Book Title: Saral Samudrik Shastra
Author(s): Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh

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Page 61
________________ सरल सामुद्रिक शास्त्र अध्याय-6 6. Legs प्राचीन शास्त्राकारों एवं आचार्यों ने पांव के 20 भेद माने हैं और सबको पांच श्रेणियों में बांटा गया है: 1. सर्वोत्तम 2. उत्तम 3. मध्यम 4. अधम 5. निकृष्ट 1. सर्वोत्तम- जिनका रंग कमल के समान लाल हो, तलवे कोमल हों, नाखून का रंग तांबे के समान हो, उंगलिया परस्पर सटी हुई हो तथा उनका ऊपरी भाग कछुए की पीठ की तरह उन्नत हो व नसें दिखाई नहीं दें, ऐसे पैरों में पसीना नहीं आता है, गुल्फ छिपे रहते हैं, ऐड़ीयां सुन्दर तथा ऊपरी भाग में उष्णता बनी रहती है। ऐसे पांव वाले जातक राजा, विपुल, ऐश्वर्यवान, धनवान, गुणवान, यशस्वी, सौभाग्यशाली, दीघार्यु तथा सुखी जीवन व्यतीत करने वाले महापुरूष माने गये हैं एवं इनकी सभी आकांक्षाएं पूर्ण होती हैं। 2. उत्तम- उंगलियां लम्बी तथा परस्पर मिली हुई, नाखून सामान्यतः लम्बे तथा त्वचा कोमल होती है शेष सभी गुण सर्वोत्तम वाले ही होते हैं। ऐसे पांव वाले व्यक्ति नीतिज्ञ, कार्यकुशल, तीक्ष्ण बुद्धि, अच्छी सलाह देने वाले, साहित्य प्रेमी, यशस्वी, धनी, यात्राप्रिय माने गये हैं। 3. मध्यम- पांव के तलवे कोमल तथा गेरूए रंग के, नाखून सर्पाकार तथा हल्के गुलाबी, गेरूआ अथवा पीले रंग के होते हैं तथा उन पर नसें सामान्य रूप से उभरी रहती हैं, उंगलियों पर बहुत ही सामान्य बाल होते हैं। ऐसे जातक परिश्रमी, व्यवहार कुशल, निर्भीक, दूरदर्शी, विद्वान, गणित तथा विज्ञान में रुचि रखने वाले, साहित्यिक, पारिवारिक चिन्ताओं से ग्रस्त तथा एक

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