Book Title: Samyag Darshan Part 06
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai

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Page 201
________________ www.vitragvani.com 186] [सम्यग्दर्शन : भाग-6 करो। उसके निर्णय से तुम्हें अपार आत्मबल मिलेगा और तुम्हारा कार्य शीघ्र ही सिद्ध हो जायेगा। अतः बन्धुओं! - शीघ्र आत्मनिर्णय करो। - आनन्दमय अनुभूति करो। - अपूर्व शान्ति का वेदन करो। - और मोक्ष के मार्ग में आ जाओ। —यही है भगवान महावीर का सन्देश! और यही है उनके निर्वाण महोत्सव की सच्ची अञ्जलि। ॥ जय महावीर॥ स्वानुभव की रंग... और उसकी भूमिका... जीव को शुद्धात्मा के चिन्तन का अभ्यास करना चाहिए। जिसे चैतन्य के स्वानुभव का रंग लगे, उसे संसार का रंग उतर जाता है। भाई ! तू अशुभ और शुभ दोनों से दूर हो, तब शुद्धात्मा का चिन्तन होगा। जिसे अभी पाप के तीव्र कषायों से भी निवृत्ति नहीं, देव-गुरु की भक्ति, धर्मात्मा का बहुमान, साधर्मियों का प्रेम इत्यादि अत्यन्त मन्द कषाय की भूमिका में भी जो नहीं आया, वह अकषाय चैतन्य का निर्विकल्प ध्यान कहाँ से करेगा? पहले समस्त कषाय का (शुभअशुभ का) रंग उड़ जाये... जहाँ उसका रंग उड़ जाये, वहाँ उसकी अत्यन्त मन्दता तो सहज हो ही जाती है और फिर चैतन्य का रंग चढ़ने पर उसकी अनुभूति प्रगट होती है। बाकी परिणाम को एकदम शान्त किये बिना ऐसे का ऐसा अनुभव करना चाहे तो नहीं होता। अहा! अनुभवी जीव की अन्दर की दशा कोई और ही होती है ! Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.

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