Book Title: Saral Samudrik Shastra
Author(s): Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh

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Page 17
________________ सरल सामुद्रिक शास्त्र जोडा होने से ऐसा हठी होते है। साक्ति में 4. सूर्पाकार मुखाकृति सूर्पाकार मुखाकृति वाले जातक अग्नि तत्व प्रधान जातक होते हैं। यदि इनके चेहरे को चतुष्कोण में फिट किया जाये तो ललाट वाला भाग चौड़ा होगा तथा नीचे ठोढ़ी वाला भाग संकरा होगा। दूसरे शब्दों में इसे उल्टी बाल्टी के सदृश का कहा जा सकता है। ऊपर का भाग चौड़ा होने से ऐसे जातक स्वस्थ, साहसी, बृद्धिमान, दूरदर्शी चिंतक, स्पष्टवक्ता, अभिमानी नेतृत्वप्रिय तथा हठी होते हैं। ऐसे जातक का यदि कहीं वाद-विवाद हो जाये तो पीछे नहीं हटते कारण कि ये शक्ति में अधिक विश्वास रखते हैं। ऐसे ही स्वभाव के कारण ये जातक ध्वंसात्मक एवं रचनात्मक दोनों प्रकार के कार्य सम्पन्न करते हैं। यदि ऐसे जातक में अग्नि तत्व की अधिकता होगी तो ये अत्यन्त क्रोधी एवं पाशविक प्रवृत्ति के होंगे तथा हिंसात्मक कार्य करेंगे। सूर्पाकार मुखाकृति की स्त्रियां स्वतन्त्रताप्रिय, असहिष्णु एवं अधिक बोलने वाली होती है। ऐसी स्त्रियां गृहस्थ जीवन में कम सफल होती हैं इनका मुख्य कारण यह है कि इन्हें जरा-2 सी बात पर क्रोध आ जाता है। अगर इन्हें नौकरी या राजनीति क्षेत्र में अवसर मिले तो अधिक सफल होती हैं। 17

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