कटनाथार्य (वेदान्ताचार्य)स्तुति
१६वी.श. ३७६ / जितं ते स्तोत्र (प्रथमतः पञ्चाध्यायान्त) पाञ्चरात्रागमे महोपनि
पदि ब्रह्मतंने अष्टाक्षर
कल्पगत ३७७ | श्रीवानाद्रिनाथप्रपत्तिः ३७८ (१) लक्ष्मणकवच ..
सुदर्शनसंहितागत (२) श्रीनिवासफवच
६-११ ३७६ | हनुमद्वादशनामस्तोत्र
१९६३ दुर्गास्तव
महाभारते विराटपर्वगत | १९वी.श. | सन्तशतीस्तोत्रन्यासविधि | महामृत्युञ्जयविधानम्
मंत्रमहोदधिगत गुरुमहिमा (रामपूजापद्धति) अध्यात्मचिन्तास्तोत्रम्
सौम्यजामातृमुनि
लि.फ.-भगवानशर्मा, चौमू
अपूर्ण
Page #151
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________________
[ १३१
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची].
विशेष विवरण आदि
कर्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
.:' - ग्रन्थनाम
क्रमाङ्क
१०
-
लि.क.-महादेव ब्राह्मण । नीमकायाणा ग्रामे। सुन्दर लिखित एवं शोभन पत्र
"
११-१२
| लि.क.-पीताम्बर, वाराणसी मध्ये।
३८५ / अध्यात्मचिन्तास्तोत्रव्याख्यान:.. वरदराज
१९वी.श.७१ ३८६ | मूलसूत्र (पञ्चमाध्याय)
ब्रह्मसंहितायां भगवत्सि- १७३२
द्धान्तसंग्रहगत ३८७ (२) गुरुपरम्परास्तोत्र | हरिव्यासदेव सूचित
५-६ (१) निम्बार्कपद्धति मंत्रव्याख्यातविधि | सनत्कुमारनारदसंवाद ३८८ (१) विष्णोःस्थानाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र
१८वीं श.१-५ (२) गुरपरम्परा (रामानुजीय) स्तोत्र ३८६ आदित्यहृदयस्तोत्र
भविष्योत्तरपुराणगत
२२
१९वी.श. ३२ ३९१ सप्तशती दुर्गास्तोत्र
| मार्कण्डेयपुराणगत १८वी.श. १.०३ ३६२ श्रीकृष्णलहरी
।
१९वीं.श.८ ३६३ | इन्द्राक्षीस्तोत्र .
पद्मपुराणे इन्द्रप्रोस्त . । १६२७२० ३६४ पुरुषोत्तमसहस्रनाम
वैश्वानरप्रोक्त | १९२३ ३३. ३९५ राधारससुधानिधिस्तव
गोविन्दस्वामी (गोस्वामी | १६वीं.श. ७० ।
हितहरिवंश) ३९६ | गङ्गाष्टक
वाल्मीकि, ३६७ (१) आदित्यहृदयस्तोत्र
रामायणे युद्धकाण्डे अग-
स्त्यप्रोक्त (२) विष्णुषट्पदी. शङ्कराचार्य
४ था (३) संकष्टनाशन श्रीलक्ष्मीनृसिंहस्तोत्र (४) हरिहरात्मकस्तोत्र
७-वां
लि.क.-रूड़मल पुजारी, विलोंछी ग्राम ।
, गोपीनाथ व्यास
-
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________________
#
Page #153
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________________
[ १३३ .
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
कर्ता
ग्रन्थनाम..
क्रमाड़
mr
l
१०वां
४०४/ श्रीलक्ष्मीसहस्रनामस्तोत्रहिरण्यगर्भहृदयं प्रादित्यब्रह्मपुराणे | १९०६ १५ नाम .... ........
काश्मीरवर्णनगत... ४०५ | जानकीसहस्रनामस्तोत्र . सिद्धेश्वरतंत्रगत १७वीं.श. १३ ४०६ | सरस्वतीस्तोत्र
११वी.श. ४०७ । नृसिंहप्रातःस्मरण
श्रीरामानुज :. १८वीं.श. ३ ४०८ (१) हनुमदष्टकस्तोत्र . श्रीरामचन्द्रप्रोक्त
(२) शत्रुञ्जयहनुमत्स्तोत्र (३) हनुमत्स्तवराज
सुदर्शनसंहितागत (४) हनुमदष्टकस्तोत्र
६-१० (५) हनुमन्मंत्र (शाबर) ४०६ | गायत्रीरामायण
वाल्मीकीयरामायणगत - ४१० श्रीराममहिम्नःस्तोत्र
विजयरामाचार्य १६१८
चतुर्भुजाचार्यशिष्य ४११ (१) सूर्यस्तवराज
साम्बपुराणगत १९वीं.श. .... (२) गङ्गाष्टकः .. ... वाल्मीकिमुनि . ४१२ (१) सिद्धान्तबिन्दुस्तोत्र
शङ्कराचार्य
१८वी.श. १ला (२) भुजङ्गप्रयातछन्दःस्तोत्रम्(भवान्याः)
" (३) कोशनामानि २८ ४१३ | [त्रिवेणीस्तोत्रम्
१९वीं.श. ४१४ | शालग्रामस्तोत्र . . .
भविष्योत्तरपुराणगत .....४१५ | तुलसीस्तोत्र . . . . . . . स्कन्दपुराणे रेवाखंडगत
लि.क.-जगन्नाथ। .. लि.क.-रामानुजदास, ग्रान दूदू ।
"
२-३
लि क.-हरिचन्द्र ।
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________________
[ १३४
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान--विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] .. .नन्यनाम
. कर्ता :
लिपिसमय
पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
४१६ / हनुमत्सहलनामस्तोत्र ।
लि. फ.-ड्योढ़ीराम, मालपुरामध्ये ।
वाल्मीकिरामायणे । १८२६ रामप्रोक्त अगस्त्यसंहितागत १९वीं श. १० . नृसिंहपुराणे मार्कण्डेयप्रोपत ,
४१७ | श्रीरामपूजा ....... ४१८ | लक्ष्मीनृसिंहसहस्रनामस्तोत्र
लि. क. वैष्णव बालमुकुन्वदास ।
, चतुर्भुज रामानुजदास।
४१६ | . " " ४२०. | राधास्तोत्र ... ४२१ (१) गङ्गास्तोत्र
(२) महापुरुषस्तोत्र
१८६७ १९वीं.श.
:
ब्रह्मवैवर्तपुराणगत ...
' (अष्टावशा- ध्याय ब्रह्मखंडे) महाभारतगत
१७ २ १-२ २-६
| नमोन्त विष्णुसहस्रनामपाठ
१८वी.श. २३ :
पत्र २ से १३ तफ अप्राप्त । अन्तिम पत्र में बटुककवचको फलस्तुति अपूर्ण लिखित है (सं.)
४२४
.
२. ६
लि.फ.-जगनाथ । किचिदपूर्ण।
20
| अधिकारसंग्रहस्तोत्र सव्याख्य | मू. वेङ्कटनाथ वेदान्ता- | १९वी.श. ३२
चार्य, टी० अज्ञात सुदर्शनाष्टकस्तोत्र
t ४२५ श्रीरामापदुद्धारफस्तोत्र
१९३० : गोपालसहस्रनामस्तोत्र सभाष्य कश्चित् निवार्फसम्प्रदायीय १९वी.श. ५५ (१) सन्तानगोपालविधिः . ... ... ... (२) , (३) , (सयंत्र) मूलरामायण (आवित्यहृवयं नाम, हनु- चाल्मीकिमुनि मत्स्तोत्र)
२६
....
२
४२८
अपूर्ण । ........
Page #155
--------------------------------------------------------------------------
________________
...
... ... . [ १३५
. .
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] ..
.... कत ग्रन्थनाम क्रमाङ्क
लिपिसमय | पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
| अपूर्ण।
वाल्मीकिमुनि भविष्योत्तरपुराणगत
१९वीं.श. १८वीं.श. ७-१५. १६वीं श.२
| दालभ्यऋषिप्रोक्त
सुदर्शनसंहितागत ब्रह्माण्डपुराणे श्रीरामप्रोक्त विभीषणप्रोक्त
३-१०
१०-१२
१३वां
अपूर्ण । राजस्थानी भाषामें निबद्ध
0
४३५
4.
४२६ आदित्यहृदय हनुमत्स्तोत्र ४३० प्रादित्यहृदयस्तोत्र ४३१ | आदित्यहृदयस्तोत्र (स्फुटपत्र) ४३२ | अपामार्जनस्तोत्र ४३३ | सप्तश्लोकी गीता ४३४ (१) हनुमद्वडवानलस्तोत्र
(२) हनुमत्कवच (३) प्रापन्निवारक हनुमत्स्तोत्र (४) हनुमत्स्तुति छन्द
हनुमदष्टक ४३६ हनुमत्कवच ४३७ श्रीनारायणस्तोत्र
ब्रह्मकवच ४३६ | श्रीरामाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र ४४० (१) सुदर्शनाष्टक
(२) आदित्यहृदयस्तोत्र
दधिमथ्यष्टक ४४२ / (१) शिवमानसीपूजा
" (२) देव्यपराधक्षमापनस्तोत्र ४४३ / अघोरमंत्र
महागणपतिस्तोत्र
हरिहरब्रह्मप्रोक्त
80
रामायणगत
१ला १ला १ व ३रा पत्र
| शङ्कराचार्य
अपूर्ण
Page #156
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान--विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] . .
[..१३६
ग्रन्थनाम
कर्ता
लिपिसमय | पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
१९वी.श.
अपूर्ण।
४४५ | शियाविस्तोत्राणां स्फुटपत्राणि ४४६ पष्ठीस्तोत्र ४४७ शीतलास्तोत्र
चक्रेश्वरीस्तुति अम्बिकास्तुति शवविध्वंसिनीस्तोत्र
स्कन्दपुराणोक्त
200°
४५४
2002
.४५६
४५२ / (१) अन्नपूर्णास्तोत्र । (२) सरस्वतीस्तोत्र
ब्रह्मपुराणगत | बगलामुखीस्तोत्र . राधारससुधानिधिस्तोत्र नवाक्षरीमंत्र (बगलायाः) गोपालपंचाङ्ग गोपालसहस्रनाम
| विष्णुसहस्रनाम सटीक ४५६ (१) फलशस्थापनविधि
(२) नारायणहृदयस्तोत्र अथर्वणरहस्योक्त | (३) लक्ष्मीस्तोत्र | (४) शत्रुविध्वंसिनी (स्वामिवश्यफरी-| शिवाणवतंत्रगत
स्तोत्र (५) अन्नपूर्णास्तोत्र
रुद्रयामलगत
४५८
।।
Page #157
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________________
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान--विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची] .. . - ग्रन्थनाम
कर्त्ता ..
[ १३७.... विशेष विवरण आदि ..
..
लिपिसमय । पत्रसंख्या
क्रमात ......"
(४५९.) (६) तर्पणविधिः
..
............. | १६वी.श. १-१६
-
४६०
१९वी.श.६ १६३० १७६६. २०वी.श. १९वीं.श.
४६१. भूतशुद्धिः प्राणप्रतिष्ठांच . ४६२ ४६३. ४६४ संध्योपासनम् ४६५. पार्थिवपूजनम् ४६६. बलिवैश्वदेवकर्म : ४६७
पुण्याहवाचन ४६८ एकोद्दिष्टश्राद्ध प्रयोग ४६६ महालक्ष्मीपूजा ४७० वेदस्थापनसंक्षेप
urdur - ur cur
दानखंडोक्त
१६.०८ १९वीं.श.
६+२
अपूर्ण । दो पत्र किसी अन्य पुस्तकके प्रतीत होते हैं (सं०) अपूर्ण ।
४७१: तत्तिरीयोपनिषत् ४७२ दण्डकम्: ४७३: प्रपन्न संध्या ४७४ प्रातःसंध्या . ४७५ : नवग्रहमंत्रजपविधि ४७६ / भूतशुद्धयादिप्राणप्रतिष्ठा
| (हनुमत्कवचमालामंत्र).
अपूर्ण
-
माया
IITORARIAJArerammarwaruwaongAAREERexirawaermactachasmMDIOAD
Page #158
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान --- विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह- सूची J
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम,
कर्त्ता
४७७
४७८ रुद्राष्टाध्यायी
४७६ | पार्थिवचिन्तामणि ( शिवपार्थिवपूजन )
४८०
रुद्राष्टाध्यायके स्फुटपत्र
कुशकण्डिका
४८१ विष्णुपूजन प्रयोग
४८२ देवीमानसीपूजा
४८३ विवाहपद्धतिः
४८४ विवाहपद्धतिके स्फुटपत्र
४८५ शिवमानसपूजा
४८६ संध्योपासनविधि
४८७
४८५
४= ६
૪૨૦
स्फुटपत्र
४६१ श्राद्धपद्धतिके स्फुटपत्र ४६२ नवरात्रस्थापनविधि: ४६३ | दत्तक कर्म संग्रह
४६४
४६५
""
"
श्राह निककृत्य नित्य तर्पण के
छायापुरुषलक्षम् स्वप्नबोधाध्याय.
महामहोपाध्याय कृष्ण तर्कालङ्कार भट्टाचार्य
मार्कण्डेयपुराणोक्त
लिपिसमय
१६वीं. श. २
"
19
"
२०वीं. श.
१६वीं. श.
ܬ ܘ
८-४४
१८वींश. ४-८
१६३५ ५
१४
१९वीं. श. ११
३०
"?
१८वीं. श. १५
"
पत्रसंख्या
१६३५ १६वीं. श.
६
१८व.श. ३
२-५
३
२- १०
७
१६वीं.श. २
२
| ११
१८वी.श. ३
१६५२ १
अपूर्ण
* 3:
अपूर्ण
" लि.क.-पु. हरिनारायणजी खेजड़ाका रास्ता, जयपुर
"
विशेष विवरण आदि
अपूर्ण
[ १३८
पूर्ण
लि. क. - रोडूराम ब्राह्मण
अपूर्ण । लि.क.- पुरोहित हरिनारायणजी
राजस्थानी भाषामें
Page #159
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विहाभूषण-ग्रन्थ संग्रह-सूची 1.....
लिपिसमय
कर्ता
पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
क्रमाक
ग्रन्थनाम
-
-
-
१९वीं.श.
राजस्थानी भाषा
४६८
"
प्रकीर्णपत्र
४६६
--
नारायण
४६६ सुगनावली स्फुटपत्र ४६७ । जन्मकुण्डली फलके प्रकीर्णपत्र
दशाफलके गुरुद्वादश राशिविचारफल सूर्यफलम् चमत्कारचिन्तामणिके प्रकीर्णपत्र शीघ्रबोधके प्रकीर्णपत्र महत्तंचिन्तामणिके प्रकीर्णपत्र
बालबोध ५०५ जातकपद्धति ५०६ / लघुजातक ५०७, बहज्जातक ५०८ | पन्चाङ्गोंके प्रकीर्णपत्र ५०६ ! सारिणोके ५१० ज्योतिषके स्फुटपत्र ५११ गोपीगीत
IMG F६ ० ० ०
५०४
मञ्जादित्य केशव
१८वी.श.
१७वीं.श. । १८वीं.श.
१९वीं.श.
वेदव्यास (भागवतदशम
स्कंधगत)
~ -
५१२ भ्रमरगीत ५१३ महिषीगीत ५१४ येणुगीत
~
~
0
-
Page #160
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह- सूची ]
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
५१६ चतुर्थी व्रतकथा
५१७
रामायणमाहात्म्य चन्दनषष्ठीव्रतकथा
५.१८
- ५१६ / गोत्रिरात्रव्रतकथाके स्फुटपत्र ५२० 'व्यतीपातकथा
39
५२१ | विश्वम्भराकी कथा ( पल्लीपतन विचार)
५२२
प्रदोषव्रतकथाका प्रकीर्णपत्र
५२३
५.२४
लक्ष्म्युपाख्यान (दीपमालिकाकथा )
काममंत्र रहस्यायं (रहस्यत्रितयार्थ, अष्टाक्षरी मंत्रार्थ )
५२५ धनुर्मास माहात्म्य
• ५२६ | गीताभाषापद्यानुवादके स्फुटपत्र ५२७ मुक्तिमंत्र (रहस्यत्रयार्थ )
५२८ पुरुषोत्तममाहात्म्य
५२६ दत्तात्रेयतंत्रम्
५३० प्रर्जुनस्य दशनामानि तथा राममंत्र
५३१. जानकीमंत्र
सर्वोत्कीलनमंत्र
५३२
५३३ (१) प्रत्यङ्गिरामंत्र
(२) शत्रु विध्वंसिनीस्तोत्र
५३४ कार्त्तवीर्यसहस्रनामस्तोत्र
कर्त्ता
शिवपुराणगत
स्कन्दपुराणगत भविष्योत्तरपुराणगत
रामानुज शिष्यः कश्चित्
स्कन्दपुराणोक्त
रामानुज शिष्यः कश्चित्
स्कन्दपुराणगत ईश्वरप्रोक्त
डामरतन्त्रोक्त
लिपिसमय
१६वीं.श. ७
८
2:
"
11
11
१६१४.
१६वीं.श.
33
11
""
11
५
"
१४
६-२८
१८
"
१८वीं. श. २६
१६वीं. श.
८७
६४
१६२५
問
१४
पत्र संख्या
o
१
"}
२
२०वीं. श. १-२
२-३
२०
त्रुटित
संपूर्ण
19
विशेष विवरण आदि
अपूर्ण । सप्तत्रिंशाध्यायपर्यन्त ।
[ १४०
लि.क.- पुरोहित हरिनारायणजी, जयपुर ।
Page #161
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह- सूची ]
क्रमाक
ग्रन्यनाम
५३५ | सन्तानगोपालयंत्र विधिः
५३६
मंत्रसार
५३७ | कार्त्तवीर्यार्जु नदीपदानविधि:
५३८
कलान्यास ( मायाकामबीजादिन्यासः ) ५३६ (१) श्रर्थवद्ग्रहणं सूत्रप्रतिपत्ति
(२) सारस्वतव्याकरणके स्फुटपत्र समयाचारतंत्र (संवित्स्तोत्र )
५४०
५४१ | हमीररासो
५४२
५४३
***
५४५
रुक्मिणी मंगल
रुक्मिणीजीरो व्याहलो
जानकी मंगल
प्रेमप्रकास
५४६ सतनामप्रकास
५४७ | मारवाड़ी तमासा
५४८ इंद्रजालविधि
૪૨
शिवपञ्चरत्न
५५० रसिकजीके हिन्दी पद
५५१ | स्नेहसंग्राम एवं अन्य कवित्त
नित्यनाथविरचित सिद्धि
खण्डगत
कर्त्ता
गोस्वामि श्रीशिवानन्दभट्टकृत कुलप्रदीपचतुर्थ -
प्रकाशगत
व्रजनिधि
कवीर
लिपिसमय
१६वीं. श. १
६
""
""
37
१६००
१९वीं. श. १५
99.
"
35
"1
11
,"
"
""
""
27
३
"1
पत्रसंख्या
४६
१३
स्फुटपत्र
लि.क.- फतेराम
व्याकरण
स्फुटपत्र
ܕ
"}
पूर्ण
"
स्फुटपत्र
79
17
विशेष विवरण आदि
[ १४१
Page #162
--------------------------------------------------------------------------
________________
[ १४२
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] क्रमांक . .:. ग्रन्थमाला
कर्ता
लिपिसमय
पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
१९वी.श.
ur
स्फुटपत्र
५
m
L
अस्तव्यस्त पत्र ए
"
१६२५
रचनाकाल १७६६ । वहीं ।
२०वी.श. १२
भागवत-दशमस्कंधभाषापद्यानवाद ५५३ | भैरव, दुर्गा एवं सूर्यकी भारती ५५४ | शाखोच्चार (हिन्दी)
दादूदासजन्मलीलाग्रन्थ ५५६ हिन्दीभाषाबद्ध पुस्तकोंके स्फुटपत्र ५५७ भक्तमाल .
नाभादास ५५८ | फहरिस्त जयपुरके जागीरवारानकी ५५६ दिल्लीको पातस्याहीका ब्योरा ५६० | गवर्नरजनरल, वायसराय प्रार० ई
होलेन्ड की स्पीच ५६१ / दिल्लीके दरबारे खासफा चित्र ५६२, जयपुरराज्य कौन्सिल व जागीरदारों वीरसिंह तँवर (हाकिम, | से निवेदन ....
इतिहास विभाग, राज्य
अलवर) फोटोस्टेटकापी कायमस्यंघ राजावतके
पन की ५६४
माधवेश विवाह बनड़ा गीत
इतिहास सम्बन्धी सामग्री ५६६ / (१) सिद्धान्तचन्द्रिका
रामाश्रमाचाय
१९२१ सनमें जयपुर प्राये, उस समय में दी गई। मुद्रित (हिन्दी, उर्दू, इंग्लिश) मुद्रित । ये यूटेश्चर समाचार का उपहार । मुद्रित
arr
५६३
-
"
.
२
जयपुरके महाराजा सवाई माधवसिंह (द्वितीय) के विवाहोत्सव पर गाए हुए (सं.)
स्फुट पनादिमें टिप्पणियां । ५२-|-४८ = पूर्वार्द्ध : लि.फ.-गोपीनाथ गात, जयनगर ।
१०० १६-1-३६
१
(२)
(उत्तरार्द्ध)
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________________
[.१४५
-
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची
ग्रन्थनाम
1..
