Book Title: Trinshshloki
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बिंकी चिल्लोकिकान्पपवादमाह॥ ॥चंरालाग्निमिति॥ ॥प्रेनेटग्धोचंरालाग्न्यादीनजस्यान्नोपाट्यान्॥ 25 नरदेवलेनाडालागिरमेध्यामिःमतिकामिश्रकाचिनपतितामिश्रितश्विनशिष्टग्रहणो चिनइति॥इंधनारावप्यपवारमाह।शूाहतेनेत्यादि।इंधनंकाचंदहनोअनिःसृतमाज्यं आदिशदेन चांडालागिनितामिंपतिनहुतभुजंसनिकामध्यन न्हीन्जन्या छूग्राहते धनरहनतायेनदाहोप्यराहः॥ 29 // // पयःप्रचनियदुपयुज्यने / नसंग्रहःशूद्राहनेनेंधनारिनायोदाहःसोपराहरनियोजनासनोप्यसतएवेत्यर्थः। नयाचाहयमः॥ य || || 25 | स्पानयनिशदोनिंरणकाष्ठहनीपिच नत्वहिसरातस्यसचाधर्मेणालिप्यतइनि॥२९॥ // 5 / / For Private And Personal Use Only

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