Book Title: Vidhi Marg Prapa
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 89
________________ अनभ्यायविधि । दीसह । जइ आगासे गंधवनगरं विजु उक्का दिसदाहो वा तो असज्झाओ। जाव एयाणि वटृति । यक्केस वि एगा पोरुसी हवइ । उक्कालक्खणं पडियाए वि पच्छओ रेहा, अहवा उज्जोओ हवइ । कणगो पुण तविरहिओ। तहिं वरिसाले सत्तहिं, सीयाले पंचहिं, उण्हयाले तिहिं पहरमित्तमसज्झाओ हवइ । गज्जिए पुण पहरदुगं । तहा आसाढचाउम्मासियपडिक्कमणानंतरं पडिवया जाव असज्झाओ । बीयाए सुज्झइ । एवं कत्तियचाउम्मासिए वि । आसोयसुक्कपक्खपंचमीपहरदुगाओ आरब्भ बारसदिणाणि, जाव पडिवया ताव असज्झाओ,. बीयाए सुज्झइ । एवं चित्तमाससुक्कपक्खे वि; नवरमेगारसीए आरब्भ जाव पुन्निमा दिणतिगं अचित्तरजओहडावणियं काउस्सग्गो कीरइ । लोगस्सुज्जोयगरचउक्कं चिंतिजइ । अह न सुमरियं तो बारसी-तेरसीओ वि आरब्भ कीरइ । अह तेरसीए वि न सुमरियं तो संवच्छरं जाव धूलीए पडतीए असज्झाओ होइ । दोण्हं राईणं कलहे, मेच्छाइभए, आलयासन्ने, इत्थीणं पुरिसाणं वा जुज्झे, फग्गुणे धूलिकीलाए य जाव एयाणि वटुंति, ताव असज्झाओ। दंडिए पंचत्तं गए जाव अन्नो न हवइ ताव असज्झाओ। ठविए वि . जाव न समंजसं ति । नयरपहाणपुरिसे अहोरत्तमसज्झाओ। आलयाओ सत्तघरमज्झे पसिद्धे पंचत्तं गए अहोरत्तमसज्झाओ । अणाहपुरिसे पुण जत्तियावेला मडयं चिट्ठइ । एवं तिरिए वि नीणिए सुज्झइ । तिरियाणं रुहिरे पडिए, अंडए फुट्टिए, गोणीए य पसूयाए, जराउपडणे, पहरतियं असज्झाओ हवइ । माणुसरुहिरे पडिए, उद्धरिए वि अहोरत्तं । जइ महईए वुट्ठीए धोयं तो तबेलाए वि सुज्झइ । अह रयणीए घडियामेत्ताए वि चिटुंतीए पडियं उद्धरियं च तो अहोरत्तछेओ त्ति सूरुग्गमे सुज्झइ । माणुसहहे बारस ॥ संवच्छराणि असज्झाओ । अह दंता वा दाढा वा पडिया, पयत्तेण पलोइया वि न लद्धा, तो ओहडावणिज्जकाउस्सग्गो कीरइ । नवकारो चिंतिज्जइ भणिज्जइ य । जइ मूसगं बिराली गहिऊण जीवंतं नेइ तो न असज्झाओ; अह विणासिऊण नेइ तो अहोरत्तमसज्झाओ। तिरियाणमवयवा रुहिरं च सहिहत्थमज्झे असज्झायं कुणंति । माणुस्साणं पुण हत्थसयमज्झे, जइ न अंतरे सगडस्स उभयदिसिगामिणी वत्तणी । हत्थसयमज्झे इत्थीए पसूयाए जइ कप्पट्ठगो' तो सत्तदिणाणि असज्झाओ, अह कप्पट्ठिया' तो अट्टदिणाणि । रत्तुक्कडा इत्थिय । त्ति- इत्थीए मासे मासे रिउरुहिरं पडइ, जइ जाणिजइ तो तिन्नि दिणाणि असज्झाओ कीरइ । अह पवाहियारोगाओ उवरिं पि पवहइ, ता असज्झायओहडावणत्थं काउसग्गो कीरइ । अद्दाइनक्खत्तदसगे आइच्चेण संगए विज्ज-गजियं पि सज्झायं न उवहणड । तारगादसणमवि जाव साइनक्खत्ते आइच्चगमणं होइ । सेसकाले उण अवस्सं तारगतिगदंसणे सुज्झइ । अह केसि पि साहूणं तहाविहं नक्खत्तपरिणाणं न हवइ, तओ आसाढचउम्मासाओ कत्तियचउम्मासं जाव विज्जु-गज्जिएसु वि न असज्झाओ होइ । उक्का सयावि उवहणइ । तहा । धडहडे भूमिकंपे य संजाए अट्ठपहरा असज्झाओ होइ । जत्तियावेलाए संजाओ बीयदिणे तत्तियाए वेलाए परओ सुज्झइ । ससद्दो धडहडो, सहरहिओ भूमिकंपो । पलीवणे य संजाए जाव तं वट्टइ ताव असज्झाओ। संपयं चंदसूरगहणअसज्झाओ भण्णइ - चंदे गहिए उक्कोसेण बारस पहरा असज्झाओ । कहं ! - उप्पायगहणे चंदो उम्गमंतो चेव गहिओ, गहिओ चेव सवराई पज्जंते अत्थमिओ। एए रयणीए चचारि पहरा, अन्नं च अहोरत्तं, एवं दुवालस पहरा असज्झाओ । अहवा अन्नहा दुवालस पहरा । को वि. साहू अयाणओ न जाणइ कित्तियाए वेलाए गहणं, इत्तियं पुण जाणइ जहा अज्ज पुण्णिमाराईए गहणं भविस्सइ । अब्भच्छन्नतेण य गहणदसणाभावाओ चत्तारि वि पहरा परिहरिया। पभायसमये अन्भविगमे सगहो अस्थमंतो दिट्ठो तओ एए रयणितणया चत्तारि पहरा अन्नं च अहोरतं । एवं दुवालस । जहन्नेणं पुण अट्ठ। पुण्णिमारयणीपज्जंते चंदो गहिओ, तहडिओ चेव अथमिओ; तओ अहोरत्तं परिहरिजइ । एवं अट्ठ । एयाणं मज्झे मज्झिमो । सम्गहनिबुड्डे एवं । जइ पुण राईए गहिओ, राईए चेव घडियाए सेसाए विमुक्को तो तीए . १ 'पुत्रः' इति A टिप्पणी। २ 'पुत्री' इति A टिप्पणी। विधि०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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