Book Title: Sabhashya Tattvarthadhigam Sutrani
Author(s): Motilal Laghaji Oswal
Publisher: Motilal Laghaji Oswal

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Page 11
________________ (९) रूपिष्ववधेः ॥२८॥ तदनन्तभागे मनःपर्यायस्य ॥ २९॥ सर्वद्रव्यपर्यायेषु केवलस्य ॥ ३०॥ एकादीनि भाज्यानि युगपदेकस्मिन्ना चतुर्व्यः ॥ ३१॥ मतिश्रुतावधयो विपर्ययश्च ॥ ३२॥ सदसतोरविशेषाद्यदृच्छोपरब्धेरुन्मत्तवत् ॥ ३३॥ नैगमसङ्ग्रहव्यवहारर्जुसूत्रशब्दा नयाः ॥ ३४॥ आद्यशब्दौ द्वित्रिभेदौ ॥ ३५ ॥ इति प्रथमोऽध्यायः ॥ १॥ अथ द्वितीयोऽध्यायः । औपशमिकक्षायिको भावौ मिश्रश्च जीवस्य स्वतत्त्वमौदयिकपा रिणामिकौ च ॥१॥ द्विनवाष्टादशैकविंशतित्रिभेदा यथाक्रमम् ॥२॥ सम्यक्त्वचारित्रे ॥३॥ ज्ञानदर्शनदानलाभभोगोपभोगवीर्याणि च ॥४॥ ज्ञानाज्ञानदर्शनदानादिलब्धयश्चतुस्त्रित्रिपञ्चभेदाः सम्यक्त्वचारित्र संयमासंयमाश्च ॥५॥ गतिकषायलिङ्गामथ्यादर्शनासानासंयतासिद्धत्वलेश्याश्चतुश्चतुस्त्र्येकै कैकैकषट्भेदाः॥६॥ जीवभव्याभव्यत्वादीनि च ॥ ७॥ उपयोगो लक्षणम् ॥ ८॥ स द्विविधोऽष्टचतुर्भेदः॥९॥ संसारिणो मुक्ताश्च ॥ १०॥ समनस्कामनस्काः ॥११॥ संसारिणस्त्रसस्थावराः ॥ १२ ॥ पृथिव्यब्वनस्पतयः स्थावराः॥ १३ ॥ तेजोवायू द्वीन्द्रियादयश्च त्रसाः ॥ १४॥ पश्चेन्द्रियाणि ॥ १५॥ - द्विविधानि ॥ १६॥ निर्वृत्त्युपकरणे द्रव्योन्द्रियम् ॥ १७॥

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