Book Title: Shrimad Rajchandra Vachnamrut in Hindi
Author(s): Shrimad Rajchandra, 
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 925
________________ परिशिष्ट (१) ८३३ सार, गीताभाष्य आदि ग्रन्थोंकी रचना की है। रामानुजने बहुतसे शास्त्रार्थ भी किये । इन्होंने १२० वर्षकी अवस्थामें देहत्याग किया। वचनसप्तशती-- यह सप्तशती स्वयं राजचन्द्रजीने लिखी है । इसमें सातसौ वचनोंका संग्रह है। यह संग्रह हेमचन्द्र टोकरशी मेहताकी 'श्रीमद् राजचन्द्र' की पाँचवीं गुजराती आवृत्तिके प्रथम भागके ८३ पृष्ठपर दिया गया है । राजचन्द्रजीने वचनसप्तशतीको पुनः पुनः स्मरण रखनेके लिये लिखा है। वजस्वामी (प्रस्तुत ग्रन्थ, भावनाबोध पृ. ११९). वल्लभ ___ वल्लभाचार्य पुष्टिमार्ग ( शुद्धाद्वैत ) के प्रतिष्ठाता एक महान् आचार्य हो गये हैं । इनका जन्म संवत् १५३५ में हुआ था। इन्होंने अनेक दिग्गज विद्वानोंको शास्त्रार्थमें जीता और आचार्य पदवी प्राप्त की । वल्लभने रामेश्वर आदि समस्त तीर्थोकी यात्रा की थी। इन्होंने सं० १५५६ में व्रजमें श्रीनाथजीकी मूर्तिकी स्थापना की । यह मूर्ति अब मेवाड़में है, और इसके लिये भोगमें लाखों रुपया वार्षिक व्यय होता है । भारतवर्षके प्रायः सभी तीर्थ और देवस्थानोंमें वल्लभाचार्यकी बैठकें हैं । बल्लभाचार्यने भागवतपर सुबोधिनी टीका, ब्रह्मसूत्रपर अणुभाष्य, गीतापर टीका तथा अन्य ग्रन्थोंकी रचना की है । अन्त समय वल्लभाचार्य काशीमें आ गये थे, और वे संवत् १५८७ में भगवत्धामको पधारे । वल्लभसम्प्रदायके अनुयायी विशेषकर गुजरात, मारवाड़, मथुरा और वृन्दावनमें पाये जाते हैं। वशिष्ठ ( देखो योगवासिष्ठ ). वामदेव वामदेव एक वैदिक ऋषि हो गये हैं। ये ऋग्वेदके चौथे मण्डलके अधिकांश सूक्तोंके द्रष्टा थे। ये वैदिक परम्परामें एक बहुत अच्छे तत्त्वज्ञानी माने जाते हैं । इनका वर्णन उपनिषदोंमें आता है। वाल्मीकि वाल्मीकि ऋषि आदिकाव्य रामायणके कर्ता हैं। वाल्मीकिने २४ हजार श्लोकोंमें रामायणकी रंचना की है । कहा जाता है कि इन्होंने उत्तरकाण्डमें जो कुछ लिख दिया था उसीके अनुसार राजचन्द्रजीने सब काम किये । वाल्मीकि राजा जनकसे भाईका नाता मानते थे, और राजा दशरथसे भी उनकी मित्रता थी। वाल्मीकिजीने समस्त रामायणको रामचन्द्रजीको साढ़े तीस दिनमें गाकर सुनाई थी। वाल्मीकि ऋषिके समझानेपर ही रामचन्द्रजीने लव और कुश नामके अपने पुत्रोंको अंगीकार किया था। वाल्मीकि ऋषिकी जन्मभूमि प्रयागके पास बताई जाती है। इनके आश्रमके निकट अनेक मुनि अपने बाल बच्चोंसहित पर्णशालायें बनाकर रहते थे। रामायण संस्कृतका बहुत सुन्दर काव्य माना जाता है। विक्टोरिया रानी विक्टोरियाका जन्म सन् १८१९ में एडवर्ड ड्यूक ऑफ केन्टकी पत्नी मेरी लुइजाके गर्भसे दुला था। विक्टोरियाको आरंभसे ही उच्च शिक्षा दी गई थी। सन् १८४० में विक्टोरियाने प्रिन्स एलबर्टसे शादी की। विक्टोरियाने बहुत दिनोंतक राज्य किया। उन्हें धन, प्रभुता, सुहाग,

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