Book Title: Tilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Author(s): Pushpa Gupta
Publisher: Publication Scheme

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Page 221
________________ तिलकमंजरी में वर्णित सामाजिक व धार्मिक स्थिति (1) सितपट – 125, 132, 140, 146 ( 2 ) नाङ्गरशिला - लंगर 125, 134, 146 ( 3 ) कपूस्तम्भ – 134, 138 (4) अरित्र - पतवार 132, 138, 146 (5) बडिश - मछली पकड़ने का कांटा 126, 200 (6) जाल, श्रानाय – 126, 200, 238 (7) यानपात्र - 125, 130, 150, 138 ( 8 ) प्रवहण - 138 ( 9 ) पोत - छोटी नाव 125, 130, 140 ( 10 ) नौ - 126 (18) पुलिन्द - पुलिन्द बाण चलाने वाली जंगली जाति थी । 1 अमरकोष में पुलिन्द म्लेच्छं जाति कही गयी है । 2 (19) मातङ्ग — कर्मों के विपाक से समस्त वेदों का ज्ञाता ब्राह्मण भी मातङ्ग जाति में उत्पन्न हो सकता है । मातङ्ग चण्डाल को कहा जाता था तथा यह अत्यन्त निकृष्ट माना जाता था । (20) नाहल – म्लेच्छ जाति विशेष | यह जाति नदियों के किनारे के वनों में रहने वाली बतायी गयी है 14 ( 21 ) हूण -- मेघवाहन के दण्डनायक नीतिवर्मा ने हूणराज को युद्ध में मृत्युलोक पहुंचा दिया 15 ( 22 ) किरात -- म्लेच्छ जाति विशेष 18 (23) भोल -- भील जाति का उल्लेख किया गया है। 7 (24) शबर -- शबर का अनेक बार उल्लेख हुआ है । अटवी के प्रसंग में 1. वही, पृ. 4, पद्य 26 2. 211 मेदा : किरातशबरपुलिन्दाम्लेच्छजातयः 3. सकलवेदविद्विजोsपिमातङ्गजाती जायते । 4. उच्छलत्कूलनलवन विलीनना हलनिवहकाहलकोलाहलामि..... -- 5. समारब्धकर्मणा प्रापितः प्रेतनगरम् हूणपतिः, 6. क्रीडा किरातवंश्यानि शबरवृन्दानि .... 7. विपक्षभीत भिल्लपतेरिव प्राकृतजनदुरारोहा..... 8. वही, पृ. 200, 239, 152, 236, 418 . - अमरकोष - 2/10/20 - तिलकमंजरी, पृ. 406 तिलकमंजरी, 199 पृ - वही पू. 182 -वही पृ. 239 -वही, पृ 201

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