कर्ता
लिपिसमय | पत्रसंख्या
विशेप विवरण आदि
क्रमाङ्क
६०४ श्यामचरित (षष्ठाध्यायी)
लि.फ.-बलदेव ; हिन्दीका अज्ञात एवं अप्रकाशित ग्रन्थ ।
| सिद्धोपाय :
अर्थपञ्चकविवेक ६०७ लक्ष्मीनारायणपञ्चाङ्ग
| रघुवंश (द्वितीयसर्ग) ६०६ |... (चतुर्थपञ्चमसौ)
| रघुवंशटीका (विशेषार्थबोधिनी)
द्वितीयसर्गस्य | अष्टावक्रगीताटीका
श्रीमुखानन्द (श्रीसाला- १९४० ११ । वासपुरसमीपस्थ वूरवेदिकाग्रामस्थ वसिष्ठगोत्र
सनातनात्मज) | रामानुजमतीयः कश्चित् : १६२१ १३ | शठकोपदास
१९१४ ११ । देवोरहस्यगत
१९वी.श. .२५ | कालिदास
: १८वीं श. ८
" १४ गुणविनय
" १४
विश्वेश्वर
. १८वी.श. ७२
लिपिस्थान-रामगढ़ । लि.क.-लक्ष्मणदास कुचामननिवासी। अपूर्ण । . लि.फ.-विहारीदास हरिरामशिष्य।
६१३
६१२
| रामस्तवराज सटीक | भगवद्भक्तिरत्नावली सटीक
| तत्वबोधप्रकरण ६१५ / संगीतरघुनन्दनम् महाकाव्य सटीक
रामानुजीयः कश्चित् मू. विष्णुपुरी, टी. प्रज्ञात १७११ ५१
१९०७ विश्वनाथसिंहदेव १६२६ ६० टी. स्वोपज्ञ जयदेवकवि
१९२६ १४ | शङ्कराचार्य । १८वी.श. १-२
" :२-२
अज्ञात एवं अप्रकाशित । विशिष्ट प्रति, प्रादितः षोडशसन्ति । पादितः षष्ठसन्ति । विशिष्ट प्रति ।
६१६ | रामगीतगोविन्दकाव्य ६१७ / (१) ब्रह्मनामावलीरत्नस्तोत्र
(२) ब्रह्मनिरामयाष्टकम् ॥
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[ १४४
• राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-जन्य-संग्रह-सूची ] ग्रन्यनाम
कर्ता
लिपिसमय | पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
५८६ ५८७
कालिदास श्रीहर्ष
फुमारसंभव नेपधीयचरित रत्नकोश (वस्तुविज्ञानव्याख्या) . अमरकोश
१९वी.श. १२ प्रथम द्वितीय सर्ग
प्रथम सर्ग २०वीं श. १८ १९१७-१८/४२-+-६६--- लि.क.-गोपीनाथ छात्र
२७%3D १३५ १६वीं.श. ३-२३ अपूर्ण
अमरसिंह
१९०२ १७+-३८--
। २६ = ७१ १५वी.श. १५
लिं.कि. गोविन्द शर्मा १९वीं.श. ७ अपूर्ण।
| , सटिप्पण ५६२ | वाग्भूषणशतकफाव्यसटीक ५६३ वृत्तरत्नाकर ५९४ - काव्यस्फुटपत्राणि ५६५ / सन्तदासजीकीवाणी प्राविं गुटका
रामचन्द्र
भास्कर
सन्तदासं आदि
रामानुजमतानुसारी
- ५९६ श्रीनारायणधर्मसारसंग्रह
५९७ / नित्यकर्मविधिः । ५९८ स्मृतिसार
सुवर्शनशतकस्तोत्र
चतुर्विंशतिमुनिप्रोक्त फूरनारायण
१६३६ १२६ इसमें रामचरणं, भीषजन, मीरां प्रादिके
पदोंके साथ पिसणसिंगार ग्रन्थ भी लिखित है।
लि.क.-नारायण ब्राह्मण गौड़ [१८]३७ ६२ लि.क.-काश्मीर देशान्तर पं. पुण्यजनराजराम। १८वी.श. ८४ अपूर्ण। यह कोई धर्मशास्त्रका निबन्ध ग्रन्थ है। १८८६ १८वीं.श. २१. १८८७
आयुर्वेव-सम्बन्धी ग्रन्थ । . . | १९वीं.श. २ .....
१५वी.श.. २६... | १८७२ ।
योगशत .......
वज्रसूचीशास्त्र
| शङ्कराचार्य वाक्य (तत्वमसीति) सुधाप्रकरणसटीक रामायणपाठविधिः (हयग्रीव पाञ्चरा- | रामानुजकल्पद्रुमोक्त त्रानुसारी)..... ....
६०३.
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्ता
क्रमाङ्क
६०४.
ग्रन्थनाम
श्यामचरित ( षष्ठाध्यायी)
६०५ सिद्धोपाय
६०६
श्रर्थपञ्चकविवेक
६०७ लक्ष्मीनारायणपञ्चाङ्ग
६०८
रघुवंश (द्वितीयसर्ग)
६०६
(चतुर्थ पञ्चम)
11.
६१० रघुवंशटीका ( विशेषार्थबोधिनी )
द्वितीयसर्गस्य
६११ श्रष्टावक्र गीताटीका
६१६
६१७
६१२
रामस्तवराज सटीक
६१३ | भगवद्भक्तिरत्नावली सटीक तत्वबोधप्रकरण
६१४
६१५ संगीत रघुनन्दनम् महाकाव्य सटीक
रामगीतगोविन्दकाव्य
(१) ब्रह्मनामावली रत्नस्तोत्र
(२) ब्रह्मनिरामयाष्टकम् "
श्रीमुखानन्द (श्रीताला- १६४०
वासपुरसमीपस्थ वूरवेदिकाग्रामस्थ वसिष्ठगोत्र
सनातनात्मज)
रामानुजमतीयः कंश्चित्
शठकोपदास
देवी रहस्यगत कालिदास,
17
गुणविनय
विश्वेश्वर
रामानुजीयः कश्चित्
मू. विष्णुपुरी, टी. श्रज्ञात
विश्वनाथसिंहदेव
टी. स्वोपज्ञ जयदेवकवि
शङ्कराचार्य
लिपिसमय
!
१९२१ १३
१६१४
१६वीं. श.
| १८वीं श.
"
,
पत्र संख्या
"3
१७११
१६०७
१६२६
११
19
११
२५
८
१८वीं. श. ७२
१४
१४
८
५१
१०
६०
१६२६
१४
१८वीं. श. १-२
१२-२
[ १४५ -
विशेष विवरण आदि
लि.क. -बलदेव ; हिन्दीका श्रज्ञात एवं प्रप्रका
शित ग्रन्थ ।
लिपिस्थान - रामगढ़ । लि.क.-लक्ष्मणदास
कुचामन निवासी ।
अपूर्ण |
लि. क. - विहारीदास हरिरामशिष्य ।
प्रज्ञात एवं अप्रकाशित। विशिष्ट प्रति, श्रादितः षोडशसर्गान्त ।
श्रादितः षष्ठसर्गान्त । विशिष्ट प्रति ।
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
[१४६
कत्ता
विशेष विवरण आदि
लिपिसमय. पत्रसंख्या
क्रमाहुः
गन्थनाम
__...
लि.क.-रोडूराम वैद्य। अज्ञात अप्रकाशित ग्रन्थ ।
अपूर्ण। अचलेशके आदेशसे निर्मित सं. १८८३ में।
अपूर्ण।
पादेव
(६१७) (३) हंसाष्टकम्
शङ्कराचार्य १८वीं.श. २-२ (४) हस्तामलकम् - . .
२-३ | (५) विज्ञाननौका ६१८ | पाकार्णवग्रन्थ (आयुर्वेद):.
१६२६ २३ | क्षेमकुतूहल (महानसविधिः) | क्षेमशर्मा-नरवैद्यमन्मथा- १९वीं.श. ४४
त्मज श्रीतनयासंग्रह गुरुपरम्परा च रामानुजीयः कश्चित् ६२१ मुहूर्त्तचिन्तामणिभाषा
सुकवि शंभुनाथ ६२२ जगन्मङ्गलस्तोत्र (जैन) सटिप्पण
२०वीं.श. ६२३ सर्वज्ञस्तवन (देवाःप्रभो स्तोत्र) सटीक जयानन्दसूरि
१७वीं.श. ६२४
समवसरणस्तोत्र ६२५ | ज्ञानलोचनस्तोत्र
सुवादिराज-पोमराजतनय १७४४ पातञ्जलगेगशास्त्रवृत्ति (राजमा- . श्रीधारेश्वर. ...., १९१४
तण्डाभिषा) ६२७ तत्वत्रयचूलार्थसंग्रह
वेदान्ताचार्य वरदनाथा- १९वी.श. १७
परनाम ६२८ | यतीन्द्रमतदीपिका
श्रीनिवासदास-गोविन्दा
चार्य शिष्य वाधूलकुलोद्भव .. ६२६ | हठयोगप्रदीपिका
स्वात्माराम योगींद्र
वर्षाभिषिक्त ।
धनदेव
लि.क.-उपाध्याय कल्याणकोति।
| लि.फ.-पुरुषोत्तम मिश्र वृन्दावनसमीपस्थ। अठखंभा-लाखापुर।
३२
लि.क.-ब्राह्मण श्रीवष्णव जयनारायण रामा- . नुजदास दूदूमध्ये ।
... ६३० वृन्दविनोदसतसया
कविवृन्द..
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..
... . . राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]..... क्रमाङ्कः ग्रन्थनाम
:: कर्ता
..... ... ... .. . ... ... .... .. [ १४७
विशेष विवरण आदि
लिपिसमय पत्रसंख्या
६३१ भक्त [माल] कथा
१९वी.शं. ६६-६२
पद्यवद्ध अपूर्ण। . . . . .
२-४०
काशीनाथ
१८वीं.श. ११
अपूर्ण ।
mm ururu"urur'.
प्रश्नप्रदीप (ज्योतिष)
| प्रश्नावली (वेदान्त) ६३४ | गायत्रीसंग्रह | भागवत (प्रथमस्कंध) मूल
, (चतुर्थस्कंध) सटीक -, (तृतीयस्कंध) सटीक
वेदव्यास
1.
श.
१३. २२-५१ २२-६७ २८-१३४
WW
अपूर्ण व त्रुटित। २३ से २६ तक अप्राप्त । अपूर्ण व त्रुटित प्रति। अपूर्ण व त्रुटित प्रति । १२७ एवं १२८ तथा . १३० से १३३ तक अप्राप्त । .
..
"ur
टी. श्रीधरस्वामी
अपूर्ण
..
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१८३६ १८४८
ur
लि.स्था.-मथुरा। .
~
पू८
-
"
६४१
(पञ्चमस्कंध) ,, , (षष्ठस्कंध) , (१), (सप्तमस्कंध) , (२), (अष्टमस्कंध) , (३), (नवमस्कंध) ,
, (दशमस्कंध पूर्वार्द्ध), ६४२ , दशमस्कंध उत्तराद्ध
, दशमस्कंध पूर्वार्द्ध ___दशमस्कंध उत्तरार्द्ध ६४५ नारदीयपुराण (पूर्वभाग)
शालिहोत्र (भाषा) ६४७ / नाडीपरीक्षा
६४३
६४४
१९वीं.श. अस्तव्यस्त पत्र एवं प्रकीर्ण। १७वी.श. ६२-१३० अपूर्ण । १८वीं.श. १२-१३७ त्रुटित ।
१०४ १६वी.श. २२६ १८८९८-३३ . पत्र हवा अप्राप्त ।
२-६
वेदव्यास नकुल
६४६
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[ १४८
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान--विद्याभूपण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] ग्रन्थमाला
कर्ता
लिपिसमय | पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
६४८ कर्मकाण्डके प्रफीर्ण पत्र ६४६) वैद्यवोधभाषा ६५० सिहरफी ६५१
अखेराम : बुल्हेशाह
प्राचार्यपरम्परा छन्दरत्नावली...:-. .
१९वी.श. १६५६२ १९वी.श. १
जीर्ण एवं खंडित । रामानुजाचार्यसम्बन्धी प्रकीर्ण पत्र । रचना-१,७६५ डोडवाणा में।
हरिरामदास निरंजनी डीडवारिगया नाभादास, प्रियादास
६५३ / भक्तमाल सटीक
w
| वेदान्तसंज्ञा
r
| लि.फ.-नन्दराम ब्राह्मण जोलोनगर । लि.क.-साधु रामदयाल। रचनाकाल १६५६ संवत्से पूर्व । लि.क.-भवानीदत्त जोशी, झंझणूं।
| ईश्वरदास
१६३५ १६०५ १९५८ १६५६ १९वी.श. ३१
&
ईश्वरस्वरोदय (हिन्दी)
प्रबोधसुधाकर ६५७ भर्तृहरिसत वैराग्यवृन्द
रसधातुसिद्धिक्रियाको मानप्रमाण जहरनिरूपण
शङ्कराचार्य ......
। भगवानदास निरंजनी
२०वी.श. |
an in a
६.६० घन्दरत्नावली.
..
हरिरामदास निरंजनी डीडवाणिया माणक
g
१९वी.श. ७
ar
६६१ / प्रात्मविचारग्रन्थ
| योगशतभाषा सटीक ६६३ रूपदीपपिङ्गल .. ६६४ रसमजरी सटीक . ६६५ श्रीगुणरत्नकोशः
६६६ योगचिन्तामणि
आयुर्वेद । लि.क.-रामसुख, भोडकोमध्ये। . अपूर्ण ।
रामजीदास
१९वी.श. ५ भानुदत्त .
१८वी.श. ५६ श्रीभट्टारकस्वामी - १९१७ शिवानन्द यति . १८वी.श. १३२ . श्रीरामचन्द्रशिष्य ...
लि.क. नारायण ।
.
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राजस्थान प्राच्यविद्यातिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] . .. .. ... क्रमाङ्क ग्रन्थनाम
- कर्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
गोपीनाथ
१६०४८ १९वी.श.८४--४
६६७ | चाणक्यनीतिसार ६६८ सुभाषितसर्वस्वम्
| प्रशस्तिप्रकाशिका
नित्यतर्पणविधि ६७१ / गणपतिस्तोत्र
| लि.क.-वृन्दावनदास, वृन्दावनमध्ये। ... पत्र ४ अतिरिक्त हैं। .. पत्रलेखनविधिसंग्रह ।
त्रिपाठी बालकृष्ण
१८७७
१९वीं.श. ५
२-३
दशरथप्रोक्त
**... -
इसीमें लक्ष्मीसूक्त एवं गङ्गास्तोत्र अपूर्ण लिखित हैं ।
शङ्कराचार्य | ब्रह्मयामलेगत -
रेखाङ्कित।।
रामकवच (त्रैलोक्यमोहननाम) श्रीबालमुकुन्दचित्र | श्रीविष्णुचित्र
श्री (सहस्रार) (सुदर्शन) यंत्र भगवद्गीता भाषाटीकासहित | सुबोधिनीनाम्नी ६७८ (१) सामान्यनिरुक्ति
............
.
...
१८६६
१४१
प्रथम पत्र खंडित व त्रुटित।
१९वी.श. ५४
अस्तव्यस्त पत्र।
अन्नम्भट्ट
६७६ तर्कसंग्रह ६८० शक्तिवादः ६८१ सिद्धान्तलक्षण जागदीशी ६८२ / परिभाषेन्दुशेखरटीका ६८३ . लोहार्गलमाहात्म्य भाषाटीकासहित
अस्तव्यस्त पत्र।
माधवभट्ट
नागेश | सारोद्धारान्तर्गत
२०वीं.श.७४ १९५६
| अपूर्ण ।
.
... .: आदितः अष्टाध्यायान्त। पादितः अष्टाध्यायान्त, सूर्यमंदिरमें लिखित।
-
19
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राजस्थान प्रापविधाप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची]
[ १५०
लिपिसमय
का
अन्यनाम
पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
६८५ । सोहागत माहात्म्य (मूल)
सारोद्धारान्तर्गत
१९५६ २२ १६५८२३
अष्टाध्यायात्मक । लि.क.-धनानाथ जोगी। , , शिवनारायण शर्मा,
नवलदुर्ग । पञ्चाध्यायान्त।
.
,, लि.फ.-विश्वेश्वर कान्यकुब्ज, जयपुर।
६६०
पपपुराणान्तर्गत १६५६
२०वी.श.
| १९५६ वाराहपुराणान्तर्गत १९५६ ब्रह्म ,
२०वीं.श. भविष्योत्तरपुराणान्तर्गत सारोद्वारगत नानापुराणसारोद्वारे জামিন মঞ্চায়ন
22. unar
षष्ठाध्यायपर्यन्त।
थमाध्याय । प्रेस कापीके रूपमें ।
६६४ | फोटिफावर्णनम्
६६६
| भविष्योत्तरपुराणगत
६६५ लोहार्गलसम्बन्धी सामग्री |
श्रीगणेश्वरमाहात्म्य (गालवाश्रमका
माहात्म्य) ६६७ माधवेन्द्रशंसानिचय (माधवस्तुति) ६६८ लावणीसार.
संग्राहक-पु.हरिनारायणजी लालागणेशलाल फर्रुखा-. यादी आदि
हनूमानशरिचित भाषाटीकायुक्त, बालचंद प्रेस, जयपुर में मुद्रित । | इंग्लिश-हिन्दी-संस्कृत। । इसमें सभी रचनाएँ राधाकृष्णलीलाविहारको
एवं रामायणादि भगवत्सम्बन्धी हैं। यह चुनी हुई लावनियोंका संग्रह है। (सं०) तीन कापियों में लिखी। चिपके हुए पन ।
-
पारमलहरीको भाषाटोका कबीरजीफा ककहरा
कबीर
-
-
-
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची]
[१५१
-
कर्ता
ग्रन्थनाम.
विशेष विवरण आदि
लिपिसमय पत्रसंख्या
क्रमाङ्क
२०वी.श. २ . १६६०६ . . . २०वी.श. २८ पेज १९वी.श.६
अपूर्ण किन्तु सुसम्पादित प्रति (सं०) रचना-१७३१ । लि.क.-जीवनरामशर्मा,
जयपुर।
७०२
७०३
७०१ / वावनीसंग्रह . (१) सुन्दरबावनी
सुन्दरदास (२) प्रबोधवावनी
जिमरंगसूरि , भीषबाधनी
भीषजन | संगीतको पुस्तक (सवाईजयसिंहादि
प्रशंसापरक कवित्तादि) ७०४ भजनसंग्रह
सदैवछ सावलंगाकी बात ७०६ | हिन्दीके प्राचीन महाकवियोंके पदोंका |
संग्रह ७०७ | सिंहासनबत्तीसी (हिन्दी) ७०८ | वाणीसंग्रह
स्फुट पत्र। इसमें तीन पत्र तो विहारीसतसई के हैं । (सं०)
२०वीं.श. १८५३ १९वीं.श. १८४+६
लि.क.-सालगराममिश्र पीपलदामध्ये । जीर्णशीर्ण प्रति ।
१९२६१६८ पेज १६वी.श. ६४
देहलीमें मुद्रित ३,४ पेज अप्राप्त । इस गटके में कवित्त, बात, औषधि, हिसाब आदि सभी लिखित हैं। अगरदासको वाणियां अधिक हैं। (सं.)
१८९७
१-१३
अपूर्ण । १०, ११वा पत्र अप्राप्त । लि.क.-लोहकार भगवानदास ।
विहारीसतसईके स्फुटपत्र सटीक ७१० (१) शालिहोत्र
(२) निघण्टुसार ७.११ / प्राचीनकथासंग्रह
(१) हररस (२) राठोड़कहाणा तिणरी विगत (३) जगमालजी, गोदोलोरी बात
ईसरदास
१८०६
| आदिसे अपूर्ण।
"
१८१३६६-८०. | लोढावासमध्ये लिपीकृत पं० गोरधन ।
-
--
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________________
मान
[ १५२
गिलतियानविद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची]
ommmmmmu--
ramme
फर्ता
गन्यनाम
लिपिसमय पनसंख्या
विशेप विवरण आदि
१) (४) सोनी अचलवास ने लालमेवाड़ी
१८१३८१-८६ मोरटहुफामध्ये लिखित । रीवात
(५) दांखिनीमादिनायिकामोंके .. . लक्षाण तया स्फुट फवित्तावि . (६) मार जुगरा राजारी वंसावली ।
६७-१०० (७) मानतिलफ (संस्कृत)
१८०६ १०१-१०२ लि.स्था.-बाघावास। . . ( हरिनासमाला ,
शुक्राचार्य
१०३वा (E) हरिपंचविंशतिनामानि
१०३-४ (१०) गङ्गास्तोत्र
१०४वाँ (११) अष्टदलकमलफा भेद
गोरखनाथ
... १०५वा (१२) चतुःषष्टियोगिनीस्तोत्र
१०५-१०६ (१३) दशावतार
१०६-७ (१४) चंडीरक्षास्तोत्र (राजस्थानी)
१०७-८ (१५) शिवाष्टकस्तोत्रम् -
१०८-६ (१६) एकादशीकथासंग्रह
१०६-१२३ | राजस्थानी भाषा । (१५) निसाणी ठाकुरांश्रीदुरगदासजीरी प्रासिया मोहन
१२३-१३२ (१८) माताजीरो छन्द
१३२-१३५ (१९) छन्द पाबूजीरो
" १३६-१३८ (२०) गोग-रसावला
१३८-१४२ : (२१) हितोपदेश पंचाख्यानभाषा विष्णुशर्मा
| १८०८३-१६६ : ... . (२२) अर्जुनगीता
... महाभारतयज्ञपवंगत . १९०६ १६७-१७८ लि.क.-गोरधन । बाघावासमध्ये । .
...
Page #173
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[१५३
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूपण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] .
कर्ता
विशेष विवरण आदि ..
क्रमाङ्क ....... ग्रन्थमाला..
| लिपिसमय
पत्रसंख्या
(७११) (२३) पन्नगपवाडो (नागदमण) सांइया झोला
(२४) प्रारती. भगवानरी | ईसर .
'(२५) रामरासो : ::.. ... ७१२ रुक्मिणीव्याहलो प्रांदि
..
। १८०६ १७८-१८७
१८७वाँ १८८-२३३ / अपूर्ण।
. १९वी.श..२-१६० इसमें दानलीला,स्नेहलीला,औषधि, मोहमरदकी
. कथा एवं पदादिसंग्रह लिखित हैं । बीच बीचमें पत्र प्राप्त हैं। (सं०)
अपूर्ण । २०वी.श.
"
:
७१३ अहेवालसमुद्रका करना प्रादि -७१४ : (१) नृसिंहकी स्तुतिके पद
(२) ॥ को भजनपद ७१५ / भगवद्गीता भाषापद्यानुवाद - ७१६
, सहित ७१७ पुरुषोत्तम (विष्णुदिव्य) सहस्रनाम ७१८ भगवद्गीता
भावनादास ज्ञानदास
१९३२ : ६७ १९२२ : ३-२८८ १९वी.श. ४८
११५
श्रीधर शिवलाल के ज्ञानसागर प्रेस में मुद्रित। . हिन्दू प्रेस में मुद्रित।
७१९
रामस्तवराज
२८
वेदव्यास सनत्कुमारसंहितायां नारदोक्त मू. वेदव्यास, टी. नाजर प्रानन्दराम
२७५
.
.१८५२
-- ७२० | भगवद्गीता परमानन्दप्रबोधनाम्नी
भाषापद्यबद्ध टोकासहित (१) पट्टीपहाड़ा (२) सनेहलीला (३) विजविवाह .. (४) सनीसरजीकी कथा..
