Book Title: Sazzayamala
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 421
________________ (४४) सद्यायमाला. - मर ढाले, रावत प्रतपो रूडे ॥..षखंग पृथ्वी निरंतर, उमास लगें फरे केड़ें | रंग ॥जी॥ मे ॥ ११॥ देव बले माया नवि पडीयो, वैद्यरूप स हि आवे । तपशक्तियें करी.सब्धि नपनी, थुकें करी रोग गमावे ॥रं॥ जी० ॥ मेण॥१५॥ वरस बे लाख मलिक चक्री, लाख वरसनी दीक्षा ॥ पन्नरमा जिगवरने वारे, नरदेव करे जीवरक्षा ॥॥जी॥ मे० ॥१३॥ श्रीविजयसेन सूरीश्वरवाणी, तपगड राजेजाणी ॥ विनय कुशलपंमित वर खाणी, तस चरणे. चित्त श्राणी ॥ ॥जी॥ मे ॥ १४ ॥ वरस सातशें रोगहीयासी, सूधो संयम पाले । मुनि शांतिकुशल एम प्रजपे, देवलोक त्रीजो संजाले ॥रं ॥ जी० ॥ मे ॥ १५॥ इतिः॥ ॥अथ श्रीज्ञान विमलजीकृत एवंतीसुकुमारजीनी सद्याय प्रारंजः॥ ॥ लाबलदे मात महार ॥ ए देशी ॥ मनोहर मालव देश, तिहां बहुनयर निवेश ॥ आज हो अबे रे ऊजेणी नयरी सोहती जी ॥१॥ तिहां निवसे धनशेठ, लबी करे जस के॥आज हो नसा रे तस घरणी । मनडे मोहती जी॥२॥ पूरव नवें ऊष एक, राख्यो धरिय विवेक ।। आज हो पाम्यो रे तेह पुण्ये सोहम कल्पमा जी ॥३॥ नलिनीगुटम विमान, लोगवी सुख अजिराम ॥ आज हो ते चवीयो रे नप्पन्नो नया कुखें जी ॥४॥ एवंतीसुकुमार, नामे अतिसुकुमार ॥ आज हो दीपेरे की पे निज रूपें रतिपति जी ॥ ५ ॥रंजाने अनुकारि, परएयो बत्रीस ना री॥आज हो जोगी रे नामिनीशु जोगज जोगवे जी.॥६॥ नित्य नव ला शणगार, सोवन जडित सफार ॥ आज हो पहेरे रे सुवावु चीवर सामटुं जी ॥७॥ नित नवलां तंबोल, चंदन केशर बोल ॥ आज हो चरचे रे जस अंगे आंगी फूटरी जी. ॥७॥ एक पखाले अंग, एक करे नाटक चंग, आज हो एकज रे सुंहाली सेज समारती जी ॥ए॥ एक बोले मुख नाख, मीठी जाणे जाख ॥ आज हो लावण्ये लटकाला रूडा बोलडा जी॥१०॥ एक करि नयन कटादा; एक करे नखरा लाख ॥ श्रा ज हो प्रेमें रे पन्होती पियु पियु उच्चरे जी॥११॥ एक पिरसे पकवान, एक समारे पान ॥ आज हो पिरसे रे एक सारां खारां सालणां जी.॥ १२ ॥ एक वली गूंथे फूल, पंच वरण बहुमूल ।आज हो जामे रे केस रीये कल एक बांधती जी ॥१३॥ एक कहे जीजीकार, करती काम - - - - - - - - - - - -

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