Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
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(६२) रसराज महोदधि ।
अथ सब रसका उतार. मिश्री घृत दूध खिलावै तौ शांति होय.
अथ शीत पित्तके लक्षण. शीतल पवनके अधिक लग जानेसे कफ और वायु अतिदुष्ट होकर पित्तके संग मिलकर रुधिरमें प्रविष्ट होजातेहैं व बाहर त्वचामें फैल जाते हैं उसे शीत पित्त अर्थात् पित्ती उछलना कहते हैं शरीरमें सूजन और चकोटा पर जातेहैं और खाज होती है कोप करिके खजुलीसहित बहुतसे लाल २ चकत्ते शरीर भरमें पड़ जातेहैं.
शीत पित्तकी दवा. गुड़ अजवाइन मिलाय १४ दिन खानेसे शीतपित्त नाश होय अथवा सोधा पारा ८ भाग कुचला १० भाग गन्धक सोधा १२ भाग सुंठि १ भाग मिर्च १ भाग पीपल भाग त्रिफला ३ भाग भिलावाँ भाग चीता १ भाग नागरमोथा १ भाग बच १ भागरेणुके बीज १ भाग असगन्ध १ भाग मीठा तेलिया १ भाग कूट १ भाग पीपला मूल १ भाग नागकेशर १ भागगुड़ २४ भाग इन्होंकी बेर समान गोली बनाय खानेसे शीतपित्त नाश होय.
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