Book Title: Updesh Ratnamala Granth
Author(s): Kundakundsuri
Publisher: Dhurandharsuri Samadhi Mandir Trust

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Page 42
________________ धुरन्धर विचार १.जे परमात्मानुं ध्यान धरे छे - तेनुं ध्यान परमात्मा राखे छे. 2. दुर्जन थी बचवा माटे दुर्जन थq ए मार्ग नथी.. 3. जे समयने ठेले छे तेने समय पण ठेले छे. ने ले . . . . . . . 4. भले थई जाय' एम बोलाय छे, पण थई गया पछी भले' भागी जाय छे अने 'अरे' आवी जाय छे. ५.जर होय तो सजर पण अजर गणाय छे. अने जर न होय तो अजर पण सजर गणाय छे......... ६.खरो माणस नखरा करतो नथी........ 7. कार्यनी कठिनता अने सरलतानो आधार आवडत उपर छे. 8. सशक्तने हवामान असर करतुं नथी. 9. जगत मां अबला जेवी कोइ बला नथी. dharnidhar: 94264 13912

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