Book Title: Teen Din Mein
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 10
________________ माताजी! आप की बहुत प्रशंसा सुनी है। आप के लिए रत्न कम्बल लाया हूँ। इसे देखिये न अवश्य पसन्द आयेगा। हे सुकुमाल ! देख तेरे लिए कितना सुन्दर रत्न कम्बल खरीदा है मैंने- ले इसे काम में ले/ Pe X D म कमाल है - तुम्हारे रत्नकम्बल का जवाब नहीं बड़ा ही सुन्दर है। लो इसका मूल्य | मां कम्बल तो बहुत सुन्दर है। परन्तु बहुत कहा है ये। मेरे को तो यह चुभता है । मेरे मतलब का यह नहीं है तुम ही रखलो ना मां इसे 1411 1 Silen AL H agic Z C

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