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प्रस्तावना
आभार
ग्रन्थके संशोधन और संपादनमें श्रीमान् वयोवृद्ध पं० जिनदासजी फड़कुले शास्त्रीकृत मराठी टीकावाले संस्करणसे पर्याप्त सहायता मिली है तथा ग्रन्थकर्ताके समयनिर्धारण आदिके विषयमें श्रीमान् डॉ० ज्योतिप्रसादजी लखनऊने पत्र द्वारा सूचनाएं दीं, इसके लिये उपर्युक्त दोनों विद्वानोंका आभार मानता हूँ। श्री डॉ. नेमिचन्द्रजी, ज्योतिषाचार्य, आराके शोधप्रबन्ध 'संस्कृतकाव्यके विकास में जैन कवियोंका योगदान'से भी ग्रन्थके संपादनमें सहायता प्राप्त हुई है, अतः उनके प्रति आभार है । भगवान् महावीर स्वामीके २५०० वें निर्वाण महोत्सवके उपलक्ष्यमें श्री ब्र० जीवराजजी ग्रन्थमालाकी ओरसे इसका प्रकाशन हो रहा है, अतः ग्रन्थमालाके संचालक धन्यवादके पात्र हैं। अन्तमें अपनी अल्पज्ञताके कारण संपादन और अनुवादमें होनेवाली त्रुटियोंके लिये विद्वज्जनोंसे क्षमाप्रार्थी हूँ। दूरवर्ती होनेसे मैं प्रूफ स्वयं नहीं देख सका हूँ। प्रूफमें सावधानी बरतने पर भी संस्कृत श्लोकोंमें जो अशुद्धियाँ रह गयी हैं उनका शुद्धिपत्र ग्रन्थके आरम्भमें दिया गया है। अध्येता संशोधन कर स्वाध्याय करें।
___ हमारी विनम्र प्रार्थनाको स्वीकृत कर श्री डॉ० रामजी उपाध्याय, एम० ए०, पी-एच० डी०, डी० लिट्, अध्यक्ष संस्कृत विभाग सागर विश्वविद्यालयने प्राक्कथन लिखने की कृपा की है इसलिये उनका अत्यन्त आभारी हूँ। दीपावली
विनीत २५००
पन्नालाल साहित्याचार्य