Book Title: Stavan Manjari
Author(s): Amrutlal Mohanlal Sanghvi
Publisher: Sambhavnath Jain Pustakalay

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Page 60
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मृषा चोरी मैथुन वारी । परिग्रह बुरा बताया हो स्वाम ॥ ७ ॥ आत्म कमलमां शैलेसी साधी। शिव लब्धि उपाया हो स्वाम ॥८॥ गायन नं. ९० जै-जै-जै-जै, श्री जिन ध्यान धरो सुखकारी सदा जो हितकारी । जै० ॥ टैर ॥ अब तो मुझे बचा, मैं दिल कहु कचा । तेरा ही सेवक जानके, अब शिवपुर पंथ चला। जै ॥ १ ॥ दुखिया मैं दीन हूं, विषयां में लीन हूं। करता हूँ पाप रातदिन, सब से अलीन हूँ ॥ २ ॥ गायन नं. ९१ ( राग-झट जाओ चन्दनहार लाओ ) नित्य जपे तुम्हारी माला, कर्म सब धो डालो ॥टे।। साखीहम निःसहाय अनाथ है, तुम हो करुणागार । आये तुम्हारी शरण में, हमें तेरा ही एक आधार ॥ कर्म ॥ १ ॥ है अवगुण से हम भरे, बुरी हमारी चाल । छिपा कुछ तुम से नहीं, प्रभु जो हैं हमारा हाल ॥ २ ॥ हमें भरोसा आप का, जो सब के शिरताज । विनवे मण्डल और धन, हमें तेरा ही एक आधार ॥ ३ ॥ गायन नं. ९२ __तुम्हें नाथ नैया तिरानी पड़ेगी ॥ तिरानी पड़ेगी तिरानी पड़ेगी ॥ तुम्हें ।। तारणतरण है विरुद तुम्हारो। डूबत नैया तिरानी पड़ेगी ॥ तुम्हें ॥ भवसागर में डूबी जो नैया। तेरे विरुद ....vavvvvvvvvvvvvvvvv wwwwww नवीनमहावीर गायनमाला किं. ०-०-६ (५७) For Private And Personal Use Only

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