Book Title: Shabdaratnamahodadhi Part 1
Author(s): Muktivijay, Ambalal P Shah
Publisher: Vijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
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७६४
गिरिगुड पुं. ( गिरौ गुड इव) गेन्दु वृक्ष, रभवानी छडी,
शब्दरत्नमहोदधिः ।
गिरिचर त्रि. ( गिरौ चरति चर्+ट) पर्वतमा इरनार, - गिरिचर इव नागः प्राणसारं बिभर्ति श० ३ | ४ | वियरनार थोर. (पुं.) रुद्रद्देव, शिव. गिरिज न. ( गिरौ जायते जन्+ड) शिक्षान्ति, बोधवृक्ष, अखड, गे३, बेजान. सोढुं-सोजंड (पुं.) मधु वृक्षभडुडानुं झाड, गेरु-गौरशाड. (त्रि.) पर्वतमा उत्पन्न
थनार
गिरिजा स्त्री. (गिरिज +टाप् ) पार्वती, स्त्रीषु प्रवीरजननी
तवैव देवी स्वयं भगवती गिरिजाऽपि यस्यै ।। - अनर्धराधव ४ । ३३ । हुर्गा, वनस्पति रास्ना त्रायभाषानी बता, रानीडेज, भासती, गंगानही.. गिरिजातनय, गिरिजासुत पुं. (गिरिजायाः तनयः) अर्तिस्वामी, गापति.
गिरिजापति पुं. (गिरिजायाः पतिः) भाहेव, शिव. गिरिजामल न. ( गिरौ पर्वते मेघे घनरवे वा जायते
_जन् ड तेषु अमलम् तथाभूतं च तदमलम् ) . गिरिज्वर पुं. ( गिरेः ज्वर इव) ईंद्रनुं १४. गिरित त्रि. (गिल् + क्त वा रः) गजी गयेस, जाधेबुं. गिरित्र पुं. ( गिरौ कैलासे स्थितः त्रायते त्रै+क) रुद्र, हेव, शिव..
गिरिदुर्ग न. ( गिरेः दुर्गम्) पर्वतनी अंहरनो डिल्लो, पर्वत३५ डिस्सो -मृदुर्गं गिरिदुर्गं वा समाश्रित्य वसेत्
पुरम् - मनु० ७।७० ।
गिरिधातु पुं. (गिरिस्थो धातुः) गेरु. गिरिध्वज पुं. द्रनुं व%. गिरिनगर न. ६क्षिण दिशामां खावेसी हेश. गिरिनद्यादि पुं. पाशिनीय व्याडर प्रसिद्ध शब्द - स च यथा- गिरिनदि, गिरिनख, गिरिनद्ध, गिरिनितम्ब, चक्रनक्ष, चक्रनितम्ब, तूर्य्यमाण, माषोन, आर्गयन आकृतिगणः । गिरिनन्दिनी स्त्री. (गिरेः नन्दिनी) पार्वती - कलिन्दगिरिनन्दिनीतटसुरद्रुमालम्बिनी - भामि० ४।३, दुर्गा, गंगा, हरडोई नही..
गिरिनिम्ब पुं. महानिंज वृक्ष-पहाडी सीभडओ. गिरिपीलु पुं. पहाडी पीसुं, झलसा. गिरिपुर न. खानर्त देशमां खावे खेड शहेर. गिरिपुष्पक न. ( गिरेः पुष्पमिव कायति कै+क) शिक्षाठित.
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[गिरिगुड-गिरिशय
गिरिप्रिया स्त्री. (गिरिः प्रियोऽस्याः ) यभरी भृग गिरिबुध्नी स्त्री. (गिरिः बुध्न इव यस्याः ) पाए. गिरिभिद् पुं. (गिरिं भिनत्ति भिद् + क्विप्) पाषाअनु
लेह वृक्ष, इन्द्र, नहीनो झंटी, अंतर. गिरिभू त्रि. ( गिरौ भवति भू+क्विप्) पर्वतमा थनार नाना पाषाएा (स्त्री. गिरेर्हिमालयाधिष्ठातृदेवाद् भवतीति गिरि+भू+क्विप्) पार्वती, दुर्गा देवी, गंगा नही गिरिभुव इव तव मन्ये मनःशिला समभवच्चाण्डि ।। -आर्यास० ६१५ । (पुं.) जरघोडी. गिरिमल्लिका स्त्री. (गिरौ मल्लीव कन्) उडुनुं वृक्ष. गिरिमान पुं. ( गिरेरिव मानमस्य) हाथी, भोटो भेरावर हाथी.
गिरिमाल पुं. ( गिरौ मालः सम्बन्धोऽस्य ) ठेमांथी
યજ્ઞનો સ્તંભ કરાય છે તે એક પહાડી વૃક્ષ. गिरिमृत्तिका स्त्री. (गिरेः मृत्तिका) गे३, पहाडी भाटी
(स्त्री.) गिरिमृद् - गिरिमृच्चन्दननागरखटिकांशयोजितो बहिर्लेपः- वैद्यकचक्रपाणिसं० । गिरिमृद्भव न. ( गिरेर्मृदो भवति भू+अच्) गेरु. गिरिमेद पुं. ( गिरेर्मेद इव सारोऽस्य) खेड भतनो दुर्गन्धी जेर.
गिरियक, गिरिराक पुं. (गिरिं याति या +क संज्ञायां कन् । या+क्विप् संज्ञायां कन् न ह्रस्वः) गेन्दुई वृक्ष.
गिरिराज्, गिरिराज पुं. (गिरिषु राजते राज्+क्विप्)
श्रेष्ठ पर्वत, हिमालय. गिरिवासिन् त्रि. (गिरिं वासयति सुरभीकरोति वासि + णिनि गिरौ वसति वस्+ णिनि वा) पुं. खेड भतनो पहाडी ÷६, सुगंधी उंहभूज, (त्रि.) पर्वतभां વસનાર પહાડી લોક.
गिरिव्रज न. ( गिरीणां पञ्चानां व्रजा यत्र ) भगध દેશમાં આવેલું જરાસન્ધપુ૨ (રાજગૃહ) નામનું એક शहेर.
गिरिश पुं. (गिरौ शेते शी + बा० लोकेऽपि + ड) शिव, महादेव - प्रत्याहतास्त्रो गिरिशप्रभावत् रघु० २।४१, - गिरिशमुपचचार प्रत्यहं सा सुकेशी - कु० १।६० | गिरिशन्त पुं. ( गिरो कैलासे स्थितः सन् शं सुखं प्राणिनां तनोति विस्तारयति, गिरौ वाचि स्थितः शं तनोतीति वा ) शिव, महादेव.
गिरिशय पुं. ( गिरौ कैलासे शेते शी + अच्) महादेव.
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