Book Title: Samvayang Sutram
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 358
________________ तृतीयं परिशिष्टम् । २३६ १८८ उद्धृतपाठः पृष्ठाङ्कः | उद्धृतपाठः पृष्ठाङ्कः चंदजस चंदकंता.. [आव. नि० १५९] २९१ | देसूणमद्धजोयण लवणसिहोवरि.... चट ४ तिय ३ चउरा ४... [ ] २१८ [वृहत्क्षेत्र. ४१६] ६६ चणउइसहस्साई... [वृहत्क्षेत्र० ६०] १९१ देहं विमलसुयंधं [ ] चवीस सहस्साई नव य... [वृहत्क्षेत्र० ५२] ८६ | दो १ साहि २ सत्त... [वृहत्सं० गा० १२] २२ चउवीसई मुहुत्ता [वृहत्सं० २८१] २८१ | दो देसूणुत्तरिल्लाणं... [वृहत्सं० ५] १५ चत्ताला सत्त सया... [वृहत्क्षेत्र० ५५] १३१,१५७ | दो वारे विजयाइसु... [विशेपाव० ४३६] १५६ चत्तारि जायणसए... [बृहत्क्षेत्र. ४२२] ६७ |धणुपट्ठ कलचउक्कं... [वृहत्क्षेत्र० ५३] १५७ चूलियसीसपहेलिय चोद्दस... [ ] १८० धणुपट्ठ कलचउक्कं... [बृहत्क्षेत्र० ५९] १७९ चत्तासाएसु मासेसु.. [उत्तरा० २६।१३]१३३,१३० |धम्मो मंगलमुक्कट्ठ [दशवै० १।१] ८२,२४८ चोद्दस लक्खा सिद्धा.. [ ] नरकाः सीमन्तकादिका... [सूत्रकृतागव.] २५८ २५३ जइ एगिदियवरब्बियसरीरए किं... |नव चेव सहस्साइं... [वृहत्क्षेत्र. ४३] १९४ [ प्रज्ञापना सू० १५१५] २७२ | नववभचेरमइओ अट्ठारसपद.. जम्प जइ मागरोवम ठिई... [वृहत्सं० २१४] १३ [आचा० नि० ११] २१२ जा पढमाए जेट्ठा...[वृहत्सं० गा० २३४] २२ नववंभचेरमइओ... [आचारा० नि० ११] ७१ तह दमकालजाणण ... [ नवमो य महापउमो.. [आव० नि० ३७५] २९५ ] तिण्णि सया तत्तीसा... [आव० नि० ९७१] १९८ नाणं ५ तराय ५ दसगं... [कर्मस्तव० २।२३] ६८ नाभी जियसत्तू या.. [आव० नि० ३८७] २९२ तित्थयर १ धम्म २ आयरिय... [ ] १८७ तिन्नेव उत्तराई पुणव्वसू.. [जम्बू० प्र०] १५९ नारयदेवा तिरिमणुयगब्भया... [ ] २६८ निग्गंथ-सक्क-तावस-... [पिण्डनि० ४४५] २१० तिविठ्ठ य दुविठू य ... [आव० भा० ४०] ३०५ निच्चंधयारतमसा ववगयगहचंद.. [ ] २५९ तिहिं ठाणहिं तारारूवे.. नरइए णं भते ! नेरइएसु.. स्थानाङ्ग सू० १४१] | [भगवती० ४/९/१७३] २८० तीसा य १ पण्णवीसा.. [वृहत्सं० २५५] १७९ | नेरइयदेवतित्थंकरा य... [आव० नि० ६६] २७६ त सोहिज्जति फुडं.. [नन्दी. हारि०] २३० | नेरइया १ असुराई १० पुढवाई... [ ] २५८ तंवट्टि सहस्माई... [वृहत्क्षेत्र० ३१४] १३१ |पंच सए छब्बीसे छच्च.. [वृहत्क्षेत्र० २९] ७४ तंवन्नसहरमाई नव य... [वृहत्क्षेत्र० ५६] १४४ पंचास ५० चत्त ४... [वृहत्सं० ११८] १८१ दंसणवय [पञ्चाशक १०।३] १८९ | |पज्जायाणभिधेय [विशेषाव० २५] २१३ दस चेव सहस्माई... [वृहत्क्षेत्र. ४५] १९४ | पढमा बहलपडिवए १ वीया... दस जोयणसहस्सा... [बृहत्क्षेत्र० ४१५] ६६| [ज्योतिप्क० २४७] १६४ दस नवगं गणाण माणं... [आव. नि० २६८] २९ | |पढमाऽसीइ सहस्सा १.. [वृहत्सं० २४१] १७३ दाहिण दिवड्ड पलियं... [वृहत्सं० ५] ११ पढमेत्थ विमलवाहण.. [आव० नि० १५५] २९१ दुविहा पण्णवणा पण्णत्ता... [प्रज्ञापना० ३] २५६ पणुवीसं कोडिसयं... [नन्दी० हारि० ] २३०

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