Book Title: Swatantrata Sangram Me Jain
Author(s): Kapurchand Jain, Jyoti Jain
Publisher: Prachya Shraman Bharati

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Page 464
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिशिष्ट-एक संविधान सभा और जैन किसी भी देश का राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय संविधान उस देश की आत्मा होते हैं। पूर्ण प्रभुतासम्पन्न लोकतन्त्रात्मक देशों में जहाँ भी लिखित संविधान हैं, वहाँ उनका निर्माण जनता ने प्रायः संविधान सभाओं के माध्यम से ही किया है। भारतीय संविधान निर्माण की कहानी बहुत पुरानी नहीं है। आजादी के आन्दोलन के समय, भारतीयों द्वारा ही भारत का संविधान बनाने की मांग समय-समय पर की जाती रही है। स्वराज्य और स्वशासन की मांग के पीछे यह विचार भी किसी न किसी रूप में रहा था कि भारतीय ही अपनी वैधानिक व्यवस्था का निर्माण करें। __ भारतीयों द्वारा भारत का संविधान बनाये जाने की स्पष्ट मांग सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने 5 जनवरी 1922 को की थी। 1924 में पं0 मोतीलाल नेहरू ने "राष्ट्रीय मांग'' नाम से प्रख्यात प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, जिसमें गवर्नर जनरल से भारत में पूर्ण उत्तरदायी शासन की स्थापना करने के उद्देश्य से भारत के लिए एक संविधान की योजना संस्तुत करने की मांग की गई थी। ब्रिटिश सरकार ने 1927 में सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में एक "भारतीय संविधि आयोग" की स्थापना की थी, जिसे "साइमन कमीशन" के नाम से जाना जाता है। इस कमीशन में एक भी भारतीय नहीं था, अतः इसका व्यापक विरोध हुआ, परिणाम- स्वरूप 1927 में ही कांग्रेस के बम्बई और मद्रास अधिवेशनों में एक प्रस्ताव पास हुआ, जिसके अनुसार-'काँग्रेस कार्यकारिणी को केन्द्रीय तथा प्रान्तीय विधान मण्डलों के निर्वाचित सदस्यों तथा विभिन्न दलों के नेताओं से मिलकर एक "स्वराज्य संविधान" बनाने का अधिकार सौंपा गया था।' 1928 में पं0 मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में बनी समिति ने भी संविधान निर्माण की चेष्टा की थी। 1934 में स्वराज्य पार्टी ने आत्मनिर्णय के अधिकार हेतु एकमात्र उपाय के रूप में भारतीय प्रतिनिधियों की एक संविधान सभा बुलाने का सुझाव दिया था। कांग्रेस ने भी इसका पूरा समर्थन किया था। द्वितीय विश्वयद्ध के दौरान कांग्रेस ने 14 सितम्बर 1939 के अपने एक प्रस्ताव में पन: संविधान सभा की मांग दोहरायी। 1942 में सर स्टेफर्ड क्रिप्स ने विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद संविधान सभा की स्थापना का विचार स्पष्टरूपेण स्वीकार किया था। 1942 के 'भारत छोड़ो प्रस्ताव' में भी कांग्रेस ने घोषणा की थी कि-'स्वाधीनता के बाद कार्यकारी सरकार एक संविधान सभा बनाकर देश के लिए संविधान बनायेगी।' 19 सितम्बर 1945 को वाइसराय वेवेल ने घोषणा की थी कि-'सरकार शीघ्र ही संविधान सभा का आयोजन करना चाहती है, किन्तु इससे पूर्व केन्द्रीय और प्रान्तीय विधान मण्डलों के चुनाव जरूरी हैं।' । ____1945 के अन्त में केन्द्रीय सभा और 1946 के प्रारम्भ में प्रान्तीय विधान मण्डलों के चुनाव हुए। 16 मई 1946 को प्रकाशित अपनी योजना में "मंत्री मिशन' ने स्पष्ट कर दिया था कि उसका उद्देश्य-"एक ऐसी व्यवस्था को आरम्भ कर देना है जिसके द्वारा भारतीय भारतीयों के लिए संविधान बना सकें।" इस योजना के अनुसार ब्रिटिश भारत के लिए 296 और देशी राज्यों के लिए 93 स्थान रखे जाने थे। तदनुसार ब्रिटिश भारत के सदस्यों के 1946 में संविधान सभा के लिए चुनाव हुए। For Private And Personal Use Only

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