लि.क. रामसेवक।
४-१६
(१७-५७ (५८-६७
Page #174
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________________
TET
याप्रतिष्ठान---पिशाभूषण-गन्य-संग्रह-सूची ]
कर्ता
लिपिसमय । पत्रसंख्या
विशेष विवरण श्रादि
७२२ / तोगाविपुस्तिका (श्लोकासंग्रहः)
२०वी.श. १० ब्रहाणपुराणोक्त ... , स्कन्दपुराणोत्तरखण्डोक्त १६वीं.श. २. चन्दकवि(गुसांई चन्दालाल)
धोरामादशनामानि ७२५ / भागवतसारपोसी
४ पेज
सवाई प्रतापसिंहाज्ञासे निर्मित । कृतिके कर्ता महापुरा(जयपुर)के गोस्वामिवंशके प्रतीत होते हैं (सं.)
११वां
पुष्णदास
| मध्य त्रुटित।
(२) स्फुट फवित्त (३) बागलीला (कृष्णचरित)
(४) कचित्त ७२७ मागवत दशमस्कंध गापापद्यानुवाद
२०-१२४
अपूर्ण । इसके अनन्तर पत्रों में गोपीनाथकृत लावणी आदि हैं। राजस्थानी । अपूर्ण।
१३-१५२ ७
१५वी.श.
लि.फ.-रायचन्द साहावडा
.
७२८ एकादशोकथासंग्रह . . ७२६ | भगवद्गीता सुबोधिनीटीकासहित . वेदव्यास,
टी. श्रीधरस्वामी ७३० (१) हमीररासो
महेशकवि (२) पातली (महाप्रसायको) रघनाथ (३) इतिहासभागाकृति (इतिहाससार- लालदास
समुच्चय) .... . :: (४) नासिकेतपुराणभाषा (गद्य)
७३१ (१) भजनसंग्रह (पिसाँसंगार) सेवादास . : (२) बारखड़ी (कपकायत्तीसी)
लालदास .... ७३२ (१) गायत्रोगञ्चाङ्ग
रुद्रयामलतंत्रगत
१८५३
": १८५४
१-७४ /७५-७७ १-१४४
,
, पद्यबद्ध
नंददास
"...
१-६४ . .. अपूर्ण
ov 5
..
.......१६-३७. लि.फ.-पंचोली फेसोराम वायग्राम। १८७६ - ११-५६. ............
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[ १५५
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची]
लिपिसमय ... पत्रसंख्या .......... विशेप विवरण आदि
क्रमाङ्क
........ ग्रन्थनाम
::कर्ता
भागवतषष्ठस्कंधगत
...
।। १८७६६२-६७ :: ............... १८६०
लि.क.-गोटाराम ।
कपिलमुनिप्रोक्त
(७३२) (२) नारायणवर्म
(३) पञ्चमुखीहनुमत्कवच
(४) नृसिंहसहस्राक्षरमन्त्र ७३३ / (१) माधवकामकन्दला चौपाई .: . (२) बारखड़ी (कुदरतका कक्का)
(३) ऐजराज सोलंषीको बात १ ४). कक्को कुदरतका
| इतिहाससारसमुच्चय (गद्य)
लालदास
J१६वी.श. २-१११ प्रथम पत्र प्राप्त।
१११-१४ ११५-१२८ अपूर्ण। . . . १२८१३१ , . . . . . .
. . . १६६३१२१ पेज लि.क.- भगवान शर्मा चौमूनिवासी, गोपीचंद
| शर्मा जयपुर निवासी । लि.स्था.-जयपुर। | यह पत्रं श्री हरिनारायणजी पुरोहितको नरेना.
निवासी मदननोहनलालने लिखा था। (सं)। २०वीं.श. ३
ज्ञानमार्ग की लावनी है। लि.क.-कन्हैयालाल । | स्त्री-पुरुष की परस्पर पंत्रालेखनप्रणाली (सं.)
| लि.क.-रामप्रताप, रामगढ़ग्राम । |१२-१७
रामदीन टकसाली
नरेणा (नारायणा) ग्रामसम्बन्धी ऐति
हासिक पत्र ७३६ लावनी . ७३७ / (१) पत्रावली
(२) सनेहसंग्राम (३) नायिकादिकवित्त स्फुट
नाथूरामशर्मा पावटानिवासी हैं। २५ पेज | बोम्वे एज्यूकेशन सोसाइटी प्रेसमें मुद्रित ।
७३८ | नाथुरामशर्माके पुस्तकालयका सूचीपत्र ७३६ | एन एब्स्ट्रेक्ट एकाउन्ट ऑफ दी सर्च | श्यामसुन्दरदास वी.ए. | १९०४
| फोर हिन्दी मैनुस्क्रिप्ट्स फोर दी ईयर १६००, १६०१ एण्ड १६०२
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
[१५६
कमाङ्क
.
..ग्रन्थनाम:
कर्ता
लिपिसमय
'पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
.
.
७४० : सूचीपत्र नोटिसेजका . ... ... | २०वी.श.
उन पुस्तकोंका जिनके नोटिसेज फार्मोंने भरे जाकर का.ना.प्र. सभाको क्रमशः भेजे गये। केवल रजिस्टर मात्र है। इसमें एक नक्शा अवश्य भरा हुआ है और तद्भिन्न नक्शोंक
२ पत्र हैं। (सं.) ७४१ रूपदीपपिङ्गलभाषा
' २+१.
छन्दोंकी सूचीका - १ पत्र हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि सम्पादनार्थ इस प्रतिका लेखन
शुरू हुआ था । (सं.) गीतामाहात्म्य विष्णुधर्मोत्तरगत १८३७
लि.क:-वैष्णव पुरुषोत्तमदास पाडावहमध्ये । भगवद्गीता ... वेदव्यास
१६३६ १५०
, रामचन्द्र प्रश्नवर। ७४४ मत्स्यदेशान्तर्गतचम्पावतीपुरकथा . | भविष्योत्तरपुराणगत १८२२ २७
| , हीरानन्द नगर चम्पावतीमध्ये। ७४५ चाणक्यसारसंग्रह
कवि कालिदास | १६२३ . . . . | लि.क.-चतुर्भुज विद्यार्थी, बुंदेलखंडीमध्ये । ... ७४६ चाणक्यनीतिसार - ...
१८३६११-२६ पत्र १३ से १६ तक अप्राप्त । लि.क.-खुश्याली
राम मिश्र, प्राभानेरीग्राम । ७४७ / श्रीराममहिम्नःस्तोत्र. | विजयरामाचार्य १८७४
लि.क:-धनीराम ब्राह्मण, मुचुकुंदमध्ये । ७४८ मंत्रशास्त्रके स्फुट पत्र :
१९वी.श. ३.... ७४६ | सुभाषितसंग्रह..
स्फुट पत्र। ७५० : हिन्दीके दोहे......
| स्फुट पन फुलस्केप साइजके थे किन्तु फट जाने
से एवं उलट-पुट लग जानेसे पाठ भी असंगत
हो गया है। (सं.).. . पुरुषोत्तममाहात्म्य स्कन्दपुराणगत
अपर्ण। इससे आगे की कृतियां स्व. पुरोहितजी के.सूचीपत्रमें लिखित नहीं हैं। ये स्फुट बस्तों. में पाई गई हैं। (सं.)
m.
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-
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[१५७
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची | क्रमाङ्क:
.... कर्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेष विवरण आदि
...ग्रन्थनाम
:
७५२ | प्रदोषव्रतकथा................ स्कन्दपुराणगत
१४वी.श. १-१०
व २-३ अप्राप्त। ७५३:| नारदपाञ्चरात्र : श्रीजयसंहितान्तर्गत
|३५-८६ , , । पत्र.६६-६६ तक. अप्राप्त । ७५४ अमरकोष सटिप्पण
अमरसिंह
१८वीं.श. ६-४८
तुलसीदासगोस्वामी ७५५/ रामचरितमानस .
":"। पत्र.-२७. तक, अप्राप्त। :
१९वीं श. ७५६: बृहत्पाराशरीयधर्मशास्त्र
सुव्रतप्रोक्त .१६३३३-१२२ | " । पत्र ४१-७७ तक अप्राप्त ।
लि.क.-जोपट दाधीच गिरिधारी.सांभरमध्ये। ७५७ | देवीरहस्यके स्फुटपत्र .. .
रुद्रयामलतंत्रगत | १९वी.श. ७५८ | अभिज्ञानशाकुन्तल! : ............ कालिदासः:.
१८वी.श. २४. . अपूर्ण । ५वां पत्र प्राप्तः। .. ७५६: भगवन्नामकौमुदी.. .
लक्ष्मीधर अनन्तानन्दरघु-१६वी.श. ५६. | अपूर्ण । ......... .....
नाथपादपद्मोपजीवी । ७६० श्रीकृष्णाष्टक .
१६वी.श. ७६१ / नित्यश्राद्धविधिः . ... ७६२. | गोपालसहस्रनामावलि
२७... ७.६३: त्रैलोक्यमोहनं नाम विष्णुकवच ७६४. श्रीरामद्वादशनामस्तोत्र : ७६५ | सन्ध्योपासनविधि :
२-७ त्रुटितः। ७६६: रामरक्षाकवचस्त्रोत्र ७६७. नवग्रहस्तोत्राणि .
अपूर्ण, त्रुटित.. । ७६८ गोरखपतड़ा
१८५२ . . ७६६ भगवदाराधनम्::, ..
सौम्यजामातृस्वामी | १९२१. . !.. .. । ६ठा पत्र.अप्राप्त । ...... __७७० महालक्ष्मीकवच... ..
ब्रह्माण्डपुराणे ब्रह्मप्रोक्त. १९वी.श..
"..
.
।
१
-
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची ।
[ १५८
विशेष विवरण आदि
लिपिसमय | पत्रसंख्या
...का .
गन्थनाम
मागा
१९वीं.श. १४-२८
अपूर्ण, त्रुटित ।
الله
वैदिक।
و
"
الله
लि.क.-अवध्यदास वैष्णव, बणथली ग्राम ।
१८७४३ १९वी.श. ४-५
७७१ पासाकेवली ७७२ | लक्ष्मीस्तोत्र
। श्रीरामप्रोक्त ७७३ / नवग्रहमंत्रजपविधिः ७७४ सावित्रीदिव्यमंत्रगर्भिताष्टकस्तोत्र हरदेवस्वामी ७७५ तारास्तोत्र : '...
अध्यात्मरामायणगत ७७६ (१) रम्भाण्टकस्तोत्र
(२) मदनाष्टकस्तोत्र
(३) ब्रह्मस्तोत्र ७७७ श्वेतयवाहु रविधिः ..७७८ : (१) दधिमथीस्तोत्र ५ (२): दथिमयीकपालदर्शनालसपापकथन विरादपुराणोक्त .: (३) वथिमथीमहिम्नस्तोत्र
७७६. स्वस्तिवाचन .७८० रामपूजाविधिः ..
रामानुजाचार्य ७८१ / गोपालपूजाविधिः
हिन्दी-संस्कृतमिश्रित । अपूर्ण ।
।
१६४४.
पत्र ३राप्रप्राप्त । लि.क.-द्वारकादास।
७-१७
१६वी.श.
१५ ३-५८
१७८२.
त्रुटित । पत्र-१७-४४ तक प्राप्त । लि.फ.-रामकृष्ण मिश्र । गङ्गधारसे लिखित, जयपुर में प्राप्त। । .
१६१६
१ .
...
तोतानिनाद्रीनारायणयतीश्वरं प्रति |. उपेन्द्र शालिग्राम रामानुजवासस्यपत्र
| वैष्णवसन्दोह(महायोगीशमाहात्म्य) ७८४ | रासपञ्चाध्यायीभाषाछंद
गजाधर.. -७८५ -जानकीजीको स्तुतिके पद ..... मनभावनजी प्रादि ..
१९वीं श.१०
२०वीं.श. २३. .......
-
-
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान - विद्याभूषण-ग्रन्थ संग्रह-सूची ]
ग्रन्थनाम
क्रमाङ्क
७८६
ख्याल
७८७ रघुवरवंशावली आदि
७८८
नवरत्नका इतिहास
७८६ कालिदास हिज होम
७६०
७६१
७६२
3
ऐतिहासिक सामग्री के स्फुटपत्र
उर्दूकी मुद्रित प्रति एकविंशतिग्रन्थाः
(१). सर्वोत्तमस्तोत्र
( २ ) वल्लभाण्टक स्तोत्र
( ३ ) सप्तश्लोकी
(४) नामरत्नाख्यस्तोत्र (५) यमुनाष्टकस्तोत्र.
(६) बालबोध
(७) सिद्धान्तमुक्तावली
(८) पुष्टिप्रवाहमर्यादाभेद
(६) सिद्धान्त रहस्य
(१०) नवरत्न
( ११ ) श्रन्तःकरणप्रबोध
(१२) विवेकधैर्याश्रय
(१३) श्रीकृष्णाश्रयस्तोत्र (१४) चतुःश्लोकी
ज्ञानाश्रलि रूपरसिक ? मनभावन
:: कर्त्ता
श्रीवल्लभाचार्य
"
श्रीविट्ठलेश्वर
95
"
श्रीरघुनाथ श्रीवल्लभाचार्य
"
او
""
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".
"
( श्रग्निकुमार )
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-77
लिपिसमय
२०वीं. श. २
५
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१६२२
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11
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دو
पत्र संख्या
११
४१
| (१-५)
५-७
3-6
६-१२
| १३-१४.
१४- १७
१७-१६
१६-२२
२२-२३
२३-२४
२४-२५
२६-२७
२७-२६
२वां
विशेष विवरण आदि
.१५६
इण्डियन रिव्यू अप्रेल १९१६ से इंग्लिश में उद्धृत ।
लि.क.- गोपीनाथ व्यास ।
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[ १६०
___ राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] कमाल
गन्थनाम ---
कर्ता
लिपिसमय | पत्रसंख्या
विशेप विवरण आदि
श्रीवल्लभाचार्य
१९२२
२६-३०
" "
३३वां :३४-३६
(७६२) (१५) भक्तिद्धिनी
(१६) जलभेद (१७) पञ्चपदी (१८). सन्न्यासनिर्णय (१९) निरोधलक्षण (२०) सेवाफल (२१) मधुराष्टकस्तोत्र | शिवस्वरोदय ७६४ प्रात्मबोधविवरण (द्वादशमहावाक्य-
विवरणम्)
न्याययातिफभाष्य ७६६ प्रनुमानपरिच्छेद तत्वगूढार्थदीपिका .७६७ | सांख्यटीफा ..
३८-३६ " ३६-४१ १६वी.श...७० १७५६१६
शिवप्रोक्त शङ्कराचार्य
७६५
"
.७६८ | फेवलात्वयिव्याप्ति यायवृत्ति ? ..७६६ | वेदान्तसार ... ८०० | सांख्यतत्वकौमुदीव्याख्या
१९वीं.श. १० रघुदेव
अपूर्ण। ... ५---१ = ६ स्फुट पत्र । १ पत्र किसी दूसरे ग्रन्यका प्रतीत
होता है । (सं.) जगदीश
" २ स्फुट पत्र । :: .
. रामानुजाचार्य
१६०४ ५७ भारतीयति श्रीवोधयति- १९वीं.श. . २३ शिष्य . सौम्यजामातमुनि
अपूर्ण। कृष्णभट्ट अनुमानमञ्जूषागत
१७-२१ त्रुटित। .. .... .. .. ... .
.: ...८०३
.८०१ | अध्यात्मचिन्तामणि ८०२
| शक्तिवावार्थदीपिका. पंचलक्षणी'.
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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची]..
लिपिसमय
पत्रसंख्या
विशेप विवरण आदि
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
अपूर्ण।
८०४
।
sur
....८०६ | पनि
८०७
वेदान्तार्थप्रकाश
१९वीं.श. १२ - शक्तिवाद (न्यायशास्त्र) परिभाषा (व्याकरण) पातञ्जलयोगशास्त्रवृत्तिः (राजमार्तण्डा- धारेश्वर (भोजनृपति) भिधाना). तैत्तिरीयोपनिषत् (?) ,
१८वीं.श.७ शक्तिवादविवरण
कृष्ण भट्ट, रंगनाथसूरि | १९वी.श. ४
सून, नारायणानुज श्रीरामानुजाचार्यचरितोपदेश (?)
१८वी.श. २६ .
८०८
• स्फुटपत्र
अपूर्ण ।
-
वेदान्तसंग्रह
७
स्फुटपत्र ।
K
अपूर्ण । जीर्ण-शीर्ण । त्रुटित । १२वां पत्र अप्राप्त । लि.क.-गुणसागर।
.
रामार्याष्टोत्तरशतम् वेदप्रज्ञानशब्दनिर्णयादिसिद्धान्त (?) दशाश्चर्याणि (जैन) न्यायदर्शनादिके प्रकीर्ण पत्र रामतापिन्युपनिषत् सटीक (आनन्दनिधिनाम्नी टीका). गिरिजेश्वर स्तोत्ररत्नावली
महामुग्दल भट्ट
१७वी.श.२-८ . १७३७ ७-१३
१९वीं.श. अथर्वणरहस्यग आनन्दवन (?) पं. गङ्गाप्रसाद
१९८७ १६
२०वी.श. १५ राघवदास टी. चतुरदास | १८६७ १५४
८१७
१
२१८
८१९ ८२०
पार्श्वप्रभुमहिम्नस्तोत्र भक्तमाल सटीक
प्रायः शिखरिणी छन्दोंमें रचित-शतक । लि.क:-श्री भगवान् शर्मा, जयपुर। शिखरिणी छंद। । लि.कि.-बोलताराम । टी. र.का.-१८५७ । भक्तमाल र.का.-१७७७ (१७) ? .
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[ १६२
राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्य-संग्रह-सूची ) क्रमाङ्ग ग्रन्थनाम
कर्ता
लिपिसमय | पत्रसंख्या
| .:.:-विशेष विवरण आदि
.
i०.4.4.
८२१ / कोलगजमर्दन कृष्णानन्दाचल, कैलासा १९२३
वाराणसी संस्कृत यन्त्रालयमें मुद्रित । चलयतिशिष्य जगन्नाथशतफ (भाषापद्यबद्ध) महाराजा रघुराजसिंहदेव | १६५८ २८ पेज | रचना-सं० १९१४ । भारतभ्राता प्रेस,
(रीवां नरेश) १६०२
| रीवांमें मुद्रित । बाल-कालिदास (सुभाषित संग्रह) पं. रूपनारायण पाण्डेय
सन् १९२२६७ , | इण्डियन प्रेस, लिमिटेड, प्रयाग (बनारसनाञ्च)
में मुद्रित। महायोरचरितम् (नाटकम्). महाकवि भवभूति | : १६२६ २३४-+-७पेज निर्णयसागर प्रेस, बम्बईमें मुद्रित। (१) जयपुरविलासः (काव्य) वैद्य श्रीकृष्णरामकवि
"१८८७ ५८ पेज (२) मुक्तकमुक्तावली , (३) सारशतकम् (पञ्चमहाकाव्यानाम्) संस्कृतरस्नमाला
परमानन्ददेव
१६१६
१६०६३ ५२८ संस्कृतमञ्जरी
१९वी.श.५ सप्ता श्लोक
१९२१२
गोरामो विनतानन्द कृन्महेश्वरयल्लभः । सत्पक्षभुत्कामवश्च वीनेशन समो भवान् ॥१ इस श्लोकफी सात प्रकार की व्याख्या की गई है । लि.फ.-जोसी परमसुख भीमटोडानगरे ।
८२७
G..W
२२६
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________________
..
.......
॥श्री ।
:
::
. .परिशिष्ट १
.........
कृतिनामानुक्रमणिका
अकबर-बीरबलवारता ११५ ... अकललीला और पद ४२० .. . अकलिसिलूक (गोरख). ६१, ७४ । अकलिसिलोक २२ अकलिसिंलोक भाषा (गोरख.) ४४ . अखरावट (जायसी) १०६ .. अखैराजजी रावरी द्वावत ६२. (विहारीदास महडू) अगाधबोध (कवीर) ५० अघोरमंत्र १३५ अङ्गदका पद ३८ अङ्गादजीकी परचई (अनन्तदास) १७ अच्युताष्टकम् १२८ अजपागायत्री (पृथीनाथ) ४७ . . . अजबख्याल अष्टक (सुंदरदास) ६३ , अजयपालकी शब्दो २३, ४६. अठाईसनाम (संस्कृत) १२ . . अतिमानुषस्तोत्र १२९ अध्यात्मचिन्ता १२९ . अध्यात्मचिन्तामणि १६० , . अध्यात्मचिन्तास्तोत्र १३० . . .. अध्यात्मचिन्तास्तोत्रव्याख्यान १३१ अध्यात्मबोध (गरीबदास) ३१, ४८ अध्यात्मबोधिनी (गरीबदास) २६ अध्यारका पद. ४० . . . . . अध्यारको पद ४३. अध्यारको रासो ४०...... अध्यारगोढली. ४०::::.......
अधिकारसंग्रहस्तोत्र सव्याख्या १३४ अधूरे पूरे के कवित्त ८४ अन्तापिकाकवित्तादि ८५ अन्तःकरणप्रवोध १५९ . अन्नपूर्णास्तोत्र १३६ अन्यत्पञ्चाशिका भाषा १०६ अन्योक्तिवर्णन (गणपतिभारती) ११४ अनन्तलीला (जनगोपाल) ४६ धनभै प्रबोध (गरीबदास) ७० अनवरचंद्रिका (बिहारी सतसईटीका) ६० अनुभव उल्लास ६२ अनुभव प्रकास उद्योत (रामदास) ५७ अनुमानपरिच्छेदतत्वगूढार्थदीपिका १६० अनेक सन्तवाणी संग्रह २२ अनेक सन्तोंके स्फुट पद २३ अनेकार्थनाममालामंजरी (नन्ददास) ५६ अनेकार्थमंजरी (नन्ददास) ३५ अनेकारथीनाममाला (उदैराम) ६१ अपामार्जनस्तोत्र १३५ अवधा (अबदी) नाममाला (उदेराम) ६१ अभयमात्रा (गोरख) ४४ अभयमात्राग्रंथ (गोरख) ७४ . अभिज्ञानशाकुन्तल १५७" अम्बिकास्तुति १३६ : अमरकोश १४४ ..
. अमरकोश सटिप्पण १५७ .. अमरचन्द्रिका, बिहारी सतसई टीका (सूरतमिश्र) ६०; ११२ . . . अमीरनामा ८७
: .. अमृत अटल पदावली६२ . .
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[ २ ] अमृतधारा ५.
प्रात्मलहरीको भाषाटीका १५० . . . अमृतपदमुक्तावली ६२
श्रात्मविचार ग्रन्थ १४८ . . अर्जुन गीता १५२
"प्रात्मा अचन अण्टक (सुन्दरदास) ६३ - अर्जुनवाणी (अर्जुनदास) ६५
श्राद्या महालक्ष्मीहृदयस्तोत्र १२६ अर्जुनस्य दश नामानि १४०
श्रादित्यहृदयस्तोत्र १२५, १३१, १३५ अर्थपञ्चक विवेक १४५
आदित्यहृदय हनुमत्स्तोत्र १३५ ।। अर्थवद्ग्रहणसूत्रप्रतिपत्ति १४१.
