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एकतालीसवां बोल
सद्भाव-प्रत्याख्यान
आहार-त्याग से होने वाले लाभ के विषय में प्रश्न करने के बाद अब गौतम स्वामी, भगवान् महावीर से सद्भाव अर्थात् समस्त योगों का निरोध रूप क्रिया मात्र का त्याग करने से जीव को क्या लाभ होता है, इस विषय में प्रश्न करते हैं।
मूलपाठ प्रश्न-सम्भावपच्चक्खाणेणं भंते ! जीवे कि जणयइ ?
उत्तर--सम्भावपच्चक्खाणेणं अनिर्याट्ट जणयइ, अनियट्टिपडिवन्न य अणगारे चत्तारि केवलिकम्मसे खवेइ, तजहावेयणिज्ज, प्राउय, नाम, गोयं; तो पच्छा सिझइ, बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वायइ, सव्व दुक्खाणमन्त करइ ॥४१॥
शब्दार्थ
प्रश्न-भगवन् ! सद्भाव का अर्थात् समस्त योगों को रोकने रूप क्रिया मात्र का त्याग करने से जीवात्मा को क्या