Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 8
________________ २७० ६४ द्विधागतिप्राप्त वाल-अज्ञानीके उद्धारकी दुर्लभताका वर्णन २६७-२६८ ६५ वालत्वके परिवर्जनसे मनुष्यगतिके लाभका वर्णन २६९ ६६ मनुष्य योनि कौन पाता है ? उसका कथन ६७ देवगतिमाप्तिका वर्णन २७१-२७२ ६८ देवगतिप्रातिका उपदेश २७३-२७४ ६९ देवसुख और मनुष्यमुखौंको समुद्रके दृष्टान्त द्वारा तुलना २७५-२७८ ७० मनुष्य सम्बन्धी कामभोगोंसे निवृत्त होनेवाले के गुणका वर्णन २७९-२८० ७१ काम निवृत जीवको देवलोकसे चवनेके पीछेकी गतिका वर्णन २८१-२८२ ७२ धीरताका स्वरूप और उसका फलका वर्णन २८३-२८५ ___ अष्टम अध्ययन ७३ कपिल मुनिके चरित्रवर्णन २८६-२९८ ७४ कपिलचरित वर्णनमे ससारकी असारताका वर्णन २९७-३०० ७५ दोप प्रदोपोसे मुक्तिके उपायका वर्णन ३०१-३०२ ७६ परिग्रहमे शुद्ध बने हुवेके दोषोंका और केवलीके परिग्रह त्यागीके गुणों का वर्णन ७७ कामभोगादि अधीर पुरुषोंके लिये दुस्पन और सुनतधारियों के लिये सुत्यज होनेका कथन ३०६-३०८ ७८ बाल-अज्ञानीके नरकगमनका वर्णन ३०९-३१० ७९ माणिवघसे निवृत्त बननेवालों के मोक्षमाप्तिका वर्णन ३११-३१३ ८० प्राणियोंमे दण्डनिषेधका वर्णन ३१४ ८१ एपणासमिति वर्णनमे रसौमे अगृद्ध रहनेवालेके कर्तव्यका , कथन और अश्रमणके लक्षणोका वर्णन एव उनकी गतिका वर्णन ३१५-३२१ ८२. लोभके वशवत्र्तीके आत्माका दुष्पूरकत्व ३२१-३२२ ८३ असतोपके विषयमें स्वानुभवका वर्णन ३२३-३२४ ४ स्त्रियों में गृद्धिभावनिषेधका और उनके त्यागका वर्णन ३२४-३२९

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