Book Title: Tristuti Paramarsh
Author(s): Shantivijay
Publisher: Jain Shwetambar Sangh
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४८ (त्रिस्तुतिपरामर्श.) फरमानसेंसहीहै, किसकीताकातहै निशीथसूत्रकोंजूठा कहसके ? मुल्कमालवेमें-उज्जेन-इंदोर-रतलाम-मंदसौर वगेराजो बडेशहेरहैवहां तीनथुइकाप्रचार बदौलत-पीतांबरोंहीकीरुका, रतलाममें (७००) घर सनातनजैनश्वेतांबर-चारस्तुति माननेवालोके मौजरहे वहां करीब (५०) घर तीनथुइवालोकेहोगें, इंदोर-उज्जेनमें-बिल्कुलतीनथुइका प्रचार नहीरहा, मंदसोर-सो-उसमें चारस्तुतिमाननेवालोके घर करीब (१००) है, वहां तीनथुइवालोके घर करीब पचीसतीसहोगें, खयालकरो ! पीतांबरोका कैसा प्रभावहै, ? इसीसेकहाजाताहैकि-जगहजगहपर पीतांबरसंवेगीसाधुमहाराजही तीनथुइके प्रचारकों रोकतेहै,-और-प्रतिपक्षीयोंकों उनकानाम नागवारगुजरताहै, और यहबात बहुतसचहैकि-प्रतिक्रमणमें तीनथुइकरनेका-मजहब (३०) वर्षसेचला,-सत्पक्षग्राहीकेनामसे जो-"महाराजश्री राजेंद्रसरिजीकी त्रणथुइ-अने-चारथुइसंबंधीचर्चा" इस्तिहार -सुरतविक्टोरिया-प्रेस-तारिख २५-७-१९०३ रौज छपाथा, उसमें लिखाहै राजेंद्रमुरिजीनेबधास्त्रनियुक्तिभाष्य-चूर्णिवृत्तिग्रंथोनावचनाधारे
चैत्यवंदनमा त्रणजथुइ करवानो पुनरोद्धार किधोछे, देखिये ! चैत्यवंदनमें तीनथुइ करनेका पुनरोद्धारकरना इसमें कबुलरखाहै-या-नही ? अगरकहोगेरखाहै-तो-फिरवात क्याहुइ,? पुनरोद्धारभी क्यों कुबुलरखना था ?-जवानी जमाखर्चसें कामनहीचलेगा, यादरहे ! किसीजैनसूत्रमें या-उसकीपंचांगीमें नहीलिखाकि-प्रतिक्रमणमें तीनथुइ करना, अगर लिखाहै तो कोइ पाठ बतलावे,
(शेयर.) कोरीबातोसें कामनहीचलता-जैसेपानीसेंदीपनहीजलता, कोरीबातोसेंबातनहीरहती-जैसे कागजकीनावनहीवहती,१
त्रीनस्तुतिप्राचीनताकिताबसफह (२) पर-लेखकलिखतेहैकि

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