Book Title: Swarshastra
Author(s): Vadilal Motilal Shah
Publisher: Vadilal Motilal Shah

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Page 32
________________ गुप्त मददगारो. प्राचीन समयथी लोको मानता आव्या छे के, आ जगतमा गुरु मददगारो वसे छे. असलना लोकोने ते बाबत पर संपूर्ण विश्वास हतो. देवो मदद करे छे अथवा सहाय आपे छे, ए बाबतनी मान्यता प्रथम पूरेपूरी जामेली हती; पण ज्यारथी पश्चिमना जडवादना विचारोनो विशेष फेलावो थवा लाग्यो, अने लोकोनी नजर जगतनी सूक्ष्म बाबतो करता; ब्हारनी वस्तुओ तरफ विशेष खंचावा लागी, अने लोकोमा दयनी निर्मळता ओछा प्रमाणा जगावा मांडी, त्यारथी आवा मददगारोनी हयाती विषे लोकोना मनमा संशय पडवा लाग्या, अने लोकोनी ते बाबतनी श्रद्धा दिन प्रतिदिन घटवा लागी. आ स्थिति हाल एटले सुधी हेची छे के केटलाक मनुष्यो एम पग कहेवा मंडी पडया छे के: . “ देव गया डूंगरे अने पीर गया मक्के !" " देव डंगरपर नाशी गया अने पीर मक्के चाल्या गयाः अर्थात् देवो बधा अदृश्य थह गया ! केटलाक एम पण कहेवा लाग्या के हाल कळियुगना समयमा देवो अहीं आवी शकेज नहि पण आम कहेवु अथवा माने ते तद्दन भुलभरेल के. देवो भने पोरस्ताओ तो तेना तेज छे. प्रथमनी माफक हाल पण तेओ पोतानपरो. कये जाय छे. लोकोने तेमनी हयातीमा अविश्वास आववाथी Scanned by CamScanner

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