Book Title: Vakya Rachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
Publisher: Jain Vishva Bharti

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Page 621
________________ ६०४ वाक्यरचना ब वि (विश्रामे) विश्राम करना ७६. लबिङ (लम्बते) लटकना उप+आ (निवृत्ती प्रत्यागती च) निवृत्त अव (अवलम्बने आश्रयकरणे च) लटकन होना, लौटना। आश्रित होना। ७५. रिच नर् (रिणक्ति) रेचन करना वि (विलम्बकरणे) विलम्ब करना अति (अतिशये-अतिक्रमें) अतिक्रान्त होना आ (आलम्बने) आश्रय लेना वि+ अति (विपरीतकरणे) विपरीत करना प्र–प्रलम्ब होना ७६. रुघन्र् (रुणद्धि) रोकना ८०. लभंषङ् (लभते) प्राप्त होना प्रति (प्रतिरोधे) प्रतिरोध करना आ (स्पर्शने घातने च) छूना, वध करना उप (उपरोधे) उपरोध करना, रोकना वि+प्र (विप्रलम्भे) ठगना अनु (अनुरोधे) अनुरोध करना उप+आ (उपालंभे) उपालंभ देना वि (विरोधे) विरोध करना ८१. लस (लसति) आलिंगन करन अव–अवरोध करना क्रीडा करना ७७. रुहं (रोहते) उगना उद् (उल्लासे) उल्लसित होना आ (आरोहे) आरोहण करना ८२. लिखज (लिखति) लिखना अव (अवरोहे) नीचे आना, उतरना उद् (उल्लेखे) उल्लेख करना वि (उन्मूलीभवने) जड से उखाडना ५३. लिपंन्ज् (लिम्पति, लिम्पते प्र-अंकुरित होना, उगना लीपना सम्-उत्पन्न होना अव (गर्वे) अभिमान करना अधि–आश्रित करना अनु (चन्दनादिमर्दने) लेप करना ७८. लप (लपति) बोलना ८४. वचंक (वक्ति) बोलना वि (विलापे) विलाप करना प्रति (प्रतिवाक्ये) प्रतिवाद करना प्र (प्रलापे-अनर्थकवाक्यप्रयोगे) प्रलाप ८५. वद (वदति) बोलना करना सम् (संलापे-मिथो भाषणे) परस्पर में बात करना। सम्-संवाद करना अनु (मुहुर्भाषणे) बार-बार बोलना अनु-अनुवाद करना अप (अपलापे) अपलाप करना वि-विवाद करना उत् (काकुवाचि अन्योक्तो च) व्यंग में प्रति-खंडन करना। बोलना, अन्योक्ति से कुछ कहना। ८६. वदिङ् (वन्दते) प्रणाम करना अभि-कहना अभि (प्रणामे) प्रणाम करना उद्-स्वर भंग कर बोलना ८७. वपंन् (वपति, वपते) बोना आ-आलाप करना निर् (दाने) देना अप-अपव बाद करना

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