Book Title: Samyaktva Mul Bar Vratni Tip Author(s): Udyotsagar Gani Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 8
________________ विषय. पृष्ट, MM .. .... .... ...... १५२ दशम देशावगाशिक द्वितीय शिदावतस्वरूपं, ए देशावगाशिक व्रतना पांच अतिचा. .... .... .... १३१ एकादश पौषधोपवासरूप तृतीय शिदाव्रतस्वरूपं. १३५ देशथकी तथा सर्वथकी पोसहनुं स्वरूप, आहारादिक चार प्रकारना पोसह लदाण, पोसहनो प्रनाव तथा फल. .... .... .... .... १३७ पोसहव्रतना पांच अतिचार. ... .... .... १३॥ पोसहमा अढार दोषनो त्याग करवो, तेनां नाम. .... १४० द्वादश अतिथिसंविनागनामक चतुर्थ शिक्षाव्रतस्वरूपं. १४१ अतिथिर्नु लक्षण, .... .... .... १५२ जैनमार्गीदातारना पांच गुणनां नाम. .... .... .... आहार आपतां श्रावकथी थता शोल दोषनां नाम. १४७ साधुश्री थता शोल दोपनां नाम. .... .... .... .... १४ए दश ग्रहणदोषनां नाम. .... .... . १५६ आहार करति वखत मंसदीना पांच दोषनां नास. .... १५ए अतिथिसंविनागवतना पांच अतिचार. श्री संलेषणाव्रतातिचार खरूपं. . १६५ अव्यसंलेषणा अने चारसंलेषणातुं खरूप, संलेषणा व्रतना पांचं अतिचार. .... १६७ झानाचारना आठ अतिचार. १६ए दर्शनाचारना आठ अतिचार. चारित्राचारना आप अतिचार. १७ए तपाचारना वार अतिचार. वीर्याचारना त्रण अतिचार रए ग्रंथसमातिना दोहा. .... रए४ .... १६१ .... १६५ - . १७२ १२ . . . . . . - - -Page Navigation
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