Book Title: Vaidhyak Rasraj Mahodadhi Bhasha Part 01
Author(s): Bhagwandas Bhagat
Publisher: Khemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai

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Page 205
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१८०) रसराज महोदधि । और अनेक तरहका दुःख उठायाहै हे सजन पुरुष ऐसे सब लोगोंको त्याग करौ यह वेदकी रीति है. नाडीभेद-चौपाई. वात पित्त कफ ये सुनि लेहू ।केश होत इनहींसेदेहू ॥ जोतिहुँते एको बढ़ि जावै ॥ तौ जानैमृत्युनिकटैआवै जो त्रिदोष येवढहिंसमाना॥ तो नर पहुँचे यमके धामा रहि रहिधुनि हलकेही हालै॥ नाड़ीप्राण नाशनीचालै दोहा. रहिरहि नाड़ी जो चले, जो वह प्राण हराय॥ पुःन क्षीण शीतल चलै, सो यम घर लै जाय ॥ चौपाई॥ समझ इलाज करै जो कोई।ताको अपयश कबहुँनहोई भगवान दास है बहुतनदाना।सज्जनपुरुषसुनहु सुजाना कठिन पारसी भाषाकीन । रोगचिकित्सा और निदान तनिकलोभ ना कीजे भाई । दयाधर्म करिदेहु दवाई॥ इति श्री मुन्शी भगवान प्रसादका शिष्य भगत भगवानदास विरचित वैद्यक रसराज महोदधि भाषाग्रंथसमाप्तः ॥ पुस्तक मिलनेका ठिकाना खेमराज श्रीकृष्णदास. " श्रीवेंकटेश्वर" छापाखाना-मुंबई. For Private and Personal Use Only

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