Book Title: Tirthankar Ek Anushilan
Author(s): Purnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publisher: Purnapragnashreeji, Himanshu Jain

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Page 220
________________ 1. 2. 3. 4. 5. 6. .7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22. वादी श्रमण (75) तीर्थंकर : एक अनुशीलन 8 199 अनुत्तर विमान सामान्य मुनि गामी श्रमण (77) (76) 22900 (अनुपलब्ध) 12650 12400 12000 11000 10450 (10650) 9600 8400 7600 6000 5800 5000 4700 3600 3200 2800 2400 2000 1600 1400 1200 1000 800 1600 23. 600 1200 24. 400 800 विशेष : श्री ऋषभदेव प्रभु ने अपने गणधर पुण्डरीक स्वामी को चतुर्विध संघ की अनुज्ञा देने हेतु कान में ‘सूरिमंत्र' सुनाया था। उसी परम्परा का अनुसरण करते हुए आज भी आचार्यपद प्रदान करने हेतु गुरु द्वारा सूरिमंत्र प्रदान किया जाता है। "" "" 19 "" 99 29 "" 99 "" 22 "" "" 27 "" "" 99 99 4166 21485 129192 232934 254200 269585 245025 200307 156012 59019 48124 38634 38843 39450 40657 41464 43155 32506 28854 21182 9083 11289 10790 10089 "" पर्यायान्त भूमि अर्थात् केवलज्ञान के कितने समय बाद मोक्ष जाना प्रारम्भ हुआ ? (78) अन्तर्मुहूर्त (दो घड़ी) एक दिन बाद "" "" 99 "" 99 "" "" 99 99 "" "" "" "" 99 99 27 29 "" 99 दो वर्ष तीन वर्ष चार वर्ष

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