Book Title: Rushimandal Stotra
Author(s): Chandanmal Nagori
Publisher: Sadgun Prasarak Mitra Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋषि मंडल-स्तोत्र शिरःसंलीन ईकारो, विलीनो वर्णतः स्मृतः॥ वर्णानुसारसंलीनं, तीर्थकृत्मंडलं स्तुमः ॥ २३ ॥ चन्द्रप्रभपुष्पदन्तौ, नादस्थितिसमाश्रितौ ॥ बिन्दुमध्यगतौ नेमिसुव्रतौ जिनसत्तमौ ॥ २४ ॥ पद्मप्रभवासुपुज्यो, कलापदमधिष्ठतौ॥ शिरईस्थितिसंलीनौ, पार्श्वमल्लिजिनोत्तमौ ॥ २५ ॥ शेषास्तीर्थकृतः सर्वे,-हरस्थाने-नियोजिताः॥ मायाबीजाक्षरं प्राप्ताश्चतुर्विशतिरर्हतां ॥२६॥ गतरागद्वेषमोहाः, सर्वपापविवर्जिताः ॥ सर्वदा सर्वकालेषु, ते भवन्तु जिनोत्तमाः ॥२७॥ देवदेवस्य यच्चक्रं,-तस्य चक्रस्य या प्रभा ॥ तया छादितसर्वांगं,-मा-मां-हिनस्तु डाकिनी २८ देवदेवस्य यच्चक्रं, तस्य चक्रस्य-या-प्रभा ॥ तया छादितसर्वांगं,-मा-मां-हिनस्तु राकिनी २९ देवदेवस्य यच्चक्र, तस्य चक्रस्य-या-प्रभा॥ तया छादितसर्वांगं,-मा-मां-हिनस्तु लाकिनी ३० For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111