शापदुद्धार दटुकभैरवस्तोत्र १२५ अरिल्ल (सेवादास) १४
अामेरके महाराजा सवाई अलवंदारस्तोत्र सटीक १२८
जयसिंहके अन्य और वेधशालाएं १२३, अलाहणीयानन्य (नानक) ७०
भारतीपद (सुदर्शनदास). ९६. अधिगतलीला (रज्जब) ३८
भारती भगवानरी १५३ . ... श्रष्टजाम (देववि) ३५
भारतीसंग्रह ७७, ११०, १४२ ..... अष्टदल कमलका भेद १५२
पाश्चर्यकूप (पुः हरिनारायणजी). १२२ अष्टपदी (कवीर) २७, ३०, ३८, ४१
श्राशानन्दको पद ४३ अष्टपदी (जयदेव कवि) ४१
आसुरीप्रयोग १२७ ... .. . अष्टपदी. बड़ी (कबीर) ६८
प्राह्निककृत्यं १३८ अष्टपदी लेंगडी रमैणी (कबीर) ६८ अष्टपरीक्षा (गोरख) २०.. अष्टश्लोकी. व्याख्यान १२६.
इकतार बोध (सन्तदास) १७, अष्टाङ्गयोग ३२ लक्षण ६१
इतिहास जयपुर १२४ . . अष्टावक्रगीताटीका १४५
इतिहास भाषाकृति १५४ . .. .... अष्टावधानी कवित्त (कवि पीथल) ८६
. (इतिहारसारसमुच्चय). ..... भ्रष्टाक्षरी मंत्रार्थ १४०.
इतिहाससामग्री १४२ . ... .. अहमदावादका महायुद्ध १२३
इतिहाससारसमुच्चय (गद्य) १५५ ... . अहेवाल समद्रका करना प्रादि १५३ ।। इन्द्रजालविधि. १४१, . . . अक्षौहिणी प्रमाण फवित्त ३
इन्द्रजीतसिंह रावजीरी ... आ
गुण झमाल (सवलांसह सांदू). १८७
इन्द्राक्षीस्तोत्र १२६, १३१. ..... साखर उद्धार वाचनी (रज्जव) ३१
इन्द्रियदेवताविषयग्रन्थ (गोरख) २० । प्राग प्रीतको जोड़ी (परसराम) १६ : प्राचार्यपरम्परा १४८ पाठ जाम पार्वल भेद ३. श्रात्मबोध (गोरख) २१, ४४
ईश्वरविलासकाव्य (श्रीकृष्णभट्ट) १०६ (नामोसाहब) ५३
ईश्वरस्वरोदय (हिन्दी) १४८ प्रात्मबोधग्रन्थ (गोरख) ७४
ईश्वरीसिंह, महाराजा सवाई १२४ . ..... प्रात्मवोधविवरण १६० .
ईशरदासका पद ४२................ (द्वादश महावाविवरणम्) .
ईशरवासजी बारहठका जीवनचरित्र ११४ . . .
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________________
उ. .. : उत्पत्तिनिर्णय (रज्जब) ३८ उपदेश दिढाव साधलक्षण (महानन्द) ६५ "उपमासंग्रह (हीराचंद कानजी) १०७ उभयमात्रायोगग्रन्थ (गोरख) २२ उर्दू की मुद्रित प्रति १५६ उसमनको कथा ११०
ऊपाचरित्र १२ ऊषाहरण (रामदास) ३७
ऋग्वेदीयानुवाकानुक्रमणी (कात्यायन) ११५
ए श्राखरी नाममाला (रतनू वीरभाण) ६१ एकश्लोकी भागवत ३३ एकादशीकथासंग्रह १५२, १५४ . एकाक्षरनिघण्टुकोष (वररुचि) ११५ । एकोद्दिष्ट श्राद्ध प्रयोग १३७ . एन एब्स्ट्रक्ट अकाउन्ट आफ दी सर्च फोर हिन्दी मैनुस्क्रिप्ट्स दी. ईयर इन १६००, १६०१ एण्ड १६०२,. १५५
कक्काबत्तीसी (लेलीन) ६८
(सन्तदास) ३३, १०६ , (सूरतराम):६८ कछवाहांकी वंशावली ११०. कछवाहावंशका अनुसंधान १२४ कडखा (चैनदास): ४६ . । . . . कन्थडबोध: (गोरख) ४५ . ' कणेराको शब्दी:२३ कणेरीपावकी शब्दी ४५ कणेरी सतीका पद: ४६ कबीरकी अष्टपदी २७ कबीरकी बारहपदी २७ कबीरजीका ककहरा १५० . . कवीरजीका चन्द्रायणः २७ कबीरजीका पद १, ३, ६६ कबीरजीकी अष्टपदी व रमैणी ३० कवीरजीकी चौपदी २७ . कबीरजीको परचई ७ कबीरजीकी शब्दी, साखी २७
(शब्दी चौपाइयों में.) कबीरजीको साखी १,२०, ३०, ३२,
३८, ६६ . कबीरजीको २६ साखियों पर टीका:२ कबीरजीके १२५ पदों पर टीका २ कबीरजोके पद २६ कबीरदासको चौतीसी १०५ कवीरपद: ७६. . कबीरपंथी प्रक्रिया ६६ " कबीरपरचई १ . कबीरसाखी ६०, ७९ कमालकापद ३६ , कर्मकाण्डके प्रकीर्ण पत्र: १४८ 'कर्म धर्मसंवाद १२ कर्मविपाक गीता (मोहनदास) ५३ करुणाबत्तीसी करुणासार (चैनदास) ४८ ... कलशस्थापनविधि १३६
ऐतिहासिक पत्र १२१, १२३. ऐतिहासिक सामग्रीके स्फुट पत्र. १५६ . : ऐन साहब सम्बन्धी ज्ञातव्य १०६ ..
.
औतारके पद (परसराम) १६ औषध (स्फुट) ११०
आष
फक्कापचीसो १०५ .. : फक्कावत्तीसी (रसीलीलाल गोपाल) ८७
" (लोलदास) १०६
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कुलशेखरवृत्तम् १०७ .. ..
... ..
..
.
.
१२०
.:
.. .
[ ४ ] कलान्यास १४१
कुलपतिमिश्रको वंशपरम्परा ६२ कवित्त ४२, १५४ , (सेवादास) १३
कुशकण्डिका १३८ . " (हरिदास) १४
कृपणदर्पण (कविराजा बांकीदास) ११५, कवित्त रामायणसारमाला १०८ कवित्तशत (रसराशि) ८२
कृपणपचीसो (,, ,,). ११६ फवित्त संग्रह ६४, १११, ११२, ११६ कृष्णचरित्र जोडौ (परसराम) १६ कवितासंग्रह (स्फुट) ११६, १२०
कृष्णचरित्रवारहखडी (श्रीनिवास) ३३ कविप्रिया (केशवदास.) ५६, ८२
कृष्ण तेरी आवाज में सुन कर भागी कहमुकरीके छन्द ८६..
(गीत) १२
.. कादन काजीकी साखी ४३
कृष्णदासका पद ४३ ..
.. कादनजी काजीका पद २३
कृष्णनामनिरूपणम् (भागवत) १०६ कान्हांका पद:४३
. कृष्णरुक्मिणीरी वेल ६२ कानडिया रावलका.पद ४०
कृष्णलहरी १३१
.. काफरवोध (गोरख) ४४, ६१
कृष्णविलास (गुपालदान) :११ काफिरके लक्षण ४ . . .
कृष्णस्तुति ६० . काफिरवोध (गोरख) ७४. ......।
कृष्णानन्दका पद ४० . .... .. काफिरबोधयंत्र (गोरख) २१...... :
केवलान्वयिव्याप्तिन्यायवृत्ति १६० ... काममंत्ररहस्यार्थ १४०: . . .
केशवका पद ४१ . कायमस्यंघ राजावतके पत्र १४२.
कोकशास्त्र ५४
कोटडियोंका वर्णन व हवाला १२३ . कायरवावनी (वांकीदास) ११५, १२१
- फायाप्राणसंवाद (जनगोपाल) ७६ :
कोटिकावर्णनम् १५० ... , कायाबेलि (दादू).३१ ...
कोशनामानि २६, १३३ कार्तवीर्यसहस्रनामस्तोत्र १४० ...... कौलगजमर्दन १६२ कार्तवीर्यार्जुनदीपदानविधि १४१ : .. कालचिन्तावणी (सुन्दरदास) २६
ख्याल १५६ . .. कालिकात्रैलोक्यमोहनकवच १२८ -
मङ्गबंध कवित्त (सुन्दरदास). ८८ कालिदास हिज होम १५६ . : .
खण्डेलवाल जैनोंके १४ गोत्र १०८ किणका (का. रामसिंह) १२२...:"",
खण्डेलवालोंकी उत्पत्ति १०८ फीमिया शहादत ७
खाणी-वाणी ग्रन्थ (गोरख) २० कोल्हजीका पद ४३
खोची अचलदास ने लालामेवाडीरी वात कुकविवत्तीसी (कविराजा बांकीदास)
१५२ ११५, १२० कुण्डलिया (सेवादास) १३ (हरिदास) १४ .
ग्यानमाला (गोरख) १५ : फुबेरदानजोका पत्र. ११.१ . . ......... अभावली (.., ) २० . . . . फूमारसम्भव १४४ ..
गङ्गाजीको प्रभावः ८५ :
:
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[ ५ ] गङ्गालहरी (कविराजा बांकीदास)-११५, । गीतामाहात्म्यभाषा:३६
... . ...... १२०.
गुणउत्पत्तिनामा (वाजिद) ५० गङ्गाष्टक (वाल्मीकि) १३१, १३३ . गुण गंजनामा ( , ). ५०, ६७ से
१०४ गङ्गाष्टकस्तोत्र १२६ गङ्गास्तोत्र १३४, १५२
गुण गीत (दुरसाचारण) ५२ गजग्राहको जोडौं (परसराम) १६ गुण चम्पावतीविलास (पूरणकवि) -६२; गजेन्द्रमोक्षस्तोत्र १२६
११० गणपतिस्तोत्र १४६
गुण छन्द (वाजिद) ५१ 'गणेश-गोरखसंवाद ६१
. गुण झमाल राव इन्द्रसिंहजीरी ११३ गणेशाष्टक १३२ .
.. (सबलसिंह सांदू) गर्भचिन्तामणि (रामचरण) ६०
गुण ध्रुव चरित्र (परमानन्द). ८४ गरीबदासजीका पद ४८
. गुण नागदमणि (सांई कवि) ८५ गरीबदासजीको साखी ४८
गुण निर्मोहीनामा (वाजिद) ५०. गरीबनाथसिद्धकी शब्दी ४५
गुण निशानी ( ) ५१ गायत्रीपञ्चाङ्गः १५४ : ..
गुण प्रेमकहानी , ५१ गायत्रीरामायण :१३३.: .. गुण पैमनामा
५० गायत्रीवर्णजपस्तोत्र १२७ . . . गुण विरहको अंग , गायत्रीसंग्रह १४७
गुण हित उपदेश , ५१ गारुडोपनिषत् १२६.
गुन कठियारानामो ग्रन्थ (वाजिद) १६ गालिबका पद, ४१.. .
गुण गंजनामा (कवितासंग्रह) ९७ से गिरिजेश्वरस्तोत्ररत्नावली. १६१: .
१०४ तक गीत (संग्रह), ८७.
गुन चम्पावतीविलासः (कवि पूरन अांगियां) ,, (स्फुट) ११३ . गीत बेलियो (रतनू हमीर),.६१..
गुरुद्वादशराशिविचारफल १३६ गीत रस झमाल.श्रीराधिकाजीको १.२.१ . गुरुदया षट्पदी (सुन्दरदास) ६३ गीतसंग्रह ११२
गुरुदेवमहिमास्तोत्र, ६३ गीता १२५
गुरुदेवमहिमास्तोत्रप्रष्टक ७८ गीता भाषाटीका ५४
(सुन्दरदास) गीता भाषानुवाद (भगवानदास निरंजनी) गुरुप्रतापादर्श (रामानुजदास) १०५
गुरुपरम्परा , " , (जटाशङ्कर) ५४
गुरुपरम्परास्तोत्र १३१ . , , (स्वरूपदास. निरंजनी), ५४
गुरु उपदेश ज्ञान प्रष्टक (सुन्दर०) ६३, . " , (हरिवल्लभ):५४ . " , (आनन्दराम) ५६:...
गुरुकृपा अष्टक , ६३ गीताभाषापद्यानुवाद १४०..
गुरुकृपा ज्ञानाष्टक , गीतामाहात्म्य ६६.१५६ ... गुरुचेलारा समा
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गोरखनाथजीको कृतियां १४. . . . गोरखनाथजीकी तिथि ४४ । गोरखनाथजीको शब्दी २०.. गोरखपतडा १५७ .. .......... गोरखबोध २० . . . . . . . ...... गोरखमच्छीन्द्रवोध (गोरख) ४४........... (गोरख-मच्छीन्द्र संवाद)
गोरखशब्दी ४५
गुरुमंत्रजोगग्रन्य (सेवादास) १३ गुरुमहिमा (रामचरण) ६८ । गुरुमहिमा १३० गुरुमहिमाजोगग्रन्थ (सेवादास) १३ गुरुमहिमाष्टक (सुन्दरदास) ८८ गूढा एवं कवित्तादि ६४ गूढासागर (मनोहरदास) ५७ गृहवैराग्यवोध (सुन्दरदास) ५१ गोगरसावला १५२ गोगा चोहान १०८ गोगा पीर .१०८ गोपालपञ्चाङ्गः १३६ . . . . . गोपालपूजाविधि १५८ गोपालसहलनाम १३६ गोपालसहस्रनामस्तोत्र १२६ गोपालसहस्रनाम सभाष्य १३४. गोपालसहस्रनामावलि १५७ . . . . गोपीगीत १३६ ... . . गोपीचन्दका जोग पद (रामचरण) १७ गोपीचन्दका महिमापद (कालू या गोरख)
गोलोकमहिम्नः स्तोत्र १२७. .. गोव्यन्ददासका पद ४३ ... ... ........ गोविन्दलीलापद (परसराम). १६ .. .. . गोविन्दाष्टकस्तोत्र १३२ .......... गोत्रिरात्रव्रतकथा. १४० . ... ... ..
... घ. ... ... ... ... .. घण्टाकर्णको मन्त्र ४ . . . . . . . घटियाँनामा (वाजिद) ५० : ... . . . . . घाटमदासका पद. ४३ :: : . ... घोडाचोलीकी शब्दी ४६ .. .. ..
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.
...
.
.
.
.
.
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गोपीचन्दकी शब्दी १५, ४५-::. गोपीचन्दको साखी ६१ गोपीचन्दचरित (खेमदास) ३२ गोपीचन्दजीका.पद ४५ . . . . . गोपीचन्दजी शब्दो २३ । गोपीचन्द जोग छप्पय (रामचरण) १७ गोरख-गणेशगोष्ठी (गोरख) ७४ . गोरखनाणेसगोष्ठी २१ . .. ., गोरख-गणेहगोप्ठी जोग अन्य १४ गोरख-गणेशसंवाद (गोरख) ४४, गोरखनाचको शब्दी ६१ ....: गोरखनाथजीका छन्द ४४ गोरखनाथजीका छन्द, स्तुति, वचन ....! __ प्रादि २२ गोरखनाथजीका पद २२, ४४
च्यार जुगरा राजांरी वंसावली १५२ चक्रेश्वरीस्तुति १३६ चण्डीरक्षास्तोत्र (राजस्थानी) १५२ . . . चतरभुजका पद ४० . . . . . .
..... . . चतुवितकथा १४० . चतुरसिरोमणिजीके पद ११५। .. चतुःश्लोकी १५९ चतुःश्लोकी भागवत ४, ८३, ८५ . .... चतुःश्लोकी महाभारत ८३ । चतुःपप्टियोगिनीस्तोत्र १५२ . चन्द्रसखीका प चन्द्रायणा (कवीर)-२७ .
" (सेवादास) १४” . .
" (हरिदास) १४ । चन्दनषष्ठीव्रतकथा १४० . . चमत्कारचिन्तामणि १३६ . . ... ....... चर्पटजीको शब्दी २२, ४५ . ..............
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• चर्पटनागार्जुनसंवाद ६१
चत्रका पद ४१
चत्रनाथका पढ ४६
चाणक्यनीतिभापा (उम्मेदराम ) ३५
चाणक्यनीतिसार १४६, १५६
चाणक्य सारसंग्रह १५६ चार छन्द ( तत्ववेत्ता ) ४ चार दिशा २
/
चार वेदमें पट् शास्त्र ३ चारों सम्प्रदाय घोर दादूपंथ ४
चाक्षुषोपनिषत्स्तोत्र १२८ चिकित्सासार (गंगाधर ) ५३ चिन्तामणि पिङ्गल ( चिन्तामणि कवि )
६०
चिन्तावणवोधग्रन्थ ( सूरतराम ) ६६ चिन्तावणिग्रन्थ ( रामचरण ) ६८ चिन्तावणिजोगग्रन्थ १३
33
"3
"
97
(खेमदास ) १५
( जगजीवन ० ) १५
,,
चिन्तावणी (रामचरणदास)- १७
[ ७ ]
( लालदास) १६
( हरिसिंघ) ६४
- 33
चित्रकाव्य ( सुन्दरदास मोहनदास ) ८६ चित्रमुकुटको बा ५८ चित्रामनी (नारायणदास ) ११६ चित्रामनी ( चेतावनी ?) ( शेख फरीद) ११६ चुगलसुखचंपेटका (कविराजा बांकीदास)
११५, १२०
चुकनाथको व्दीदी ४६
चूणकरकी शब्दी २३
चैनदासजी के पद ४६ चोरंगनाथको शब्दी २२
चौदह विद्या श्राध्यात्मिक अर्थ ४
चौपदी (कवीर ) २७, ३८
चौपदी रमेणी (कबीर ) ६६ चौबीस अवतार (अग्रदास ) ८५
चौवीस गुरलीला (जनगोपाल ) ३१, ६२ चौवीस गुरांकी लीला ४६ चौबीस सिद्ध ४, ४२
चोवीस सिद्धनाग ६१ चौरंगीपावकी शब्दी ४५
छ
छन्द पानूजीरो १५२
छन्द रत्नावली ( हरी रामदास निरंजनी)
छप्पय कवित्त (सेवादास ) १८ छायापुरुषलक्षणम् १३८ छीतमके पद ४२, ५२
ज
१०८, १४८
ज्योतिष ( स्फुट ) ११०
स्फुटपत्र १३६ ज्वालामालिनी मालामन्त्र १२६ जाखडी कायाप्राणसंवाद ४६ जगजीवनका पद ४२
जगजीवनको कवित्त ३ जगजीवनजी की दृष्टान्तसाखी ५ जगजीवनदासजी की वाणी १५, ६७ सांखी ६५
जगन्नाथजी के सवैया ३ जगन्नाथ पण्डितराज १०८ जगन्नाथशतक (भाषापद्यबद्ध ) १६२ जगन्मंगलस्तोत्र (जैन) सटिप्पण १४६ जगमालजी गीदोलीरी बात १५१ जडभरतचरित्र (जनगोपाल ) १६, ७६ जती हणवंतकी शब्दी २२ जन्म - कर्मलीला ( माधोदास ) ५५
जन्मकुण्डली १३८
जनगोपालंके पद ४६
35
"1
जनरल सजेशन एण्ड क्रिटिसिज्म १२४ जमपुरी अठाईस कुंड प्राख्यानं ८० ( रामचरण )
जयपुरका इतिहास (सुंशी देवीप्रसाद )
१२१
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(राजा . .
. . .
OM .
जयपुरके जागीरदारानकी फहरिश्त १४२ । जेहलजसजडावरा दूहा ११३ ...... जयपुर के ठिकानेदारोंके विशेषाधिकार । जैतरामजीकी सौरभका छन्द ३... श्रादि १२३
जैनजंजाल (रज्जव) ३० जयपुर के राजाओंका वंक्षवृक्ष
जैन शीलसमाधि जोम ग्रन्थ (पृथीनाथ)४८... जयपुरराज्यकौंसिल व जागीरदारों से जैमलका पद ४२, ४६
.... निवेदन १४२
जैमलकी साखी ४, ४२ जयपुर राजवंशावली ८३
जोगेश्वरी शब्दी (गोरख) ७३ जयपुर विलास (काव्य) १६२ जयपुरसम्बधी ख्यातरी फुटकर वातां
भादरमल्ल पण्डित श्रॉफ खेतडी (बांकीदास) १२१ जयसाह सुजसप्रकास (मण्डन भट्ट) ६६
टोलाका पद ४२.. जलन्धरीपादकी शब्दी ४५
टोडरमल जोग ग्रंथ (हरिदास) १४ जलभेद १६० जहरनिरूपण १४८ जाट-इतिहाससे जयपुरके राजाओंका हाल डिङ्गळ अभिधान संग्रह (मुरारीदान, कवि
९६ (राजा जातकपद्धति १३६
डिङ्गल कविता-संग्रह ११८ . . . . जानकोजीकी स्तुतिके पद १५८
डिजल गीत-संग्रह ११३ . जानकीमंगल १४१
डिङ्गल पुस्तक ११३ जानकीमन्त्र १४०.
डूंगरदासका पद ४१ जानकोसहस्रनामस्तोत्र १३३ जानकीलोक्यमोहनकवच १३२
ढोला मारवणी वात (कुशललाभ) ८४ जानरायलीला ५५ जालंधरजी की शब्बी २३ . ... जालन्धरीपावकी शब्दी ६१...
तत्त्वबोध प्रकरण १४५ 'जाही विधि राखे राम' ४ . .
तत्त्वमंजरी (रामानुजदास) १०५ . जितं ते स्तोत्र १३०......
तत्त्वत्रयचूलार्य संग्रह १४६ जीवदका पद. ४० ...
तत संग्राम जोग ग्रंथ (पृथो-सूत्र) ४६ .. जीवदशा १२
तर्क चिन्तामणि (सुन्दर०) १८, ५१ जुगतितरंगिणी सतसई (कुलपतिमिश्र) तर्क संपह (२०) १४६ .. ...........
१११ तर्पणविधिः (सं०) १३७ जुगति मल्पसिद्धि सङ्घत्तवन्य ४६ ।
तरचितावणी ६ . . (पृथी० सूत्र०)
तरकती २ जुगलध्यान (सुभगसतो) १८ .
