Book Title: Surendra Bhakti Sudha
Author(s): Piyushbhadravijay, Jyotipurnashreeji, Muktipurnashreeji
Publisher: Shatrunjay Temple Trust

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Page 41
________________ स्तवन - ३० (राग : पुजानी ढाळ) तार मुझ तार मुझ....तार त्रिभुवन धणी पार उतार संसार स्वामी; प्राण तुं त्राण तुं शरण आधार तुं. आतमाराम मुझ तुही स्वामी ॥१॥ तुंही चिंतामणी तुं ही मुझ सुरतरू, कामघट कामधेनु विधाता; सकल संपत्ति करू, विकट संकट हरु, पार्थ शंखेश्वरो मुक्तिदाता ॥२॥ पुण्य भरपूर अंकुर मुझ जागीयो, भाग्य सौभाग्य मुख नूर वाध्यो; सकल वंछित फल्यो, माहरो दिन वळ्यो, पार्श्व । शंखेश्वरो देव लाघ्यो ॥ ३ ॥ al मूर्ति मनोहारिणी, भवजलधि तारणी, निरखत नयन आनंद हुओ, | पार्श्वप्रभु भेटीया, पातिक मेटिया, लेटिया ताहरे चरणे जुओ ॥ ४ ॥ पार्श्व मुझ तुंधणी, प्रीती मुझ बनी घणी, विबुधवर नय विजय गुरू वखाणी, मुक्तिपद आपजो, आप पदे स्थापजो जसविजय आपनो भक्ति जाणी ॥५॥ WRITERTRE1836 RRRRRREET

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