Book Title: Tilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Author(s): Pushpa Gupta
Publisher: Publication Scheme

View full book text
Previous | Next

Page 198
________________ 188 तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन (12) बंजरीट-खंजन पक्षी विशेष 211 (13) खंगी-शरभपक्षी विशेष । यह रात्रि में चरण ऊपर रखता है ।। (14) गरुड़ 363 विद्रुगपति 173 (15) चक्रवाक 55,181,188,,253,302,358,386,401, 408 इन्हें कमलनाल अत्यन्त प्रिय हैं । चक्रवाकों को लामंजक तृण भक्षण करते हुए भी बताया गया है। इनका वर्णन प्रायः प्रेमी युगल के रूप में होता है कवि समय के अनुसार ये रात्रि में वियुक्त हो जाते हैं। इसके अपर नाम कोक 55,245, 311, 359 चक्र 237, 351 तथा रथांग 3, 207, 238 हैं। (16) चकोर 69, 73, 211, 218, 296, 401। विषाक्त भोजन की परीक्षा के लिए इसे राजभवन के आहार-मण्डप में पाले जाने का उल्लेख किया गया है 69। चकोर को चन्द्रमा की किरणों का पान करते हुए वर्णित किया गया है। (17) चातक 180, 210, 215 । (18) दात्यूह 211, 237 यह धुमिल रंग के जलकौवे का नाम है। इसे रतिगृहों में पाले जाने का उल्लेख किया गया है । (19) बक 204 वक्रांग 181 अवाकचंचु 210 इसे शकुल मत्स्य प्रिय है। (20) बलाका 154, 204 इसके श्वेत रंग से उपमा दी जाती है। (21) मारूण्ड 138, 147, 235। यह जलीय वृक्षों पर निवास करने वाला पक्षी विशेष है। (22) मद्गु-जलवायस 126, 204, । इनका भोजन मछलियां है ।। (23) मयूर 25, 106, 141, 202, 408, 426, कलापी 87, 215, 408, शिखण्डी 17, 106, 309,। नीलकण्ठ 154, 240, 351, । शितकण्ठ 227 । बहिण 329, 364, 409 । शिखि 211, 212, 233, 1. खड्गिनामूवंचरणस्थिति। -वही पृ. 351 2. चक्रवाकचंचुगलितार्घजग्घलामंजकजटालेन, तिलकमंजरी, प. 210 3. अस्ताचलचकोरकामिनीमन्दमन्दाचान्तविच्छाय विरसचन्द्रिके,-बही, प. 73 4. वित्यूपतद्विरो रतिगृहाः, -वही, प. 237 5. शकुलजिघृक्षयान्तरिक्षाद्विवावचंचुकृतजलप्रपातानि"" - वही, 210 6. बलाकायमानपवनलोलसितपताकम् वही, प. 154 प्रभूतमत्स्यावहारतष्नया........ तिलकमंजरी, पू,126

Loading...

Page Navigation
1 ... 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266