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ठिकाना ॥ प्रभुजी० ॥ १ ॥ गऊमाता यह भोली भाली, दुष्टन के घर कटवा चाली, जिनसे नाथ बचाना ॥२॥ भारत निंद में सोय रहा है, फैशन में धन खोय रहा है, यही रिवाज मिटाना ॥३॥ दास की अर्जी पे गोर करावे, भारत को स्वतन्त्र बनावे । सम्प का ढुंका बजाना ॥ ५ ॥
गायन नं. ९९ आदि जिनेश्वर कीयो पारणो, आ रस सेलड़ी, टे।। गड़ा एक सो आठ सेलड़ी, रस भरिया छै नीका । उलटभाव सेयाँस वोहराया, मांड दीवी या सब बुकाए ॥ आ रस ॥१॥ देव दुदंभी बाज रही है, सौनै आरी वरखा । बारे माससुं कियो पारणो, गई भूख सब तीरखा रे ॥ आ रस ॥ २ ॥ रिद्धि सीद्धि कारज मनोकामना, गर गर मंगलाचार । दुनीया हर्ष वधामणासीरे, आखातीज तहेवार रे ॥ आ रस ॥३।। संकट काटो विघ्न निवारो राखो हमारी लाज, बे कर जोडी नन्दु कहता, रिखबदेव माहाराज रे ॥ आ रस ॥४॥
गायन नं. १००
( बधाई ) राजरी बधाई बाजे छ, महाराजरी बधाई बाजे छै ॥ टेर ॥ सरणाई सिरे नौबत बाजे, घनन घनन घन गाजे छै । महा० ॥ ॥१॥ इन्द्राणी मिल मङ्गल गावे, मोतियन चोक पुरावे छै॥२॥ सेवक प्रभुजी से अरज करे छ, चरणांरी सेवा प्यारी लागे छै ॥३॥
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जीवनचरित्र-भेट
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