Book Title: Saman Dhamma Rasayanam
Author(s): Dharmdhurandharsuri, Bhuvanchandravijay
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha

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Page 28
________________ अजवं (आर्जवम्) - ३ पसिद्धमेवं वुत्तं तं जं मायाइ मित्ते वंचिऊण - महियं तवं कयं पुव्वज्जमे तप्पहावा जिणोऽभू मल्लीणाहो. परं मायाइ थीसरीरं संपण्ण मच्छेरयभूअं । ... ७) णियई - माया । दुग्गइजणणी - दुद्भवदाइणी । विगइ - वियांरसरूवा । अत्थि - त्ति सेसो । रिउभावो - अज्जवं । सं - कुसलां जणयइ - उप्पायेइ । णियईइ - मायाइ । सययं - णिरंतरं । संतावो - परितावो । होइत्ति । अज्जवओ - उउभावाओ । सुहभावो - कुसलपरिणामो | इवइत्ति || ८) मायामोहतमोह तमोहं - णियइमोहंधयारणियरदिणयरं ।.. एयं - अज्जवं । जइ । जागरइ विणिदं वट्टइ । ता - धम्मधुरंधर वरगुणसत्तं - धम्मुत्तम पहाणज्ज वरूवगुणपसत्तंचेयणं । लहु - सिग्धं । मुत्तिवहू - सिवरमणी वरइ - परिणयइ ।।

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