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एशिया में जनतंत्र का भविष्य
के भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इस खतरे के परिणाम केवल एशिया के जनतंत्र देशों को ही नहीं, सारी दुनिया के जनतंत्र देशों को भुगतने होंगे ।
जनतंत्र का विकास और सुरक्षा दूसरे राष्ट्रों की स्वतंत्र चेतना को कुण्ठित करने प्रयत्नों से नहीं हो सकती । वह हो सकती है उनकी स्वतंत्र चेतना के उपभोग में सहयोग देने से । यदि इस तथ्य की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो एशिया में ही नहीं, सारी दुनिया में जनतंत्र का भविष्य उज्ज्वल नहीं है |
जनतंत्र का भविष्य
साम्प्रदायिक कट्टरता वैज्ञानिक उपलब्धियों के साथ अपने-आप मिटनेवाली है । इससे जनतंत्र को दीर्घकालीन खतरा नहीं है। जिससे दीर्घकालीन खतरा है, वह है प्रभुत्वविस्तार की भावना । यह परतंत्रता का सूत्र है, जो जनतंत्र के मूल आधार- स्वतंत्रता पर प्रहार करता है ।
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स्वतंत्रता और आर्थिक विकास की सम्भावना जनतंत्र में किसी अन्य प्रणाली से अधिक है, यह मान्यता पुष्ट होती जा रही है । इसलिए उक्त कठिनाइयों के उपरान्त जनतंत्र का भविष्य प्रकाशमय प्रतीत होती है। जिस एशिया ने इस आध्यात्मिक मंत्र को पढ़ा हैआत्मा का शासन, आत्मा के द्वारा, आत्मा के लिए वह महामनीषी लिंकन के उस वाक्य को अनादृत नहीं करेगा - जनता का शासन, जनता के द्वारा, जनता के लिए ।
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