Book Title: Ud Jare Panchi Mahavideh Mai
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Simandharswami Jain Mandir Khatu Mehsana
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सद्भाव, भनमां अजब श्रद्धा तेमज तनमां गजब पुरुषार्थ होय तेमना माटे ते अथवा अन्य पण तेवु काम कोई काळे कपरु थई शके नहीं. सेनां प्रमाणो तो एटलां बधां छे के जे गण्यां गणाय नहीं, वीण्यां वीणाय नहीं तोय विश्वना सग्रहालयमा समाय छे.
गमे तेम हो ए परमप्रभुनी प्रगट प्राप्ति भले जरा आगळनी वात होय तो पण अहीं रह्यां रह्यां आपनी अनन्यभक्ति करी शकाय छे, ते कोईनाथी नकारी शकाय तेम नथी. पहेला 'मन मंदिर'ने अपूर्व रीते दयाक्षमा-भक्ति-प्रीति-मैत्री-मृदुता इत्यादि गुणरूप रंगबेरंगी रंगो तेम ज चित्रविचित्र चित्रोथी आबेहूब शणगारीने त्रिभुवननाथ श्री प्रभु सीमंधर स्वामीजीने त्यां पधारवा भावभर्य आमंत्रण नहि, निमंत्रण आपीए. भावनानी पींछीथी हृदयपट पर प्रभुनी नयनरम्य छवीने उपसावी तेमनी अनुपम उपासना करीए. १०० कोड एटले १ अबज जेटली विराट संख्यानो जे मना साधु भगवंतोनो परिवार छे, तेटली ज संख्यामां जेमां साध्वीजी. ओनो परिवार छे १० लाख जेटला केवळी भगवंतोनो परिवार शोभा. यात्राने वधु शोभाय राखे छे. यावत संख्यातीत (असंख्य) श्रावक श्राविकाओ जेमगा शासनने वफादार रहीने स्वजन्मने सार्थक करी रहया छे ते पुडरीकिणीपुरीना पति श्रीसीमन्धरस्वामिजी जयवंता वर्तो.
पुक्लावती विजयमां जे विजय वर्तावे छे ते विश्ववंद्य विभु सीमन्धर छे, बीजी पण विजयोमा विजय वर्तावतां विश्ववंद्य विहरमाण विभुओ पण सीमन्धर छे. श्रीयांस महाराजाना जे लाडकवाया छे ते स्वामि सीमन्धर छे. नाभि आदि महाराजा आना जेओ लाडकवाया छे तेओ पण स्वामि सीमन्धर छे. महासती सत्यकीजीना जे जयनदीपक छे ते स्वामि सीमन्धर छे, महासती त्रिशलाजी आदिना जेओ नयनदीपक छे तेओ पण बधा स्वामिसीमन्धर छे.-आम व्यापक दृष्टिथी ध्यानसृष्टि थतां तेमज 'सविजीव करू शासन रसी'ना परिणाम प्रगटतां ध्याता पोते पण सीमंधर बनी शके छे. दूर-सुदूर रहीने अनन्य भक्तिपूर्वक श्री सीमन्धरजीने जेओ भजे छे
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