तारास्तोत्र (सं०) १५८ जगलसत (स्फुटपत्र) ५५
तीन गुण २ जजमल्ल ६
तुरसी सदी पदावली ५५ - . :...: जेहलनमजडान (बांकीदास) १२०
तुलसीस्तोत्र १३३ .
त
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________________
तैत्तिरीयोपनिषत् ११३७, १६१ तोताद्रिबदरीनारायणयतीश्वरं प्रति उपेन्द्र शालिग्राम रामानुजदासस्य पत्रम् १५८:
'द्रौपदीको जोड़ों (परसराम ) १६ द्विजकन्या संवाद ( नाममाहात्म्य ) ११ दण्डकम् १३७
दत्तककर्म संग्रह १३८
दत्तगोरखसंवाद ६२.
दत्तजीकी शब्दी २३, ४६
२५ गुरु की लीला ३१ . ( जगन्नाथ )
दत्तात्रेय तंत्रम् १४०
दधिमथ्यष्टक १३:५
दधिमथोकपालदर्शनालसपापकथनम् १५८
दधिमयमहिम्नः स्तोत्रम् १५८
दधिमथीस्तोत्र १५८
दयाबोधग्रन्थ (गोरख०) १५, २२ दशदिशा सवैया (सुंदरदास ) नंद
दशाफल १३६
[C]
दशावतार - १५२
दशावतार छप्पय (तुलसीदास ) ६७
दशाचर्याणि (जैन) १६१
12.
दक्षिणी शब्दोंकी भाषा २ दाग्रन्थावली 80
वांजन्म प्रजतलीला (जनगोपाल) ७६
दादू जन्मलीलाग्रन्थ १४२ दादू जन्मलीलावरचई (जनगोपाल ) ६, ३२, ४६-५६ दाजीकाकडखा (संतदास गलताणी) ६५ दादूजीका पद : १, ६, २०, ३१, ३२, ७६ दादूजी की वाणी १, ७, २०, ३०, ३२,
३६, ५७, ६३, ६६, ६६, ७६ दादूजीकी ४० साखियों पर प्राध्यात्मिक टीका (कायाली ग्रन्थ ) १.
8
दादूजीको साखी ६, ३१, ३२, ३८, ६३ दादूजी फुटकर शब्दों का अर्थ २ - 'दादू दीनदयालको जन दर्शन दियो' ४ दादूवाणी कल्पतरु (लालजन) ६५ दादूस्तुति सवैया ४१
दानलीला १२
दानलीला (श्रीकृष्णदास ) १६, ३४ दानलीला ( कृष्णचरित्र ) १५४ दिल्लीकी पातस्याहीका व्यौरा १४२ दिल्लीदरबार खासका चित्र १४२
दीतवारकी कथा ५८
दीपमालिकाकथा १४० दीपाका पद ४३
दीवांण रामचंदजीको हाल १२४ दुपदी रमैणी (कबीर) ३८, ६६ दुर्गास्तव १३० दुर्गास्तोत्र १२७
हा (बदरीप्रसाद श्राचार्य) १२२ दृष्टान्त दोहा (स्फुट) १६ दृष्टान्त साखी (राघोदास) ६५ दृष्टान्त साखी स्फुटपद ७ दासका पद ४२ देव्यपराधक्षमापनस्तोत्र १३५ देवदासका योगद ४ देवी मानसपूजा १३८ देवी रहस्य के स्फुट पत्र १५७ प्राणसंवाद (सुन्दर० ) ५१ दोष दरीवे भाग ( रज्जब ) ३१ दोहादर्पण (नारा) १११ दोहावली (रामसखे ) ३७
ध
ध्यानमंजरी ( रामानुजदास) १०५ ध्या ( दा) नलीला (नन्ददास ) ५५ ध्यानलीला ( कुलपतिमिश्र) १११ ध्रुवचरित्र (जनगोपाल ) ११, १२, १६, ३१, ३२, ४६, ५३, ७६, ८३
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[
१० ]
ध्रुवचरित्र (परमानंददास) ५६ ध्रुवदासवाणी १२ धनांका पद ४१ धन्नांकी साखी ६१ घनदायक्षिणीकवच १२७ धनमदखंडन (भगवानदास निरंजनी) ६४ धनुर्मासमाहात्म्य १४० धर्मसंवाद (जनगोपाल) ७, १६ धर्मक्षेत्र १७ धुंधलोमलको शन्दी १५, ४६. धूमलेशपृथ्वीनाथसंवाद ४७ .
न्यायदर्शनादिके प्रकीर्ण पत्र १६१ न्यायपालिकभाष्य १६० नमस्कारवन्दनादि स्फुटसंग्रह ७, ८, ९, १० । नमोन्तविष्णुसहस्रनाम १३४ नस्यत्तीसलक्षण ६५ नरवयग्रोध (गोर) २१, ४४, ५३ नरबोधवचनिका (गोरख) ७४ नरसिंहभारतीका पद ४० नरसी प्रादि पदसंग्रह ६७ नरसीजीपी हुंडी (रतनदास) १६ . नरसी नहतामा पद ४० ... गरेणा नारायणा)ग्रामसम्बन्धी ऐतिहासिक
नवरात्रस्थापनाविधि:१३८ नवाब खानखानाकी वरव:६७ नवाक्षरीमंत्र (बगलायाः) १३६ नसीहतनामा (हरिदास) ४, ६५ नक्षत्रजोगग्रंथ (पृथीनाथ) ४८ ... नागरपान १२२ . . ..." नागार्जनको शब्दी २३, ४५ नागाग्रंय (रामचरण) ६६ नागारासो नीसाणी (रामचरण) ३३ नाडीपरीक्षा १४७ नायवंशप्रशस्ति (श्रीहरि) १२३: । ..... नाथूरामशर्माक पुस्तकालयका सूचीपत्र
. . १५५ ' . नानकजीका पद ३६, ६५ . : . .. नानकजीकी साखी २६, ३६, ६१. .. नामदेवजीका पद १.१५, २६ नामदेवजीकी परचई ७, ५३ ।। नामदेवजीकी साखी १, ३६ .. नामदेवजीके टिप्पणीपदों पर टीका २ नामदेवजीफे तेवीस पदों पर टीका २ : नामनिहापणग्रंथ (हरिदास) १४ नामप्रताप (रामचरण) ६८,८७ .. नामवत्तीसी (सूरतराम) ६६ ...... नाममहिमाजोगग्रंथ (सेवाबास):१३ . नाममाला (परसराम) १८........ नाममाला (वाजिद) ५० । नानमाला--गीत लियो (रतनूं हमीर)
...... पत्र १५५
नवग्रहमंत्रजपविधि १३७, १५८ गवग्रहस्तोत्राणि.१५७ गयया रित २ . .. नयनाय २ ... नवनिदिनाम ६१ गोसाय (गोरप०) २१
नाममहिमा (दास) ८६ नानमाहाल्य (द्विजफन्यासंवाद) ११ नामनामस्तोत्र १५९ : ........ नामादयः (सुन्दरदास) ६३ नापाका पद ४२ . नायिका पद ४२. . नायिका दि. फट गावित १५५ .... नानपाचरात्र १५७
न
विर (काददाग) ३५, ६४
.
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________________
[११] नारदीयपुराण (पूर्व भाग) १४७ ।
-भजन १५३ नारायणकवच १२८ . . .
नृसिंहप्रातःस्मरण १३३ नारायणहृदयस्तोत्र १२७ । सिंहमंत्र १३२ नासकेतभाषा (दयालदास) १६, १५४ नृसिंहस्तोत्र १२८ नासकेतव्याख्यानभाषा ११ .
नृसिंहसहलाक्षरमंत्र १५५ । नारायणवर्म १५५
नेतको पद ४३ । नारायणस्तोत्र १३५ .
नेहतरंग (रावराजा बुधसिंह) ५६ नारायणसूक्तभाष्य १२६
नेहाजीको चेतावनी ६२ नारायणहृदयस्तोत्र १२६, १३६
नैनके कवित्त ८५ नांव(म) मालाग्रंथ (हरिदास) १४
नैषधीयचरितम् १४४ नांवसार (फलेस्यंघ राठौड़) ११४
नैननामां (वाजिद) ८४ निगड़बंधका अर्थ ८६
नौशेरवां बादशाहके दस ताज ११४ निघंटुसार १५१ नित्यकर्मविधि: १४४
प्यण्डप्रपोषसरस्वती जोगग्रंथ (पृ०सू०) ४७ नित्यतर्पणविधिः १३८, १४६.
प्रणाली ८६ नित्यश्राद्धविधिः १५७ ..
प्रत्यङ्गिरामंत्र १४० निन्दास्तुतिग्रंथ (ईसरदास) ११४ 'प्रतापप्रीतिमंजरी (भारती) ११२ निम्बार्कपद्धति १३१ .
प्रतापपचीसी ११० . निम्बार्कमंगलाष्टक १११ ।
प्रतापसिंगारहजारा ५६ निर्वाणयोगपट महादेवजीको ५२
प्रतापवीरहजारा ५६ निरोधलक्षण १६०.
प्रतिबोधज्ञानटीको जोगग्रंथ (पृ०सू०) निरंजननिर्वाणजोगग्रन्थ (पृथी०) ४७ निरंजनपुराणग्रंथ ५१ . .
प्रदोषव्रतकथा १४०, १५७ निसांणी ठाकुरां श्रीदुरगादासजीरी १५२ प्रपन्नपरित्राणम् १२८ नीतिके तीन श्लोक ३
प्रपन्नसंध्या १३७ नीतिनवरत्न (केशवदास) ३५, ३७ .
प्रपन्नामृतग्रंथक्रमसूची १०७ नीतिमंजरी ३५
प्रबोधबावनी (जिनरंग) १०५, १५१ नीतिविनोद ३७
प्रबोधसुधाकर १४८ नीतिसारनाटक (चंद सुकवि) १०७ :
प्रह्लादचरित्र (जनगोपाल) ४६, ६२, ७६, नीमअग्निको जोड़ो (परसराम) १६
३१,३२, ३३
प्रश्नप्रदीप (ज्योतिष) १४७ नीसाणीयां वीरमायणरी ११३
प्रश्नावली (वेदान्त) १४७ . नीसांणी जयस्यंघ सवायी ११०
प्रशस्तिप्रकाशिका १४६ नोसांणी महाराज प्रतापसिंहजीको (हुकम
प्रांगदासका पद ४१ ___ चंद पिडीया) ८६, ११२
प्रागदासको साखी ४१ नीसांणी रायचंद मनोहरदासोत, रावत
प्राणकुण्डली जोगग्रन्थ (पृथीनाथसूत्रधार) महाराजकुमारकी ११२
४७
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________________
[ प्राणपचीसी (पृ०सू०) ४६ प्राणसांकलो (गोरख) २२, ४४, ७४ प्राणसांकली (चौरंगनाथ) ४४ प्रातःस्मरणम् १३२ प्रातःसंध्या १३७ प्रार्थनाप्टक (सुन्दरदास) ८८ प्रास्ताविक कवित्तंद्रहादि ८५, १०७ प्रीतिलता (स० प्रतापसिंह व्रजनिधि) ३४ प्रेमप्रकास (बजनिधि) ३४, १४१ " प्रेमनामजोगग्रंथ (जगजीवन) १५ प्रेमरतनाकर (भैया रतनपालजू) ११३ पचीस नाम (वेदच्यास) ८५ पञ्चडंडनीकथा (नरपति) ३२ पञ्चतन्मात्राजोगग्रन्थ (गोरख०) २२ पञ्चपदी १६० पञ्चमुखी हनुमत्कवच.१२५, १५५. पञ्चरक्षा १३२ .. पञ्चलक्षणी १६० .. .. पञ्चाङ्गप्रकीर्णपत्र १३६ . पञ्चाध्यायी (नंददास) १११ . पजाची अष्टक (सुबरदास) ६३ पट्टोपहाड़ा ३७, १५३ पठाण (पाटश ? ! का विशारा ४२ पतिसंगायन्य (रामचरण) ६६ पानापदेयालय प्रशस्तिवातकम् (मणिकपड
२ ]
पदसंग्रह (स्फुड) १०, ११: ...." पन्द्रहतिथियंत्र (गोरख०) २१, ७४ पन्नगपवाड़ो (नागदमण) १५३." परदेसीप्राणको जोडी (परसराम) १६ परमानन्ददासका पद ४१.. . परसको पद ४३ . ......... परसजीकी साखी १६, ४०, ६१ - परसरामका पद ४०, ६५ परसरामजीकी वाणी १८ : .. परिभाषा (व्याकरण) १६१ . : ... परिभाषाभारकर १४३ .... ...... परिभाषेन्दुशेखर १४३ .:.:... परिभाषेन्दुशेखरटीका १४३, १४६ पल्लीपतनविचार १४० पवनस्वरोदय (चरणदास) २०...: पत्रावली १५५ . ......... पाकार्णवत्रंथ (आयुर्वेद) १४६ पातली (महाप्रसादकी) १५४ . ... .. पातञ्जलयोगशास्त्रवृत्ति (राजमार्तण्डा
भिवा) १४६, १६१ पारिवचिन्तामणि १३८ पाथिवपूजनम १३७ पायिवेश्वरचिन्तामणिविद्यामंत्र १३२ . पार्वतीको शब्दी २२, ४५ पायंप्रभुमहिम्नास्तोत्र १६६ पारसभाग७ । पासावली १५० पार्यतीमहादेवसंवाद (गोररत . ) २०.. पिङ्गल ५६ पिङ्गनगन्य (दामोदर) १२.. ... ... . पिष्टमाणको जोड़ी परसराम) १६:पिससिमा (सेवादास) १७ . . . . . पीयाको ४३ .
. ..... भोपाजीका पद ३६ पीपानीको पर चर्द अनन्तदास) ७, १८,... . .
पानीस्तोत्र १२६ पद (गो ) १५ पयांचास) १४
माजोगायोग०) ४७
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फ
[ १३ ] पीपाजीकी साखी १५, ३६, ६१
ब्रह्मस्तोत्रनिरञ्जन अष्टाङ्ग (शङ्कर) ७४ - पीरमुरीद अष्टक (सुन्दरदास) ६३ ।। ब्रह्मस्तोत्र श्लोक ६२ पीरूको साखी ४
बखनाका पद (व्याहलो) ४२ पुण्याहवाचन १३७
वखनाकी साखी ६१ पुरुषसूक्तम् १२७
बखनाजीका पद व वाणी १०४ पुरुषोत्तम (विष्णुदिव्य) सहस्त्रनाम
बखनाजीके ४ पदों पर टीका २
१३१, १५३ बगलामुखीस्तोत्र १३६ पुरुषोत्तममाहात्म्य १४०, १५६
बजरंगलावनी १२ पुष्टिप्रवाहमर्यादाभेद १५६
बनारसीदासके पद २७ पूरणको पद ४३
बलिवामनचरित्र (हृदयनाथ) ५८ पृथ्वीमंगल (द्वारकानाथ भट्ट) ८२
बलिवैश्वदेवकर्म १३७ पृथीनाथजीकी शब्दी ४६
बहावदी शेखका पद ४४ पृथीनाथजोगग्रंय ४६
बांकीदासग्रन्थावली सटीक (मुरारिदान पृथीराजका पद ४३
कविया) १२० पोलिटिकल हिस्ट्री ऑफ जयपुर स्टेट बांकीदासग्रन्थावलीके दूसरे भागकी (कर्नल जे. सी. बाक) १२४
भूमिका १२१
बांकीदासग्रन्थावलीसे सम्बद्ध सामग्री १२१ फर्जन्द दौलत महाराजा श्री मिर्जा राजा
बारहखड़ी (श्रीनिवास) ३३ मानसिंहजी प्रथम १२१
(कक्काबत्तीसी) १५४ फरीदा शेखकी साखी ४४
(कुदरतका कक्का) १५५ फागरंग (सवाई प्रतापसिंह) ३४, ३५
(लालदास) १०६ फुटकर संग्रह ५७
(सूरतसिंह) १०६ फुलड़ारो हार (मनोहर शर्मा) १२२
(रत्नसार) १०६
(बड़ी) १०६ ब्रह्म अग्नि जोग जगदीशग्रन्थ (पृ०सू०)
रामजीकी (तुलसीदास) १०५
कृष्णचरित्र (श्रीनिवास) १०६ ब्रह्म प्रादेसुर जोगग्रन्थ (पृ०सू०) ४७
सुदामाजीकी १०५ ब्रह्मकवच १२५, १३५
" (सुदामादास) १०६ ब्रह्मजिज्ञासाजोगग्रन्थ ६२
" (ललितकिशोरी) १०६ ब्रह्मध्यांन (सन्तदास) १७
" (हरिदास) ११० ब्रह्मनामावलीरत्नस्तोत्र १४५
बारह प्रश्नोत्तर २ ब्रह्मनिरामयाष्टकस्तोत्र १४५
बारहपदी (कबीर) २७, ३८, ६९ ब्रह्मरहस्याध्याय १३२
बारहमास ५ ब्रह्मलीलानन्य (मोहनदास) ७८
वारहमासा ८५ ब्रह्मस्तुति (हरिदास) ३, १४
(भवानीराम) ३३ ब्रह्मस्तोत्र अष्टक (सुन्दरदास) ६३, ८८,
(जनगोपाल) ४६, ७६ १५८
(कुशलेश) ३३
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[ . १४ । बारहमासी १२
वेसरमोती सावित्त ८५. __, (पृथीनाथ) ४८
चोहितवासका पद. ४० वारहमासीसंग्रह ८०, ८१, ६३, ६४,
६५. ६६ वारामासी कानजीको ११०
भ्रमरगीत १६६
भैव (म) गीतमापा (जनमफुन्द) ५६ , कृष्णको (यशोदालाल कानडदास)
भ्रमवियंसजोगग्रस्य (पृ.सू.) ४६
७६ वालक रामजीका कवित्त ६३
भक्तउपदेशनी (परसराम) २.० बालकालिदाससुभाषितसंग्रह १६२ .
भक्तमाल (नाभादास) १४२ बालगुसाई लछमनजीकी शब्दी १५, २३ । भवतमालकथा १४७ बालनाथकी शब्दी २३, ४५
भक्तमालटीका (राघवदास) १०, बालप्रबोधिनीवार्ता (रामानुजदास) १०५
भक्तमाल सटीक (प्रियादास) १४६, १६१ बालबोध १३६, १५६
भक्तमाला (परसराम) ७८ वालशब्दबोधरामायण (किंकरदास) १०६ . भक्तविरदावली (हरिदास) ५, ६५ वावनलीला (परसराम) १६
भक्तिभांवती (गणेशानन्द) ५३ ।। वावनी (कृष्णदास) १०६
भक्तिद्धिनी १६० 1, (कदीर) २७, ३८, ६९, १०५ भगतपचीसो (खेमदास) ६२ , (रज्जव) ४२ . ..
भगतिवैकुण्ठग्रन्थ (पृ.सू०).४७ . .... . ,, (ज्ञानत्रिलोक) १०६.
भगवच्चरणगति (प्रसंग-भागवतगत) ,,, (भीषजन) १०५. वाचनीयोगग्रन्थ (हरिदास).१०६
भजनपदसंग्रह स्फुट २० बिदुरबत्तीसी (बांकीदास) १२१ । भजनसंग्रह १५१, १५४ बिन्दुसिद्धान्तजोगजन्य (पृथी०) ४८
भगवद्गीता १५३, १५६ बिहारीसतसई ५६
, (भापाटोकासहित) १४८ . . . बीजलका पद ३६..
., (परमानन्दप्रबोधिनी बीजियाका पद ४३
- टीकासहित) १५३ बीसलजीके नन्दिरका शिलालेख १२१
, (भाषापद्यानुवादसहित) १५३ दीसाका पद ४१
(सुबोधिनीटीकासहित) १५४ बुधविलास (गणेशकन्हाईलाल) १०६ भगवद्भक्तिरत्नावली सटीक १४५ . . वल्हेशाहकी सेहर्फी १०६
भगवदाराघन दृढरणजीकी साखी ६१ . : ........ भगवन्नामकीमुदी १५७.. ........ .. बृहज्जातक १३६
- .:: भर्तृहरिवैराग्यशतछन्दनीका (भगवानदास वृहत्पाराशरीय धर्मशास्त्र १५७ । . .
निरजनी) ६४. .. .. देणीका पद ३६
भर्तृहरिसत्यदराज्यवृन्द १४८ वेली (कृष्ण रुक्मिणीकी) ८३.
भरतचरित्र (जनगोपाल) ३१, ४६, ६२.. . बेस्थावार्ता (नांकीदास) ११५, १२०, भरतविलाप (मिलाप ?). १२. ...::
भरथरीको शब्दी (गोरख०) २२, ४५
-
१०६
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]. भेटके सवैये (जनगोपाल) ४६ .
, ,, (रज्जब) ४२ . भैरवाष्टक (विश्वरूप) स्तोत्र १२५ . भैरूं कवि और उसकी कविता
(सूर्यकरणपारीक) १२२ भैरूं सेवड़ाका पद ४३
मच्छीन्द्र-गोरखबोध ७४ मत्स्यदेशान्तर्गत चम्पावतीपुरकथा १५६ मतिसुन्दरका पद ३६ मदनविनोद (कवि जान) ५६ मदनाष्टकस्तोत्र १५८ मध्याक्षरी कवित्त (सुन्दरदास) ३५ मधुमालतीकथा (चतुर्भुजदास) ८३, ८४,
८६
..[ : १५ - भरथरीचरित्र (जीवनदास) १५ . . : . " भरथरीजीका श्लोक ५३ ..... भरथरीजीका शंख - राजा राणी संवाद
.... (गोरख०) ४५ भरथरीजोगपद (काल) १७ भरथरीनाथकी शब्दी ६१ भरथरीमहिमापद (कालू) १५ भरमतोड़ (सन्तदास) १७ भरमविधंसण अष्टक (सुन्दर०) ६३ । भवानीकी प्रारती (शिवानन्द) ३३ भागवतकल्पतरु (जगन्नाथ) ६५ भागवतचतुर्थस्कन्ध सटीक १४७ भागवततृतीयस्कन्ध सटीक १४७ . भागवतद्वादशस्कन्धभाषा (व्रजवासी) ११८
, दशम , पद्यानुवाद १४२, १५४ :..., प्रथम , भाषा (वजदासी)
११८ ..." , (मूल) १४७ - " पञ्चम, . सटीक १४७ भागवत पर रूपक कवित्त ४ । भागवतसारपचीसी १५४ . भाणका पद ४० . भारथचरित्र (मण्डन भट्ट) १२२
भाषाचाणक्य (उमेदराम बारहठ) ११३ . भाषाभूषण (महा० जसवंतसिंह) १०७
भाषास्वरोदय. (गोरख०) १०४ भीमकी साखी ४० भीषजनकी बावनी ६, ६३, १५१ भीमगीतम् (भागवत) १०६ भीष्मस्तवराज १२६ भुजङ्गप्रयातछन्दः स्तोत्र (भवान्याः) १३३ भुरजालभूषण (वांकीदास) १२० भुवनका पद ३६, ४२ भूगोलपुराणग्रन्थ ५१
दिप्राणप्रतिष्ठा १३७ _ .....:. भूतशुद्धिः १३७
. भूपका कवित्त ५ .
