Book Title: Smruti Tattvasya Part 02
Author(s): Raghunandan Bhattacharya
Publisher: Jivanand Vidyasagar

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Page 692
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ १ ] १५६ मोमोसादर्शनम भाष्यसहित १२ । १६८ शुक्लयजुवेंदख प्रातिमास ११७ मौमांसापरिभाषा सभाष्य १२८ शाण्डिल्य व सभाष्य . १९८ सामवेदसहिता सभाष्य १२८ नैमिनीय (न्यायमालाविस्तर:) | १७० पग्रिपुराणम् १४. पर्थसंग्रह (सौगादिमीमांमा)।०/१०१ अध्यात्मरामायणम् सटीक १४१ न्यायदर्शन सभाष्य सवृत्ति २०१७२ कस्किपुराणम १४२ भाषापरिच्छेदः मुक्तावली ० | १७३ गरुड़ पुराणम् १४३ भाषापरिच्छेदमुन्नावली दिनकरी १७४ सटीक बामौकिरामायण १५४ भन्दशनिप्रकाशिका ( न्याय). बालकाखम १४५ कुसुमाञ्जलि सटीक (न्याय) • १७५ विद्यपुराणम् सटीक १४६ उपमानचिन्तामणिः १७६ मवैवर्तपुराण सम्प पं १४७ अात्मतत्त्वविवेक (बौद्धाधिकार) २ / १७७ मत्स्य पुराणम् १४८ पनुमानचिन्तामणि: सटीक ४॥ १७८ मार्कण्डेयपुराणम् १४६ नामृत (जगदीशकतन्याव १० | १७६ लिङ्गपुराणम् १५० तर्क संग्रह इं अनुवादसहित . | १८. श्रीमहगवद्गीता सभाष्य सटीक ४ १५१ पातञ्जलदर्शन (सभाष्य सटीक) २ १८१ अष्टादव (वाग्भट) वैद्यक २ १५२ पातनलदर्शन भोजबत्तिसहित १ | १८२ चक्रदत्त (बैद्यक) १॥. १५३ वैशेषिकदर्शनम् सटीक | १८३ चरकसंहिता (वैदाक) सम्पर्ष ६ १५४ सर्वदर्शनसंग्रह: (दर्शनशास्त्र] १/१८४ माधवनिदान सटीक १. १५५ पाथर्वणोपनिषद सभाष्य १८५ भावप्रकाश (वैटाक) १५६ पारण्यसंहिता समाष्थ . ( १८६ मदनपालनिर्घटुः (वैद्यक) . १५७ ईश केन कठ प्रश्न मुण्ड माण्डवय १८७ रसेन्द्रचिन्तामणितथारसरवाकर उपनिषद (सटीक सभाष्य) १८८ शाधिरसंहिता ( बैद्यक) १ १५८ गायत्री ब्याख्या . १८९ सश्रुतसंहिता सटीक (वैद्यक) १. १५६ गोपथब्रामण (अथर्ववेदस्य) १ १६. सुश्रुतसंहिता मूलमाव (वैद्यक) ४ १६. छान्दोग्य उपनिषद सठीक सभाष्य १८१ चिकित्सासारसंग्रह वनसेनकत १६१ तैत्तिरीय ऐतरेय श्वेताश्वतर सभाष्यर १९२ गरिताध्यायः भास्कराचार्यकृत १६२ दैवत तथा षड्वि भनाअषसभाष्यर/१४३ गोबाध्यायः भास्कराचार्यकृत .. १६३ निरुत सभाष्प सटीक १२/१६४ वहत्संहिता वा वाराहीसंहिता र १६४ नृसिंहतापनी सभाष्य | १४५ भावकुतूहल (ज्योतिष) . १६५ बरदारस्यक सटीक सभाष ७ १९६ खीलावती भास्कराचार्यरचित । १६६ मुक्तिकोपनिषत् . १८७ वीजगणित भारतराचार्यरचित.. १९७ पक्रयजुर्वेदसंहिता सभाच १८८ मूर्यसिद्धान्त सटीक कलिकाता संखवविधामन्दिर वि, ए, उपाधिधारिणः (चौगोवानन्दवितासागर भाषावस समाधान मारनि! For Private and Personal Use Only

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