Book Title: Trinshshloki
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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir चिंकी साधारणंभवति। नात्रकननचर्णरुनोविशेषः॥ न केवलमिदमेवतुल्यंचयोपस्थाविशेषोपरनिनिमि नमपिचतुर्वर्णसाधारणमित्याह चयूसियारनियद्यसिविशेपोपरनिनिमित्तमाशोचंचविशेषोपादानराहित्येनचिहिनंतदपिचातुर्यस्यतुल्यं भवति। तदुक्तंव्याघ्रपादमुनिना। तुल्यंचयसिस र्वेषामनिकांतेनथैवचेतिक अवस्वपुरुषनिहितइत्यनेनपरपुरुषनिहिनेजननाव्यतिरिक्तानामा जन्माशीचांतरालेयदिशिशनशनंचालचत्यूर्घकालेनिःप्राणोनिःपतेहाजन नजनितमाशीचमरस्येवलमम्॥ शौचाभायोध्वनितः॥१॥ इदानींपूर्णपसवानमिना माशोचंहितीयत्तेनाह॥ ॥जन्मेति। जन्याशौचांतरालेजन्माशोचमध्येनालरल्यूर्घकालेनाल छेदनानंतरंयटिशिशोर्नशनमुपरम स्यात्॥अथवा॥निःप्राणःप्राणरहितोनानिःपनेत निर्गछेत् For Private And Personal Use Only

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