मधुराष्टकस्तोत्र १६० मन्त्रगणना ११६ मन्त्र गूमड़ी प्रादिके ५४ मन्त्रशास्त्रके स्फुट पत्र १५६ मन्त्रसार १४१ मनखण्डनग्रन्थ (रामचरण) ६८ मनथंभ शरीरा साधणजोग (पृथीनाथ) ४७ मनविनोद १३ मनसुखग्रन्थ (रूपदास) ८१ मनुष्यबन्ध सवैया (सुन्दरदास) ८८ मनोहरचरित्र (हनुमानशर्मा) १२२ मयाराम दरजीरी वात (प्रासिया बुधा)
६२, ११३ मरसिया कवित्त (उमेदराम बारहठ) ११३ महन्तलीलाप्रदीपन ८६ महम्मद (काजी) की साखी ४३ . महमद काजीका पद २३ महागणपतिस्तोत्र १३५ .. महादेव-उमासंवाद महादेवको शब्दी २२ महादेव-गोरखसंवाद २१, ४४, ६२:
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.
महानारायणमन्त्रराजस्तोत्रचिन्तामणिः१३० महापुरुषस्तोत्र १३४ महामृत्युञ्जय (जप) विधान १३० . महामत्युञ्जयस्तोत्र १२८ महाराजा मानसिंह कछवाहा १२१ महाराजा मानसिंह प्रयमका चित्र १२३ महाराणा प्रतापसिंह १२१ महालक्ष्मीकवच १५७ महालक्ष्मीपूजा १३७ महावीरचरितम् (नाटकम्) १६२ महिषीगीत १३६ माँझ मालिक मुकाम (रसराशि) ८२ माताजीकी दिवायण (ईसरदास) ११४ माताजीरो छन्द १५२ माधवकामकन्दला चौपाई १५५ माधवसिंहायशतकम् (नाधवविलास) (श्यामलट्ट) ६७ माधवानलकामकन्दला (पालम) २४,११५. माधवेन्दुशंसानिचय (माधवस्तुति) १५० माधवेशविवाह बनागीत १४२. माधो जगन्नाथका पद ४१ माधोसिंह सवाई महाराजा १२४ .. .... मानप्रसङ्ग ग्रंथ (हरिदास) १४ । मानमञ्जरीनाममाला (नन्ददास) १०६ मानविजयनाटक (हनुमान शर्मा) १२३ - मानसिंहजीके राजलोकका व्यौरा १२१ मारफत २ मारवाड़ी तमासा. १४१ मावडियामिजाज (कविराजा वांकीदास)..
.. . ११५,. १२० मींडकीपावकी शब्दी ४६ . . . मीराके पद ६६ . .. मीरांजीके पद १६ मुक्तकमुक्तावली १६२ . . मुक्तिमन्त्र १४०. मुकुन्दका पद ४१.. . . . .
मान्द भारती २ पदों पर टीका २.... मुकुन्दमाला (कुलशेखरनृपति) १०६, १२८ मुकुन्दमुक्तावली (कुलशेखरनपति) १०६ मुरलीविहार (सवाई प्रतापसिंह) ३४ मुल्ला-पण्डितसंवाद ६२ मुहर्त्तचिन्तामणि १३६ मुहूर्तचिन्तामणिभाषा १४६ मूलपद महाज्ञानजोगग्रन्थ : (पृथीनाथ) ४७ मूलरामायण १२८, १३४. मूलसूत्र (पञ्चमाध्याय). १३१ मृत्युञ्जयस्तोत्र १२८ ... मृत्युलाङ्ग लमन्न १२७ . . मेहाकी चेतावनी ५२ . ... मोमिनो लक्षण ४ . . . . . मोहनदासजीका पद:४८. मोहबवेक (जनगोपाल) ८४ मोहमर्दन (कविराजा बांकीदास) ११५ मोहमदनदर्पण ,,
१२० . मोहमदराजाकीकथा (जगन्नाथ) ११, १६
३३, ५३, ७६ मोहविवेक (जनगोपाल) ३१, ४६ . मोहविवेकग्रंथ , ६२ मोहविवेकसंवाद, ७६
यतीन्द्रमतदीपिका १४६ यमुनाद्वादशकस्तोत्र (शङ्कराचार्य) २५. यमुनाष्टकस्तोत्र १२७, १५६ युक्तितरङ्गिणी (सतसई) (कुलपतिमित्र)
५५, ५७, ६० बुगलस्तोत्र १३२ युगादिगणना ४ योगचिन्तामणि १४८ योगवासिष्ठसार भाषानुवादसहित
. (गणपति) १०७ :
योगशत १४४
योगशतभाषा सटीक १४८ .:: योगेश्वरी शब्दी (गोरख०) ८०
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[
१७ ]
रसिकप्रिया (केशवदास) ८७ ... रसिकालाद रुक्मिणीमङ्गल (हरिसेवक) :
रघुनाथचरित्र जोडों (परसराम) १६ रघुनाथपञ्चरत्नम् १२६ : ...: रघुराजविनोद (पुरन्दर) ८२ रघुवरवंशावली श्रादि १५६ रघवाका विणजारा ४२
. रघुवंश १४३, १४५ 'रघुवंशटीका १४५ रङ्गरोजस्तोत्र १२९.... रज्जबजीका कवित्त ६ ५३... . रज्जबजीका कवित्त-वाणी ६३...... रज्जबजीकी छोटी साखी १० रज्जबजीकी वाणी, साखी, कवित्त, सवैया,
पद आदि ३० रज्जवजीकी साखी २६, ४२ रज्जबजीकी साखी एवं स्फुट कवित्त ७ रज्जवजीके कवित्त ८६ . . ... ". पंद २७.....:: रजमाबोध (रूपदास) 2. .." रजवाड़ोंके झण्डे और राजचिन्ह (मुन्शी
रहरासग्रन्थ (गोरख०) १५ रहस्यत्रितयार्थ.१४० रागकोष्ठक ३३ . रागमञ्जरी (पुण्डरीक विठ्ठल) १०६ .. रागमालाके दोहे ३३ राघवाष्टकस्तोत्र १३० राघोकी साखी ४ राघोजीको कवित्त ३ राजनीति (उमेदराम बारहठ) ११३ राजनीतिकवित्त (देवीदास) ३२ राजनीतिका कवित्त ३३ राजनीतिभाषा (उम्मेदराम) ३५ राजपूतानेकी रियासतोंका ब्यौरा १२२ राजपूतानेके कुछ ज्ञातव्य वृत्तान्त १२२ राजवल्लभ (मण्डनसूत्रधार) ११४ राजस्थानी लेख एवं कविताएँ १२२ राजा चन्दकी बात (लछमन बाह्मण) ५६ राजा-बादशाहोंकी वंशावलियां १२४ राठोड़कहाणा तिणरी विगत १५१ राठोड़चरित्र (मण्डन भट्ट) १२२ राधाजीके शिखनखवर्णनकी झमाल (कवि
राजा बांकीदास) ११५ राधारससुधानिधिस्तव १३१ राधारससुधानिधिस्तोत्र १३६ राधास्तोत्र १२७, १३४ रामकवच (त्रैलोक्यमोहननाम) १४६ रामगायत्रीपञ्चन्यास १२६ रामगीतगोविन्दकाव्य ४५ रामचन्द्र की शब्दी १५ रामचन्द्रजीको कक्को (टोडरमल) १०६ रामचन्द्रस्तवराज १२६ रामचन्द्रिका (केशवदास) ५४ । रामचरणजीके पद-भजन ६६ रामचरित (कालूदासकृत) ११
देवीप्रसाद) १२२
रत्नकोश १४४ रत्नावती (कविजान) ५७.... रतनावतीकी वार्ता (कविजान) ८६ रमकझमकबत्तीसी (सवाई प्रतापसिंह) रमणी (कदीर) ३०, ३८ ...::: रसकौतुक (राजसभारञ्जन समस्याप्रबंध)
रसखांनके कवित्त ८५ रसंघातुसिद्धिक्रियाको मानप्रमाण १४८ रसपीयूषनिधि (सोमनाथ) ३२ . रसमञ्जरी सटीक १४८ . . रसरहस्य (कुलपति) ९७ रससमुद्र (मण्डनभट्ट) ६२ : रसिकजीके हिन्दीपद १४१ ...
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१८
[ रामचरितमानस ८७, १५७ रामजी अष्टक (सुन्दरदास) ६३ रामतापिन्युपनिषत् सटीक (प्रानन्दनिधि
नाम्नी टीका) १६१ रामनाथजी रतनको तसवीर १११ रामपदावली (तुरसी) ५५ रामपूजा १३४ रामपूजापद्धति १३० रामपूजाविधि १५८ राममहिम्नः स्तोत्र १३३, १५६ राममानसीपूजाविधि १३२ रामरक्षाकवचस्तोत्र १५७ रामरक्षास्तोत्र १२, १२६, १२७ रामरासो १५३ रामलक्ष्मणसंवादश्लोक ४ रामस्तवराज १५३ रामस्तवराज सटीक १४५ . रामस्तोत्र ८५,१२८,१३२ रामसिंह प्रथम, सवाई १२४
, द्वितीय , १२४ रामसिंहजी द्वितीय महाराजा सवाईका
इतिहास १२२ रामशतनामस्तोत्र ८४ रामानन्दका पद ३६ रामापदुद्धारकस्तोत्र .१३४. .. रामायण (तुलसीदास).६७ रामायणकीर्तन दोहा (रघुराज) ३७ रामायणपाठविधिः १४४, . . . रामायणमाहात्म्य १४०. ... .. . रामार्याष्टोत्तरशतम् १६१... ... ..... रामाप्टक (शङ्कराचार्य) ८५ .. .. रामाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र. १३५. .... रामाश्वमेव (शिवराज. भूप शेषावत) ११४ रायचन्द. महाराजकुमार मनोहरदासोतरी
.. : नीसाणी (भूधरदास) ८६ रावणके कवित्त ३ ... .... .
] रावलचरित्र (मण्डनः भट्ट) ६६ राशिसम्प्रदाय ५ ... ... ... ... ... .. रासको रेखता (सवाई प्रताप०.) ३४ रासपञ्चाध्यायी १२. ... ................ रासपञ्चाध्यायोभापा छन्द १५८ . रिलीजत हिन्दी पाइटी इन राजस्थान
ए नोट ऑन १०६ रुक्मणीजीको व्यावलो (सहसमल) ५६. रुक्मिणोजीरो व्याहलो १४१ रुक्मिणीमङ्गल.१६१ .. पिमणी व्याहलो प्रादि १५३ रुण्डमालाग्रन्थ ५२ रुद्राष्टाध्यायी १३८ ...... :रूपदीप.११० रूपदीपकपिङ्गल (जयकृष्ण) ८७ ... रूपदीपपिङ्गल ११४, १४८. ... . .
,, ,, भाषा १५६...... . .. रूपमञ्जरी (नन्ददास) ६७ .. रेखता (सेवादास).१४. ... .. .. ,, (खेमदास) ६४ , (मुसलमान फकीरोंके) ३ ,, संग्रह (स० प्रताप) ३४ रैदास-कवीरगोष्ठी २७ रैदासको परचई.७. रैदासके ३ पदों पर टीका २ .... रैदासजीका पद १, ३६ रैदासजीको वाणी १५ . रासजीके पद २१ ............ .... रोमावलीग्रन्थ (गोरख०) २१, ७४ ।
लखपतजससिन्धु पिङ्गल (कुंवरेश) ५६ - लखमणनायकी शब्दी २३ ....... लघुजातक १३६ ... ........ लघुतानन्यसंग्रह १६. ... ... ... ... . लवतानामा (पेनदास.) १०४. लघुवीठलका पद ४१ ..... ............
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[ १६ ] लघुशव्देन्दुशेखर १४३
वज्रसूचीशास्त्र १४४ . लच्छ-अलच्छ-जोगग्रन्थ (रूपदास) ८१ ।। वनलीला (माधोदास.) १११ लवांणको हाल १२५
वर्षाभविष्यसूचक दोहे ३४ : लक्ष्म्युपाख्यान १४० .
वरदराजस्तव १३० लक्ष्म्युपाख्यानस्तोत्र १२७
वल्मीकको पद ४३ . लक्ष्मणकवच १३०
वल्लभाष्टकस्तोत्र १५४ लक्ष्मीगणपतिस्तोत्र १२५
वाक्यसुधाप्रकरण सटीक १४४ . लक्ष्मीनारायणपञ्चाङ्ग १४५
वाग्भूषणशतककाव्य सटीक १४४ . .. . लक्ष्मीनृसिंहमन्त्रकवच १२५, १२६ ,
वाजिदकी रिल्ल २७ लक्ष्मीनृसिंहसहस्रनामस्तोत्र १३४ . .
वाजिदजीको साखी ३० लक्ष्मीस्तव. (श्रीवत्साङ्क) १२६ . वाणीभूषण (उमेदराम बारहठ) ११३ . लक्ष्मीस्तोत्र १३६, १५८ . . . वाणीसंग्रह १५१ लक्ष्मीसहस्रनामस्तोत्र (हिरण्यगर्भहृदयनाम) विक्रमचरित्र (नरपति कवि) ३२
विक्रमादित्यकथा , १०८ . लक्ष्मीहृदयस्तोत्र १२७
विचारमाला ५ लाडणका पद ४३ . :
विचारमाला (अनाथदास) १६, ६२ लावनी १५५
विजयविवाह (मुरारीदास बारहठ) ११५ लावनी रंगति खड़ी ककहरा अंढंग १०६ विजैविवाह लावणीसार १५०
विजैविवाह १५३ लीला परसरामजीकी ५२ . ...
विदुरबत्तीसी (कविराजा वांकीदास) ११५ लीलावतीके हिसाबी प्रश्न तथा इश्तिहारों विनयको छप्पय (केशवदास) ३७ .: की नकल ११०
विनयदोहावली (प्राणसुखराय) १०६ लुप्तोपमाविलास (हीराचंद कानजी) १०७ विनयपत्रिका तुलसीदास).६० लेलीनजीका पद ६६ .
विपर्यय अलङ्कारवर्णनकाव्य सटीक लोहार्गलमाहात्म्य भाषाटीकासहित
(सुन्दरदास) १८ : १४६, १५०
विरह अग्निको जोडौ (परसराम) १६ लोहार्गलसम्बन्धी सामग्नी १५० ..
विरहपिंजरी (सूरदास) १६.. विरहसलिता (स० प्रतापसिंह) ३४ . .
विलोमाक्षरश्लोक-दोहा (रामचरण) ३३ व्यतीपातकथा १४०......
विवाहपद्धतिः १३८ व्यासका पद ४१
विविध (चतुर्विशति) गायत्री १२५ व्याहलोजोगग्रंथ (हरिदास) १४
विवेकचिन्तामणि (सुन्दरदास) १७ ... व्युत्पत्तिवाद १४३
विवेकचिन्तामणी ६ व्युत्पत्तिवादटीका १४३
विवेकचेतावनी (सुन्दरदास) ५१ . बजनिधिमुक्तावली (स० प्रतापसिंह प्रादि) । विवेकधैर्याश्रय १५९
विवेकवारता नीसाणी गुण (केसवदास व्रजरसतरङ्ग (श्यामासखो) ६६ |
__गाडण) ११६
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________________
. .
.
.
..१५..
[ विश्वम्भराको कथा १४० विष्णकृत शिवमहिम्नःस्तोत्र १२६ विष्णुको चौवीस सिद्धि ७८ विष्णुपञ्जरस्तोत्र १२६ विष्णुपूजनप्रयोग १०८, १३८ विष्णसहस्रनामस्तोत्र १२५ विष्णुसहस्रनाम सटीक १३६ विष्णु सुख्यानकर एण्ड कण्ट्रीब्यूशन टु
इण्डालॉजी १०८ विष्णुपट्पदी १३१ विष्णोदिव्यसहस्रनामार्चन १२६ विष्णोःस्थानाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र १३१ . विहारीसतसईके स्फुट पन सटीक १५१ . विज्ञाननौका १४६ वीरनारायण (हरिचरणसिंह) १२३ . वृत्तमुक्तावली (श्रीकृष्णभट्ट) ११४ .. .. वृत्तरत्नाकर १४४ . .... वृन्दविनोदसतसया १४६
.. वृन्दावनशतक १३ ___ (शिवबक्स बारहत) ११३ वेङ्कटनाथार्यस्तुति.१३० . . . . . . . . . वेङ्कटेशलक्ष्मीकवच १२६ . . . . . . वेङ्कटेशस्तोत्र १२७, १३० . .. वेणुगीत १३६ .. ...... . वेदप्रज्ञानशब्दनिर्णयादिसिद्धान्त १६१ वेदमहिमा ४० वेदस्थापन संक्षेप १३७ . . . . . . वेदान्तसंग्रह १६१
. वेदान्तसज्ञा १४-
..
:-... .. वेदान्तसार १६० वेदान्तार्थप्रकाश १६१ . . . वैकुण्ठवनका पद ४१ वैद्यकसारसंजीवनग्रन्थ (सुन्दरविप्र) ११० वैद्यकोपचारसङ्ग्रह (महाराजा गजसिंह) वैद्यबोध भाषा १४८. ..: वैद्यविनोद भाषा (अनन्तराम) ६०
२० ]
वैदकलीला १३ वैदिक वैष्णवरादादार (हरेकृष्ण) ९७ वैयाकरणभूषणसार १४३ : ................: वैराग्यमञ्जरी (स० प्रतापसिंह) ३५ वैष्णवमहिमा साखी (चतुर्भुज) ७२ वैष्णवसन्दोह (महायोगीशमाहात्म्य) १५८ वैसकवारता (कविराजा बांकीदास) ११५
श' ...... श्यामचरित (पष्ठाध्यायी) १४५ श्यामबत्तीसी (श्याम) ८४ ...
" (भरमी कवि) २ ... श्राद्धपद्धति १३८ श्रीकृष्णविलास (गोपालदास) १० श्रीकृष्णाशयस्तोत्र १५६ श्रीकृष्णाप्टक १५७ श्रीगणेश्वरमाहात्म्य (गालवाश्रममाहात्म्य) श्रीगणरत्नकोश १४८ ...... ... . श्रोतनयासंग्रह, गुरुपरम्परा च १४. श्रीदत्त-गोरखसंवाद २० . . . . .: श्रीधर वा जजमल्लराजाकी कथा.६ . .. .... श्रीनायलीला (परसराम) १८ . .. श्रीनारायणधर्मसारसंग्रह १४४... ... .. .. श्रीनिवासकवच १३० : ... श्रीबालमुकुन्दचित्र १४६ . : .. श्रीमुखनामा (वाजिद) ५० श्रीरङ्गका पद ४० . . . श्रीरङ्ग-प्रपत्ति १३० .. श्रीरङ्गमङ्गलम् १३० श्रीरामद्वादशनामस्तोत्र १५७ ... श्रीरामहादशनामानि १५४ श्रीराममहिम्नःस्तोत्र १३३, १५६ श्रीरामानुजाचार्यचरितोपदेश १६१ श्रीवाणीजी (वल्लभरसिक) ५८. .. श्रीवानातिनाथप्रपत्तिः १३.० ..." श्रीविष्णुचित्र १४६ . श्रीसहनार (सुदर्शन) यन्त्र १४६
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२१
] :
- [ श्रीहरिलीला (परसराम) १८ ... शृङ्गारमञ्जरी (स० प्रतापसिंह) ३५ श्वेतयवाङ्क रविधिः १५८२ . शक्तिवाद १४३, १४६ शक्तिवाद (न्यायशास्त्र) १६१ . शक्तिवादविवरण १६१ शक्तिवादार्थदीपिका १६० शजिनी श्रादि नायिकानोंके लक्षण तथा ।
स्फुट कवित्तादि १५२ शतकत्रयभाषा ९० शनीचरजीकी कथा ५६ शनैश्चरजीकी कथा (रामानन्द) ६२
,, , (जैतसिंह) ६२ शब्दप्रकाशग्रन्थ (रामचरण) ६८ शब्दरेखता (सन्तदास) १७ शब्देन्दुशेखरटीका १४३ शब्देन्दुशेखरदूषणोद्धार १४३ शरीकत २ शत्रुञ्जयहनुमत्स्तोत्र १३३ शत्रुविध्वंसिनीस्तोत्र १३६, १४० शाखोच्चार ८७, १४२ शान्तरसकवित्त ६४ शान्तिके छन्द ४, ४ शालग्रामस्तोत्र १३३ शालिहोत्र १५१ शालिहोत्रभाषा १४७ शिखा वंशोत्पत्तिपीढी वात्तिक (गोपाल
दान):५५ शिलालेखप्रतिलिपिसङग्रह ११६, ११७,
शिवमहिम्नःस्तोत्र १२५ शिवमानसपूजा १३८ :शिवमानसीपूजा १३५ शिवयशोदासंवाद ७६ शिवरामस्तोत्रम् १२८ शिवश्रमका पद ३६ शिवशतक ११६ शिवस्वरोदय १६० शिवसिंहजी राठौड़रा कवित्त (साहिबदान)
११४ शिवादिस्तोत्र (स्फुट पत्र) १३६ शिवाष्टकस्तोत्र १५२ शिशुबोधव्याकरण (काशीनाथ) १०८ शिष्टपुराण (गोरख) १४ शिष्यादर्शन (देशन ?) ग्रन्थ (गोरख) ४४ शिक्षादर्पणयोगवनिका (गोरख) ७४ शीघ्रबोध १३९ शीतलास्तोत्र १३६ शुकदेवकृता स्तुति १२८ शुकदेवजीकी लीला (मोहनदास) ५२ शुकोक्तस्तोत्र (भागवत) १०६ शेर सूफियोंके ३
षट्चक्रकोण २ षट्शास्त्राचार्यनाम ६१ षडतुवर्णन (पद्माकर) ३६ षष्ठीस्तोत्र १३६
शिवगौरीमङ्गालाचार ३३ शिवजीकोशब्दी ४५ शिवनारायणका कवित्त (तुलसीदास) ८७. शिवनारायणका फवित्त ११४ शिवप्रकाशग्रन्थ (हररूपदास) ११४ ।। शिवपञ्चरत्न १४१
स्तुत्यष्टक (सुन्दरदास) ८८ स्तुति स्योमहाराजको (हरिवल्लभ) ५४ स्तोत्रादिपुस्तिका (श्लोकार्थसङ्ग्रह) १५४ स्नेहसंग्राम १४१ स्फुट कवित्त (भूधर) ८७
" , ३३, ३४, ३५, ३६, १५४ स्फुट कवित्त-दहा १११
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________________
[ स्ट कवित्त-हादिसंग्रह ११३ स्फुट कवित्तपद ५२, ८३ ,, कवित्त राग श्रादि ५५ " , संग्रह ८४
कवित्तादि ११४ ,, पदसंग्रह ३६ ,, सन्तपदावली २६, २७ , सईया प्रादि ८४ , सवैया-छप्पय प्रादि ८६ , साखी ८१ स्मृतिसार १४४ स्पोजीका पद ३६ योजीती चली ३६ स्वप्नयोधाध्याय १३० स्वर्ग-नरफका खेल-चित्र (सुन्दरदास) ८८ स्वरोदय (रसराशि) ८२
" (रामवरण) ८७ स्वस्तिवाचन १५८ स्वामियश्यारीस्तोत्र १३६ सफलता (धीर) ३८, ६६ समसमहमहा प्रादि (हरिदास) ३०
को मोर) २७ मीनागनावली (सुगममी) 12 माम हरि कथन १२७
नाशन मनोमिनोम १३१ मालीशी TET (TE जमिहादि
नापरू इपिताल) १५१
२२ ] सदयवच्छ सावलिङ्गारी गरता (सुरसण ....
