Book Title: Tattvagyan Mathi
Author(s): Shrimad Rajchandra, 
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram

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Page 235
________________ २२७ विशेष जिज्ञासुपा जागी अवय सने मोशोपाय परिणम म TTमयापी (त यमन) मयां छे, म सदगुस्ता वचनो याधप ९८ ममाय ते जीव बगान " भने मोगमाव छते जीव पालाना स्वपने विप रिपति पयो से छे अनगनना स्पमाय अपरार जेयो तपी जेम प्राय पना पाकाळना अपरार सा नारी पामे छे घेम লানা সা সা বা ৫ .. पारणा वर्मबंधना, मते पना माग ७, मने मेरो पारणा छ ज ८ मोगा मानो भवना ठे १.. राग, बन गान गर्नु परखए मनी मुनर Sd प्रसारणा पम पम म पार ना पी निति मापन मग १.१ 'गालो महिनाी , मन पर' र 'द भामा पार समारप मच गई मिर ने दाद माना मामा एषो',

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