Book Title: Shashti Shatak Prakaran
Author(s): Nemichandra Bhandari, Bhogilal J Sandesara
Publisher: Maharaja Sayajirav Vishvavidyalay

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Page 211
________________ षष्टिशतक प्रकरण १२० १२२ 4. ९२ जत्थ पसुमहिसलक्खा ७८ ] जो गिहकुटुंबसामी संतो जम्हा जिणेहिं भणिों. १३८ जो जिणआयरणाए लोओ १४६ जयजंतुजणणितुल्ले अइउदओ जो देइ सुद्धधम्म सो परमप्पा १०३ जह अइकुलम्मि खुतं .. जो सेवइ सुद्धगुरू . जह कुवि वेसारत्तो जह केइ सुकुलवहुणो सीलं ७५ तईया अहमाण अहमा जह जह जिणंदवयणं सम्म | तह वि हु नियजडयाए जह जह तुट्टइ धम्मो ४६ / तं चेव केवि अहमा छलिया ..जह वद्दलेण सूरं महियलपयड ८१ / तं जयइ पुरिसरयणं जं चिअ लोओ मन्नइ तं १४७ | ता एगो जुगपवरो १४० जं जीविअमित्तं पि हु धरेमि १५७ | ता जिणआणपरेणं धम्मो . २८ जं जं जिणआणाए तं चिय ९३ | ता जे इमं पि वयणं जं न करइ अइभावं ५४ | ताण कहं जिणधम्मो १२३ जं वीरजिणस्स जीओ मरिई १२१ / ता पहु पणमिअ चलणे जाण जिणिंदो निवसइ सम्म ७० तित्थयराणं पूआ जाणिज मिच्छदिट्ठी जे १४३ तिहुअणजणं मरंतं दट्टण जिणआणाए धम्मो आणारहिआण ९४ | तुळे वि उअरभरणे जिणआणाभंगभयं ६३ ते न गुरू नवि सड्ढा न १५१ जिणआणा वि चयंता गुरुणो ४३ जिणगुणरयणमहानिहि ३० | थोवा महाणुभावा जे जिणधम्म दुन्ने १३७ जिणपूअणपत्थावे जइ को ९१ | दिहा वि केवि गुरुणो हिअए १२९ जिणमयअवहीलाए ज दुक्खं ७२ / दूरे करणं दूरम्मि साहणं १२७ जिणमयकहापबंधो संवेगकरो २८ दूसमदंडे लोए सुदुक्खसिट्ठम्मि १३३ जिणवयणवियन्नूण वि जीवाणं ११ देवेहिं दाणवेहिं य सुओ जिणवरआणाभंग १४ दोसो जिणिंदवयणे संतोसो ६६ जिणवरआणारहिअं वद्धारंता जे अमुणिअगुणदोसा ते १०४ | धम्मम्मि जस्स माया ४८ जे जे दीसंति गुरू जे मन्नेवि जिणंद १४९ / न मुणंति धम्मतत्तं सत्थं जे रजधणाईणं कारणभूआ ११९ | न सयं न परं कोवा जइ ११० ११५ १३९

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