, कवि) १०.. सदैवच्छ सावलङ्गाको वात १५१ सन्तदासको पद ४० सन्तदासजीकी वाणी १७,१४४ सन्तानगोपालयन्त्रविधि १४१, ..... सन्तानगोपालविधि १३४ सन्तानगोपालसहस्रनाम १२६ सन्ध्यागायत्री (पृथीनाथ) ४७ सन्ध्योपासनम् १३७ सन्व्योपासनविधि १३८, १५७ सन्न्यास निर्णय १६० सनकादिक, जडभरत, जनकवायय ३ सनीस रजीको कथा ३६, ३७, १५३ सनेहलोला १५३
(विष्णुदास) ३३, ३६ (जनमोहन) १२
(प्रतापसिंह) १३ सनेहसंग्राम (स० प्रताप) ३३, ३५, १५५ सनेहविहार , ३४ सनेह साजनका वोहा ३३ सप्तवारग्रन्थ (गोरख) २१, ४४, ७४ . सप्तमलोकी १५६
॥ गीता ४, ८३, ८५, १२८, : :
सप्तमाती (दुर्गा नयागंन्यासादि १२६. सप्दानीदुर्गास्तोत्र १३१ सप्तशतीरतोन्यायविधिः १३० माप्तसंच (मरयो) ७५. नातागोलो १६२ भगाना र कषि) ६...
मोरोपरग) ९
.
WAREITREETrare गौरव
१४१
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..[ २३ ] समवसरणस्तोत्र १४६ ..
सारणी स्फुट पत्र १३६ सर्वज्ञस्तवन (देवाःप्रभोस्तोत्र) सटीक १४६ सारशतकम् (पञ्चमहाकाव्यानाम्) १६२ सर्वङ्ग कवित्त ५
सारस्वत १४३ सर्वङ्ग साखी १०
सारस्वतव्याकरण १४१ सर्वतोभद्रबंध सवैया (सुन्दर०) ८८ सारीका पद ४१ सर्वाङ्ग बावनी ६
सावित्रीदिव्यमन्त्रभिताष्टकस्तोत्र १५८ , , (भीषजन) ३६
साँवलियाका पद ४० सर्वाङ्गयोग (रज्जब) ३१
सिद्ध चौतीसा जोगग्रन्थ (पृथी०) ४८ सर्वाङ्गयोग (सुन्दरदास) ८७
सिद्धान्त ५ सर्वमन्त्रोत्कीलनस्तोत्र १२७
सिद्धान्तकौमुदी (तत्वबोधिनी) १४३ सर्वोत्कीलनमन्त्र १४०
सिद्धान्तचन्द्रिका १४२, १४३ सर्वोत्तमस्तोत्र १५४
सिद्धान्तबिन्दुस्तोत्र १३३ सरदफ्तरे अबुलफजल ८७
सिद्धान्तमुक्तावली १५६ स(क)रनालका युद्ध १२३
सिद्धान्तरहस्य १५६ सरस्वत्यष्टक १२६
सिद्धान्तलक्षण जागदीशी १४६ सरस्वतीस्तोत्र ११०, १३३, १३६
सिद्धिलक्ष्मीस्तोत्र १२६ सरसको पद ४३
सिद्धोपाय १४५ सवैया (सुन्दरदास) ६
सिरेबन्ध साखी ६१ " (परसराम) १८
सिस्टिप्राण २२ , (चैनदास) ४६
सिहरफी १४८ सहेलीने कागद १२२
सिंप संमोघ-प्रात्माप्रचयजोग (पृथीनाथ सांख्यटीका १६०
सूत्रधार) ४६ सांख्यतत्त्वकौमुदीव्याख्या १६०
सिंहासन बत्तीसी (हिन्दी) १५१ सांख्यदर्शनयोगग्रन्थ (गोरख) २१
सीता एकविंशतिनामानि १३२ साखी (हरिदास) १४
सीतारामरहस्यचन्द्रिका १०५ , फुटकर (परसराम) २०
सीताराम व्याहलो ५५ साचनिषेधलीला (परसराम) १८
सीतास्तुति १३२ साचा सूरमाका रेखता (सेवादास) १७
सीतास्तोत्र १३२ सात धातु २
सोहाका पद ४२ सात वार ५
सुख (शुक। संवाद ११ सांधपरीक्षा (पृथीनाथ) २५, ६२, ७४ .
सुखसंवाद (जनगोपाल) ३१ साधुपदावलो स्फुट २१ साधुलक्षणवर्णन (लच्छि अलच्छि जोग)
सुखसंवादजोगनिन्थ (खेमदास) १६ (रामचरण) ६६
तुखानन्दका पद ३६ सामान्यनिरुक्ति १४६
सुगनावली १३६ सामुद्रकग्रन्थ भाषापद्यानुवाद (शिवसिंह तुद्ध मारगको जोडी (परसराम) १६
... शेपावत) १११ सुदर्शनम्तोत्र १३०, १३२
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[ २४ ] सुदर्शनशतकस्तोत्र १४४
सेवाफल १६० सुदर्शनाष्टकस्तोत्र १३४, १३५
सैनका पद ४० सुदामाचरित्र (नन्ददास) ५५
सोझाको पद ४३ सुदामाचरित्रको जोडो (परसराम) १८ . सोमका पद ४० सुन्दरदासकेकवित्तादि ८५
सोलह कला जोगग्रन्थ (पृयीनाथ) ४८ सुन्दरदासजीकी चौतीसी व बावनी १०५ सोलहतिथिजोगग्रन्थ
४८ सुन्दरदासजीकी साखी ६५
सौन्दर्यलहरी (शङ्कराचार्य) १२५ सुन्दरदासजीके छन्द ८६
संविस्तोत्र १४१ सुन्दरदासजीके पद ५२
संस्कृतमञ्जरी १६२ , सवैया ११
संस्कृतरत्नमाला १६२ सुन्दरदासजीकोग्रन्थ (ज्ञानसमुद्र) ८९ सुन्दरदास-मोहनदासका पद्यमय पत्र-व्यवहार
हकीकत २
८६ सुन्दरवावनी १५१
हठयोगदीपिका १४६ सुन्दरबास्तोत्र १३०
हणवंतकी शब्दी ४५ सुन्दरशृङ्गार (सुन्दरदास) ५७
हणवंतजीका पद व भजन ४५ सुन्दरसिंगार (सुन्दर श्रागरानिवासी) ३५ हणूंतसिंहजी रावका छन्द ११२ . सुभाषितसंग्रह १५६
हनुमत्कवच १३५, १५४ .. सुभाषितसर्वस्वम् १४६
हनुमत्कवचमालामन्त्र १३७ सुहाग रैनि (स० प्रताप) ३४
हनुमत्पञ्चरत्नस्तोत्र १२६ सूचीपत्र ३८
हनुमत्स्तवराज १३३ , नोटिसेजका १५६
हनुमत्स्तोत्रम् १२८ सूर्यकवच १२६
हनुमत्स्तोत्रन्यासविधिः १२८ सूर्यफल १३६
हनुमत्सहस्रनामस्तोत्र १३४ सूर्यस्तवराज १३३
हनुमद्वादशनामस्तोत्र १३० सूरका पद ४१
हनुमडवानलस्तोत्र १६५ सूरतरामजीके पद ६६
हनुमदष्टकस्तोत्र १२८, १३३ सूरतिपिङ्गल (तरतकवि) ६०
हनुमन्मन्त्र (शाबर). १३३ सूरदासके पद २६
हनुमानचालीसा १२ सूरपद १७
___, लावनी १२ सूरपच्चीसी ४१
हमीररासो ८६, १४१, १५४ सूत्रधणीकर्ता-कथितजोगग्रन्थ (पृयीनाथ) __" (महेश कवि) ८२, ६६ . . . .
४८
हमीरायण , , ६६ . . सेउसननको परचई (मङ्गल वा रघुनाथ)
___" (पेम?) ९७ ..
हयग्रीवाप्टोत्तरशतनामस्तोत्र १२८ . सेवायो बानि (कुलपति मिश्र) ६२ . हरताली सिद्धकी शब्दी २३, ४६ सेवादासजीकी वाणी १३
हररस ११०, १५१ .
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"1
हरिगुरुस्मरण (गोविन्ददेवस्वामी) १८ हरिचंदसत (ध्यानदास) १७, ५३ चौपई ११ हरिजननांमा ( वाजिद ) ५० हरिदासजीका पद १,३६ हरिदासजीको वाणी १४
साखी ३६, ६०
"
• हरिदासजी के १६८ पदों पर टीका २हरिध्यानम् (कुलपतिमिश्र) १२,६७ हरिनाममाला (शङ्कराचार्य) ८४, १५२ हरिनामषोडशी १२६
हरिपञ्चविंशतिनामानि १५२ हरिबोल चिन्तावणी ६
हरिबोलचेतावनी ( सुन्दरदास ) ५१ हरिरस ( ईसरदास) ११०, १५१ हरिरामदासजी की वाणी ५७ हरिरङ्गको जोड़ो (परसराम ) १९. हरियङ्गको चेतावनी ५२
हरिसारिणी १०८
हरिहरात्मकस्तोत्र १३१
[ २५ ]
हस्तामलक १४६
हालां झालांकी कुण्डलिया ( ईसरदास) ११४ हालीपावका पद ४५
हालीपावकी शब्दी २२, ४५
हॉलेण्ड, प्रार० ई० वायसरायकी स्पीच
१४२
हिङ्ग लाज मातृस्तोत्र १२५. हितोपदेशपञ्चाख्यान भाषा १५२ हितोपदेश भाषा: ८६
हिन्दी के दोहे १५६
'हिन्दी के प्राचीन महाकवियोंके पदोंका संग्रह
१५१
हीयालीकवित्त ८६ हीराबावनी १०५
*
हीराबेधी कवित्त ८५
हृदयप्रकाशको जोडी ( परसराम ) १९ हृषीकेशका पद ४१
होनहार के कवित्त (मानसखी) ३४ होलीहजारा (पु० हरिनारायणजी) ८३ हंसगति श्रवगतिजोगग्रन्थ ( पृथीनाथ ) ४८ हंसाष्टकम् १४६
क्ष
क्षमाषोडशी १२६
क्षेमकुतूहल (महानसविधिः ) १४६
স্ব
त्रिलोचनका पद ३६
त्रिलोचनकी परचई (अनन्तदास ) ६, १८
५३
त्रैलोक्यमोहनं नाम विष्णुकवचम् १५७ त्रैलोक्यमोहन रामकवच १२६
ज्ञ
ज्ञानचौतीसा ( गोरख० ) २२, ४४, ७४ ज्ञानभूलना श्रष्टक (सुन्दरदास ) ६४ ज्ञानतिलक (संस्कृत) १५२
ज्ञानपचीसी (पृथीनाथ सूत्र ० ) ४६ ज्ञानबावनी १०५
ज्ञानमाला ५८
ज्ञानलीला १२
ज्ञानलीलावत्तीसी (परसराम ) २० ज्ञानलोचनस्तोत्र १४६
ज्ञानसमुद्र (सुन्दरदास ) ६,५१, ६३, ८३,
८७, ८
ज्ञानसमुद्रका अंश २६
ज्ञानसागर ५७
ज्ञानत्रिलोकका पद ४२
ज्ञानी - प्रज्ञानीजोगपृच्छा (हरिदास) १४
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________________
* श्रीः # .....
परिशिष्ट २
कर्तृनामानुक्रमणिका
.
अलावश ६५ ..
अलूची ५२ प्रसन १०१ प्रहमद ८, ९ अज्ञात ८१, ६३, ६४, ६५, ६६, ११८
.
प्रकवर ६४ अखेराम १४८ अग्रकवि ५ अग्रदास ११, २१, ६८, १०५ अग्रदास (नाभादास) ५५ अगर १०० अङ्गद ३६ अङ्गदजी ७३ प्रदजी भक्त २५ प्रलयपाल ४६ अजित १०३ प्रजपाल ७५ अडणज सेवापन्यी ७ प्रध्यार ४०, ४३ अन्नाभट्ट १४६ अनन्त ६४ अनन्तदास १,६,७,१७,१८,३८,५३ अनन्तराम ६० अनन्तानन्द कवि ६७ अनायदात ५, १६, ६२ अनुभूतिस्बन पाचार्य १४३ अनेककधि ५६, ५७ ६१, ७७, ८५, ८६,
१८, ११३, ११४
अागिया कवि पूरन ११० - .. प्राढा पहाड़खान ११६ प्रानन्दराम ५६ . प्रानन्दराम (नाजर) १५३ आनन्दवन १६१ पालम ५४,१११ । प्रालमकवि ११५ पालमशेष ११२ पाशानन्द ४३ पासनदास २१ प्रासानन्द ७१.. प्रासानन्दजी २५ प्रासिया वृधा ६२, ११३, १२० । प्रासिया मोहन १५२ प्रासीया श्रादि अनेक ११३ श्रासीया जोघा ११६ प्रासीया देला ११६. ... प्रासीया पीरजी ११६ . प्रालीया भाला ११६ ......
अमरसिह १४४, १५७
हामारामजी गाय १२
:
..
ईयरवास. १४८
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________________
[ २७ ] ईश्वरदास वारहट ११०
कमालजी २४ । ईशरदास चारण ४२
करनीदान कविया ११६ ईशरदासजी बारहट ११४
करमाणन्द १०० ईसर १५३
कल्यांत १०३ ईसरदास १२, १५१
कात्यायन ११५ ईसरदास बारहट ११६
फादन २३, ४३, ७१ ईसरा १८
कान्ह ५२, १०४ कान्हा ४३ ७०
कानडदास ७६ उदन १०२
कानदास ४० उदयराज ११८
कालिदास ३५, १४४, १४५, १५७ उदैराज १०२
कालिदास कवि १५६ उदैराम कवि बारहठ ६१
कालू ८, १७, १०० उदैराम कविवर ६१
कालूराम प्राचार्य ६४ उध १०१
कालू वा गोरख (१) १५ उम्मेदराम ३५
काले, जे. सी ब्रूक १२४ उमेदजी साधू ११६
काशीनाथ १०८, १४७ उमेदराम बारहठ ११३
काशीराम ८१
काशीराम कवि ऊतिया १०३
कासिम १०० ऋ .
कासी १०४ ऋषिकेशजी भक्त २५
कासीराम ११२ कांमा १०२
किङ्करदास १०६ एस. एम. कतरे, एम. ए., पी. एच. डी.
किङ्करप्रभु ६४ क
किसोर ६६ कणेरी ४५
किसोर अली ३४ कणेरी पाव ७५
कीताजी २४ कपिलमुनि १५५
कोल्हदास ४३ कबितदास १००
कोल्हा १०३ कबीर १, ३, १०, १५, २०, २६, २७,
कोलजी ७३ . ३०, ३६, ३८, ५०, ६०, ६४, ६६,
कुत्तब ६६ ७८, ७६, ८४, ६७, १०५, १४१,
कुलपतिमिश्र कवि ५५, ६०, ६२,६७, .
. १११. कमंच १०१. ..
कुलशेखर नृपति १०६ कमाल ३६, ७१, १०३
कुलशेखराचार्य १२८
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________________
]
. [ २८ कुशलेश ३३, ६६ कुसललाभ ८४ कुंवरेश कवि ५६ कूरनारयण १४४ कृष्णतलिङ्कार भट्टाचार्य, महामहोपाध्याय
..
कृष्णदास ३४, ४३, १०६, १५४ कृष्णभट्ट १६०
, (रङ्गनाथसूरिसूनुनारायणानुज)
१६१
कृष्णानन्द ४०, ७१ कृष्णानन्दजी २४ कृष्णानन्दाचल (कैलासाचलयतिशिष्य)
१६२
केदारनाथशर्मा, राजपण्डित १२३ केवल ३६ केवलजी ८० केवली २८ फेशव १३६ केशवदास ३७,४१,५४, ५६, ८२ ___" (इन्द्रजित) ८७ फसवह फेसवदात गाडण ११६
गसिह महाराज १०८ गणपति १०७ गणपतिभारती महाकवि ११४ ... . गणेश कन्हाईलाल १०६ गणेशलाल लाला फरुर्खावादी आदि १५० गणेशानन्द ५३ गद ८४ गद कवि ५२ गनेश १०१ गनेशप्रसाद ६३ गम्भा १९ गरीब १०, ३६ गरीवदास २५, २६, ३१, ६८, ६६ गरीवदास (दादूशिष्य) ४८ . गरीवदास (दादूसुत) ७० गरीबनाथ ४५, ७५ गालिव ४१ गिरिधर कविराय ३४ गुणविनय १४५ गुपाल ६८ गुपालदान कवि १११ गुरमुखा १०२ गुलराज हरीतवाल ६४ गंदनलाल गौहर ६५ गोइन्दराज ७३ गोप १०० गोपाल २८,६४ गोपाल कवि ६३ गोपालदान कवि है. गोपालदान फरिया ४५ गोदीचन्द्र राजा ४५ गोपीनाथ १४६ गोपीनाय गाडण ११६. . गोरठनाय ८, १४, १५, २०, २१, २२, ३६, ४४, ४५, ५३, ६१,७३, ७४, ७६, . ८०, ११, १५२
सानलाना नयाय ६७ मदास ७, ११, १२, १५, १६,३२,
मसखी परातीमाह ८० खरासाह ६५
हायर ५३, १५%
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________________
[
२६ ]
गोरक्ष १०४ गोविन्द १०१ गोविन्ददात.४३, ७२ गोविवदेवस्वामी १८ गोविन्दस्वामी (गोस्वामी हितहरिवंश) ।
चिनंग १०० चुणकनाथ ४६, ७५ चेतनि १०४ चैन ३६, १७ चैनजी ७६, ७७, ८० चैनदास २८,४८ ., (दादूशिष्य) ४६ चौरङ्गानाथ ४४, ७५ चौरङ्गीपाव ४५
घ
घडसी ११ घड़सीजी ७८ घन्नमहाराज १४ धनाधन ९५ घनानन्द ३५ , घाटमदास ४३, ६७ ७३ घोडाचोली पावनाथ ४६, ७५
छगन ६३ छीतम ७१ छीतमदास ४२, ५२ छत्रपति ११२
च
चतरदास ६, ४१ चतरभुज ४० चतुर्भुज ७२ चतुर्भुजदास ८३, ८४, ८६ चतुरदास १६१ चतुरसिरोमनि १२५ चन्द्रसखी १०६
चन्द्रसिंह (बादली वाला ?) १२२ .. चन्द १०४ . चन्द कवि ८४ . . (गुंसाई चन्दालाल) १५४
चन्ददास ७३ चन्दनदास स्वामी ६६ चन्दसुकवि १०७
चर्पट ८, ६१. ७४, १०१ ..चर्पटपाव ४५
चरणदास १२, २० चत्रनाथ (आमेरका ?) ४६ चिन्तामणि कवि ६० चिन्तामनि प्रादि ११२
जगजीवन (दादूशिष्य) ३, ५, ८, १५,
२८, ६५, ६७, ७७, ६७ जगजीवनदास (टहलड़ी वाले) ४२ जगतराइ १०० जगदीश ६७, ११२, १६० जगन्नाथ ८, ११, २०, ६५, ६८
, (तुरसीशिष्य) ३३
, (दादूशिष्य) ३१, ७६ जगन्नाथदास १६, ५३ जगन १०१ जटाशङ्कर ५४ जटो १०४ जनगोपाल (दादूशिष्य) ६, ६, ११, १२,
१६, २१, २६, २८, ३१, ३२, ३३, ४६, ५३, ५६, ६२,७६, ८३, ८४,
.. ....
।।
जनतुलसी ६८ जनदयाल १६ जनदुर्जन २६ जनमुकुन्द ५६
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--------------------------------------------------------------------------
________________
जनमोहन १२ जमला १-४
जमाल ९६
जयकृष्ण कवि ८७
जयकृष्ण (कवि ) कृपाराम ११४
जयदेव कवि ४१, १४५
जयदेवजी २४
जयशङ्कर (विद्यावर शास्त्री ? ) १२२
जयानन्दसूरि १४६
जलन्धरी पाव ४५, ७५
जशवन्तसिह महाराजा (जोधपुरीय) १०७
जसवन्त ६६
जहानशाह ६४
जान कवि ५६, ५७, ८६
जानराइ ६६
जानराय ८
जायसी मलिक महम्मद १०६
जालमा ११६
जाहरमल वृन्दावननिवासी ६५
जिनरङ्गसूरि १०५, १५१
जीवदजी भक्त २४, ४०
जीवनदास १५
जंक्शन (मिस्टर ) बार. एट-ला. १२३
सिंह कवि ६२
जंताराम ३
जैमल ४, ८, २७, ४६,७७, ८ नेमल श्रादि ६४
मल दाक्षिप्य ४२
जोधराज बारहट ११६
जोवा १००
2
[ ३० ].
