Book Title: Tristuti Paramarsh
Author(s): Shantivijay
Publisher: Jain Shwetambar Sangh

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Page 89
________________ ( लावनी. ) ( शेयर ) आपने जनमतको धारन - करके त्यागो है कुटुंब, उधरे पटल निज उरके मुनिजी - दूरकर दिनो है तम. दीपायो जनमतकों स्वामी - प्रकाशित भयो रविसम, जन्म जन्मांतरकी बिगरी बात सुधरी इस जनम ( मिलान. ) ७९ wwwww करते हो सब कठिन तपस्या- धन्य धन्य मुनिजी सुखसाज तीरथ कीने आपके जनम जनमके सुधरे काज, ( १ ) पहिले समेतशिखरगिरि प्रभुके-आप मुनिजी किये दर्शन, एक महिना गिरिपर बेठ कियो प्रभुजीको भजन, पावापुरीमे रहे तीन महिना - आप मुनिजी हो धनधन. कइ जिज्ञासु आपसे पुछे शास्तरको बर्नन. ( शेयर. ) अंतरिक्ष पारसनाथजीमें आठ दिन किनो है ध्यान, शतरुंजाजी गिरिराजमें चौमासो कर दिनो बखान, गिरनारजी दिन बारां रहकर - दिपायो साचोहि ज्ञान, आठ दिन आबुजी उपर विराजकर किनो है ध्यान. ( मिलान. ) रानकपुरजी पांच दिवसतक - आप मुनिजी रहे बिराज, तीरथ किने आपके जनम जनमके सुधरे काज, (२) हस्तिनागपुर आप बिराजे आठ दिवसमें लिखलियो हाल, कंपिलाजीमें रहे दिन तीन आप भव्यजनके प्रतिपाल, शौरीपुर दिन एकटी मुनि - काटयों सकलकलिमल जंजाल, कौशांबी में रहके मुनीश्वर तीन दिवस रिपु किये पेंमाल.

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