Book Title: Sattavihanam
Author(s): Virshekharsuri
Publisher: Bharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
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द्वारम् ] स्वोपज्ञ हेमन्तप्रभा चूर्णि समलङ्कृतोत्तरपय डिसत्ता [ ५१
सत्ता सिआ हवेजा मिच्छअणचउक्क अधुवसत्ताणं । नियमा· Sण्णाऽण्णमए, सिआऽत्थि मज्झिमकसायाणं ॥ ५४४॥ इगवेणीअसंते, नियमाऽत्थि पणिदितसतिगाण तहा । सुहगा - SSएज्जजसाण, सिआऽण्णवण्णा हियसयस्स || ५४५|| दुदरिमणमोहचउअण आउग आहारसत्तगजिणाण 1 सम्मत्तमीस संते, सिआ हवेज्ज नियमा-ऽण्ण सिं ॥ ५४६ ॥ से सेगमोहसंते, मोहसठाणव्व होइ सेसाण । ( गीतिः) धुवमत्ताणं णियमा सिआ छवीमा अधुवसत्ताणं ||५४७ || थीद्धितिगतरिय दुग-जाइचउगथावराय वदुगाण' ( गीतः ) साहारणस्स वि सिआ, संजलणतिवेअहस्सछगसंते ॥५४८ ॥ मज्झिम कसायअट्टग-संतेवि य के सिं चउदसह । णिरयसुराउगसंते, व दंसणाहारसत्तगजिणाण ॥ ५४६ ॥ ( गीतिः ) सट्टावाऊण, नियमाऽण्णाण तिरिया उसंते उ । (गीतिः) ण जिणस्स सिआ अधु-संतऽणमिच्छाण नियमओऽण्णेसिं । ५५० | रगपणिदितसतिग- सुहगादेयजसउच्चगोआण । ( गीतिः) णियमा राउते - अणुपुव्वीअ वियसिआऽण्ण सिं ॥ ५५१ ॥ रगइ पणिदितसतिग- सुहगा देय ज स तित्थउच्चाण । (गीतिः) एवं वरि णराउस सिआ उच्चस्स उ णरगइसंते ॥५५२ || णरगइउच्चाण उ सग - पणिदिसंते सिआ ण जिणसंते । तिरियाउस्स णरगइव्व केइ उ णरागुपुच्चीए ॥ ५५३ ॥

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