टोला ४२ គឺម ម डटर ११२
रोडर
रोष्टमम १०६
ठाकुर ३५
डूंगर १०२
डूंगरदास ४१
डूंगरभक्त २५
어
ड
त
तत्ववेत्ता ४
तरङ्ग १०१
तुङ्गनी १०२
तुरसी ६, ५५, ६८
तुलसीदास २०, ६०, ६७, ८७, ६३,
६७, ६८
तुलसीदास गोस्वामी १०५, १५७ तुलसीदास श्रादि ११४
तुलसीराम १०१
तुलाराम ९४
द
द्वारकानाथभट्ट देव (वाणी कवि ) ८२
दत्त ४६, ७५
दयालदास ११, १६
दामोदर १२०
दास ६७, १०१, १०४
दासजी
हमारा ९१११
दादू १, २, ६, ७, १०, २०, ३०, ३१, ३६, ३८, ५७, ६३, ६४, ६६, ६७, ६६,७६, ६०, ६७
दीपजी ७३
दीपजो भक्त २५. दीपा ४३
दुरमा चारण ५२
दून ७७, ६८ जनी ७७
दास चारण ४२
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________________
देव ३५
देव कवि ३५
देवति १०१
देवनाथ ३५
देवलजी २४
देवलनाथ ७६
देवादास ४
देवीदास ३२
देवीप्रसादजी मुंशी, मुंसिफ १२२
देवीप्रसाद १२१
देवीसिंह ६३
ध
ध्यानदास ११, १७, ५३ ध्रुवदास १२, १३
धन्ना ७१
धना भक्त ६१
धनदेव १४६
धना भक्त ४१
धनाजी भक्त २४
धनौ १०३
धारेश्वर ( भोजनृपति) १६१
१४६
73
धुन्धलीमल ४६, ७६
न
नकुल १४७
नन्द १०१
[ ३१ ]
नन्ददास १०, १२, ३५, ५५,५६,६७,
१०६, १११, १५४
नरपति कवि ३२, १०८
नरपति नाल्ह ६६
नरवद ७७
नरसा जोगी १०२
नरसिंहजी २५, ४०
नरसिंहदास ७२
नरसोजी २४, २७, २८, ४०, ६७, ६६,
७२
नरहरि १०३
नवल १००
नागर ६८
नागरा १००
नागरीदास ६७
नागा श्रर्जन ४५
नागार्जुन ७५
नागेश १४६
नाथ १०३
नानकजी ६, २६, ३६, ६१, ६५, ७०,
७८, ६८,
नाना कवि ६३
नापा, नापाजी, नापादास, नापाभक्त २०, २५, ४२, ७३
नाभादास १४२, १४८ नामदेव, नामदेवजी, नामदेव भक्त १, ११, १५, २६,३६,३६, ७०, ८० नायकजी ४१, ७३
नायिक ४१
नाराइन १०३
नारायण ७ १३६
नित्यनाथ १४१
निम्बार्कसाम्प्रदायिकः कश्चित् ९३४
निहाल १०२
नेतजी ७३ नेतदास ४३
नेहा ६२
प
प्रतापसिंह, सवाई १३, ३३, ३४, ३५
प्रसिद्ध ११२
प्रागदास (डीडवाणा ) ४१
प्राणसुखराय कानूनगो १०६
प्रियादास १४८
पठाण ४२
पद्मदेव १४६
पद्माकर ३५, ३६, १५४
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--------------------------------------------------------------------------
________________
परमसुख १०३
परमानन्द १९, २०, २५, २६, २८, ६८,
७३, ८४
परमानन्ददास ४१, ५६
परमानन्ददेव १६२
परशराम ४०, ५२
परस ४३
परसजी २४, ७१
परसराम ८, १८, १९, २०, ६१,६५,
७८, ६८
परसराम (निम्बादित्यसम्प्रदाय) १८
पहुकर १००
पासा ६८
पिराग १००
पिरोज १०२
पोयल कवि ८६
पोया ४३
पीपा, पीपाजी, पीपाजी भक्त ६, १५, २१, २३, २५, २८, ३६, ६९, ७१, १००
पोल ४
पुण्डरीक विट्ठल १०६
पुरन्दर ६२
पदांचा १२५
पुरण ४३
पूर्ण कवि ६२
पूरणजी ७७
[ ३२ ]
पुच्चीनायजी ह
पृथ्वीनाथ योगी २५
पृथ्वीराज महाराज २५.
राष्ट (कल्याणमलोत) ८३, ६२
??
पुस १००
४६,६२,७४, १०३
सूत्रधार ४६ ४७ ४
पुराण (राय कोण४३
でも
फ
फत CE फतेस्यंघ राठोड महेशदासोत ११४
फरीद १०१
फरीद शेख ७२
फरीदा
फरीदुद्दीन शेख ४४
न
ब्रह्म कवि ( वीरवल ) ११२
ब्रह्मा १०१
वखना, चखनाजी ६, २१, २५, २८, ३६,
४२, ६१, ६७, ७०, ७७, ७८,७६, ८, १०४
बद्रीदास ११६
वदरीप्रसाद श्राचार्य १२२
बनारसी शादि कवि १११
बनारसीदास २७
चजू १००
वहम्बल ७१
वहावदी शेख, बहाबुद्दीन शेख २३, ४४ चांकीदास, वांकीदास कविराजा ११५,
११६, १२०, १२१ interest प्रादि अनेक ११३
बालकराम ६३, ६४
चालनाथ ४५, ७५
बालमुकुन्द ६४
बालसखी ६७
बालावसजी हत्या १२१
बिसन EC
विसंभर १०२
बिहारीदास ६०
वीजल ३६
श्रीना १०३ बीजियोदास ४३
किरा १०१
चीन २३, ७२
Page #215
--------------------------------------------------------------------------
________________
....
[ ३३ ]
भास्कर १४४
, अग्निहोत्री १४३ भीखजन ६, ३६, ६३, ८६, १०५, १५१ भीष १०२ भीम, भीमजी ४०, ७२ भुरवानन्द (श्री साल्हावासपुरसमीपस्थ
दूरवेदिकाग्रामस्थ वसिष्ठगोत्र सना
तनात्मज) १४५ भुवन, भुवनजी, भुवनजी भक्त २५, ३६,
४२, ७३ भूधर, भूधरदास, भूधरदास बारहट ८६,
८७, ११२ भेदा १०१ भैरू सेवडा ४३
म
बीठला ६६ ..:.... बीसा. ४१
: .. बुधप्रकाश ३४ बुसिंह, रावराजा, बूंदी ५६ बुरहान ६६ बुल्हेशाह १०६, १४८ . . बूढण ६१ वेणी ३९ वेणजी २३ बेनामीसाहव बाबा ८३ वैन १०४ बोजी ६८ बोहितदास ४०
भ भगवतीप्रसाद, दारूंका, बाबू ६५ भगवानदास निरञ्जनी ५, ५४, ६४,
१४८ भट्टारक स्वामी १४८ भया रतनपालजू ११३ भर्तृहरि ६० भरथरी ७४, ७५, १०३ भरमी कवि ८४ भरमी कवि श्रादि ६२ . भवभूति महाकवि १६२ . भवानी ६३ भवानीदास ८१ भवानीराम ३३ . . भागीरथ ६८ भाणजी २४, ४० भानु (बालादित्य) १२६ भानुदत्त १४८
भारती ११२ :- 'भारती गङ्ग ६७
भारती यति (श्रीबोधयतिशिष्य) १६० ।
भारथि भोजाणी १०२ ... भावनादास १५३
मगजी ८१ मगनजी ९६ मगनीराम चिड़ावानिवासी ६४ मङ्गल १८ मच्छन्दर २८ मछीन्द्र ७२ मण्डन कवि, देवषि भट्ट ६२, ६६, १२२ मण्डन सूत्रधार ११४ मणिकण्ठकवि (गोविन्दकविसन कवीन्द्र
रामपौत्र) ११६ मतिसुन्दर ३६
, भक्त २५ मथुरा १०० मदसूदन ६६ मनभावनजी श्रादि १५८ मनसुषा १०२ मनोहरदास ५७ मनोहर शर्मा १२२ मल्ल ६८ मसऊद १०३
Page #216
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--------------------------------------------------------------------------
________________
रम्भ ११६. ..
. ....
रसन १०४ ।
.: [ ३५ ]
रामाश्रमाचार्य १४२, १४३ रमतिया १०१.
रुघनाथ १५४ रमिता १०१
रूपदास (चरणदासशिष्य) ६७, ८१
रूपनारायण पाण्डेय १६२ रसराशि ३४, ८२
रूपरसिक, मनभावन १५६ रसपान ८५, ११२
रूपराम १०४ रसिक सनेही ६७
रैदास १, ११, १५, २८, ३६, ७०, ८०, रसीलीलाल गोपाल ८७ रहोबाजी ७१
रोरू विप्र९४ राइमल्ल १८ रांका ६८
लघुविठ्ठल भक्त, लघुवीठल २४, ४१ राघव १०१ . राघवदास, राघवदासजी ६०, १६१
लछमन ब्राह्मण ५६
ललितकिशोरी १५,१०६ राघो, राघोजी, राघोदास ३, ४, ६, ६४,
ललिता सखी १४ रामचन्द्र १४४
लक्ष्मीधर, अनन्तानन्दरघुनाथपादपद्मोपरामचरण, रामचरणजी, रामचरणदास
जीवी १५७
लाडण ४३ १७, ३३, ६०, ६६, ६८ रामजीदास १४८
लाल ३५, १०३ रामदास ३७, ५७, ६८
लालगजमलिक ५२ रामदीन टकसाली १५५ ।
लालजन ६५ रामनिवास हारीत श्रादि १२२
लालदास १६,५२,८१,९३,६६,१०६, रामबकस ६५.
१५४, १५५
लालन १०० रामलाल (रामसखी) ६५
लाषा १०१ रामवल्लभ ६७
लेलीन, लेलीनराम ६६, ६८ रामसखे ३७
लोकाचार्य १२८ रामसिंह तंवर, ठाकुर १२२ रामानन्द १२, ३६, ७१, ६२, १२६ १२७
व्यास ४१,७३, १००, १२५ रामानन्दजी २५.
व्रजजन ६८ रामानन्द सरस्वती १२८ ।
व्रजदासी ११८ रामानुज १३३
व्रजनिधि १४१ रामानुजदास १०५
वखतावर ६७, ६९ रामानुजयामुनाचार्य १३०
वछनागर ७२.. . रामानुजशिष्यः कश्चित् १४०.
वनवारीदास बाबा ७०. . रामानुजाचार्य १५८, १६०
वनवैकुण्ठजी २४
....
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--------------------------------------------------------------------------
________________
शिङ्गराम वर्मा, चौधरी - ६५ शिवबक्स (दत्तं ) बारहट १३३ शिवराजभूप शेषावत ११४
शिवराम श्रादि ८७
शिवश्रम ३६, ७२
'शिवसिंह (राज) शेषावत १११
शिवानन्द ३३
शिवानन्दभट्ट १४१
शिवानन्द यति (श्रीरामचन्द्र शिष्य ) १४८
शुक्राचार्य १५२
ष
बेम ६७ पेमदास १०४
षोजी १०३
स
स्याम, स्यांम, स्यामदास १००, १०२, १०३ स्योजी ३६
स्वरूपदास निरञ्जनी ५४
स्वात्माराम योगीन्द्र १४६
[ ३७ ]
सङ्कर ६८.
सजणा १००
सती कणेरी ७५..
सदना २३, ४०, ७१
सन्तदास गलताणी १७, ३३, ४०, ६५,
.७२, १०६:
सन्तदास आदि १४४
सन्ता १०४
सन्तोष ६८
सनत्कुमार नारद संवाद १३१
सम्मद ६६
समन &
सरदार ६३
सरफ़ ६६
सरवण १०४.
सरस ४३
सल्लर ६५
सहजदास ६८
सहसमल (कोटपूतली निवासी ) ५६ सांईकवि ८५
सांदू सबलसिंह ८७, ११३ साधुजी ७७
साधू सङ्गतरामजी ११६ सांमलियाजी २४
सारी २४, ४१, ७३
साहा ६६
सांइया झोला १५३
सांई ६६
सांवलिया, सांवलियाँ ४०, १०४
सिद्धहरताली ४६
सीहा, सीहाजी २४, ४२, ७३ सुखराम ६४
सुखानन्द २४, ३६, ७१ सुदर्शणदासजी ( श्यामासखी) ६६
सुदामा, सुदामादास १०५, १०६ सुन्दर ८, १०, ३६, १०२
कवि श्रागरे के ३५
"
सुन्दरदास ५, ६ ११, १७, १८, २१,
२६, ३५, ५१, ५२, ५७, ६३, ६४, ६५, ७८, ७६, ८३,८७,८८,८६, १५१
सुन्दरदास (कालूदास शिष्य ) ११
श्रादि ८५ सुन्दरदास बूसर २६ सुन्दरविप्र ११० सुन्दरदासस्वामी १०५
सुभगसखी (रूपमंजरी शिष्या) १८ सुरताणिया साहिबदान ११४
सुरसैण कवि १००
सुवादिराज पोमराजतनय १४६ सूर्यकरण पारीक १२२
सूर २७, १९६
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--------------------------------------------------------------------------
________________
[
३८ ]
सूरजमुनि ६३ सूरतकवि ६० सूरतमिश्र ११२ सूरतराम ६६, ६८, ६६ सूरतसिंह १०६ सूरदास, सूरदास नहाकवि, सूरश्याम ११,
१६, १७, २०, २१, २५, २६, २८,
४१, ६८, ६६, ७३,९३,६५ सूरिया १०१ सूवा १०३ सेऊ १०० सेखफरीद ११६ सेन २७ सेनजी ७१ सेनापति ११२ सेवादास १३, १४, १७, १८, १५४ सैदनां 8 सनभक्त ४० सोकडि १०१ सोझा ७१, १०१ सोझा (दादूशिष्य) ४३ सोझाजी २३ सोम ४० सोमजी २४, ७२ सोमनाथ ३२ सौम्यजामातृ मुनि १२६, १३०, १५७,
१६०
हरिदास १, ४, ५, १०, १४, ३०, ३६,
६०, ६५, ६८, ७०, १०६ । हरिदास निरजनी ७०, ८० हरिनारायणजी पुरोहित, बी.ए., विद्या
भूषण ८३, ६२, १०८, १२१, १२२,
१५० हरिवंस ६९ हरिरामदास ५७
, निरञ्जनी (डीडवाणिया)
१०८, १४८ हरिव्यासदेव सचित १३१ हरिवल्लभ ५४ हरिविलास ६३ हरिश्चन्द्र १३ हरिस्यङ्ग, हरितिङ्क ५२, ६ हरिसेवकविप्र शृङ्गारोपना हरेकृष्णमिश्र (जयसिंहीयप्र हरोज १०३ : ११४ हालीपाद ४५, ७५ हितकारी ३४ हिलम १०३ हीरा १०५ हीराचन्द कानजी १०७ हुकमचन्द पिडिया, हकमीचन्दल- .
११२, ११६ हुसेन, हुसेनशाह ६७, ६८ . हृदयराम ५८ हृषीकेश ४१ हेतम १००, १०१
क्षेमशर्मा नरवद्यमन्मथात्मज १४६ .
त्रिलोचन २३, ३६, ७२
Yemendra
हणवन्त, हणवन्तजी ४५, ७५ हनुमान शर्मा (चौमूं निवासी) १२२, १२३ हबीद ६६ हरताली ७५ हरदास २६, २७ हरदेव स्वामी १५८ हरल्पदास प्रोहित (सिवाड़) ११४ .. हरिचरणसिंह चौहान १२३ . . .
ज्ञानतिलोक २५, ४२, ७१, १०६ ज्ञानदास १५३ ज्ञानवतीदेवी माण्डव्य ६६ ज्ञानानली १५६ .. ज्ञानेन्द्र सरस्वती १४३ .. . ... ..
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________________
राजस्थान पुरातन ग्रन्थ-माला प्रधान सम्पादक-पद्मश्री मुनि जिनविजय, पुरातत्त्वाचार्य
प्रकाशित ग्रन्थ ।
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१८. रसदोधिका, कविविद्यारामप्रणीत, सम्पादक-पं० श्रीगोपालनारायगा बहुरा, उपसंचालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर । .
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शास्त्री, साहित्याचायं । २०. काव्यप्रकाशसंकेत, भाग १ भट्टसोमेश्वरकृत, सम्पादका-श्रीरसिकलाल छो० पारीख, .....
मूल्य-१२.०० .. २१. भाग २
मूल्य-८.२५ .. २२. वस्तुरलकोष, अज्ञातकतक, सम्पादक-डॉ० प्रियवाला शाह। . मूल्य-४.०० । ... २३. दशकण्ठवधम्, पं० दुर्गाप्रसाद द्विवेदिकृत, सम्पादक-पं० श्रीगङ्गावर द्विवेदी।
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राजस्थानी और हिन्दी २५. कान्हडदेप्रवन्ध, महाकवि पद्मनामविरचित, सम्पादक-प्रो० के.बी. व्यास, एम. ए., ।
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कुमारी चूंडावत । ३१. जुगलविलास, महाराज पृथ्वीसिंहकृत, सम्पादिका-श्रीमती रानी लक्ष्मीकुमारी चुंडावती : ....
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.......
मूल्य-२.०० ... ..
..
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[३] २. त्रिपुराभारतीलघुस्तव, धर्माचार्यप्रणीत, सम्पादक-मुनि श्रीजिनविजय । ३. करुणामृतप्रपा, भट्ट सोमेश्वरविनिर्मित, सम्पा०-मुनि श्रीजिनविजय । ४. बालशिक्षाव्याकरण, ठक्कुर संग्रामसिंहरचित, सम्पा०-मुनि श्रीजिनविजय ।
५. पदार्थ रत्नमंजूषा, पं० कृष्णमिश्रविरचित, सम्पाo-मुनि श्रीजिनविजय । - ६. वसन्तविलास फागु, अज्ञातकर्तृक, सम्पा०-श्री एम. सी. मोदी।
७. नन्दोपाख्यान, अज्ञातकर्तृक, सम्पा०-श्री बी.जे. सांडेसरा । ८. चान्द्रव्याकरण, प्राचार्य चन्द्रगोमिविरचित, सम्पा०-श्री बी. डी. दोशी। ६. वृत्तजातिसमुच्चय, कविविरहाङ्करचित, : सम्पाo-श्री एच. डी. वेलणकर । १०. कविदर्पण, अज्ञातकर्तृक .
" ११. स्वयंभूछन्द, कविस्वयंभूरचित
, , , ..१२. प्राकृतानन्द, रघुनाथकविरचित, सम्पा०-मुनि श्री जिनविजय । १३. कविकौस्तुभ, पं० रघुनाथरचित, .. श्री एम. एन. गोरी। १४. नृत्यरत्नकोशा भाग २, महाराणा कुंभकर्णप्रणीत, सम्पा०-डॉ. प्रियबाला शाह । ..१५. इन्द्रप्रस्थप्रबन्ध, सम्पा०--डॉ. श्रीदशरथ शर्मा। . १६. हमीरमहाकाव्यम्, नयचन्द्रसूरिकृत, सम्पा०--मुनि श्रीजिनविजयजी ।
१७. रत्नपरीक्षादि, ठक्कुर फेरूरचित , १८. स्थूलिभद्रकाकादि, सम्पा०-डॉ० आत्माराम जाजोदिया। .. १६. वासवदत्ता, सुबन्धुकृत, सम्पा०-डॉ० जयदेव मोहनलाल शुक्ल ।
२०. घटखपरादि पंचलघुकाव्यानि , पं० अमृतलाल मोहनलाल . २१. भुवनदीपक, यावनाचार्यकृत, सम्पा०-पं० श्रीपुरुषोत्तमभट्ट ।
राजस्थानी और हिन्दी २२. मुंहता नैणसीरी ख्यात, भाग २, मुंहता नैणसीकृत, सम्पा०-श्रीबद्रीप्रसाद साकरिया । २३. गोरा बादल पदमिणी चऊपई, कवि हेमरतनकृत , श्रीउदयसिंह भटनागर । २४. राजस्थानमें संस्कृत साहित्यको खोज, एस. आर. भाण्डारकर, हिन्दीअनुवादक. श्रीब्रह्मदत्त त्रिवेदी। २५. राठौडारी वंशावली, सम्पा०-मुनि श्रीजिनविजय ।। २६. सचित्र राजस्थानी भाषासाहित्यग्रन्थसूची, सम्पादक-मुनिश्रीजिनविजय । २७. मीरां-बृहत्-पदावली, स्व० पुरोहित हरिनारायणजी विद्याभूषण द्वारा संकलित,
सम्पाo-मुनि श्रीजिनविजय । २८. राजस्थानी साहित्यसंग्रह, भाग ३, संपादक-श्रीलक्ष्मीनारायण गोस्वामी।
२६. सूरजप्रकास, कविया करणीदानकृत, सम्पाo-श्रीसीताराम लाळस । . ३०. विद्याभूषणग्रन्थसूची, सम्पाo-श्रीगोपालनारायण वहुरा और श्रीलक्ष्मीनारायण
गोस्वामी। ३१. नेहतरंग, बूंदीनरेश रावराजा बुधसिंह हाड़ाकृत, सम्पा०-श्रीरामप्रसाद दाधीच ।
विशेष-पुस्तक-विक्रेताओं को २५% कमीशन दिया जाता है।
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राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान
( Rajasthan Oriental Research Institute
जोधपुर
उद्देश्य
१. राजस्थान में और अन्यत्र भारतीय संस्कृति के आधारभूत संस्कृत, प्राकृत, __अपभ्रंश, राजस्थानी, हिन्दी व अन्य भाषाओं में लिखित प्राचीन ग्रन्थों
की खोज करना तथा उन्हें प्रकाश में लाना।
२. प्राचीन हस्तलिखित ग्रन्थों का संग्रह कर उनके संरक्षण की व्यवस्था
करना और उपयोगी ग्रन्थों को सम्बन्धित विद्वानों से सम्पादित: करा कर उनके प्रकाशन की व्यवस्था करना।
३. साधारणतः भारतीय एवं मुख्यत: संस्कृत व प्राचीन राजस्थानी के
अध्ययन, अन्वेषण, संशोधन हेतु अत्यावश्यक उत्तम प्रकार का सन्दर्भ पुस्तक भंडार (मुद्रित ग्रन्थालय) स्थापित करना और उसमें देश-विदेश में मुद्रित विविध विषयक अलभ्य-दुर्लभ्य सभी ग्रन्थों का यथासंभ संग्रह करना।
४. संग्रहीत सामग्री से शोधकर्ता अध्येता विद्वानों को उनके अध्ययन और
अनुसंधान में सहायता पहुँचाना । राजस्थान के लोक जीवन पर प्रकाश डालने वाले विविध विषयक लोकगीत, सांप्रदायिक भजन, पदादिक भक्ति साहित्य एवं सामाजिक संस्कार, धार्मिक व्यवहार तथा लौकिक आचार-विचार आदि से सम्बन्धित सभी प्रकार की सामग्री की शोध, संग्रह, संरक्षण, एवं प्रकाशन करने की.. व्यवस्था करना।
Armdik
Page #225
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