Book Title: Tattvartha raj Varttikalankara
Author(s): Gajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha

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Page 10
________________ insace SARA-AAS TOMOMEGDIMAG సమయంజయeaunches शास्त्रजी बांचनसे पहिले बोलनेका मंगलाचरगा। ओं नमः सिद्धेभ्यः ३ . ओंकारं विंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः । कामदं मोक्षदं चैव ओंकाराय नमो नमः॥१॥ है अविरलशब्दघनौघप्रक्षालितसकलभूतलकलंका । मुनिभिरुपासिततीर्था सरस्वती हरतु नो दुरितं ॥२॥ अज्ञानतिमिरांधानां ज्ञानांजनशलाकया । चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥३॥ __परमगुरवे नमः, परंपराचार्यगुरवे नमः । सकलकलुपविध्वंसकं श्रेयसः परिवर्द्धकं धर्मसंवंधकं भव्यजीवप्रतिबोधकारकमिदं शास्त्रं श्रीतत्त्वार्थराजवार्तिकालंकारनामधेयं ।। अस्य मूलग्रंथकर्तारः श्रीसर्वज्ञदेवास्तत्प्रयुत्तरग्रंथकर्तारः श्रीगणधरदेवाः प्रतिगणधरदेवास्तेषां वचोऽनुसारतामासाद्य श्रीमदाचार्य भट्टाकलंकदेवेन विरचितं । श्रोतारः सावधानतया शृण्वंतु । मंगलं भगवान् वीरो मंगलं गौतमो गणी । मंगलं कुंदकुंदाद्या जैनधर्मोऽस्तु मंगलं ॥ Paago savesaregasmomspreCTERSEARSEREDTEASES S PARRESTARSApstpapgsponsonammemes

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